Attack on Owaisi: AIMIM के चीफ और हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी पर गोली चलाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दोनों आरोपियों की जमानत को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि जमानत मंजूर करते समय कोई कारण तक न बताया जाना संदेहास्पद है। कोर्ट का कहना था कि दोनों आरोपी 1 सप्ताह के भीतर लोअर कोर्ट में सरेंडर करें। इलाहाबाद हाईकोर्ट मामले की फिर से सुनवाई करे।
Attack on Owaisi
आपको बता दें कि असदुद्दीन ओवैसी फरवरी 2022 में यूपी चुनाव के दौरान कार से कहीं जा रहे थे तभी दो लोगों ने उन पर गोली दागी थी। केस दर्ज होने के बाद पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार कर लिया था। लेकिन बाद में दोनों को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जमानत दे दी थी। फिलहाल दोनों जेल से बाहर हैं। जस्टिस एमएम संदरेश व जस्टिस एमआर शाह की बेंच ने कहा कि हाईकोर्ट मामले में 4 सप्ताह के भीतर अपना फैसला दे।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये देखा जा सकता है कि हाईकोर्ट ने बेल मंजूर करते समय कोई कारण नहीं बताया। जांच के दौरान न तो मौके से साक्ष्य एकत्र किए गए और न ही कोई प्राइमा फेसी ओपिनियन कोर्ट के सामने रखी गई। ये दोनों ही चीजें चार्जशीट का अहम हिस्सा होती हैं। लेकिन हाईकोर्ट ने इन दोनों पहलुओं को नजरंदाज किया। ऐसे हालात में हाईकोर्ट का फैसला खारिज करना ही उचित है।
जस्टिस एमएम संदरेश व जस्टिस एमआर शाह की बेंच ने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट फिर से मेरिट के आधार पर मामले की सुनवाई करे और जो साक्ष्य एकत्र किए गए हैं उन पर गौर करे। ये सभी अब चार्जशीट का हिस्सा हैं। सभी पहलुओं पर नजर डालने के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट अपना फैसला दे।
आरोपियों के वकील ने अपनी पैरवी में कहा कि दोनों के खिलाफ कोई सामग्री नहीं है। उनकी अपील थी कि शीर्ष अदालत हाईकोर्ट का फैसला खारिज न करे। उन्होंने हरियाणा के सतेंद्र कुमार आंतिल मामले का हवाला भी दिया।
असदुद्दीन ओवैसी की तरफ से पेश वकील का कहना था कि मामले में चार चश्मदीद गवाह हैं। सीसीटीवी फुटेज में भी कार पर गोली चलते दिख रही है। आरोपियों ने जो जैकेट पहनी थी, उसकी भी पहचान कर ली गई है। हैदराबाद के सांसद का कहना था कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बगैर उनका पक्ष सुने आदेश पारित कर दिया था। इस पर उन्हें आपत्ति थी।