Chandrayaan 3 : भारतीय अंतरिक्ष अनुंसधान संस्थान इसरो द्वारा चंद्रयान 3 (Chandrayaan 3) की लैंडिंग के बाद देशभर में एक चर्चा ने तेजी पकड़ी कि चांद पर पहुंचने वाला भारत विश्व का पहला देश बन गया है, जबकि असलियत यह नहीं है। भारत से पहले दुनिया के तीन देश चांद पर लैंडिंग कर चुके हैं। यहां यह समझना बेहद जरुरी है कि चांद के किस ध्रुव पर पहुंचने पर भारत विश्व का पहला देश बना।
Chandrayaan 3 Update
आपको बता दें कि 23 अगस्त 2023 को भारत के चंद्रयान 3 की चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग हुई। लेकिन चांद पर पहुंचने वाला भारत विश्व का पहला नहीं बल्कि चौथा देश है। भारत से पहले अमेरिका, चीन और रुस चांद पर लैंडिंग कर चुके है। आपके दिमाग में फिर वही सवाल पैदा हो गया कि भारत को चांद पर पहुंचने वाला विश्व का पहला देश क्यों कहा जा रहा है। इसे इस तरह से समझा जा सकता है जिस तरह पृथ्वी पर चार दिशाएं हैं, ठीक उसी तरह से चांद पर चार ध्रुव हैं। पूरब, पश्चिम, उत्तर और दक्षिण। भारत के चंद्रयान 3 ने चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक लैंडिंग की है, इस ध्रुव पर दुनिया का कोई देश लैंडिंग नहीं कर सका है, इस लिए चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला भारत पहला देश बना है।
आपको बता दें कि भारत ने इससे पहले भी दो चंद्रयान चांद पर भेजे थे। 22 अक्टूबर 2008 को चंद्रयान 1 मिशन को लॉन्च किया गया था। इसके बाद 22 अगस्त 2019 को चंद्रयान-2 मिशन लॉन्च किया गया। हालांकि ये मिशन सफल नहीं हो सका। भारत के पड़ोसी चीन ने चांग-ए 1 को 2007 में चांद पर भेजा था। 23 नवंबर 2020 को चीन ने चांग-ए 5 लॉन्च किया था।
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रूस का लूना प्रोग्राम
दुनियाभर में अब तक कई मिशन मून हुए हैं। सबसे पहले रूस ने लूना-2 को चांद की सतह पर उतारा गया था। लूना-2 एक इम्पैक्टर मिशन था यानी चांद की सतह पर इसकी हार्ड लैंडिग हुई थी। हालांकि, पहले इससे 4 जनवरी, 1959 को लूना-1 भी लॉन्च किया गया था।
लूना-1 चांद के नजदीक पहुंचने वाला पहला मिशन बना, लेकिन ये चांद की सतह पर उतरने में कामयाब नहीं हो सका, क्योंकि लूना-1 की एंट्री चांद की ऑर्बिट में फेल हो गई और ये सूर्य की ऑर्बिट में चला गया। 3 फरवरी, 1966 को लूना-9 चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला पहला मिशन बना।
चांद पर जाने वाला पहला मानव मिशन
24 दिसंबर 1968 को नासा ने अपोलो 8 मिशन लॉन्च किया। चंद्रमा की कक्षा का चक्कर काटने वाला पहला मानव मिशन बना। इसके बाद अपोलो 9 और अपोलो 10 लॉन्च किया गया जो असफल रहे। 20 जुलाई 1969 को अपोलो 11 लॉन्च किया गया। इस मिशन में तीन अंतरिक्ष यात्री भेजे गए। अपोलो 11 के अंतरिक्ष यात्री नील आर्मस्ट्रांग चांद पर कदम रखने वाले पहले इंसान बने।
अपोलो 13- ‘सक्सेसफुल फेलियर’
11 अप्रैल 1970 को नासा ने अपोलो 13 लॉन्च किया। अपोलो 13 मिशन चांद की सतह पर इंसानों को उतारने का तीसरा प्रयास था, लेकिन सर्विस मॉड्यूल ऑक्सीजन टैंक के फटने के बाद मिशन को रोकना पड़ा। इस मिशन में अंतरिक्ष यान चांद के नजदीक से गुजरा। ऑक्सीजन की कमी की वजह से अंतरिक्ष यात्रियों धरती पर वापस आना पड़ा। काफी मश्क्कत के बाद अंतरिक्ष यात्रियों की जान बचा ली गई, इस वजह से ही इस मिशन को ‘सक्सेसफुल फेलियर’ यानी सफल विफलता कहा जाता है।
31 जनवरी 1971 को नासा के अपोलो 14 लॉन्च किया गया। इसमें मिशन कमांडर एलन बी शेपर्ड जूनियर, लूनर मॉड्यूल पायलट एडगर डी. मिशेल, कमांड मॉड्यूल पायलट स्टुअर्ट ए. रूसा सवार थे। अपोलो 14 के मिशन कमांडर एलन शेपर्ड ने चांद पर गोल्फ खेलने वाले पहले इंसान बने।
अपोलो 14 के बाद अमेरिका ने अपोलो 15 को चांद पर भेजा। 26 जुलाई, 1971 को अपोलो 15 अंतरिक्ष यान लॉन्च किया गया। इसमें मिशन कमांडर डेविड आर. स्कॉट, लूनर मॉड्यूल पायलट जेम्स बी. इरविन, कमांड मॉड्यूल पायलट अल्फ्रेड एम. वर्डेन सवार थे। अपोलो 15 के मिशन कमांडर डेविड आर. स्कॉट चांद पर जाने वाले सातवें व्यक्ति और चांद पर लूनर रोविंग व्हीकल चलाने वाले पहले व्यक्ति हैं।
Chandrayaan 3 – चांद पर जाने वाला आखिरी मैन-मिशन
अपोलो 17 चांद पर जाने वाला आखिरी मैन-मिशन है। इसे 7 दिसंबर 1972 को लॉन्च किया गया था। यूजीन ए. सेर्नन, हैरिसन एच. श्मिट, रोनाल्ड ई. इवांस इस मिशन के अंतरिक्ष यात्री थे। युजिन सर्नन चांद पर कदम रखने वाले आखिरी इंसान हैं। Chandrayaan 3
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