Delhi : सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने नियुक्ति के छह मामलों को दोहराने का निश्चय किया : सरकार

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calendar03 FEB 2023 03:35 PM
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Delhi News : सरकार ने शुक्रवार को बताया कि हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम (SCC) द्वारा न्यायाधीशों की नियुक्ति के 18 प्रस्तावों पर पुनर्विचार की मांग की गई थी जिसकी समीक्षा करते हुए कॉलेजियम ने छह मामलों को दोहराने का निश्चय किया।

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लोकसभा में सौगत राय और दीपक बैज के प्रश्न के लिखित उत्तर में विधि एवं न्याय मंत्री किरेन रीजीजू ने बताया कि इनमें से सात मामलों में एससीसी ने उच्च न्यायालयों के कॉलेजियम से अद्यतन जानकारी मांगी है और पांच मामलों को उच्च न्यायालयों को भेजने का निश्चय किया।

सौगत राय और दीपक बैज ने पूछा था कि क्या सरकार ने हाल के दिनों में उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की नियुक्ति के प्रस्तावों को वापस कर दिया है? यदि हां, तो इसका ब्यौरा दें और उच्चतम न्यायालय द्वारा इस संबंध में व्यक्त किये गए विचार क्या हैं ?

विधि एवं न्याय मंत्री ने कहा कि उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की नियुक्ति भारत के संविधान के अनुच्छेद 124, 217 और 224 तथा उच्चतम न्यायालय के 6 अक्टूबर 1993 (दूसरा न्यायाधीश मामला) के साथ पठित 28 अक्टूबर 1998 (तीसरा न्यायाधीश मामला) की उनकी राय के निर्णय के अनुसरण में 1998 में तैयार किये गए प्रक्रिया ज्ञापन के अनुसार की जाती है।

उन्होंने बताया कि 2021 में उच्चतम न्यायालय में 9 और उच्च न्यायालयों में 120 न्यायाधीशों की नियुक्ति की गई। 2022 में उच्चतम न्यायालय में 3 और उच्च न्यायालयों में 165 न्यायाधीशों की नियुक्ति की गई।

रीजीजू ने कहा कि एक फरवरी 2023 तक की स्थिति के अनुसार उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीशों के 34 स्वीकृत पदों में से 27 न्यायाधीश कार्यरत हैं। हाल ही में उच्चतम न्यायालय कॉलेजियम से सात रिक्त पदों की सिफारिशें प्राप्त हुई हैं।

उन्होंने बताया कि उच्च न्यायालयों में 1108 न्यायाधीशों के स्वीकृत पदों में से 775 न्यायाधीश कार्यरत हैं तथा 333 पद रिक्त हैं।

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BBC Documentary : सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को किया तलब

SC
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calendar03 FEB 2023 02:32 PM
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BBC Documentary: नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने 2002 के गुजरात दंगों पर आधारित बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री को प्रतिबंधित करने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर शुक्रवार को केंद्र सरकार से जवाब तलब किया।

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न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति एम एम शाह की पीठ ने वरिष्ठ पत्रकार एन राम, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की सांसद महुआ मोइत्रा और कार्यकर्ता एवं अधिवक्ता प्रशांत भूषण की ओर से दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए केंद्र और अन्य को नोटिस जारी किया। पीठ ने अधिवक्ता एम एल शर्मा की याचिका पर भी नोटिस जारी किया। शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार को प्रतिबंध संबंधी आदेश के मूल रिकॉर्ड पेश करने का निर्देश भी दिया। पीठ ने कहा ने कहा कि हम नोटिस जारी कर रहे हैं। जवाबी हलफनामा तीन हफ्ते के भीतर दाखिल किया जाना चाहिए। प्रत्युत्तर उसके दो सप्ताह के बाद दिया जाना चाहिए। मामले में अगली सुनवाई अप्रैल में होगी। आपको बता दें कि बीबीसी द्वारा तैयार डॉक्यूमेंट्री को लेकर पिछले कुछ दिनों में काफी विवाद पैदा हो रहा है। दिल्ली यूनिवर्सिटी व जवाहर यूनिवर्सिटी में भी इस डॉक्यूमेंट्री को दिखाने को लेकर विवाद हो चुका है।

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Siddique kappan :पत्रकार होना अपराध है क्या ?

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calendar03 FEB 2023 01:54 PM
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हाथरस कांड के बाद हिंसा फैलाने और देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार हुए केरल के पत्रकार सिद्दीक कप्पन (Siddique kappan) को कोर्ट से जमानत मिल गई है। गुरुवार को सुबह इन्हें लखनऊ जेल से रिहा कर दिया गया है। लेकिन जेल से रिहाई मिलने के बाद भी सिद्दीक कप्पन की सरकार को लेकर नाराजगी खत्म नहीं हुई है। अपनी रिहाई के बाद खुद के तथाकथित पत्रकार होने पर भी कप्पन ने सवाल उठाए हैं।

2 साल, 3 महीने और 26 दिन बाद मिली जेल से रिहाई -

5 अक्टूबर 2020 को मथुरा टोल प्लाजा से सिद्दीकी कप्पन को यूपी पुलिस ने गिरफ्तार किया था इन पर आरोप लगाया गया था कि कप्पन कट्टरपंथी समूह पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) से जुड़े हुए हैं, और हाथरस में दंगे फैलाने की साजिश रचने जा रहे हैं। जबकि इस मामले में कप्पन (Siddique kappan) का कहना था कि जब पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किया, वो हाथरस में युवती के साथ हुए गैंगरेप-मर्डर के बाद घटनास्थल पर मामले को कवर करने जा रहे थे। पिछले 2 साल से कप्पन को आईपीसी की धारा 153A (समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना), 295A (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना) और 124A (देशद्रोह), 120B (साजिश) के तहत जेल में बंद किया गया था।

जेल से बाहर निकल कप्पन (Siddique kappan) ने कहा बहुत लंबी लड़ाई थी -

गुरुवार को 27 महीने जेल में गुजारने के बाद जब सिद्दीक कप्पन को रिहाई मिली तो जेल से बाहर आने के बाद उसका कहना था कि उसके लिए यह लड़ाई बहुत लंबी थी। जमानत हासिल करने और फिर जेल की दहलीज से बाहर आने के लिए काफी लंबा संघर्ष करना पड़ा। लेकिन वह शुक्रगुजार है मीडिया का। पत्रकारों ने हमेशा उसे लोगों के बीच जिंदा रखा।

कप्पन का सवाल क्या पत्रकार होना है अपराध ?

हाथरस मामले में हिंसा फैलाने और देशद्रोह के मामले में गिरफ्तार हुए केरल के पत्रकार सिद्दीक कप्पन का कहना था कि वह हाथरस में हुए गैंगरेप और हत्या मामले की रिपोर्ट कवर करने के लिए यूपी आए थे। इसमें क्या गलत था। उसके पास केवल एक लैपटॉप और मोबाइल फोन के अलावा पेन और नोटबुक थी। उसके पास ऐसा कुछ नहीं था जो गलत कहा जा सकता था। लेकिन फिर भी उसे एक लंबा समय अपने परिवार से दूर जेल में बिताना पड़ा। क्या पत्रकार होना उसके लिए मुसीबत बन गया, या पत्रकार होना एक अपराध है, जिसकी वजह से उसे यह लंबी सजा भुगतनी पड़ी ?

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