Tuesday, 12 November 2024

भारत की वह बहादुर रानी जिसने काटी थी मुगल सैनिकों की नाक

Rani Karnavati : भारत में एक से बढ़कर एक राजा तथा रानी हुए हैं। इसी कारण भारत के घर-घर में…

भारत की वह बहादुर रानी जिसने काटी थी मुगल सैनिकों की नाक

Rani Karnavati : भारत में एक से बढ़कर एक राजा तथा रानी हुए हैं। इसी कारण भारत के घर-घर में राजा तथा रानी की कहानी सुनी तथा सुनाई जाती है। भारत की सबसे बहादुर तथा अनोखी रानी थी रानी कर्णावती। भारत की बहादुर रानी कर्णावती को नक्कटी रानी यानि दुश्मन की नाक काटने वाली रानी भी कहा जाता है। भारत की बहादुर रानी कर्णावती के कारण ही मुगल बादशाह शाहजहां ने गढ़वाल प्रदेश पर हमला करने से हमेशा के लिए तौबा कर ली थी।

पहाड़ी राज्यों में प्रसिद्ध है रानी कर्णावती

रानी कर्णावती की बहादुरी के किस्से बहुत प्रसिद्ध हैं। भारत के पहाड़ी राज्यों उत्तराखंड तथा हिमाचल प्रदेश में तो रानी कर्णावती बहुत ही प्रसिद्ध है। पहाड़ी राज्यों में रानी कर्णावती की कहानी घर-घर में प्रसिद्ध है। उन्हीं रानी कर्णावती का परिचय हम आपसे करवा रहे हैं। रानी कर्णावती का परिचय जानकर आप भी रानी कर्णावती के फैन हो जाएंगे। रानी कर्णावती का परिचय शुरू होता है। उनके पति और गढ़वाल के राजा महिपत शाह की असमय मृत्यु के बाद।

महिपत ने वर्ष 1622 में राजा श्याम शाह के अलकनंदा में डूबकर मर जाने के बाद गद्दी संभाली थी। बहादुर और योद्धा माने जाने वाले महिपत ने मुगलों की सत्ता को चुनौती देने के अलावा तिब्बत जैसी मुश्किल भूमि पर भी तीन बार आक्रमण किया। नौ वर्ष तक राज करने के बाद 1631 में रणभूमि में ही उनकी मौत हो गई। तब उनका बेटा पृथ्वीपत शाह था कुल सात बरस का। राजकाज संभालने का जिम्मा कर्णावती के हिस्से आया। हिमाचल के एक राज परिवार से ताल्लुक रखने वाली कर्णावती को शासन करने की कला घुट्टी में पिलाई गई थी।

उन्होंने देहरादून और मसूरी जैसी जगहों के अलावा समूचे राज्य में कृषि और सामाजिक कल्याण के अनेक कामों को अंजाम दिया। लेकिन, तब किसी भी राज्य में स्त्री द्वारा शासन किए जाने को एक बड़ी कमजोरी के रूप में देखा जाता था। बताया जाता है कि तत्कालीन कुमाऊंनी राजा बाजबहादुर चंद के मुगलों से अच्छे संबंध थे। उसने कांगड़ा में नियुक्त मुगल अधिकारी नजाबत खान से कहा कि गढ़वाल पर आक्रमण करने का इससे बेहतर समय और नहीं हो सकता। बाजबहादुर ने वादा किया कि वह और सिरमौर का राजा उस आक्रमण में मुगलों का साथ देंगे।

इस प्रकार चली गई बड़ी चाल Rani Karnavati

नजाबत खां ने मुगल बादशाह शाहजहां को आक्रमण के लिए तैयार कर लिया। 30 हजार सैनिकों को लेकर नजाबत खान ने गंगा नदी पार की और देहरादून के समीप रायवाला नामक जगह पर अपने खेमे गाड़े। यह बात है वर्ष 1635 की। रानी कर्णावती तक संदेश भेजा गया, या तो 10 लाख रुपये का नजराना अता करो या एक बड़े आक्रमण के लिए तैयार रहो। अपने सलाहकारों के कहने पर रानी ने एक लाख रुपये तुरंत देकर बाकी रकम शीघ्र देने का वादा कर दिया। हालांकि बची रकम भेजी नहीं। इससे कु्रद्ध नजाबत खान ने फौज को लेकर श्रीनगर की तरफ बढऩा शुरू किया। श्रीनगर में गढ़वाल रियासत की राजधानी हुआ करती थी।

चारों तरफ से फंस गई थी मुगल सेना

7वीं शताब्दी में भारत आए इटली के निकोलाओ मानूची ने कर्णावती और मुगलों के संघर्ष के बारे में विस्तार से लिखा है। मुगल सेना ने जैसे-जैसे शिवालिक की तलहटी से ऊपर पहाड़ों की तरफ चढऩा शुरू किया, उसका सामना हुआ छापामार गुरिल्ला शैली में आक्रमण करने वाले गढ़वाली सैनिकों से। देवप्रयाग से नीचे शिवालिक की पहाडिय़ों के बीच बनी असंख्य चट्टियों में छिपे इन सिपाहियों ने मुगल सेना की नाम में दम कर दिया। जब समूची मुगल फौज पहाडिय़ों के बीच अच्छी तरह से घिर गई, तो दोनों तरफ के रास्ते बंद कर दिए गए। मुगल सैनिक न ऊपर जा सकते थे और न नीचे। मुगल शिविर में रसद की कमी हो गई। अफरातफरी का माहौल बनने लगा। यह देखकर नजाबत खान ने रानी से इजाजत मांगी कि वह रास्ते खोलकर उसे अपनी सेना को वापस ले जाने दें।

मुगलों की सबसे बड़ी हार थी यह

रानी कर्णावती चाहती थीं कि मुगलों को कभी न भूलने वाला सबक मिले। उन्होंने नजाबत खान से कहा कि वह अपने सैनिकों को वापस ले जा सकता है, लेकिन सभी को अपनी नाक कटानी होगी। जान खतरे में देखकर शाहजहां के सैनिकों ने हथियार डाल दिए और नाक कटा ली। निकोलाओ मानूची ने दर्ज किया है कि इस घटना से शर्मसार होकर शाहजहां ने फैसला किया कि वह फिर कभी गढ़वाल पर आक्रमण नहीं करेगा। उधर, नजाबत खान ने रास्ते में ही आत्महत्या कर ली। इस घटना के बाद रानी कर्णावती को नक्कटी रानी यानी दुश्मन की नाक काट लेने वाली रानी कहकर संबोधित किया जाने लगा। Rani Karnavati

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