मेरठ। ऐतिहासिक नगरी हस्तिनापुर में चल रहे जैविक कृषि ‘कृषक संगम’ में आज आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने रासायनिक खेती के बजाय गो-आधारित खेती अपनाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि खेती का यह परिवर्तन देश ही नहीं, पूरी दुनिया के लिए आवश्यक है। इससे पहले उन्होंने प्राचीन स्थलों का भ्रमण कर पूजा-अर्चना की।
Mohan Bhagwat
मोहन भागवत ने कहा कि रसायनिक खाद से खेती करने से रसायन हमारे शरीर में जा रहे हैं और बीमार कर रहे हैं। हमारे पास खेती करने का सही रास्ता है। हमें उस रास्ते पर चलना होगा। रासायनिक खादों की वजह से वायु, जल और पृथ्वी विषैले हो रहे हैं। उन्होंने किसानों को जैविक खेती का महत्व बताया।
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भारतीय किसान संघ के तत्वावधान में हस्तिनापुर में चल रहे तीन दिवसीय गौ आधारित जैविक कृषि कृषक सम्मेलन कार्यक्रम में तीसरे और अंतिम दिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने इससे पहले गोष्ठी के दूसरे दिन किसानों को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघ चालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि भारत की मिट्टी अनमोल है। इतनी उपजाऊ मिट्टी किसी देश की नहीं है। यह मिट्टी हमारी प्राचीन सभ्यता की देन है। हमारे देश की मिट्टी में किसानों के हितों के लिए कई पोषक तत्वों से भरपूर है। किसान सिर्फ अपने हितों के लिए खेती नहीं करते, बल्कि वह पूरे देश के लोगों के हितों को देखते हुए खेती करते हैं। भागवत ने कहा कि भारत विभिन्नता का देश है। इसी तरह यहां विभिन्न प्रकार की फसलों को तैयार किया जाता है। अब समय आ गया है कि हमें सैकड़ो वर्ष पूर्व अपने पूर्वजों द्वारा की गई उसी प्राकृतिक खेती को अपनाना होगा, जो पूरी तरह प्राकृतिक खेती थी। गो आधारित खेती कर समाज को विष नहीं, अमृत से भरपूर भोजन देंगे।
Mohan Bhagwat
इससे पूर्व पहले सत्र में भारतीय किसान संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष बद्री नारायण चौधरी, राष्ट्रीय महामंत्री मोहिनी मोहन मिश्र, कार्यकारिणी अध्यक्ष हुकमचंद पाटीदार सहित कई पदाधिकारी ने जैविक खेती के संबंध में संबोधित किया।
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कार्यक्रम में तमिलनाडु से आए किसान राम स्वामी ने बताया कि वह अपनी 25 एकड़ भूमि पर पिछले दस वर्षों से गो आधारित कृषि कर रहे हैं। उनकी आय रासायनिक खेती से दोगुना हो चुकी है। कर्नाटक से आए किसान रमेश राजू ने बताया कि वह 20 एकड़ भूमि में विभिन्न प्रकार की खेती करते हैं, जो पूरी तरह गो आधारित एवं जैविक है। वह पिछले 20 वर्षों से नारियल, सुपारी, काॅफी, संतरा, आम सहित करीब तीन दर्जन फलों की खेती करते आ रहे हैं। वह जैविक खेती में करीब 50 मजदूरों को हर रोज काम देते हैं।
जंबूद्वीप परिसर में जैविक खेती पर आधारित प्रदर्शनी का भी डॉ. मोहन भागवत ने अवलोकन किया। दूसरे सत्र में करीब 35 मिनट के संबोधन के बाद वह करीब चार बजे प्रदर्शनी में पहुंचे। उन्होंने करीब 30 मिनट तक प्रदर्शनी में लगे करीब एक दर्जन जैविक खेती पर आधारित स्टॉल का अवलोकन किया। प्राकृतिक गुड़ और शक्कर के बारे में उन्होंने जानकारी की और गुड़ का स्वाद भी चखा।
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