PSLV C-54 mission नया अध्याय लिखेगा पीएसएलवी सी-54 अभियान
PSLV C-54 mission
भारत
चेतना मंच
02 Dec 2025 03:36 AM
PSLV C-54 mission नयी दिल्ली। देश में अंतरिक्ष क्षेत्र में सुधार के अपनी जड़ें जमाने के बीच भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का पीएसएलवी सी-54 अभियान एक नया अध्याय लिखने वाला है।
इसरो के पृथ्वी अवलोकन-06 उपग्रह के अलावा, पीएसएलवी सी-54 अभियान के जरिये बेंगलुरु आधारित पिक्सेल द्वारा निर्मित आनंद, हैदराबाद के ध्रुवस्पेस द्वारा निर्मित थाईबोल्ट 1 और 2 तथा स्विटरजरलैंड के एस्ट्रोकास्ट के चार छोटे उपग्रह को भी उनकी कक्षाओं में स्थापित किया गया है। यह ‘इंटरनेट ऑफ थिंग्स’ (आईओटी) को समर्पित उपग्रहों के समूह का निर्माण कर रहा है। पीएसएलवी ने भारत और भूटान द्वारा संयुक्त रूप से विकसित एक उपग्रह को भी उसकी कक्षा में स्थापित किया, जो इस पड़ोसी देश को उसके प्राकृतिक संसाधनों के बेहतर प्रबंधन के लिए ‘हाई-रिजोल्यूशन’ तस्वीरें उपलब्ध करेगा।
पिक्सेल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) अवैस अहमद ने पीटीआई-भाषा को बताया, ‘‘आनंद एक हाइपरस्पेक्ट्रल माइक्रो-सैटेलाइट है जो पारंपरिक गैर-हाइपरस्पेक्ट्रल उपग्रहों की तुलना में कहीं अधिक विस्तृत रूप से पृथ्वी का अवलोकन कर सकते हैं।’’
उन्होंने कहा कि पिक्सेल के उपग्रहों से ली गई तस्वीरों का उपयोग कीटों की अधिक संख्या में मौजूदगी और तेल पाइपलाइन में रिसाव का पता लगाने में किया जा सकता है।
अहमद ने कहा,‘‘हम छह वाणिज्यिक हाइपरस्पेक्ट्रल उपग्रहों का विकास कर रहे हैं, जो अगले अगले साल प्रक्षेपित किया जाएगा।’’
ध्रुवस्पेस के सीईओ संजय नेक्कांति ने कहा, ‘‘हमारा अनुमान है कि यह संस्थानों और निगमों को इस बात को मानने के लिए प्रोत्साहित करेगा कि व्यक्तिगत रूचि वाला रेडियो उनके सर्वांगीण विकास में योगदान दे सकता है।’’
इंडियन स्पेस एसोसिएशन के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल ए.के. भट्ट ने कहा, ‘‘आज का प्रक्षेपण नयी चुनौतियां स्वीकार करने और भारतीय अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था के फलने-फूलने के संकल्प का गवाह है।’’
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02 Dec 2025 03:36 AM
PSLV C-54 mission नयी दिल्ली। देश में अंतरिक्ष क्षेत्र में सुधार के अपनी जड़ें जमाने के बीच भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का पीएसएलवी सी-54 अभियान एक नया अध्याय लिखने वाला है।
इसरो के पृथ्वी अवलोकन-06 उपग्रह के अलावा, पीएसएलवी सी-54 अभियान के जरिये बेंगलुरु आधारित पिक्सेल द्वारा निर्मित आनंद, हैदराबाद के ध्रुवस्पेस द्वारा निर्मित थाईबोल्ट 1 और 2 तथा स्विटरजरलैंड के एस्ट्रोकास्ट के चार छोटे उपग्रह को भी उनकी कक्षाओं में स्थापित किया गया है। यह ‘इंटरनेट ऑफ थिंग्स’ (आईओटी) को समर्पित उपग्रहों के समूह का निर्माण कर रहा है। पीएसएलवी ने भारत और भूटान द्वारा संयुक्त रूप से विकसित एक उपग्रह को भी उसकी कक्षा में स्थापित किया, जो इस पड़ोसी देश को उसके प्राकृतिक संसाधनों के बेहतर प्रबंधन के लिए ‘हाई-रिजोल्यूशन’ तस्वीरें उपलब्ध करेगा।
पिक्सेल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) अवैस अहमद ने पीटीआई-भाषा को बताया, ‘‘आनंद एक हाइपरस्पेक्ट्रल माइक्रो-सैटेलाइट है जो पारंपरिक गैर-हाइपरस्पेक्ट्रल उपग्रहों की तुलना में कहीं अधिक विस्तृत रूप से पृथ्वी का अवलोकन कर सकते हैं।’’
उन्होंने कहा कि पिक्सेल के उपग्रहों से ली गई तस्वीरों का उपयोग कीटों की अधिक संख्या में मौजूदगी और तेल पाइपलाइन में रिसाव का पता लगाने में किया जा सकता है।
अहमद ने कहा,‘‘हम छह वाणिज्यिक हाइपरस्पेक्ट्रल उपग्रहों का विकास कर रहे हैं, जो अगले अगले साल प्रक्षेपित किया जाएगा।’’
ध्रुवस्पेस के सीईओ संजय नेक्कांति ने कहा, ‘‘हमारा अनुमान है कि यह संस्थानों और निगमों को इस बात को मानने के लिए प्रोत्साहित करेगा कि व्यक्तिगत रूचि वाला रेडियो उनके सर्वांगीण विकास में योगदान दे सकता है।’’
इंडियन स्पेस एसोसिएशन के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल ए.के. भट्ट ने कहा, ‘‘आज का प्रक्षेपण नयी चुनौतियां स्वीकार करने और भारतीय अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था के फलने-फूलने के संकल्प का गवाह है।’’
Technology हिमालय क्षेत्र में भवनों की भूकंपरोधी क्षमता बढ़ाने की पद्धति विकसित
Technology
भारत
चेतना मंच
29 Nov 2025 11:26 AM
Technology हिमाचल प्रदेश। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मंडी के अनुसंधानकर्ताओं ने एक ऐसी पद्धति विकसित की है जो हिमालय क्षेत्र में भवनों की भूकंप रोधी क्षमता बढ़ाने में मददगार साबित होगी। हिमालय क्षेत्र भूकंप के सर्वाधिक खतरे वाले क्षेत्रों में शामिल है और समय-समय पर वहां भूकंप आते रहते हैं।
आईआईटी मंडी के स्कूल ऑफ सिविल एंड इन्वायरोन्मेंटल इंजीनियरिंग विभाग के सहायक प्राध्यापक संदीप कुमार साहा और उनके पीएचडी छात्र यति अग्रवाल के अनुसंधान के निष्कर्षों को ‘बुलेटिन ऑफ अर्थक्वेक इंजीनियरिंग’ में शामिल किया गया है।
साहा ने कहा, हमने हिमालय के भारतीय क्षेत्र में कंक्रीट के भवनों की मजबूती की जांच के लिए एक प्रभावी पद्धति विकसित की है, ताकि मरम्मत कार्य को भवनों की स्थिति के मुताबिक प्राथमिकता दी जाए और भूकंप के प्रभावों को कम किया जा सके।
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29 Nov 2025 11:26 AM
Technology हिमाचल प्रदेश। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मंडी के अनुसंधानकर्ताओं ने एक ऐसी पद्धति विकसित की है जो हिमालय क्षेत्र में भवनों की भूकंप रोधी क्षमता बढ़ाने में मददगार साबित होगी। हिमालय क्षेत्र भूकंप के सर्वाधिक खतरे वाले क्षेत्रों में शामिल है और समय-समय पर वहां भूकंप आते रहते हैं।
आईआईटी मंडी के स्कूल ऑफ सिविल एंड इन्वायरोन्मेंटल इंजीनियरिंग विभाग के सहायक प्राध्यापक संदीप कुमार साहा और उनके पीएचडी छात्र यति अग्रवाल के अनुसंधान के निष्कर्षों को ‘बुलेटिन ऑफ अर्थक्वेक इंजीनियरिंग’ में शामिल किया गया है।
साहा ने कहा, हमने हिमालय के भारतीय क्षेत्र में कंक्रीट के भवनों की मजबूती की जांच के लिए एक प्रभावी पद्धति विकसित की है, ताकि मरम्मत कार्य को भवनों की स्थिति के मुताबिक प्राथमिकता दी जाए और भूकंप के प्रभावों को कम किया जा सके।
5जी परीक्षण के लिए दूरसंचार कंपनियों को रेलवे की मंजूरी
5जी
भारत
चेतना मंच
02 Dec 2025 03:05 AM
5जी परीक्षण के लिए दूरसंचार कंपनियों को रेलवे की मंजूरी
लागू करने की अवधि का लक्ष्य नौ से 12 महीने
नयी दिल्ली। पलवल और मथुरा रेलवे स्टेशन के बीच परीक्षण के आधार पर दूरसंचार क्षेत्र के लिए उपकरण बनाने वाली कंपनियों के एक समूह को 5जी आधारित मोबाइल संचार नेटवर्क स्थापित करने के लिए भारतीय रेलवे की मंजूरी मिल गई है। वॉयस ऑफ इंडियन कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी एंटरप्राइजेज (वॉयस) के महानिदेशक आर के भटनागर ने यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि एसोसिएशन के सदस्य प्रीमियम 700 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम बैंड का इस्तेमाल करेंगे। भटनागर ने कहा, भारतीय रेलवे ने अवधारणा के प्रमाण के रूप में 700 मेगाहर्ट्ज बैंड पर भारतीय रेलवे के पलवल-मथुरा सेक्टर (82 किमी) पर 5जी आधारित मोबाइल संचार नेटवर्क स्थापित करने के लिए वॉयस से पूछा है। इसके लागू करने की अवधि का लक्ष्य नौ से 12 महीने है।
वॉयस के सदस्यों में हिमाचल फ्यूचरिस्टिक कम्युनिकेशंस लिमिटेड, दूरसंचार कंसल्टेंट्स इंडिया, सिग्नलट्रॉन, लेखा वायरलेस, कोरल टेलीकॉम, स्पर्श, एस्ट्रोम, डायोटिस जैसी कंपनियां शामिल हैं। इस सफल परीक्षण से एसोसिएशन के सदस्यों को अपने कारोबार को बढ़ाने और भारतीय रेलवे की 59,000 करोड़ रुपये की आधुनिकीकरण योजना का लाभ उठाने में मदद मिलेगी।
भारत
चेतना मंच
02 Dec 2025 03:05 AM
5जी परीक्षण के लिए दूरसंचार कंपनियों को रेलवे की मंजूरी
लागू करने की अवधि का लक्ष्य नौ से 12 महीने
नयी दिल्ली। पलवल और मथुरा रेलवे स्टेशन के बीच परीक्षण के आधार पर दूरसंचार क्षेत्र के लिए उपकरण बनाने वाली कंपनियों के एक समूह को 5जी आधारित मोबाइल संचार नेटवर्क स्थापित करने के लिए भारतीय रेलवे की मंजूरी मिल गई है। वॉयस ऑफ इंडियन कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी एंटरप्राइजेज (वॉयस) के महानिदेशक आर के भटनागर ने यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि एसोसिएशन के सदस्य प्रीमियम 700 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम बैंड का इस्तेमाल करेंगे। भटनागर ने कहा, भारतीय रेलवे ने अवधारणा के प्रमाण के रूप में 700 मेगाहर्ट्ज बैंड पर भारतीय रेलवे के पलवल-मथुरा सेक्टर (82 किमी) पर 5जी आधारित मोबाइल संचार नेटवर्क स्थापित करने के लिए वॉयस से पूछा है। इसके लागू करने की अवधि का लक्ष्य नौ से 12 महीने है।
वॉयस के सदस्यों में हिमाचल फ्यूचरिस्टिक कम्युनिकेशंस लिमिटेड, दूरसंचार कंसल्टेंट्स इंडिया, सिग्नलट्रॉन, लेखा वायरलेस, कोरल टेलीकॉम, स्पर्श, एस्ट्रोम, डायोटिस जैसी कंपनियां शामिल हैं। इस सफल परीक्षण से एसोसिएशन के सदस्यों को अपने कारोबार को बढ़ाने और भारतीय रेलवे की 59,000 करोड़ रुपये की आधुनिकीकरण योजना का लाभ उठाने में मदद मिलेगी।