Supreme Court Verdict On ED : प्रवर्तन निदेशालय यानि कि ED का नाम रोज सुनने तथा पढऩे में आता है। ED को केन्द्र सरकार ने असीमित शक्तियां दे रखी हैं। ED जब किसी को चाहे गिरफ्तार कर लेती है। अब ED पर सुप्रीम कोर्ट ने कानून का बड़ा डंडा चला दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि ED के पास असीमित शक्तियां अब नहीं रहेंगी। कोर्ट के द्वारा संज्ञान लेने पर ED अब गिरफ्तारी नहीं कर सकेगी। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले की खूब तारीफ हो रही है। यह साफ है कि सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला ED तथा कोन्द्र सरकार के खिलाफ है।
ED के ऊपर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने ED को लेकर एक बहुत बड़ा फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट की एक पीठ ने एक मामले में फैसला सुनाते हुए कहा, यदि आरोपी किसी समन के जवाब में कोर्ट में पेश होता है तो जांच एजेंसी ED को हिरासत के लिए संबंधित कोर्ट में आवेदन करना होगा। यदि आरोपी कोर्ट के समन के जवाब में पेश हो रहा है तो उसे स्वत: ही हिरासत में नहीं माना जा सकता। ऐसे आरोपी को जमानत का आवेदन देने की जरूरत नहीं है। इसलिए पीएमएलए कानून की धारा 45 की दोहरी शर्त ऐसे केस में लागू नहीं होगी। हालांकि, विशेष कोर्ट अभियुक्त को आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 88 के अनुसार बॉन्ड देनेे का निर्देश दे सकती है। धारा 45 की दोहरी शर्त कहती है, यदि मनी लॉन्ड्रिंग केस का आरोपी जमानत का आवेदन करता है, तो कोर्ट को पहले सरकारी वकील को पक्ष रखने की अनुमति देनी होगी व इस बारे में संतुष्ट होने पर ही कि आरोपी दोषी नहीं है और आगे भी ऐसा अपराध नहीं करेगा, जमानत मंजूर की जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने ED के मामले में हिरासत के लिए ईडी के आवेदन पर सुनवाई करते हुए, कोर्ट तभी ईडी को अनुमति दे सकती है, जब वह संतुष्ट हो कि हिरासत में पूछताछ जरूरी है, भले ही आरोपी को पीएमएलए की धारा 19 के तहत कभी गिरफ्तार नहीं किया गया हो। यह धारा ईडी को मनी लॉन्ड्रिंग में साक्ष्यों के आधार पर गिरफ्तारी की शक्ति देती है। कोर्ट ने कहा, धारा 44 की शिकायत पर पीएमएलए की धारा 4 के तहत दंडनीय अपराध का संज्ञान लेने के बाद, ईडी आरोपी को गिरफ्तार करने के लिए धारा 19 में मिली शक्तियों का इस्तेमाल नहीं कर सकता।
ED पर फैसले का खास कारण
सुप्रीम कोर्ट के ED पर दिए गए फैसले का कारण एक पुराना मुकदमा बना है। दरअसल सुप्रीम कोर्ट एक मामले की सुनवाई कर रहा था। सुनवाई इस बात पर चल रही थी कि ED के समन के जवाब में आरोपी सीधा कोर्ट में पेश हुआ था। ऐसे में सवाल यह था कि जब कोर्ट ने मामले का संज्ञान ले लिया है तो क्या ED उसे गिरफ्तार कर सकती है ? यह भी सवाल था कि क्या ऐसे व्यक्ति को जमानत की दोहरी शर्त पूरी करनी पड़ेगी ? इसी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने ED पर कानून का बड़ा डंडा चला दिया। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया कि जिस मामले में कोर्ट ने संज्ञान ले लिया हो उस मामले में ED आरोपी को गिरफ्तार नहीं कर सकती है। ED पर सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले की सभी जगह खूब तारीफ हो रही है। यह अलग बात है कि केन्द्र सरकार तथा ED के लिए यह बहुत बड़ा झटका है।
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