Tuesday, 19 November 2024

लेट हुई मैं लेटी थी, मेरे ऊपर वो लेटा था…

Ramlila : इन दिनों रामलीला का सीजन चल रहा है। रामलीला (Ramlila) के अलग-अलग प्रचार के मंच सजाए गए हैं।…

लेट हुई मैं लेटी थी, मेरे ऊपर वो लेटा था…

Ramlila : इन दिनों रामलीला का सीजन चल रहा है। रामलीला (Ramlila) के अलग-अलग प्रचार के मंच सजाए गए हैं। भारत के प्रत्येक शहर, कस्बे तथा गांव में रामलीला (Ramlila) का मंचन चल रहा है। रामलीला के इन्हीं मंचों पर अक्सर कुछ अजीब घटनाएं घट जाती हैं। रामलीला (Ramlila) के मंच पर घटी ऐसी ही कुछ अजीबो-गरीब घटना से हम आपको रू-ब-रू करा रहे हैं।

लेट हुई मैं लेटी थी, मेरे ऊपर वो लेटा था…

यह शीर्षक-कि लेट हुई मैं लेटी थी, मेरे ऊपर वो लेटा था पढ़कर आप चौंक रहे होंगे। आप सोच रहे होंगे कि रामलीला के मंच पर किसी महिला के लेटने आदि से क्या लेना-देना हो सकता है। असल में यह रामलीला (Ramlila) के मंच पर घटित हुई एक सच्ची घटना है। बात इलाहाबाद में स्थापित रामलीला के एक मंच की है। इलाहाबाद को अब प्रयागराज के नाम से जाना जाता है। इस घटना का सही-सही वर्ष तो नहीं पता है किन्तु रामलीला के मंच पर घटित हुई यह घटना वर्ष-1968 के आसपास की है। इलाहाबाद में रामलीला (Ramlila) के मंच पर कवि सम्मेलन का आयोजन रखा गया था। इस कवि सम्मेलन में कवित्री महादेवी वर्मा को भी आना था। महादेवी वर्मा बहुत देर से रामलीला के उस मंच पर पहुंची। जब महादेवी वर्मा ने कविता पाठ शुरू किया तो उन्होंने बड़े अनोखे अंदाज में लेट होने का कारण बताया। उनका कारण सुनकर रामलीला के पंडाल में सनसनी सी फैल गई। रामलीला के मंच से महादेवी वर्मा ने कहा कि- “लेट हुई मैं लेटी थी, मेरे ऊपर वो लेटा था”  इतना बोलकर महादेवी वर्मा कुछ देर के लिए मौन हो गई। श्रोताओं में हड़कंप मच गया। फिर महादेवी वर्मा बोली कि- “लेट हुई मैं लेटी थी, मेरे ऊपर वो लेटा था, हटा ना सकी उसको क्योंकि वो मेरा बेटा था” पूरी बात सुनकर रामलीला का पंडाल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। रामलीला (Ramlila) के मंच पर घटित इस घटना को कुछ लोग साहित्य सम्मेलन में घटित घटना भी बताते हैं।

मैं माता थी वह बेटा था

अनेक कवि तथा साहित्यकार रामलीला (Ramlila) के मंच पर घटित इस कविता को कुछ दूसरी प्रकार भी बताते हैं। कविगण के अनुसार महादेवी वर्मा ने लेट होने का कारण कुछ इस प्रकार बताया था कि- “मैं लेट हुई क्योंकि मैं लेटी थी, मैं देती थी वो लेता था, मैं नीचे थी वह ऊपर था, इसमें अंतर सिर्फ इतना था, मैं माता थी वह बेटा था।” बात दोनों प्रकार से कही जा सकती है। दोनों का मतलब एक ही है। रामलीला (Ramlila) के मंच पर घटी महादेवी वर्मा की यह घटना 50-60 साल बाद भी खूब मजे ले लेकर कही और सुनाई जाती है।

मैं हूं भगीरथ हलवाई

रामलीला (Ramlila) के मंच का एक और अजीबो-गरीब सच्चा किस्सा उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले का है। मुजफ्फरनगर जिले के गढ़ी नौआबाद गांव में हर साल रामलीला का मंचन होता था। पंडित सीताराम शर्मा रामलीला के संचालक तथा निर्देशक थे। रामलीला के बीच में एक दिन हनुमान की भूमिका निभाने वाला कलाकार बीमार पड़ गया। किसी प्रकार से उस दिन की रामलीला (Ramlila) के लिए गांव के भगीरथ हलवाई को तैयार किया गया। रामलीला के एक सीन में रावण की भूमिका निभा रहे कलाकार ने गर्जना करते हुए हनुमान से पूछा कि- “ऐ बानर तू कौन है और कहां से आया है।” रावण की गर्जना सुनकर हनुमान बना हलवाई डरता हुआ बोल पड़ा कि -“अरे महाराज मैं तो भगीरथ हलवाई हूं”। रामलीला की वर्षों पुरानी घटना की खूब चर्चा होती है।

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