National Rural Livelihood Mission : भारत की कुल आबादी का 65 फ़ीसदी अभी भी गांव में रहता है, जिसमें महिलाओं की भागीदारी बहुत ज्यादा है। एक ग्रामीण अर्थव्यवस्था में महिलाएं अपनी बड़ी भूमिका निभाती हैं। ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने और स्वरोजगार से जोड़ने के लिए ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत कई योजनाएँ चलाई जा रही है।
ग्रामीण महिलाओं के लिए 5 सरकारी योजनाएं
महिला किसान सशक्तिकरण परियोजना (MKSP) : इसका मकसद ऐसे कृषि योजनाओं को बढ़ावा देना है जो महिला किसानों की आय में बढ़ोतरी करें और साथ ही उनमें लागत भी कम आए और जोखिम भी कम रहे । यह योजना राष्ट्रीय किसान नीति के तहत ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा उन महिलाओं के लिए चलाई गई है जो महिलाएं किसान हैं । उनके लिए विशेष रूप से महिला सशक्तिकरण योजना (MKSP Scheme) की शुरुआत की गई है. केंद्र सरकार द्वारा इस योजना के लिए राज्यों के लिए 60% फंड दिया जाता है पूर्वोत्तर के राज्यों के लिए 90% दिया जाता है.
स्टार्टअप ग्राम उद्यमिता कार्यक्रम (SVEP) : इसका उद्देश्य स्थानीय उद्योगों को लगाने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में उद्यमियों को मदद पहुंचाना है ।स्टार्ट-अप ग्राम उद्यमिता कार्यक्रम (एसवीईपी), दीनदयाल अंत्योदय योजना- राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीएवाई-एनआरएलएम), ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा 2016 से एक उप-योजना के रूप में लागू किया गया है। इसका उद्देश्य ग्रामीणों को उनकी उद्यम स्थापना में मदद करना और उद्यमों के स्थिर होने तक सहायता उपलब्ध कराना है। एसवीईपी ने 23 राज्यों के 153 ब्लॉकों में व्यवसाय सहायता सेवाओं और पूंजी को बढ़ावा दिया है जिनमें 75 % महिलाओं के स्वामित्व और प्रबंधन में हैं।
आजीविका ग्रामीण एक्सप्रेस योजना (AGEY) : यह योजना अगस्त 2017 में शुरू की गई थी जिसके तहत दूर दराज के ग्रामीण गांव को जोड़ने के लिए कम कीमत की सुरक्षित और सामुदायिक निगरानी वाली ग्रामीण परिवहन सेवाएं प्रदान की जाती हैं।लाभार्थी सदस्य को वाहन की खरीदने के लिए सीबीओ द्वारा अपने सामुदायिक निवेश कोष से 6.50 लाख रुपये तक का ब्याज मुक्त ऋण प्रदान किया जाता है ।
दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना (DDUGKY) : इसका उद्देश्य ग्रामीण युवाओं को प्लेसमेंट से जुड़े कौशल प्रदान करना है ताकि वे अपनी आय बढ़ा सके तथा अच्छी आय वाले रोजगार हासिल कर सकें।
ग्रामीण स्वरोजगार संस्थान (RSETIs) : इसके तहत 31 बैंकों और राज्य सरकारों के साथ साझेदारी में ग्रामीण युवाओं को लाभकारी स्वरोज़गार स्थापित करने हेतु कुशल बनाने के लिये ग्रामीण स्वरोज़गार संस्थानों (RSETIs) को सहायता प्रदान की जा रही है।
आखिर अभियान की जरूरत क्यों पड़ी
यह अभियान आज़ादी का अमृत महोत्सव समावेशी विकास के अंतर्गत लॉन्च किया गया है और इसका उद्देश्य पात्र ग्रामीण परिवारों की 10 करोड़ महिलाओं को संगठित करना है।
इसका उद्देश्य स्वयं सहायता समूह के अंतर्गत सभी कमज़ोर और सीमांत ग्रामीण परिवारों को लाना है, ताकि वे ऐसे कार्यक्रम के अंतर्गत प्रदान किये जा रहे लाभों को प्राप्त कर सकें।
जब इतनी बड़ी संख्या में महिलाएं स्वयं सहायता समूह का हिस्सा बनेंगी तो ये न केवल उनकी आर्थिक स्थिति को मजबूत करेगा बल्कि देश की अर्थव्यवस्था को भी ऊंचाई पर ले जाएगा।
किस तरह मदद करती है यह सरकारी योजनाएं
यह योजना स्वयं सहायता समूह में महिला उद्यमियों को छोटे व्यवसाय करने के लिए, छोटे ऋण उपलब्ध कराती हैं। साथ ही उनके लिए उनके गांव या रहने के स्थान के आसपास ही कौशल विकसित करने के लिए उन्हें मदद भी पहुंचाई जाती है जिसमें उनके लिए ट्रेनिंग और अन्य सहायता प्रदान की जाती है । आपको बता दें कि अकेले सिर्फ महाराष्ट्र में ही 527000 स्वयं सहायता समूह है जहां महिलाएं कुशल नेतृत्व कर रही हैं और छोटे पैमाने में औद्योगिक इकाइयों में अपना योगदान दे रही है। स्वयं सहायता समूह अपने सदस्यों को प्रशिक्षण दे कर उन्हें तैयार करते हैं ,यहाँ महिलाओं को सिलाई, हस्तशिल्प या खेती की तकनीक जैसे कौशल भी सिखाए जाते हैं। इससे न केवल वह अपनी आय में वृद्धि कर सकती हैं बल्कि उनके आत्मविश्वास और आत्म सम्मान में भी बढ़ोतरी होती है और साथ ही महिलाओं में एकजुटता की भावना भी बढ़ती हैं और वह अपने समुदाय या घरेलू स्तर पर निर्णय लेने में भी अधिक सक्षम होती हैं।