Saturday, 21 December 2024

तिरंगा कैसे बना भारत का राष्ट्रीय ध्वज, यहां जानें पूरी कहानी Independence Day 2023

Independence Day 2023 : मंगलवार को पूरे देश में भारत का राष्ट्रीय पर्व स्वतंत्रता दिवस धूमधाम से मनाया जाएगा। इस…

तिरंगा कैसे बना भारत का राष्ट्रीय ध्वज, यहां जानें पूरी कहानी Independence Day 2023

Independence Day 2023 : मंगलवार को पूरे देश में भारत का राष्ट्रीय पर्व स्वतंत्रता दिवस धूमधाम से मनाया जाएगा। इस अवसर पर संसद से लेकर सड़क तक हर जगह राष्ट्रीय पर्व की ही धूम रहेगी और जगह जगह ध्वजारोहण होगा। बात ध्वजारोहण की चली है तो भारत के राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे के बारे में जान लेना भी बेहद जरुरी है। हम आपको बताएंगे कि तिरंगा भारत का राष्ट्रीय ध्वज कैसे बना और कैसे यह देश के वीर सपूतों के लिए आन बान और शान है।

Independence Day 2023

आपको बता दें कि 22 जुलाई 1947 का दिन था जब हमारे तिरंगे को भारत देश के अधिकारिक तौर पर राष्ट्रीय ध्वज की मान्यता मिली थी। यह काम आजादी से ठीक पहले किया गया था। इसीलिए इस दिन को नेशनल फ्लैग डे के रूप में मनाया जाता है लेकिन यह तिरंगे का पहला डिजाइन नहीं था। भारत की आजादी से पहले देश के लिए अलग-अलग तरह के झंडे फहराए गए और उस हर झंडे का मक्सद अहम था।

कैसा था देश का पहला झंडा

7 अगस्त 1906 में कोलकता के पारसी बैगान स्क्वायर में देश के लिए पहला झंडा फहराया गया था जो दिखने में तिरंगे से बिल्कुल अलग था। पहले झंडे की पट्टी केसरिया नहीं बल्कि हरे रंग की थी जिसमें दूसरी पट्टी का रंग पीला था और आखिर में लाल रंग की पट्टी थी। इस झंडे के बीच में देश के राष्ट्रीय गीत का नाम यानी कि वंदे मातरम लिखा हुआ था। इस पर 8 फूल, 1 चांद और 1 सूरज छपे थे। उस दौरान वंदे मातरम भारत की आजादी का मूल मंत्र था।

देश का दूसरा झंडा

1907 में आजादी की लड़ाई लड़ रहे बर्लिन समीति के लोगों ने देश का गैर आधिकारिक दूसरा झंडा फहराया था। इस झंडे को मैडम कामा और उनसे जुड़े लोगों ने पेरिस में फहराया था। यह झंडा पहले झंडे से बिल्कुल मिलता जुलता था। इस झंडे की तीन पट्टियां थीं, नारंगी, पीली और हरी। बीच वाली पट्टी पर वंदे मातरम लिखा हुआ था और इसमें सबसे ऊपर की पट्टी पर सात तारे सप्‍तऋषि को दर्शाते थे। यह ध्‍वज बर्लिन में हुए समाजवादी सम्मेलन में फहराया गया था।

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देश का तसरा झंडा

आजादी के लिए कई सवंत्रता सेनानियों ने आंदोलन किए जिनमें से एक थे डॉ. एनी बेसेंट और लोकमान्य तिलक। बाल गंगाधर तिलक समाज के लिए लड़ने वाले एक समाज सुधारक जन नेता थे। 1914 में बाल गंगाधर होम रूल आंदोलन से जुड़े थे। इस दौरन ऐनी बेसेंट इस आंदोलन को संभाल रही थीं। दोनों ने मिलकर घरेलू शासन आंदोलन के दौरान देश का तीसरा झंडा फहराया था। इस झंडे में 5 लाल और 4 हरी क्षैतिज पट्टियां एक के बाद एक और सप्‍तऋषि के अभिविन्‍यास में इस पर बने सात सितारे थे। इस झंडे में ऊपर की ओर एक यूनियन जैक और एक चांद सितारा भी था।

हिंदू-मुस्लिम की एकता को दर्शाता झंडा

आजादी की लड़ाई अभी जारी थी इसी बीच देश के नाम पर एक और झंडा फहराया गया। यह बात है सन 1921 की है। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी का सत्र विजयवाड़ा में रखा गया था। इसी दौरान हिंदू और मुस्लिम की एकता को दर्शाते हुए एक झंडा गांधी जी के पास पहुंचा। इसके बाद गांधी जी ने सुझाव दिया कि देश के अन्य समुदाय के लोगों का प्रतिनिधित्‍व करने के लिए इसमें एक सफेद पट्टी और राष्‍ट्र की प्रगति का संकेत देने के लिए एक चलता हुआ चरखा होना चाहिए।

पहली बार पारित हुआ प्रस्ताव

अभी तक फहराए गए सभी झंडे गैर आधिकारिक थे लेकिन देश की आजादी के लिए एक आधिकारिक झंडा होना जरूरी था। इसीलिए इस साल तिरंगे को राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया गया। इस दौरान तिरंगे में केसरिया, सफेद और हरी पट्टी थी और बीच में चक्र की जगह चरखा था। इस दौरान तिरंगा राष्ट्रीय ध्वज बनने के बेहद करीब था।

Independence Day 2023

हमारा देश अब आजादी के बेहद करीब था और आखिर वो दिन आ ही गया जब तिरंगे को भारत के ऑफिशियल झंडे के रूप में मान्यता मिली। 22 जुलाई 1947, इस दिन संविधान सभा ने इसे आजाद भारत के राष्‍ट्रीय ध्‍वज के रूप में अपनाया था। झंडे में चरखे को रिप्लेस करके चक्र लाया गया। केसरिया, सफेद और हरी पट्टी के साथ झंडे को मान्यता दी गई। आज भी यह तिरंगा हमारी आन-बान शान है और हमेशा बना रहेगा। Independence Day 2023

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