Nautapa 2023: मौसम में हो रहा बदलाव सभी को काफी हैरान किए हुए है. इस समय देश में होने होने वाली बारिश को देखकर कर सभी काफी हैरान हैं क्योंकि गर्मी अभी तक अपने जोश में नहीं दिखाई दे पाई है. जहां मई आने से पहले ही गर्मी की दस्तक दे जाती है वहीं अभी तक बारीश के चलते मौसम में ठंडक का एहसास देखा जा रहा है. पर अगर बात करें उस ग्रम मौसम की जो बेहद गर्म कहलाता है तो वह है नौ तपा जो अभी तक आया नहीं है लेकिन जिसके आते ही सभी लोग गर्मी ओर लू के थपेड़ों से परेशान हुए बिना नहीं रह पाते हैं.
Nautapa 2023:
देश भर में मौसम के बदलाव को देख कर सब कन्फूजन में हैं लेकिन अब नौतपा की आहट जल्द ही सुनाई देने वाली है. जहां हर साल ज्येष्ठ माह से ग्रीष्म ऋतु का आगमन हो जाता है वहीं सूर्य के रोहिणी नक्षत्र प्रवेश के साथ ही नौतपा की शुरुआत भी हो जाती है.
क्या होता है नौतपा और कब होगा शुरु
नौ तपा का समय सूर्य के नक्षत्र परिवरत्न से संबंधित होता है यह ज्योतिष अनुसार वह नौ दिन होते हैं जब सूर्य की किरणें सीधे धरती पर पड़ती हैं और इसके कारण गर्मी की अधिकता भी बढ़ जाती है. देश भर में इस समय गर्मी का हाल बेहाल कर देने वाला होता है. इस समय के दौरा प्रचंड गर्मी ओर लू के झपेड़ों को महसूस किया जा सकता है. पशु पक्षी से लेकर सभी लोग इस समय गर्मी से व्याकुल हुए बिना रह नहीं पाते हैं. नो तपा का जहां वैज्ञानिक पहलू है वहीं इसका ज्योतिष्य संदर्भ भी दिखाई देता है. इस वर्ष 25 मई 2023 से सूर्य का रोहिणी नक्षत्र प्रवेश होगा ओर इसी के साथ आने वाले 9 दिन काफी गर्म साबित होंगे.
मेदिनी ज्योतिष और मौसम प्रभाव
ज्योतिष की एक शाखा मेदिनी ज्योतिष है जिसके अनुसार देश की भौगोलिक प्राकृतिक स्थिति के बदलाव को समझा जाता है. मेदिनी ज्योतिष अनुसार सूर्य का नक्षत्र प्रवेश राशि प्रवेश की ही भांति महत्वपूर्ण होता है. सूर्य का रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश ही इस नौतपा का आधार बनता है. जिस प्रकार शनि का रोहिणी भेदन बेहद खराब घटना होती है. उसके विपरीत सूर्य का इस नक्षत्र में जाना तपीश की अधिकता को दिखाने वाला समय होता है.
सूर्य का रोहिणी नक्षत्र प्रवेश नौतपा का समय होता है. इस समय रोहिणी की शुभता कोमलता पर सूर्य के अग्नि तत्व का प्रभाव पड़ता है. इस नक्षत्र के दोनों स्वामी और ग्रह देवता जल तत्व युक्त हैं चंद्रमा इसका स्वामी है तो शुक्र इसका ग्रह स्वामी है ऎसे में सूर्य का इस नक्षत्र में आना जल तत्व की कमी का सूचक बनता है और ताप की अधिकता बढ़ती है. सूर्य की रोशनी के सीधे अर्थात लंबवत पड़ने से गर्मी में अत्यधिक वृद्धि दर्ज की जाती है यह समय 9 दिनों तक काफी महत्वपूर्ण होता है