Bharat Dal : हाल ही में सरकार की ओर से देशवासियों के लिए भारत दाल, चावल और आटा की बिक्र शुरू की गई थी। जिसमें से भारत दाल सबकी पसंद बन गई है। भारत दाल के आगे सभी कंपनियों की ब्रांडेड चना दाल ढेर हो गई है। 4 महीने पहले लॉन्च की गई भारत दाल ने 25 फीसदी दाल बाजार पर कब्जा कर लिया है। इसके साथ ही सबसे ज्यादा खुदरा बिक्री की जाने वाली दाल बनने का खिताब भी भारत दाल के नाम हो गया है।
देश की मासिक खपत में 1 चौथाई हिस्सा भारत दाल का
आपको जान कर हैरानी होगी कि सभी ब्रांड की चना दाल की 1.8 लाख टन मासिक खपत में से एक चौथाई हिस्सा भारत दाल का है। इसकी वजह भारत दाल का सस्ता होना बताया जा रहा है। जबकि, बाकि कंपनियों की दालें काफी महंगी कीमत पर बिक रही हैं। भारत दाल की इस उपलब्धि के बारे में खुद उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह ने बताया। उन्होंने कहा कि ‘भारत’ ब्रांड के तहत खुदरा बिक्री की जाने वाली सरकार की ओर से खरीदी गई चना दाल मूल्य लाभ के चलते अपने लॉन्च के चार महीने से भी कम समय में 1/4 बाजार हिस्सेदारी के साथ घरेलू उपभोक्ताओं के बीच सबसे अधिक बिकने वाला ब्रांड बन कर उभरा है।
अन्य की तुलना में सस्ती है भारत दाल
भारत दाल की उपलब्धि के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा, अक्टूबर 2023 में लॉन्च की गई भारत दाल को बढ़त हासिल है, क्योंकि इसकी कीमत अन्य ब्रांडों की तुलना में 60 रुपये प्रति किलोग्राम कम है। उन्होंने बताया कि अक्टूबर 2023 से लगभग 2.28 लाख टन भारत ब्रांड चना दाल बेची गई है। मासिक औसत बिक्री लगभग 45,000 टन थी। आपको बता दें शुरुआत में भारत दाल 100 खुदरा केंद्रों पर उपलब्ध थी, जिसके बाद भारत दाल अब 21 राज्यों के 139 शहरों में 13,000 मोबाइल और फिक्स्ड खुदरा दुकानों पर बेची जाती है। साथ ही रोहित सिंह ने बताया कि इस पहल से दालों की महंगाई पर अंकुश लगाने में मदद मिली है, क्योंकि दालों की कीमतें आपस में जुड़ी हुई हैं। चने की कीमतें कम करने के लिए बफर स्टॉक का उपयोग करके, यह अप्रत्यक्ष रूप से अन्य दालों की कीमतों पर प्रभाव डालता है।
शुरू किया गया ‘भारत चावल’
आपको बता दें भारत दाल के अलावा, सरकार भारत ब्रांड के तहत भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) का गेहूं का आटा भी बेच रही है। कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए वह उसी ब्रांड के तहत एफसीआई चावल की बिक्री पर भी विचार कर रही है। हालांकि पिछले कुछ सालों में देश में दालों का घरेलू उत्पादन बढ़ा है, लेकिन अभी भी इसकी खपत कम है, और इस अंतर को पूरा करने के लिए यह आयात पर निर्भर है। देश अकेले चना और मूंग में आत्मनिर्भर है और कमी को पूरा करने के लिए अन्य प्रकार की दालों का आयात किया जाता है।
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