नयी दिल्ली। राज्यसभा के सदस्य कपिल सिब्बल ने दिल्ली में नौकरशाहों के तबादले संबंधी केंद्र के अध्यादेश को लेकर उस पर निधाना साधा। उन्होंने कहा कि सरकार ने यह जताने के लिए अध्यादेश लागू किया है कि अंतिम फैसला उसी का होगा, भले उच्चतम न्यायालय ही बीच में क्यों न आए।
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केंद्र सरकार ने शुक्रवार को जारी किया अध्यादेश
केंद्र सरकार ने ‘दानिक्स’ (दिल्ली, अंडमान- निकोबार, लक्षद्वीप, दमन और दीव, दादरा और नगर हवेली (सिविल) सेवा) कैडर के ‘ग्रुप-ए’ अधिकारियों के तबादले और उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए ‘राष्ट्रीय राजधानी लोक सेवा प्राधिकरण’ गठित करने के उद्देश्य से शुक्रवार को एक अध्यादेश जारी किया।
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बीते हफ्ते ही शीर्ष अदालत ने दिया था फैसला
गौरतलब है कि अध्यादेश जारी किये जाने से महज एक सप्ताह पहले ही उच्चतम न्यायालय ने राष्ट्रीय राजधानी में पुलिस, कानून-व्यवस्था और भूमि को छोड़कर अन्य सभी सेवाओं का नियंत्रण दिल्ली सरकार को सौंप दिया है। सिब्बल ने एक ट्वीट में कहा कि उच्चतम न्यायालय ने अपने फैसले में सरकार से कहा था- ‘सेवाओं’ की बागडोर दिल्ली सरकार को सौंप दें। सरकार ने अध्यादेश लागू कर उच्चतम न्यायालय से कहा- यदि आप रास्ते में आएंगे, तो भी हम यही कहेंगे कि अंतिम फैसला हमारा है।
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राष्ट्रीय राजधानी लोक सेवा प्रधिकरण के अध्यक्ष होंगे दिल्ली के सीएम
अध्यादेश में कहा गया है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री राष्ट्रीय राजधानी लोक सेवा प्रधिकरण के अध्यक्ष होंगे। साथ ही, इसमें मुख्य सचिव और प्रधान सचिव (गृह) सदस्य होंगे। इसमें कहा गया है कि वर्तमान में प्रभावी किसी भी कानून के बावजूद राष्ट्रीय राजधानी लोक सेवा प्राधिकरण ‘ग्रुप-ए’ के अधिकारियों और दिल्ली सरकार से जुड़े मामलों में सेवा दे रहे ‘दानिक्स’ अधिकारियों के तबादले और पदस्थापन की सिफारिश करेगा, लेकिन वह अन्य मामलों में सेवा दे रहे अधिकारियों के साथ ऐसा नहीं कर सकेगा।
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