CNG : अब तक आपने गाय के गोबर से बायोगैस (Bio Gas) बनते तो सुना ही होगा लेकिन अब गाय के गोबर से सीएनजी (CNG) भी बनाई जाएगी। इन दिनों सीएनजी (CNG) की लगातार मांग बढ़ती ही जा रही है। जिसके चलते जनता की इस मांग को पूरा करने के लिए अब तक सड़ी गली हुई सब्जियों के प्रयोग से बायो सीएनजी को बनया जा रहा था। देश के कई राज्य जैसे महाराष्ट्र, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश में इसके प्लांट पहले से ही चलते आ रहे हैं। वहीं गौर करने वाली बात ये है कि अब कौन सा एक और राज्य गाय के गोबर का इस्तेमाल करके सीएनजी बनाने जा रहा है।
आप को बता दें कि मध्य प्रदेश ही वो राज्य है जिसने बायो सीएनजी (Bio CNG) की पूरी तैयारियां कर ली है। ग्वालियर में बड़ी टिपारा स्थित गौशाला में इस प्लांट को लगाया गया है। हाल ही में CNG गैस को बनाने वाला पहला प्लांट मध्य प्रदेश में स्थापित किया गया है। जिसका उद्घाटन भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने किया है। दावा किया गया है कि मध्य प्रदेश के ग्वालियर नगर निगम के वाहन भी इसी सीएनजी से चलाए जाएंगे।
गोबर से कैसे बनती है सीएनजी
गोबर से बायो सीएनजी बनाने के लिए एक प्लांट लगाया जाता है। इस प्लांट में गोबर से मीथेन गैस निकाली जाती है और फिर उसे कंप्रेस करके सिलेंडर में भरा जाता है। इस प्रक्रिया में, मशीनों की मदद से इसमें मौजूद (CO2) और (H2S) जैसी अशुद्धियों को हटा दिया जाता है। इस तरह, बायो सीएनजी (Bio CNG) तैयार हो जाती है।
गोबर से सीएनजी बनाने के लिए पहले प्लांट लगाना पड़ता है। इसमें कई अलग-अलग तरह की मशीनें लगाई जाती हैं। इनमें वैक्यूम प्रेशर स्विंग एडजॉर्प्शन (VPSA) टेक्नीक का इस्तेमाल किया जाता है जिसके माध्यम से सबसे पहले गाय के गोबर को शुद्ध किया जाता है और फिर मीथेन गैस (Methane Gas) को निकाला जाता है। इसके बाद मीथेन को कंप्रेस करके एक सिलेंडर में भर लिया जाता है। मशीनों की मदद से ही इस में से कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) और हाइड्रोजन सल्फ़ाइड (H2S) जैसी अशुद्धियां दूर कर दी जाती हैं और आखिर में बायो सीएनजी बन के तैयार हो जाती है।
मध्य प्रदेश सरकार की क्या है प्लानिंग?
मध्य प्रदेश सरकार के मुताबिक गाय के गोबर से जो सीएनजी बनाई जाएगी उससे ग्वालियर नगर निगम के वाहन चलाए जाएंगे। मध्य प्रदेश के ग्वालियर में लाल टिपारा में सबसे बड़ी गौशाला स्थित है। यह एक आदर्श गौशाला है, जहां तकरीबन 10 हजार गोवंश मौजूद हैं। इस प्लांट पर तकरीबन 33 करोड़ रुपये का खर्चा किया गया है। इससे पहले मध्य प्रदेश के इंदौर में बायो सीएनजी बनाने का प्लांट लगाया गया था, लेकिन उसमें गीले कचरे से बायो सीएनजी बनाई जाती है। अगर हर दिन के हिसाब से देखें तो यहां तकरीबन 100 टन गोबर निकलता है इसीलिए इस गोशाला को प्लांट स्थापित करने के लिए सरकार द्बारा चुना गया है। एक्स्पर्ट्स के मुताबिक 100 टन गोबर से तकरीबन 2 टन बायो सीएनजी को तैयार किया जा सकता है। सीएनजी बनने के बाद जो गोबर बच जाएगा, उसका इस्तेमाल खाद के तौर पर कर सकते हैं। इसके अलावा जो भी CNG गैस बचेगी उसे आम लोगों को भी प्रयोग करने के लिए दे दिया जाएगा।
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