Cibil Score : सिबिल स्कोर का नाम आपने जरूर सुना होगा। दरअसल Cibil Score एक ऐसी व्यवस्था है जिसका सीधा संबंध बैंक तथा बैंक के लोन से है Cibil Score से ही तय होता है कि आपको बैंक से लोन, क्रेडिट कार्ड तथा दूसरी सुविधाएं मिलेंगी कि नहीं। हम आपको Cibil Score को बेहतरीन बनाकर रखने का आसान फार्मूला बता रहे हैं। इस फार्मूले से आप अपना सिबिल स्कोर बेहतर बनाकर तुरंत लोन हासिल कर सकते हैं।
इस प्रकार बनाएं सिबिल स्कोर को बेहतरीन
पहले यह जान लेना जरूरी है कि कितना सिबिल स्कोर अच्छा या बेहतरीन माना जाता है। फिर यह समझने का प्रयास करेंगे कि सिबिल स्कोर कैसे घटना तथा बढ़ता रहता है। आर्थिक विशेषज्ञों ने बताया है कि सिबिल स्कोर 300 से 900 के बीच रहता है, लेकिन 750 तक या इससे ऊपर के सिबिल स्कोर को ही अच्छा माना जाता है। बेहतर तरीके से ट्रांजेक्शन कर के आप इसे सुधार सकते हैं, लेकिन इसके लिए आपको सबसे पहले ये पता होना चाहिए कि आखिर सिबिल स्कोर कैलकुलेट (Cibil Calculation) कैसे होता है।
आपने अपने पुराने लोन का पेमेंट टाइम से किया है या नहीं, ये आपको क्रेडिट स्कोर के कैलकुलेशन में सबसे बड़ा रोल प्ले करता है. इसमें देखा जाता है आपने कितने पेमेंट टाइम पर किए, देर से किए तो कितनी बार कितनी देरी की और ये भी देखते हैं कितनी बार पेमेंट या ईएमआई मिस की है. सिबिल स्कोर के कैलकुलेशन में इसकी हिस्सेदारी करीब 35 फीसदी की होती ह। CIBIL को लेकर हाल ही में रिजर्व बैंक ने एक नया नियम बनाया है, उसे भी जरूर जानिए।
इसके अलावा यह भी देखा जाता है आपके नाम पर कितना क्रेडिट यानी लोन उपलब्ध है और आपने उसमें से कितना हिस्सा इस्तेमाल कर लिया है। सिबिल स्कोर के कैलकुलेशन में इसकी हिस्सेदारी करीब 30 फीसदी होती है। तो अगली बार अपने क्रेडिट कार्ड को इस्तेमाल करते वक्त ध्यान रखें कि आप उसकी पूरी लिमिट ना इस्तेमाल करें, बल्कि 30-40 फीसदी तक ही इस्तेमाल करें। सिबिल स्कोर के कैल्कुलेशन में यह भी एक बड़ा पैमाना होता है, जिसकी कैलकुलेशन में हिस्सेदारी करीब 15 फीसदी होती है। क्रेडिट हिस्ट्री का मतलब है जितना लंबा आपका लोन है, उतना ही अधिक आपका सिबिल स्कोर भी हो जाएगा।
हालांकि, ध्यान रहे यह लोन बहुत बड़ा नहीं होना चाहिए। साथ ही यह भी ध्यान रहे कि आप अपनी हर ईएमआई समय से चुकाएं। CIBILको लेकर RBI पहले ही 5 नियम बना चुका है, जिनके बारे भी जरूर जानें। सिबिल स्कोर का कैलकुलेशन करते वक्त यह भी देखा जाता है कि आपके कितने लोन हैं और वह किस टाइप के हैं। इसमें चेक किया जाता है कि कितने अनसेक्योर्ड लोन हैं और कितने सेक्योर्ड लोन हैं. इिस कैलकुलेशन में बचा हुआ 10 फीसदी आपकी लोन से जुड़ी तमाम एक्टिविटीज को चेक करता है। देखा जाता है कि आपने हाल ही में बहुत सारे लोन तो नहीं लिए हैं, क्योंकि इसका मतलब है कि आप पर लोन का बोझ बढ़ जाएगा। वहीं इसमें यह भी चेक किया जाता है कि आपने कितनी बार लोन के लिए इन्क्वायरी की है, क्योंकि इससे ये माना जाता है कि आप भविष्य में बहुत सारे लोन ले सकते हैं, जिससे आपकी देनदारी काफी बढ़ जाएगी।
ग्रेटर नोएडा चोरों ने गायब की स्कूटी व इन्वर्टर बैटरी
ग्रेटर नोएडा– नोएडा की खबरों से अपडेट रहने के लिए चेतना मंच से जुड़े रहें।
देश-दुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमें फेसबुक पर लाइक करें या ट्विटर पर फॉलो करें।