हरियाणा और ग्रेटर नोएडा में बड़ा हादसा, कोहरे में कई वाहनों की भिड़ंत

उत्तर भारत में घने कोहरे के कारण बड़ा सड़क हादसा हो गया है। हरियाणा के रेवाड़ी में 4 बसों की टक्कर हो गई जबकि उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा में 6 वाहन आपस में भिड़ गए। हादसे में कई लोग घायल हुए हैं जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है। पुलिस मौके पर पहुंचकर राहत और बचाव कार्य में जुटी हुई है।

हरियाणा एक्सीडेंट
कोहरे के कारण बड़ा हादसा
locationभारत
userअसमीना
calendar14 Dec 2025 11:14 AM
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रविवार की सुबह उत्तर भारत के कई हिस्सों में ऐसी धुंध छाई कि सड़कों पर चलना खतरे से खाली नहीं रहा। कोहरे ने न सिर्फ लोगों की रफ्तार थाम दी बल्कि कई परिवारों की चिंता भी बढ़ा दी। हरियाणा के रेवाड़ी और उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा में हुए सड़क हादसों ने एक बार फिर बता दिया कि घना कोहरा कितना जानलेवा साबित हो सकता है।

आपस में टकरा छह वाहन

उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा में एनएच-91 पर सुबह के वक्त कोहरे के कारण छह वाहन आपस में टकरा गए। अचानक हुए इस हादसे में कई लोग घायल हो गए। राहत की बात यह रही कि ज्यादातर को मामूली चोटें आईं। टक्कर के बाद हाईवे पर लंबा जाम लग गया जिससे राहगीरों को काफी परेशानी हुई। मौके पर पहुंची पुलिस ने क्षतिग्रस्त वाहनों को सड़क से हटवाकर यातायात को धीरे-धीरे सामान्य कराया।

हरियाणा के रेवाड़ी में भी हादसा

वहीं हरियाणा के रेवाड़ी जिले में भी हालात कुछ ऐसे ही रहे। गांव गुरावड़ा के पास नेशनल हाईवे 352डी पर कोहरे की वजह से तीन से चार बसें आपस में भिड़ गईं। बताया जा रहा है कि एक बस रेवाड़ी से झज्जर की ओर जा रही थी तभी कम दृश्यता के कारण वह आगे चल रही बस से टकरा गई। इसके बाद पीछे से आ रही अन्य बसें भी उससे जा भिड़ीं।

हादसे का वीडियो आया सामने

हादसे का वीडियो भी सामने आया है जिसमें देखा जा सकता है कि एक निजी बस का अगला हिस्सा बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया है जबकि हरियाणा रोडवेज की दो बसें उसके पीछे टकराकर खड़ी हैं। टक्कर इतनी तेज थी कि बसों में सवार कई यात्री घायल हो गए। सभी घायलों को तुरंत बसों से बाहर निकालकर नजदीकी अस्पतालों में भर्ती कराया गया। साथ ही उनके परिजनों को भी सूचना दे दी गई है।

हादसे की वजह बना कोहरा

पुलिस के मुताबिक, हादसे की मुख्य वजह घना कोहरा और बेहद कम विजिबिलिटी है। फिलहाल पूरे मामले की जांच की जा रही है ताकि यह साफ हो सके कि कहीं लापरवाही भी इसकी वजह तो नहीं रही। अगर पूरे उत्तर भारत की बात करें तो ठंड के साथ-साथ कोहरे का कहर हर जगह देखने को मिल रहा है। दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश के कई इलाकों में सुबह के समय दृश्यता बेहद कम रही। मथुरा में तो हालात ऐसे थे कि 20 से 30 मीटर से आगे कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। राष्ट्रीय राजमार्गों पर वाहनों की रफ्तार थम सी गई और कई ड्राइवरों ने समझदारी दिखाते हुए सड़क किनारे वाहन रोककर कोहरा छंटने का इंतजार किया।

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केरल निकाय चुनाव में शशि थरूर की भूमिका संदिग्ध, भाजपा की जीत से खुश

कांग्रेस सांसद शशि थरूर की भूमिका को लेकर भी नई अटकलों को जन्म दिया है। तिरुवनंतपुरम नगर निगम में भाजपा के अप्रत्याशित प्रदर्शन ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या राज्य की राजनीति किसी नए दौर में प्रवेश कर रही है।

tharoor
शशि थरूर और पीएम नरेंद्र मोदी
locationभारत
userयोगेन्द्र नाथ झा
calendar13 Dec 2025 07:10 PM
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Kerala Local Body Elections : केरल की राजनीति में हालिया स्थानीय निकाय चुनावों ने ऐसी हलचल पैदा कर दी है, जिसने न सिर्फ पारंपरिक राजनीतिक समीकरणों को चुनौती दी है, बल्कि कांग्रेस सांसद शशि थरूर की भूमिका को लेकर भी नई अटकलों को जन्म दिया है। तिरुवनंतपुरम नगर निगम में भाजपा के अप्रत्याशित प्रदर्शन ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या राज्य की राजनीति किसी नए दौर में प्रवेश कर रही है।

तिरुवनंतपुरम में भाजपा की बढ़त : एक संकेत, सिर्फ जीत नहीं

तिरुवनंतपुरम नगर निगम में भाजपा-नीत एनडीए का लगभग बहुमत तक पहुंचना केरल के राजनीतिक इतिहास में एक अहम घटना है। यह वही क्षेत्र है, जिसे लंबे समय से वाम दलों और कांग्रेस का गढ़ माना जाता रहा है। इस प्रदर्शन ने साफ कर दिया है कि शहरी मतदाता अब पारंपरिक विकल्पों से संतुष्ट नहीं हैं और नए राजनीतिक प्रयोग के लिए तैयार दिख रहे हैं। यह बदलाव सिर्फ सीटों की संख्या तक सीमित नहीं है, बल्कि मतदाताओं की सोच में आए परिवर्तन को भी दर्शाता है।

शशि थरूर का बदला हुआ तेवर: संयोग या संकेत?

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और तिरुवनंतपुरम से सांसद शशि थरूर का रुख हाल के दिनों में चर्चा का विषय बना हुआ है। पार्टी नेतृत्व की अहम बैठकों से उनकी अनुपस्थिति और भाजपा की जीत पर सार्वजनिक रूप से बधाई देना सामान्य राजनीतिक व्यवहार से अलग माना जा रहा है। थरूर का बयान लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति सम्मान को दर्शाता है, लेकिन साथ ही यह भी संकेत देता है कि वह कांग्रेस की मौजूदा रणनीति और नेतृत्व से पूरी तरह संतुष्ट नहीं दिख रहे। उनका यह रुख पार्टी के भीतर बढ़ती असहमति की ओर भी इशारा करता है।

कांग्रेस की चुनौती : बाहरी खतरे से ज्यादा अंदरूनी असमंजस

इस पूरे घटनाक्रम में कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी चिंता भाजपा की जीत नहीं, बल्कि अपनी पकड़ का कमजोर होना है। खासकर शहरी और शिक्षित मतदाताओं के बीच पार्टी की अपील लगातार घटती नजर आ रही है। यूडीएफ के भीतर स्पष्ट नेतृत्व, ठोस एजेंडा और भविष्य की दिशा को लेकर भ्रम की स्थिति दिखाई देती है। यही कारण है कि भाजपा जैसे दल को राजनीतिक विस्तार का अवसर मिल रहा है।

भाजपा के लिए अवसर, लेकिन रास्ता आसान नहीं

भाजपा के लिए यह जीत मनोबल बढ़ाने वाली जरूर है, लेकिन केरल जैसे राज्य में दीर्घकालिक सफलता हासिल करना अब भी चुनौतीपूर्ण रहेगा। सामाजिक संरचना, राजनीतिक परंपराएं और मजबूत विपक्ष भाजपा के लिए बड़ी बाधाएं बनी रहेंगी। हालांकि, यह परिणाम 2026 के विधानसभा चुनावों से पहले भाजपा को एक मजबूत आधार जरूर प्रदान करता है। केरल की राजनीति में बदलाव के संकेत स्पष्ट हैं, लेकिन इसे पूर्ण परिवर्तन कहना अभी जल्दबाजी होगी। यह चुनाव परिणाम एक चेतावनी, एक अवसर और एक संभावित नए राजनीतिक अध्याय की शुरूआत जरूर है। शशि थरूर की भूमिका आने वाले समय में और अधिक महत्वपूर्ण हो सकती है, चाहे वह कांग्रेस के भीतर सुधार की आवाज बनें या केरल की राजनीति में किसी नए संतुलन का संकेत दें। फिलहाल इतना तय है कि केरल की सियासत अब पुराने ढर्रे पर चलने को तैयार नहीं दिख रही।

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पश्चिम बंगाल में बाबरी मस्जिद वाले विधायक हुमायूं कबीर पर बड़ा पेंच

TMC से निष्कासित किए गए हुमायूँ कबीर के मुद्दे पर एक बड़ा पेंच फंस गया है। यह पेंच इतना बड़ा है कि विधायक को चिल्ला-चिल्लाकर घोषणा करनी पड़ रही है कि ‘‘मैं बाबरी मस्जिद वाला विधायक हुमायूँ कबीर नहीं हूं।

एक नाम, दो विधायक… बंगाल में ‘हुमायूं कबीर’ को लेकर बड़ा कन्फ्यूजन
एक नाम, दो विधायक… बंगाल में ‘हुमायूं कबीर’ को लेकर बड़ा कन्फ्यूजन
locationभारत
userआरपी रघुवंशी
calendar12 Dec 2025 03:58 PM
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Humayun Kabir : पश्चिम बंगाल में बाबरी मस्जिद बनाने की नींव पड़ गई है। पश्चिम बंगाल में बाबरी मस्जिद की नींव तृणमूल कांग्रेस (TMC) के एक विधायक हुमायूं कबीर ने रखी है। टीएमसी (TMC) ने विधायक हुमायूं कबीर को पार्टी से निष्कासित कर दिया है। TMC से निष्कासित किए गए हुमायूँ कबीर के मुद्दे पर एक बड़ा पेंच फंस गया है। यह पेंच इतना बड़ा है कि विधायक को चिल्ला-चिल्लाकर घोषणा करनी पड़ रही है कि ‘‘मैं बाबरी मस्जिद वाला विधायक हुमायूँ कबीर नहीं हूं। 

नाम के संकट ने उलझा दिया हुमायूं कबीर का मामला

दुनिया के प्रसिद्ध लेखक तथा दार्शनिक शेक्सपियर ने कहा था कि 'नाम में क्यों रखा है' और कई मायने में यह कथन सच लगता है, लेकिन पश्चिम बंगाल में, इन दिनों यह उक्ति मिथ्या साचित हो रही है। यहां नाम को लेकर राजनीति गरमा गई है। पश्चिम बंगाल में दो-दो हुमायूं कबीर को लेकर अफरा-तफरी मची है। मजे की बात है कि दोनों ही हुमायूं कबीर तृणमूल कांग्रेस के नेता हैं और दोनों ही विधायक भी। एक हुमायूं कबीर हैं भरतपुर के विधायक, जो जो मुर्शिदाबाद जिले के बेलडांगा में बीते 6 दिसंबर को बाबरी मस्जिद की नींव रखने के बाद चर्चा में बने हुए हैं और दूसरे हुमायूं कबीर हैं डेबरा के विधायक, जो पहले भारतीय पुलिस सेवा (IPS) में थे। डेबरा वाले पुलिस सेवा से राजनीति में आए और तृणमूल कांग्रेस में शामिल हुए। भरतपुर वाले ने कांग्रेस की टिकट पर विधानसभा पहुंचने के बाद तृणमूल का दामन थामा था।

मैं बाबरी मजिस्द वाला हुमायूं कबीर नहीं हूं

एक ही नाम होने के कारण डेबरा वाले हुमायूं कबीर को बीते दो-तीन दिनों से परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। उनकी फोन की घंटी लगातार बज रही है और वह यह बताते बताते थक से गए हैं कि मैं बाबरी मस्जिद वाला हुमायूं कबीर नहीं हूं। दरअसल, भरतपुर के विधायक ने छह दिसंबर को बेलडांगा में बाबरी मस्जिद की नींव रखी थी और इसके निर्माण के लिए लोगों से 'क्यूआर कोड' के जरिये आर्थिक मदद देने का आग्रह किया था। जिन्हें नहीं मालूम कि बंगाल में हुमायूं कबीर नाम के दो-दो विधायक हैं, वे मस्जिद निर्माण में आर्थिक सहयोग देने के लिए लगातार डेबरा वाले विधायक को फोन कर 'क्यूआर कोड' या 'गूगल-पे नंबर' या 'बैंक अकाउंट नंबर' मांग रहे हैं। डेबरा विधायक ने बताया कि एक जैसा नाम होने के कारण बीते तीन दिनों में 300 से अधिक लोगों ने चंदा देने की इच्छा से उन्हें फोन किया। ये फोन बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, मुंबई, हरियाणा, राजस्थान और विदेशों से भी आ रहे हैं। अब भी अजनबियों के फोन आ रहे हैं। पूर्व आईपीएस और मौजूदा विधायक हुमायूं कबीर ने बताया कि लगातार फोन और संदेश का जवाब देने में बहुत मुश्किल हो रही है। उन्हें बार-बार समझाना पड़ रहा है कि वह मुर्शिदाबाद वाले हुमायूं कबीर नहीं हैं। वह सफाई देते फिर रहे हैं कि उनका नाम भी हुमायूं कंबीर है, लेकिन उन्हें तृणमूल कांग्रेस से निलंबित नहीं किया गया है

सोशल मीडिया पर देनी पड़ रही है सफाई

डेबरा वाले हुमायूं कबीर को सोशल मीडिया पर पोस्ट लिखकर भी सफाई देनी पड़ रही है। डेबरा वाले हुमायूं कबीर ने कहा कि स्थिति थोड़ी अजीब हो गई है, लेकिन वह विनम्रतापूर्वक लोगों को सही नंबर ढूंढने और भरतपुर वाले हुमायूं कबीर से संपर्क करने की सलाह दे रहे हैं। उन्होंने फेसबुक पर पोस्ट भी लिखा कि मंदिर और मस्जिद राजनीतिक अखाड़ा नहीं, बल्कि प्रार्थना व पूजा के स्थल हैं। Humayun Kabir