कोलकाता: 7 बार विधायक रहे टीएमसी नेता राम प्यारे राम का निधन, सीएम ममता बनर्जी ने जताया शोक
राम प्यारे राम इस क्षेत्र के एक धर्मनिरपेक्ष राजनीतिक नेता के रूप में जाने जाते थे। उनके निधन से कोलकाता बंदरगाह क्षेत्र में शोक की लहर है।

कौन थे पूर्व विधायक राम प्यारे राम?
पूर्व विधायक राम प्यारे राम अपनी राजनीति के लिए जाने जाते थे। उनके निधन से कोलकाता बंदरगाह क्षेत्र में राजनीति का एक अध्याय समाप्त हो गया है। बता दें कि उनके निधन से कोलकाता बंदरगाह क्षेत्र में शोक की लहर है। इस क्षेत्र में वह एक धर्मनिरपेक्ष राजनीतिक नेता के रूप में जाने जाते थे। वह खुद भी इस बात पर अक्सर मजाक में कहते थे, "मेरे नाम के आगे राम, पीछे राम। मेरे जैसा धर्मनिरपेक्ष व्यक्ति हो ही नहीं सकता!" राम प्यारे राम का राजनीतिक जीवन बहुत लंबा रहा है और वे सात बार विधायक बने है। वह कोलकाता नगर निगम के 10 बार पार्षद भी रहे है। 1971 में कोलकाता के कवितार्थ सीट से वे पहली बार कांग्रेस के विधायक बने थे। इसके बाद वह काफी चुनाव लड़े थे और बाद में जब कांग्रेस ने उन्हें निकाल दिया था तो वे निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़े थे। इसके बाद वामपंथ की सरकार की सरकार चली गई थी और फिर ममता बनर्जी की तृणमूल सरकार सत्ता में आई थी जिसमें वे बाद में शामिल भी हो गए थे।कुछ महीने पहले बेटे का हुआ था एक्सिडेंट
बता दें कि कुछ महीने पहले राम प्यारे राम के बेटे का निधन हो गया था। वह एक दुर्घटना का शिकार हो गया था। इस हादसे से पूर्व विधायक को काफी गहरा सदमा पड़ा था। इधर राम प्यारे राम के निधन पर तृणमूल कांग्रेस के अध्यक्ष और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शोक व्यक्त किया है। दुख जताते हुए सीएम ममता ने कहा है कि राम प्यारे राम एक महान नेता थे। उनके निधन से राज्य ने एक कुशल और अनुभवी नेता को खो दिया है। राम प्यारे राम के निधन पर विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं ने भी शोक व्यक्त किया है।अगली खबर पढ़ें
कौन थे पूर्व विधायक राम प्यारे राम?
पूर्व विधायक राम प्यारे राम अपनी राजनीति के लिए जाने जाते थे। उनके निधन से कोलकाता बंदरगाह क्षेत्र में राजनीति का एक अध्याय समाप्त हो गया है। बता दें कि उनके निधन से कोलकाता बंदरगाह क्षेत्र में शोक की लहर है। इस क्षेत्र में वह एक धर्मनिरपेक्ष राजनीतिक नेता के रूप में जाने जाते थे। वह खुद भी इस बात पर अक्सर मजाक में कहते थे, "मेरे नाम के आगे राम, पीछे राम। मेरे जैसा धर्मनिरपेक्ष व्यक्ति हो ही नहीं सकता!" राम प्यारे राम का राजनीतिक जीवन बहुत लंबा रहा है और वे सात बार विधायक बने है। वह कोलकाता नगर निगम के 10 बार पार्षद भी रहे है। 1971 में कोलकाता के कवितार्थ सीट से वे पहली बार कांग्रेस के विधायक बने थे। इसके बाद वह काफी चुनाव लड़े थे और बाद में जब कांग्रेस ने उन्हें निकाल दिया था तो वे निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़े थे। इसके बाद वामपंथ की सरकार की सरकार चली गई थी और फिर ममता बनर्जी की तृणमूल सरकार सत्ता में आई थी जिसमें वे बाद में शामिल भी हो गए थे।कुछ महीने पहले बेटे का हुआ था एक्सिडेंट
बता दें कि कुछ महीने पहले राम प्यारे राम के बेटे का निधन हो गया था। वह एक दुर्घटना का शिकार हो गया था। इस हादसे से पूर्व विधायक को काफी गहरा सदमा पड़ा था। इधर राम प्यारे राम के निधन पर तृणमूल कांग्रेस के अध्यक्ष और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शोक व्यक्त किया है। दुख जताते हुए सीएम ममता ने कहा है कि राम प्यारे राम एक महान नेता थे। उनके निधन से राज्य ने एक कुशल और अनुभवी नेता को खो दिया है। राम प्यारे राम के निधन पर विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं ने भी शोक व्यक्त किया है।संबंधित खबरें
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