SEBI का नया प्लान: IPO में रिटेल के साथ-साथ म्यूचुअल फंड्स को भी फायदा

क्या था सेबी का पुराना प्रस्ताव?
SEBI ने 31 जुलाई 2025 को जारी एक कंसल्टेशन पेपर में यह सुझाव दिया था कि बड़े आईपीओ यानी 5,000 करोड़ रुपये से अधिक के इश्यू में रिटेल निवेशकों का हिस्सा 35% से घटाकर 25% कर दिया जाए। इसके साथ ही, क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल बायर्स (QIB) का हिस्सा 50% से बढ़ाकर 60% करने की बात कही गई थी। इस प्रस्ताव के पीछे SEBI की दलील थी कि बड़े आईपीओ में रिटेल निवेशकों की भागीदारी अक्सर कम रहती है। हालांकि, बाजार से जुड़े विशेषज्ञों और निवेशकों ने इस कदम का विरोध किया। उनका कहना था कि केवल रिटेल सब्सक्रिप्शन के आंकड़ों के आधार पर यह फैसला लेना उचित नहीं है। IPO की प्राइसिंग और पारदर्शिता जैसे अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं पर भी ध्यान देना चाहिए।म्यूचुअल फंड्स को मिल सकती है ज्यादा हिस्सेदारी
SEBI ने अपने नए रुख में कहा है कि वह सभी हितधारकों की राय को गंभीरता से ले रहा है और फिलहाल रिटेल निवेशकों के कोटे में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। मतलब, छोटे निवेशकों को अब भी IPO में 35% हिस्सा मिलेगा, जैसा पहले से होता आया है। SEBI ने एक नया प्रस्ताव रखते हुए यह भी कहा कि म्यूचुअल फंड्स के जरिए रिटेल निवेशकों की भागीदारी लगातार बढ़ रही है। फिलहाल, QIB कैटेगरी के तहत म्यूचुअल फंड्स के लिए 5% आरक्षण है। SEBI ने सुझाव दिया है कि इसे बढ़ाकर 15% किया जाए ताकि रिटेल निवेशकों का अप्रत्यक्ष प्रतिनिधित्व और मजबूत हो सके।बड़ी कंपनियों को राहत
SEBI ने सोमवार को एक और कंसल्टेशन पेपर जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि 50,000 करोड़ रुपये या उससे अधिक मार्केट कैप वाली कंपनियों को कम हिस्सेदारी के साथ शेयर बाजार में लिस्टिंग की छूट दी जा सकती है। साथ ही, MPS (Minimum Public Shareholding) नियमों को पूरा करने के लिए उन्हें ज्यादा समय मिलेगा।यह भी पढ़े: BSNL ने दिया दिवाली से पहले बंपर तोहफा, सिर्फ 13 सितंबर तक का मौका
SEBI का यू-टर्न रिटेल निवेशकों के लिए एक सकारात्मक संकेत है। जहां एक ओर छोटे निवेशकों को IPO में बराबर का मौका मिलता रहेगा, वहीं दूसरी ओर बाजार नियामक म्यूचुअल फंड्स के जरिए भागीदारी को और व्यापक बनाने की दिशा में काम कर रहा है। यह फैसला पूंजी बाजार में संतुलन बनाए रखने और सभी वर्गों के निवेशकों को समान अवसर देने की दिशा में अहम माना जा रहा है। SEBIअगली खबर पढ़ें
क्या था सेबी का पुराना प्रस्ताव?
SEBI ने 31 जुलाई 2025 को जारी एक कंसल्टेशन पेपर में यह सुझाव दिया था कि बड़े आईपीओ यानी 5,000 करोड़ रुपये से अधिक के इश्यू में रिटेल निवेशकों का हिस्सा 35% से घटाकर 25% कर दिया जाए। इसके साथ ही, क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल बायर्स (QIB) का हिस्सा 50% से बढ़ाकर 60% करने की बात कही गई थी। इस प्रस्ताव के पीछे SEBI की दलील थी कि बड़े आईपीओ में रिटेल निवेशकों की भागीदारी अक्सर कम रहती है। हालांकि, बाजार से जुड़े विशेषज्ञों और निवेशकों ने इस कदम का विरोध किया। उनका कहना था कि केवल रिटेल सब्सक्रिप्शन के आंकड़ों के आधार पर यह फैसला लेना उचित नहीं है। IPO की प्राइसिंग और पारदर्शिता जैसे अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं पर भी ध्यान देना चाहिए।म्यूचुअल फंड्स को मिल सकती है ज्यादा हिस्सेदारी
SEBI ने अपने नए रुख में कहा है कि वह सभी हितधारकों की राय को गंभीरता से ले रहा है और फिलहाल रिटेल निवेशकों के कोटे में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। मतलब, छोटे निवेशकों को अब भी IPO में 35% हिस्सा मिलेगा, जैसा पहले से होता आया है। SEBI ने एक नया प्रस्ताव रखते हुए यह भी कहा कि म्यूचुअल फंड्स के जरिए रिटेल निवेशकों की भागीदारी लगातार बढ़ रही है। फिलहाल, QIB कैटेगरी के तहत म्यूचुअल फंड्स के लिए 5% आरक्षण है। SEBI ने सुझाव दिया है कि इसे बढ़ाकर 15% किया जाए ताकि रिटेल निवेशकों का अप्रत्यक्ष प्रतिनिधित्व और मजबूत हो सके।बड़ी कंपनियों को राहत
SEBI ने सोमवार को एक और कंसल्टेशन पेपर जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि 50,000 करोड़ रुपये या उससे अधिक मार्केट कैप वाली कंपनियों को कम हिस्सेदारी के साथ शेयर बाजार में लिस्टिंग की छूट दी जा सकती है। साथ ही, MPS (Minimum Public Shareholding) नियमों को पूरा करने के लिए उन्हें ज्यादा समय मिलेगा।यह भी पढ़े: BSNL ने दिया दिवाली से पहले बंपर तोहफा, सिर्फ 13 सितंबर तक का मौका
SEBI का यू-टर्न रिटेल निवेशकों के लिए एक सकारात्मक संकेत है। जहां एक ओर छोटे निवेशकों को IPO में बराबर का मौका मिलता रहेगा, वहीं दूसरी ओर बाजार नियामक म्यूचुअल फंड्स के जरिए भागीदारी को और व्यापक बनाने की दिशा में काम कर रहा है। यह फैसला पूंजी बाजार में संतुलन बनाए रखने और सभी वर्गों के निवेशकों को समान अवसर देने की दिशा में अहम माना जा रहा है। SEBIसंबंधित खबरें
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