Muslim Marriage : भारत की एक अदालत ने बड़ा फैसला सुनाया है। अदालत का बड़ा फैसला यह है कि भारत में रहने वाला कोई भी मुस्लिम एक नहीं बल्कि बहुत सारी शादी (विवाह) कर सकता है। अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि भारत में मुस्लिम को चार-चार शादी रजिस्टर्ड करवाने का कानूनी अधिकार प्राप्त है। मुस्लिम समाज में एक से अधिक शादी के विषय को लेकर आए दिन वाद-विवाद होता रहता है। अब भारत की अदालत से मुस्लिम को चार-चार शादी करने की अनुमति देकर नया विवाद खड़ा कर दिया है।
मुंबई के हाईकोर्ट ने दिया है बड़ा फैसला
आपको बता दें कि मुस्लिम समाज को चार शादी तक करने का बड़ा फैसला मुंबई हाईकोर्ट ने सुनाया है। मुस्लिम पुरूष के विवाह के विषय में कहा गया है कि मुस्लिम पुरूष एक से अधिक विवाह का पंजीकरण करा सकते हैं, क्योंकि उनके पर्सनल लॉ में बहुविवाह की अनुमति हैं। बॉम्बे हाइकोर्ट ने मंगलवार को एक मुस्लिम व्यक्ति और उसकी तीसरी पत्नी की उनके विवाह को पंजीकृत करने का निर्देश देने की मांग वाली याचिका पर यह टिप्पणी की। जस्टिस बीपी कोलाबावाला व जस्टिस सोमशेखर सुंदरेशन की खंडपीठ ने 15 अक्तूबर को ठाणे महानगर पालिका के उप विवाह पंजीकरण कार्यालय को पिछले साल फरवरी में दिए एक मुस्लिम व्यक्ति के आवेदन पर निर्णय लेने का निर्देश दिया। आवेदक ने अल्जीरिया की एक महिला के साथ अपनी तीसरी शादी को पंजीकृत किए जाने का अनुरोध किया था।
खारिज कर दिया गया था आवेदन
मुस्लिम समाज के नागरिक की एक से अधिक शादी के मामले में तीसरी शादी करने वाले मुस्लिम पति-पत्नी ने याचिका में दावा किया कि उनका आवेदन इस लिये खारिज कर दिया गया क्योंकि यह पुरुष याचिकाकर्ता की तीसरी शादी है। प्राधिकारियों ने इस आधार पर विवाह का पंजीकरण करने से इन्कार कर दिया कि महाराष्ट्र विवाह ब्यूरो विनियमन एवं विवाह पंजीकरण अधिनियम के तहत विवाह की परिभाषा में केवल एक ही विवाह को शामिल किया गया है। पीठ ने प्राधिकरण के कदम को पूरी तरह से गलत धारणा पर आधारित करार देते हुए कहा अधिनियम में उसे ऐसा कुछ भी नहीं मिला जो किसी मुस्लिम व्यक्ति को तीसरी शादी पंजीकृत कराने से रोकता हो। मुसलमानों के ‘पर्सनल लॉ’ के तहत उन्हें एक समय में चार विवाह करने का अधिकार है।
पीठ ने कहा कि यदि प्राधिकारियों की दलील को स्वीकार किया जाए तो इसका मतलब होगा कि महाराष्ट्र विवाह ब्यूरो विनियमन एवं विवाह पंजीकरण अधिनियम, मुसलमानों के ‘पर्सनल लॉ’ को नकारता है या उन्हें विस्थापित करता है। इस अधिनियम में ऐसा कुछ भी नहीं है। अजीब बात यह है कि इन्हीं प्राधिकारियों ने पुरुष याचिकाकर्ता के दूसरे विवाह को पंजीकृत किया गया था। Muslim Marriage
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