Thursday, 19 September 2024

भारत में कैसे और कहां से आया चटकारे लेकर खाने वाला समोसा? दिलचस्प है इतिहास

Samosa : अक्सर हमारे घर मेहमान आए या बारिश का मौसम हो या कुछ चटपटा खाने का मन करने लगे, तो…

भारत में कैसे और कहां से आया चटकारे लेकर खाने वाला समोसा? दिलचस्प है इतिहास

Samosa : अक्सर हमारे घर मेहमान आए या बारिश का मौसम हो या कुछ चटपटा खाने का मन करने लगे, तो पहली पंसद समोसा ही होता है। हरी तीखी चटनी के साथ समोसे का स्वाद दोगुना बढ़ जाता है। धनिया और मसालों के बेजोड़ स्वाद वाला समोसा खाकर आत्मा तृप्त सी हो जाती है। ज्यादतर लोगों को समोसा बेहद ही पंसद होता है।

ये समोसा गली के नुक्कड़ों से लेकर फाइव स्टार्स रेस्टोरेंट्स तक, हर जगह अलग अंदाज में आपको मिलेगा। समोसे का स्वाद भी बहुत ही लजीज होता है, इसे भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में पसंद किया जाता है। लेकिन क्या आप जानते जिस समोसे को आप इतने चटकारे लेकर खाते है ये भारतीय डिश में नहीं आता। आइए जानते आखिर भारत में सबसे ज्यादा पंसद किया जाने वाला समोसा यहां आया कैसे?

भारत में कैसे आया समोसा Samosa

समोसा शब्द फारसी शब्द ‘सम्मोकसा’ से लेकर बनाया गया है। माना जाता है कि इसकी उत्पत्ति 10वीं शताब्दी से पहले मध्य पूर्व में हुई थी। ईरानी व्यंजन ‘संबुश्क’ (sanbusak) से प्रेरित होकर, भारत में इसका रूपांतरण ‘समोसा’ के रूप में किया गया है। कई जगहों पर इसे Sambusa या samusa के नाम से भी जाना जाता है। दिलचस्प बात यह है कि भारत के कई राज्यों में ही इस चटपटे समोसे के अनोखे नाम से जानते है। आपको जानकर हैरानी होगी की बिहार और पश्चिम बंगाल समोसे को सिंघाड़ा कहा जाता है।

मध्य पूर्व से भारत का सफर Samosa

इसके तिकोने आकार के पीछे कोई खास वजह तो नहीं है, लेकिन मुमकिन है कि यह मध्य पूर्वी खासतौर से ईरान की संस्कृति से प्रभावित हो। 11वीं सदी के इतिहासकार अबुल-फजल बेहाकी ने अपनी रचनाओं में पहली बार इस तरह के नमकीन व्यंजन के बारे में जिक्र किया था, जिसमें कीमा और मावे की फिलिंग हुआ करती थी। यह इस बात का संकेत है कि समोसे जैसे व्यंजन मध्य पूर्व में काफी समय से लोकप्रिय थे। वहीं कुछ इतिहासकारों का मानना है कि मध्य पूर्व से काम की तलाश में आने वाले शेफ्स ने भारत में इसकी शुरुआत की, वहीं कुछ इसे वहां से आने वाले व्यापारियों की देन मानते हैं। भारत में समोसा जिसने भी खाया, वह इसका दीवाना होता चला गया। खासतौर पर राजाओं को यह डिश बेहद पसंद हुआ करती थी। 9वीं सदी में ईशाक इब्न इब्राहिम-अल-मौसिली भी अपनी एक कविता में ‘संबुसाज’ यानी समोसे का जिक्र किया है।

समोसे में लगा भारतीय मसालों का तड़का

आपको बता दें कि भारत में आने के बाद समोसा ने एक अलग ही अंदाज ले लिया इसके अंदर आलू की स्टफिंग का इस्तेमाल किया जाने लगा। इतनी ही नहीं अब तो लोग कई तरह के समोसे बनाने लगे है। जिनमें मेवे से भरा मीठा समोसा भी भारतीयों की पंसद है। लेकिन जो बात आलू समोसे में वह कहीं नहीं। शाम की स्नैक हो या घर पर आए मेहमानों की मेहमान नवाजी बिना समोसे के पूरी होती ही नहीं। चाहे आप सड़क किनारे के ठेले पर खड़े हों या फिर किसी फैंसी रेस्तरां में। आपको हर गली नुक्कड़ पर इसका स्वाद चखने को मिल जाएगा।

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अकबर के दरबार की शान बना समोसा

मुगलों ने भारत पर लंबे वक्त तक राज किया। खासतौर पर अकबर (सन् 1556 से 1605 ई. ) का शासन उत्तर भारत से लेकर दक्षिण के कई राज्यों तक रहा। अकबर के दरबार के नवरत्नों में शामिल थे अबुल फजल। अबुल फजल ने अपनी किताब ‘आइन-ए-अकबरी’ में इस बात का जिक्र किया है कि मुगल दरबार में समोसा काफी ज्यादा पसंद किया जाता था। भारत में अंग्रेजों का शासन लगभग 200 साल तक रहा और उन्हें भी समोसे के स्वाद ने अपना दीवाना बना लिया। Samosa

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