Thursday, 26 December 2024

Civil Aviation : पायलट के एटीसी संचार कौशल का परीक्षण करने वाले परीक्षकों में अनुभव की कमी : विशेषज्ञ

नई दिल्ली। विमानन विशेषज्ञों ने प्रशिक्षण पूरा कर चुके पायलटों को उड़ान संचालन के दौरान उनके संचार कौशल के लिए…

Civil Aviation : पायलट के एटीसी संचार कौशल का परीक्षण करने वाले परीक्षकों में अनुभव की कमी : विशेषज्ञ

नई दिल्ली। विमानन विशेषज्ञों ने प्रशिक्षण पूरा कर चुके पायलटों को उड़ान संचालन के दौरान उनके संचार कौशल के लिए लाइसेंस देने के लिए जिम्मेदार परीक्षकों की कथित अक्षमता पर सवाल उठाया है।

दरअसल, पायलटों को सभी प्रकार की स्थितियों के लिए हवाई यातायात नियंत्रकों (एटीसी) के साथ कुशलतापूर्वक संवाद करने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है। प्रशिक्षण के बाद, उन्हें रेडियो टेलीफोनी प्रतिबंधित लाइसेंस या आरटीआर (ए) प्राप्त करने के लिए एक परीक्षा उत्तीर्ण करनी होती है।

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रेडियो टेलीफोन एक संचार प्रणाली है जो चालक दल के सदस्यों और पायलटों के बीच हवाई यातायात नियंत्रण और ग्राउंड स्टेशन के बीच संचालित होती है। यह प्रणाली एयरलाइन ऑपरेटरों के लिए महत्वपूर्ण है। पायलटों के लिए यह परीक्षण संचार मंत्रालय की बेतार नियोजन और समन्वय (डब्ल्यूपीसी) प्रकोष्ठ द्वारा आयोजित की जाती है।

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विमानन विशेषज्ञों का आरोप है कि इन नए पायलटों का साक्षात्कार लेने वाले मुख्य परीक्षकों के पास व्यावहारिक अनुभव नहीं है। वे यह भी मांग करते हैं कि विमानन नियामक, नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) को आरटीआर(ए) परीक्षण कराने की जिम्मेदारी सौंपी जाए।

एक बार जब कोई उम्मीदवार आरटीआर(ए) परीक्षा उत्तीर्ण कर लेता है, तो वह डीजीसीए से फ्लाइट रेडियो टेलीफोन ऑपरेटर (एफटीआरओ) लाइसेंस प्राप्त करने के योग्य हो जाता है। एफटीआरओ लाइसेंस के बिना, एक उम्मीदवार को विमानन नियामक से वाणिज्यिक पायलट का लाइसेंस (सीपीएल) नहीं मिल सकता है।

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पूर्व-पायलट एवं पूर्ववर्ती इंडियन एयरलाइन के उड़ान सुरक्षा और प्रशिक्षण के पूर्व निदेशक कैप्टन एसएस पानेसर ने कहा कि चूंकि जांच प्रक्रिया काफी लचीली है, इसलिए उड़ान प्रशिक्षण संस्थान (कमियों से अवगत होने के कारण) उच्च प्रशिक्षण मानकों के साथ समझौता करते हैं। कैप्टन एसएस पानेसर ने कहा कि इसका परिणाम पायलटों और एटीसी के बीच संचार गड़बड़ी की घटनाओं के रूप में देखने को मिलता है जिससे हवाई सुरक्षा को खतरा होता है।

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विशेषज्ञों का कहना है कि पायलटों को आपातकालीन स्थिति देने और उनसे यह पूछने के बजाय कि वे एटीसी के साथ कैसे संवाद करेंगे, डब्ल्यूपीसी के अधिकारी उम्मीदवारों से डेटा केबल में इस्तेमाल होने वाले उपग्रहों, ऑप्टिकल फाइबर के चित्र बनाते हैं और 2जी और 3जी आदि की परिभाषाएं पूछते हैं।

पानेसर ने कहा कि ये अप्रासंगिक सवाल हैं। उन्होंने कहा कि इस संबंध में उन्होंने मुख्य परीक्षकों की पृष्ठभूमि का पता लगाने के लिए संचार मंत्रालय के समक्ष सूचना का अधिकार अधिनियम (आरटीआई) के तहत एक आवेदन दाखिल किया। उन्होंने कहा कि मंत्रालय ने स्वीकार किया है कि परीक्षकों को विमान में लगे रेडियो उपकरण को उड़ान भरते समय या विमान को जमीन पर उतारते समय उसका इस्तेमाल करने का कोई अनुभव नहीं है।

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