Sunday, 2 June 2024

MP News : 108 वर्ष के सियाराम बाबा, लंगोट में जी रहे जीवन, 10 रुपये चढ़ावा

MP News : सैय्यद अबू साद MP News : आयु 108 बरस, लेकिन 24 घंटे में से करीब 21 घंटे…

MP News : 108 वर्ष के सियाराम बाबा, लंगोट में जी रहे जीवन, 10 रुपये चढ़ावा

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सैय्यद अबू साद

MP News : आयु 108 बरस, लेकिन 24 घंटे में से करीब 21 घंटे बगैर चश्मे के रामचरित मानस का पाठ, तन पर कपड़े के नाम पर केवल एक लंगोट। कड़ाके की ठंड हो बरसात हो या फिर भीषण गर्मी, तन पर लंगोट के अलावा कुछ नहीं। यहां चढ़ावे के रूप में लिये जाते हैं सिर्फ 10 रुपये। ये हैं मध्यप्रदेश के खरगोन में नर्मदा के तट पर रहने वाले प्रसिद्ध सियाराम बाबा। बाबा के दर्शनों के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु नर्मदा किनारे स्थित इस गांव में आते हैं। उनके नाम से ही गांव प्रसिद्ध हो चुका है। सियाराम बाबा की जर्जर हो चुकी काया देखकर उनकी उम्र का अंदाजा लगाया जा सकता है। लोग देश-विदेश से इनके दर्शनों के लिए आते हैं।

1955 में बसाया आश्रम
मध्य प्रदेश के खरगोन जिला मुख्यालय से 65 किमी दूर कसरावद विकासखण्ड का भटयान गांव, जो नर्मदा नदी के तट में बसा है। नर्मदा तट पर भट्याण आश्रम है, यहां सियाराम बाबा के नाम से विख्यात संत हैं, यह एक ऐसे संत जिनकी एक झलक पाने के लिए न सिर्फ़ देश बल्कि विदेशों से भी आए लोग कतार लगाए रहते हैं। त्याग और तपस्या की जीती जागती मूरत है बाबा सियाराम। भक्त बताते हैं कि उनकी आयु 108 वर्ष के आसपास है। बाबा 1955 के आसपास यंहा पर आए थे। उन्होंने नर्मदा नदी के पास ही आश्रम बनवाया और तब से यही पर रह रहे हैं। नर्मदा तट पर आने वाले श्रद्धालु तपस्वी बाबा के दर्शन करना नहीं भूलते। यहां पर मध्यप्रदेश के अलावा तीन राज्यों महाराष्ट्र, राजस्थान, गुजरात के लोग बड़ी संख्या में बाबा के दर्शन के लिए आते हैं।

MP News: 108 year old Siyaram Baba, living life in nappy, offering 10 rupees
MP News: 108 year old Siyaram Baba, living life in nappy, offering 10 rupees

महज दस रुपए चढ़ावा
देश में मंदिरों में चढ़ावे के लिए कोई नियम नहीं है, लेकिन यहां पर बाबा ने नियम बना दिया है। बाबा का आदेश है कि जो भी श्रृद्धालु आएगा वह दस रूपये से ज्यादा दान नहीं देगा। कमाल तो यह है कि अगर किसी ने बड़ा नोट चढ़ाया तो दस रुपए काटकर बाकि का वापस कर दिया जाता है। आश्रम में प्रतिदिन मेले जैसा माहौल बना रहता है। आश्रम के लोग बताते हैं कि बाबा की उम्र तकरीबन सौ वर्ष की हो चुकी है, फिर भी वह बिना चश्मे के रामायण का पाठ करते हैं। मौसम कोई सा भी हो तन पर सिर्फ लंगोट धारण करते हैं। मकर संक्रांति के दिन भी प्रदेश के अलग अलग नर्मदा घाटों में लगे मेलों से कहीं ज्यादा श्रद्धालु बाबा के दर्शन के लिए पहुंचते हैं। बताते हैं कि सियाराम बाबा खुद किसी से 10 रुपये से ज्यादा का चढ़ावा स्वीकार नहीं करते पर जब अयोध्या राम मंदिर निर्माण में चंदा देने की बारी आई तो उन्होंने दस दस रुपये के नोट के रूप ढाई लाख रुपये दिए थे।

10 साल की खड़ेश्वरी सिद्धि की
भक्त बतातेे हैं मौसम कोई भी हो बाबा केवल एक लंगोट पहनते हैं। उन्होंने 10 साल तक खड़ेश्वरी सिद्धी की है। इसमें तपस्वी सोने, जागने सहित हर काम खड़े रहकर ही करते हैं। खड़ेश्वरी साधना के दौरान नर्मदा में बाढ़ आई। पानी बाबा की नाभि तक पहुंच गया, लेकिन वे अपनी जगह से नहीं हटे।

MP News: 108 year old Siyaram Baba, living life in nappy, offering 10 rupees
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पहुंचते हैं विदेशी भक्त
बाबा के दर्शन के लिए विदेश से भी अनुयायी पहुंचते हैं। भक्तों के मुताबिक अर्जेंटीना व ऑस्ट्रिया से कुछ विदेशी लोग आ चुके हैं और उसी समय जब उन्होंने बाबा को 500 रुपए भेंट में दिए। संत ने 10 रुपए प्रसादी के रखकर बाकी लौटा दिए। बाबा के इस काम से विदेशी भी आश्चर्यचकित रह गए थे।

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