Thursday, 2 January 2025

Cumin Price : जीरे ने तोड़ा 70 सालों की महंगाई का रिकॉर्ड, बिक रहा सोने के भाव

Cumin Price : ऊंट के मुंह में जीरे की कहावत के दिन अब लद गए हैं क्योंकि जीरे ने महंगाई…

Cumin Price : जीरे ने तोड़ा 70 सालों की महंगाई का रिकॉर्ड, बिक रहा सोने के भाव

Cumin Price : ऊंट के मुंह में जीरे की कहावत के दिन अब लद गए हैं क्योंकि जीरे ने महंगाई के 70 वर्षों के सारे रिकॉर्ड तोड़कर वर्ष 22 जुलाई 2023 जुलाई में अधिकतम मूल्य प्रति क्विंटल 73000 रुपये पर पहुंचकर तिजोरी में अपना राज कर लिया है। हर घर में पाया जाने वाला एक चुटकी जरा जो हर खाने को सुगंधित और स्वादिष्ट बना देता है उसके औषधीय गुण, मांग और खपत के चलते अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जुलाई के महीने में जीरे ने एक चुटकी जीरा रसोई में इस्तेमाल करने को सोने के बराबर बना दिया है। जीरा अब रसोई में नहीं तिजोरी में रखा जाएगा। इस छोटे से जीरे की कहानी ऊंट के मुंह से यह जरा तिजोरी तक कैसे पहुंचा उसके बारीकियां पर हम चलते हैं।

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जीरा क्यों हुआ हमारी जेब से दूर

जो जीरा 100 150 रुपये प्रति किलो तक बिकता था वह जुलाई के महीने में वह 1000 रुपये किलो तक जा पहुंचा है। जिस जीरे की कीमत 15000 प्रति क्विंटल से भी कम थी वह 22 जुलाई के मंडी भाव में न्यूनतम मूल्य 33000 और उच्चतम मूल्य 73000 को पार कर गया।

अगर हम ऊंझा मंडी से लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सर्वेक्षण करें तो जनवरी 2013 से अब तक की खबरों में लगातार हीरे के भाव बढ़ने की चिंता व्यक्त की गई जिसमें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जीरे की मांग बढ़ी।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सीरिया के गृहयुद्ध के चलते 2011 के बाद से सीरिया से जीरे की आवक कम हुई। अफगानिस्तान से भी आवक कम हुए और विदेशों में भी जीरे के औषधि गुण को लेकर भारत और भारत के बाहर जीरे की मांग बढ़ी, लेकिन उत्पादन प्रभावित हुआ।
एक्सपोर्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष तेजस के अनुसार बयान दिया गया कि सीरिया में गृह युद्ध के कारण जीरा की सप्लाई सीधी और अफगानिस्तान के देशों से कम हुई और भारत में अंतरराष्ट्रीय बाजार में 15 से 20% अधिक जीरे का निर्यात किया। बीते वर्ष 90 हजार टन जीरा एक्सपोर्ट किया गया था। जीरे के उत्पादन मांग और खपत में अंतर आने के कारण जीरे के भावों में वृद्धि हुई और लगातार जीरे की मांग ने भावों को आसमान पर पहुंचा दिया।

वर्ष 2012-13 में भारत में जीरा की खेती और उत्पादन

मसाला बोर्ड के मुताबिक भारत में 2012-13 में कुल 5 लाख 93 हजार हेक्टेयर भूमि में जीरे की खेती की गई जिसमें तीन लाख 94 हजार टन जीरे का उत्पादन हुआ।

2015 और 2016 में उत्पादन

8 लाख 8 हजार हेक्टेयर भूमि में खेती की गई जिसमें 5 लाख तीन हजार टन जीरे की खेती हुई।
वर्ष 2016 और 2017 में 7 लाख 60 हजार हेक्टेयर जमीन मे जीरे की खेती की गई जिसमें में 4 लाख 85000 का उत्पादन हुआ।
वर्ष 2023 भारत में जीरे का उत्पादन अनुमानित 3.84 लाख टन आंका गया है।

राजस्थान में जीरे के उत्पादन में गिरावट

भारत में विश्व के जीरे का 70 प्रतिशत से अधिक उत्पादन करने का अनुमान है। 2021-22 में, देश में लगभग 1,036,713 हेक्टेयर भूमि जीरे की खेती के अधीन थी, जिससे 725,651 टन जीरा पैदा हुआ। यह पिछले दो वर्षों में देश के जीरा उत्पादन से कम है- 2020-21 में 795310 टन और 2019-2020 में 912040 टन। गुजरात और राजस्थान की राष्ट्रीय उत्पादन में 99 फीसदी हिस्सेदारी है। ये दोनों भारत के दो शीर्ष जीरा उत्पादक राज्य में बने हुए हैं। 2020-21 में गुजरात ने 420,000 टन और राजस्थान ने 303,504 टन जीरे का उत्पादन।

जीरे का उत्पादन कहां होता है ?

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत में गुजरात और राजस्थान में जरा बहुतायत से पाया जाता है। 70% जीरे की खेती भारत में पैदा होती है और 30% सीरिया अफगानिस्तान जैसे बाहर के देशों में। भारत में जीरे की सबसे बड़ी मंडी गुजरात के उंझा इलाके में है और ऊंझा की कृषि मंडी समिति द्वारा ही जीरे की कीमतों का मांग और खपत के हिसाब से मूल्य तय होता है। जीरे के उत्पादन में गुजरात पहले नंबर पर है और दूसरे नंबर पर राजस्थान है। उत्तर प्रदेश व बिहार आदि अन्य स्थानों में भी जीरा पाया जाता है लेकिन जीरे की खेती के लिए शुष्क और कम नमी वाले स्थान में गुजरात और राजस्थान ही सबसे अधिक जिले की खेती का स्थान है।

जीरे से आमदनी

जीरे की खेती मौसम की मेहरबानी पर अधिक निर्भर करती है। जब किसानों ने देखा कि सरसों या अन्य खेती में जीरे की तुलना में कम जोखिम है तो उन्होंने जीरे की बुवाई का काम शुरू किया। गुजरात के मेहसाणा में जूनामां गांव के भाई जेठ गंगाराम पटेल उंझा के मुताबिक कृषि उत्पादन मंडी जीरे के दाम तय करती है। आमतौर पर एक बीघा जमीन में बुवाई के लिए 25-30 हजार की आय होती है। 90 दिनों में फसल तैयार कर ली जाती है और इसका अनुमानित मूल्य प्रति क्विंटल 21000 के लगभग उन दिनों था। ऊंझा मार्केट एसोसिएशन के अध्यक्ष सीताराम भाई पटेल ने एक इंटरव्यू में कहा था कि जब जीरे के दाम बढ़ते हैं के जी देख में जैसे ही फायदा हुआ तो बीते वर्ष 2 साल में 95000 हेक्टेयर में हेक्टेयर में जीरे की बुवाई जो होती थी उसे अगले साल 3 लाख 48000 हेक्टेयर में किया गया।

दामों की वृद्धि के कारण

जीरा की मांग बढ़ने और प्रतिकूल मौसम की वजह से फसल खराब होने की आशंका के बीच पिछले एक महीने में इसके दाम में 45 प्रतिशत से अधिक का उछाल नजर आया है। भारत मसालों का सबसे बड़ा निर्यातक भारत ने अकेले FY22 में भारत ने 4.1 अलब डॉलर मूल्य के मसालों का निर्यात किया था। इन मसालों में से एक जीरा (cumin) भी है।

पेट की गैस दूर करता है जीरा

आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ. गुलाब अनुसार जीरे में एंटीऑक्सीडेंट एंटी इन्फेंट्री विटामिन एक ही भरपूर मात्रा होती है और जीरे का पानी सेवन करने से अपाचे और गैस की तमाम बीमारियां दूर होती हैं और सुबह हीरे का पानी पीने से कफ की समस्या दूर होती है और किसी प्रकार की सूजन दूर करने में भी जीरे के गुण बेमिसाल है।

खर्राटे दूर करने और पेट की चर्बी हटाने में बेमिसाल

आयुर्वेदिक जानकार शालिनी शर्मा ने बताया हमारे घर में जीरे की हर्बल चाय पिछले 5 साल से पी जा रही है। घर का छोटे से लेकर बड़े तक इस चाय को पीते हैं, क्योंकि जीरे की हर्बल चाय का गुण हमने अपने अनुभव के अनुसार अपने दिनचर्या में तय किया है। शालिनी ने बताया मेरी मम्मी को कफ की समस्या रहती थी। बिस्तर पर लेटते ही खर्राटे आने लगते थे। गले में खींच खींच रहती थी। दिनभर गैस की समस्या रहती थी इस समस्या के चलते जब घरेलू उपाय में पढ़ा तो जीरे का पानी सबसे बेस्ट लिखा हुआ था।

मुफ्त जैसी इस दवा ने अपना कमाल दिखाया

एक्यूप्रेशर के डॉ. संजय शर्मा ने कहा कि आज विश्वस्तर पर भारतीय मसाले और जीरे के औषधीय गुण के बारे में पता लगा है और कोरोना के बाद तो जीरे की अच्छी खासी डिमांड बढ़ी है जीरा और अजवाइन का पानी तमाम बीमारियों से निजात दिलाने में कीमती साबित हुआ है।

कैसा होता है जीरा…का एक पुष्पीय पौधा है। यह पूर्वी भूमध्य सागर से लेकर भारत तक के क्षेत्र का देशज है। संस्कृत में जीरे को जीरक कहा गया है यह हमारे खानपान के पचाने में मददगार होता है इसके प्रत्येक फल में स्थित एक बीज वाले बीजों को सुखाकर बहुत से खानपान व्यंजनों में साबुत या पिसा हुआ मसाले के रूप में प्रयोग किया जाता है। यह दिखने में सौंफ की तरह होता है। भारत की रसोई में ही देखा अत्यंत महत्व भारत मसाले का देश है और सभी मसाले में कुछ ना कुछ औषधीय गुण होते हैं आयुर्वेद में मसाले की महिमा मंडी की गई है। यह मसाले हमारे जीवन शैली को प्राकृतिक शक्ति देते हैं जो हमारे शरीर की प्रकृति के अनुसार फायदा करते हैं। इनका सेवा नगर सही और उचित मात्रा में किया जाए तो यह औषधि और वरदान के रूप में देश कीमती हैं लेकिन इनकी अधिकता नुकसान दायक भी हो सकती है इसलिए इनका सेवन सही मात्रा और सही ढंग से की जानी चाहिए।

Cumin Price – कैसे बनाएं जीरे की हर्बल चाय

एक चम्मच जीरे को एक गिलास पानी में भिगो दें और सुबह चाय पीने से पहले या चाय की जगह इसको 5 मिनट के लिए उबालने के लिए रखते हैं अगर जरा भी हो नहीं सकते समय नहीं है तो एक छोटा टी स्पून चीर चम्मच एक गिलास पानी में डालें और एक कप रह जाने तक धीरे-धीरे आंच में पकाएं। फिर छानकर हल्का ठंडा होने पर इसमें एक चम्मच शहद डालें और धीरे-धीरे चाय की तरह से पिए।
अगर आपको कफ और खर्राटे की समस्या है तो शुरू के 8-10 दिन आप सोने से पहले रात को भी एक कप जीरे की चाय पी सकते हैं। इससे रातभर गला साफ रहेगा और चेस्ट पर कफ नहीं जमेगा। गला अवरुद्ध नहीं होगा तो खर्राटे भी नहीं आएंगे।

जीरे के औषधीय गुण

जीरा एक बेहतरीन एंटी-ऑक्सिडेंट है और साथ ही यह सूजन को करने और मांसपेशियों को आराम पहुचांने में कारगर है। इसमें फाइबर भी पाया जाता है और यह आयरन, कॉपर, कैल्शियम, पोटेशियम, मैगनीज, जिंक व मैगनीशियम जैसे मिनरल्स का अच्छा सोर्स भी है। इसमें विटामिन ई, ए, सी और बी-कॉम्प्लैक्स जैसे विटामिन भी खासी मात्रा में होती है। Cumin Price

  • मीना कौशिक

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