नयी दिल्ली। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने जेल में कैदियों के मानसिक स्वास्थ्य की जांच करने और जोखिम वाले बंदियों की निरंतर निगरानी करने का सुझाव दिया है, ताकि आत्महत्या की घटनाओं को कम किया जा सके।
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जेल की वास्तुकला और उसके माहौल में सुधार की सिफारिश
मानवाधिकार निकाय ने न्यायिक हिरासत में कैदियों द्वारा आत्महत्या के प्रयासों को कम करने के लिए जेल की वास्तुकला और उसके माहौल में सुधार की भी सिफारिश की है। एनएचआरसी ने कहा कि उसने देखा है कि ज्यादातर कैदियों की अस्वाभाविक मौतें आत्महत्या के कारण होती हैं।
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बैरक और शौचालयों में न हों ग्रिल, पंखे और हुक
केंद्र, राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को जारी परामर्श में एनएचआरसी ने जोर दिया कि बैरक और शौचालयों में लोहे की छड़ें, ग्रिल, पंखे और हुक जैसी वस्तुएं नहीं होनी चाहिए, जिनका उपयोग फांसी लगाने के लिए किया जा सकता है। आत्महत्या की सबसे अधिक घटनाएं ऐसे स्थानों पर होती हैं। इसमें कैदियों के परिवार के सदस्यों से उनकी मुलाकात को प्रोत्साहित करने या फोन पर बात करने की व्यवस्था का भी सुझाव दिया गया है, ताकि वे मानसिक रूप से अच्छा महसूस कर सकें।
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एनएचआरसी ने तीन महीने में मांगी रिपोर्ट
आयोग द्वारा दिए गए परामर्श संबंधी पत्र को गृह मंत्रालय, पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो और सभी जेल महानिदेशकों को भेजा गया है। एनएचआरसी के महासचिव देवेंद्र कुमार सिंह ने सिफारिशों पर तीन महीने के भीतर कार्रवाई रिपोर्ट भी मांगी है।