Aarushi-Hemraj Murder Mystery : कत्ल तो हुआ, लेकिन डेढ़ दशक बाद भी नहीं पता चला कातिल

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The murder happened, but even after a decade and a half the murderer was not found
locationभारत
userचेतना मंच
calendar16 May 2023 11:32 PM
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नई दिल्ली। एक बेटी के कत्ल के इल्जाम में मां-बाप नौ साल तक कानून के शिकंजे में जकड़े रहे। अदालत ने उन्हें आजीवन कारावास की सजा भी सुनाई। लेकिन, आखिर साल 2017 में कोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया। सच है कि एक बेटी और घर के नौकर का कत्ल हुआ। खून बहा, लेकिन खूनी का चेहरा अब भी नकाब में है। इस मामले में स्थानीय पुलिस से लेकर सीबीआई तक ने खूब हाथ-पैर मारे, लेकिन किसी को कोई कामयाबी नहीं मिली। यह भी सच है परिस्थितयां आरुषि और नौकर हेमराज की हत्या के लिए डॉ. राजेश तलवार और मां नूपुर तलवार की ओर ही इशारा कर रही थीं, लेकिन उनके खिलाफ कोई सबूत अदालत में टिक न सका और घटना के डेढ़ दशक बाद भी यह देश की सबसे बड़ी मर्डर मिस्ट्री बनी हुई है। 15-16 मई, 2008 की रात पहले आरुषि और फिर हेमराज का बेरहमी से कत्ल कर दिया गया था।

Aarushi-Hemraj Murder Mystery

सबसे पहले नौकरानी ने देखी थी आरुषि की लाश नोएडा के सेक्टर-25 में रहने वाली आरुषि तलवार नोएडा के डीपीएस में पढ़ती थी। उसके कत्ल की खबर सबसे पहले 2008 में आज ही के दिन यानी 16 मई की सुबह उस वक्त सामने आई थी, जब तलवार परिवार की घरेलू सहायिका काम करने घर पहुंची। घरेलू सहायिका जब आरुषि के कमरे में पहुंची तो उसका शव खून से लतपथ बेडरूम में पड़ा मिला। वह चीखती हुई राजेश-नूपुर के पास दूसरे कमरे में गई। इसके बाद मीडिया की खबरों में जानकारी सामने आई कि घरेलू सहायक हेमराज घर में आरुषि की हत्या करके नेपाल फरार हो गया है।

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शुरू में हेमराज पर ही था शक आरुषि की हत्या के बाद जब पुलिस वहां पहुंची तो हेमराज को ही कातिल माना जा रहा था। दरअसल, सूचना मिलने पर घटनास्थल पर पहुंची नोएडा पुलिस को मां-बाप राजेश तलवार और नूपुर तलवार ने बताया था कि उनका घरेलू सहायक हेमराज उनकी बेटी आरुषि तलवार की हत्या करके फरार हो गया है। राजेश-नूपुर दोनों ही नोएडा के जाने-माने दंत चिकित्सक थे, इसलिए मामला सामने आते ही हाई प्रोफाइल हो गया। राजेश-नूपुर की जानकारी पर यकीन करते हुए नोएडा पुलिस की टीमें हेमराज की तलाश में नेपाल के लिए रवाना हो गईं।

Aarushi-Hemraj Murder Mystery

अगले दिन छत पर मिली थी नौकर हेमराज की लाश 16 मई को जहां नोएडा पुलिस घरेलू सहायक हेमराज को कातिल मानकर जांच कर रही थी, ठीक 24 घंटे में एल-32 सेक्टर—25 जलवायु विहार नोएडा यानी राजेश-नूपुर के घर की छत पर हेमराज का शव गद्दे के पीछे मिला। फिर यह डबल मर्डर में तब्दील हो गया। इसी के साथ पूरी जांच 360 डिग्री पर घूम गई। जिसे नोएडा पुलिस कातिल समझ रही थी वह तो पीड़ित निकला था। नोएडा पुलिस पर दबाव बहुत ज्यादा था और जांच के दौरान हत्या के 2 दिन बाद यानी 18 मई 2008 को पुलिस ने बताया कि हत्या सिर पर गोल्फ स्टिक से वार करने के बाद सर्जिकल ब्लेड से गला काटकर की गई है। फिर मर्डर का शक आरुषि के माता-पिता राजेश-नूपुर पर चला गया। 23 मई, 2008 को नोएडा पुलिस ने आरुषि के पिता राजेश तलवार को डबल मर्डर के आरोप में गिरफ्तार कर लिया। सीबीआई को सौंपा गया मामला तत्कालीन मायावती सरकार ने 1 जून 2008 को पूरे मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी। जांच की कड़ी में आरुषि और हेमराज के कत्ल में सीबीआई ने राजेश तलवार को गिरफ्तार कर लिया। फिर उन्हें संदेह के आधार पर छोड़ दिया गया। इसी तरह तीन घरेलू सहायकों को भी क्लीन चिट मिल गई। फिर 29 दिसंबर 2010 को सीबीआई ने मामले में अपनी क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की, जिसमें नौकरों को क्लीन चिट दे दी।

Special Story : राजस्थान में अपनी ‘दो कमजारियों’ से कैसे निपटेगी कांग्रेस

मां-बाप बने आरोपी, फिर दोषी, मिली उम्रकैद की सजा इसी के साथ सीबीआई ने आरुषि के मर्डर का शक मां-बाप पर जताया। इसके बाद क्लोजर रिपोर्ट को ही चार्जशीट मानकर मुकदमा चला। फिर आरुषि मर्डर केस में 26 नवंबर 2013 को सीबीआई कोर्ट ने नूपुर और राजेश तलवार को दोषी मानते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी। आरुषि के माता-पिता खुद को बेगुनाह बताते हए इलाहाबाद हाई कोर्ट पहुंचे। 12 अक्टूबर, 2017 को हाई कोर्ट ने मामले में आरोपी तलवार दंपती को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया था। इसी के साथ यह रहस्य अब भी कायम है कि आखिर 15-16 मई, 2008 की रात को किसने आरुषि और हेमराज का मर्डर किया था। इस काली रात में आखिर कौन था, जो घर में दाखिल हुआ और दो कत्ल को अंजाम देकर चला गया। यह मर्डर आज भी मिस्ट्री बनी हुई है। नोएडा ग्रेटर– नोएडाकी खबरों से अपडेट रहने के लिएचेतना मंचसे जुड़े रहें। देशदुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमेंफेसबुकपर लाइक करें याट्विटरपर फॉलो करें।
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Special Story : राजस्थान में अपनी 'दो कमजारियों' से कैसे निपटेगी कांग्रेस

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How will Congress deal with its 'two weaknesses' in Rajasthan?
locationभारत
userचेतना मंच
calendar16 May 2023 10:16 PM
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आर.पी. रघुवंशी नई दिल्ली। राजस्थान कांग्रेस में इन दिनों हो रहे सियासी दंगल ने पार्टी हाईकमान को चिंता में डाल दिया है। इस साल के अंत में राज्य में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित है। ऐसे में पार्टी प्रदेश में अपनी 'दो कमजारियों' (अशोक गहलोत और सचिन पायलट) से कैसे निपटेगी, इस पर सभी की निगाहें गड़ी हुईं हैं। माना जा रहा है कि सचिन पायलट के अल्टीमेटम के बाद उनका राजनीतिक भविष्य हाईकमान के फैसले पर निर्भर करेगा।

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गहलोत और पायलट की अदावत की इनसाइड स्टोरी अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच की सियासी अदावत कोई नई नहीं है। इसकी शुरुआत साल 2018 में विधानसभा चुनाव के बाद ही हो गई थी। उस समय सचिन पायलट राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष थे। तब उन्होंने पूरे प्रदेश की खाक छानी थी। नतीजतन, चुनाव में पार्टी को जीत मिली। लेकिन, सरकार बनाने के जादुई आंकड़े से एक सीट कम रह गई। 200 सीटों वाली राज्य विधानसभा में कांग्रेस को 100 सीटें मिली थीं। जबकि सरकार बनाने के लिए उसे 101 सीटों की दरकार थी। बताया जाता है कि तब अशोक गहलोत ने बहुजन समाज पार्टी के सभी छह विधायकों का कांग्रेस में विलय की कामयाब कोशिश की। सियासत के माहिर अशोक गहलोत ने उस समय एक तीर से दो शिकार करने की रणनीति पर भी काम किया। उन्होंने सचिन पायलट का विकल्प तैयार करने के मकसद से नदबई विधानसभा क्षेत्र से बसपा के टिकट पर विधायक बने जोगिन्दर सिंह अवाना को आगे किया। यहां इस बात का उल्लेख जरूरी है कि सचिन पायलट और जोगिन्दर अवाना, दोनों ही गुर्जर बिरादरी से हैं। यह भी दिलचस्प है कि दोनों ही उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर के मूल निवासी हैं। अशोक गहलोत ने गुर्जरों के भगवान माने जाने वाले देवनारायण के नाम से एक मंत्रालय का गठन किया और जोगिन्दर सिंह अवाना को उसका मंत्री बना दिया। लेकिन, तमाम कोशिशों के बावजूद जोगिन्दर सिंह अवाना सचिन पायलट के कद की बराबरी नहीं कर सके। हाईकमान ने पायलट को बनाया डिप्टी सीएम सचिन पायलट का मानना था कि उनकी मेहनत की बदौलत ही पार्टी सत्ता तक पहुंची है, इसलिए उन्हें ही मुख्यमंत्री बनना चाहिए। लेकिन, हाईकमान इस बात पर राजी नहीं था। पायलट के गुस्से और विरोध को थामने के लिए पार्टी ने उन्हें डिप्टी सीएम बना दिया। उस समय तो मामला शांत हो गया। लेकिन, पायलट अपने पद और गहलोत के बर्ताव से कभी संतुष्ट नहीं हुए। नतीजतन, साल 2020 में सचिन ने 20 विधायकों के साथ बगावत का बिगुल फूंक दिया। वह अपने विधायकों के साथ हरियाणा के गुरुग्राम स्थित मानेसर के एक होटल में रुके। तब आरोप लगाए गए थे कि उनके पीछे भाजपा खड़ी है और उनके रुकने के साथ ही उनकी सुरक्षा का जिम्मा भी हरियाणा की भाजपा सरकार उठा रही है। उस समय तमाम जद्दोजहद के बाद बगावत थमा। लेकिन, सचिन को उसकी बड़ी कीमत चुकानी पड़ी। उन्हें डिप्टी सीएम के साथ ही प्रदेश अध्यक्ष पद से हाथ धोना पड़ा।

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सचिन के सीने में अभी दहक रहे हैं अंगारे सचिन पायलट को जिस तरह से अशोक गहलोत के साथ ही हाईकमान की उपेक्षाएं झेलनी पड़ीं, उससे उनके सीने में दहक रहे सियासी अंगारे ठंडे नहीं हो रहे हैं। इसके पीछे उनकी मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठने की महत्वाकांक्षा मुख्य वजह मानी जा रही है। साल 2020 के बाद अभी बीते महीने ही सचिन पायलट ने पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सरकार में हुए भ्रष्टाचार की जांच की मांग को लेकर एक दिन का अनशन किया था। अब सरकार पर दबाव बनाने के लिए उन्होंने पांच दिवसीय जनसंघर्ष यात्रा निकाली। 11 मई 2023 से अजमेर से जयपुर तक निकाली गई पांच दिवसीय यात्रा के समापन पर सचिन तैश में नजर आए। उत्तेजना में उन्होंने अपनी ही पार्टी की सरकार को 15 दिन का अल्टीमेटम दे दिया। उन्होंने कहा अगर उनकी तीन मांगें नहीं मानी गईं तो वह पूरे प्रदेश में आंदोलन करेंगे।

Jyeshtha Amavasya 2023 : इन दुर्लभ योगों में मनाई जाएगी ज्येष्ठ अमावस्या, नोट कर लें पूजा का सही समय 

सचिन के ऐलान से गहलोत सरकार और हाईकमान असहज सचिन पायलट के प्रदेशव्यापी आंदोलन से अशोक गहलोत सरकार और पार्टी हाईकमान काफी असहज है। पार्टी चुनावी वर्ष में ऐसा कुछ भी नहीं करना चाहती है, जिससे चुनाव पर ​बुरा असर पड़े। मौजूदा दौर में अशोक गहलोत और सचिन पायलट दोनों ही पार्टी की मजबूरी बने हुए हैं। सचिन की संगठन पर अच्छी पकड़ है और गहलोत सरकार चलाने के साथ ही विरोधियों को साधने में माहिर हैं। पार्टी के लिए राज्य में तीसरा कोई ऐसा चेहरा नहीं है, जो इनका विकल्प बन सके। शायद यही मजबूरी, हाईकमान को संयम बरतने पर विवश कर रही है।

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हाईकमान के फैसले पर टिका पायलट का सियासी भविष्य 15 दिनों के अल्टीमेटम के बाद पार्टी में हलचल तेज हो गई है। राजस्थान के प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा एक बैठक कर चुके हैं। वह अपनी रिपोर्ट भी पार्टी अध्यक्ष को सौंप चुके हैं। लेकिन, एक दिन पहले ही पायलट को लेकर उनके सुर कुछ नरम हुए हैं। फिर भी पायलट के अल्टीमेटम की अनदेखी करना ठीक नहीं है। लिहाजा, 31 मई के पहले ही पार्टी को सुलह का कोई रास्ता तो तलाशना ही होगा। राजनीति के जानकारों का मानना है कि अगर हाईकमान ने पायलट को कोई तवज्जो नहीं दी और पायलट अपने आंदोलन के फैसले पर अड़े रहे तो फिर राहें जुदा भी हो सकती हैं। यानि, वे अटकलें जमीन पर उतर सकती हैं, जिसमें ये बात कही जा रही है कि सचिन पायलट राजस्थान में अपनी पार्टी बना कर किंग न सही, किंग मेकर की भूमिका निभा सकते हैं। देश विदेशकी खबरों से अपडेट रहने लिएचेतना मंचके साथ जुड़े रहें। देशदुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमेंफेसबुकपर लाइक करें याट्विटरपर फॉलो करें।
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Jyeshtha Amavasya 2023 : इन दुर्लभ योगों में मनाई जाएगी ज्येष्ठ अमावस्या, नोट कर लें पूजा का सही समय 

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Jyeshtha Amavasya will be celebrated in these rare yogas, note down the exact time of worship
locationभारत
userचेतना मंच
calendar16 May 2023 09:49 PM
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ज्येष्ठ माह में आनी वाली अमावस्या का हिंदू धर्म में बहुत महत्व रहा है। इस अमावस्या को शनि जयंती, शनि अमावस्या, जेठ अमावस्या, दर्श अमावस्या और ज्येष्ठ अमावस्या इत्यादि नामों से पुकारा जाता है। इस एक दिन कई दुर्लभ योगों का बनना ही इसकी महत्ता को वृद्धि देने वाला होता है।

Jyeshtha Amavasya 2023

इस वर्ष 19 मई 2023 को ज्येष्ठ अमावस्या मनाई जाएगी। इस दिन शनि देव के जन्मोत्सव पर शनि जयंती का पर्व भी मनाया जाता है। मान्यताओं के अनुसार सूर्य देव के पुत्र शनि देव का जन्म इसी समय पर हुआ था। इस कारण यह दिन शनि उपासना एवं शनि जयंती के रुप में देशभर में भक्ति भाव के साथ मनाया जाता है। ज्येष्ठ अमावस्या तिथि पूजा मुहूर्त  ज्येष्ठ, कृष्ण अमावस्या का प्रारम्भ 18 मई 21:42 पर होगा। ज्येष्ठ अमावस्या तिथि की समाप्ति 19 मई 2023 को 21:22 पर होगा। इस बार ज्येष्ठ अमावस्या पर शोभन योग, वट सावित्रि व्रत, शिववास, चंद्रमा का वृष राशि में गमन, शनि जयन्ती, दर्श अमावस्या, अन्वाधान का समय रहेगा। प्रात: काल 06:17 से स्नान दान की क्रिया आरंभ होगी। इस समय पर पितृ तर्पण, ग्रह शांति पूजा, सर्प दोष शांति पूजा, रुद्राभिषेक करना उत्तम फलदायी माना गया है।

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ज्येष्ठ अमावस्या पर किन कार्यों को करने से मिलती है शुभता ज्येष्ठ अमावस्या का दिन तर्पण, पूजन, दान स्नान इत्यादि के लिए बहुत विशेष होता है। इस समय पर देशभर की धार्मिक नगरियों में भक्तों का जमावड़ा लगता है और अमावस्या तिथि के दिन स्नान एवं तर्पण कार्यों को विशेष रुप से किया जाता है। यह अमावस्या पितरों की शांति के लिए बहुत महत्वपूर्ण होती है। इस दिन को मंत्र एवं तंत्र दोनों के लिए ही उपयोगी माना गया है। ग्रह शांति पूजा, कालसर्प दोष पूजा, पितृ शांति के कार्यों को इस समय पर करने से जीवन में शुभ फलों की वृद्धि होती है। जीवन की नकारात्मकता समाप्त होती है तथा पुण्य फलों का लाभ प्राप्त होता है।

Jyeshtha Amavasya 2023

ज्येष्ठ अमावस्या पंचांग ग्रह स्थिति ज्येष्ठ अमावस्या के दिन ग्रहों की विशेष स्थिति बनने वाली है। इस दिन सूर्य एवं चंद्रमा का योग वृष राशि में होगा। चंद्रमा अपनी उच्च राशि में स्थित होता है, जिसके द्वारा चंद्रमा की प्रबलता एवं शुभता बनी रहने वाली है। इस समय पर शनि अपनी मूलत्रिकोण राशि कुंभ में विराजमान होंगे ऎसे में यह समय काफी महत्वपूर्ण होगा क्योंकि शनि जयंती पर शनि अपनी मूलत्रिकोण राशि में विराजमान होंगे। इसके साथ ही बुध, राहु और गुरु का योग मेष राशि में होने से इस समय गुरु चांडाल योग एवं जड़त्व योग का निर्माण भी बना हुआ होगा। ग्रहों की ये स्थिति कुछ अनुकूलता लिए होगी तो कुछ की शुभता को बनाए रखने में इस दिन की महत्वपुर्ण भूमिका रहने वाली है। अमावस्या के दिन किया गया पूजन ग्रहों के नकारात्मक असर को समाप्त करने वाला होगा।

Uttarpradesh News: आरटीई एडमीशन के खेल में आयोग सख्त, मांगी रिपोर्ट

ज्येष्ठ अमावस्या पर करें ये उपाय, मिलेगा लाभ ज्येष्ठ अमावस्या के दिन कुछ विशेष कार्य करने से कई तरह के शुभ परिणाम प्राप्त होते हैं। ज्येष्ठ अमावस्या पर प्रात:काल जल में काले तिल डालकर स्नान करना चाहिए तथा स्नान के पश्चात गरीबों को काले चने एवं पूरी का दान करने से पाप कर्मों का शमन होता है तथा पुण्य फलों की प्राप्ति होती है। ज्येष्ठ अमावस्या के दिन बड़ के वृक्ष एवं पीपल के वृक्ष का पूजन करना शुभ होता है। इस दिन इन वृक्षों की पूजा के साथ ही इन्हें जल से सींचा जाता है। इस समय पर ‘ॐ पितृभ्य: नम:’ मंत्र का जाप करना चाहिए, जिसके द्वारा पितरों की शांति संपन्न होती है। अमावस्‍या की रात्रि समय शनि देव की पूजा एवं मंत्र जाप करने से शनि से संबंधित तमाम दोष दूर हो जाते हैं। देश विदेशकी खबरों से अपडेट रहने लिएचेतना मंचके साथ जुड़े रहें। देशदुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमेंफेसबुकपर लाइक करें याट्विटरपर फॉलो करें।