Thursday, 26 December 2024

अजीबो गरीब कानून है यहां, मुर्दों के साथ रेप करने वालों को भारत में नहीं मिलती है सजा

नई दिल्ली। भारत में हर रूप में नारियों की पूजा होती है, लेकिन अगर अपने देश में शवों के साथ…

अजीबो गरीब कानून है यहां, मुर्दों के साथ रेप करने वालों को भारत में नहीं मिलती है सजा

नई दिल्ली। भारत में हर रूप में नारियों की पूजा होती है, लेकिन अगर अपने देश में शवों के साथ सेक्स की वारदातें हों तो आप क्या कहेंगे। सच में ऐसी घटनाएं समूचे मानव समाज को झकझोर देने वाली होती हैं। लेकिन, आपको जानकर हैरानी होगी कि भारत में मुर्दों के साथ सेक्स के लिए सजा का कोई प्राविधान नहीं है। अदालतें भी मान चुकी हैं कि यह कृत्य पागलपन, क्रूरतम और हैरान करने करने वाली हैं, फिर भी इसे बलात्कार नहीं कह सकते हैं, इसलिए कि इस काम में विरोध शामिल नहीं है। हालांकि अदालतों और कानून विशेषज्ञों ने सरकार को इस बाबत कानून बनाने की सलाह दी है।

Dead Woman Raped

कर्नाटक की घटना के बाद होने लगी कानून बनाने की वकालत

साल 2015 में कर्नाटक के तुमकुरु जिले में एक महिला की हत्या के बाद उसके साथ रेप के मामले की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने आरोपी को हत्या के मामले में तो दोषी करार दिया, लेकिन रेप के मामले में बरी कर दिया। हाईकोर्ट ने कहा कि भारत में मुर्दों के साथ रेप करने पर सजा का कोई कानून नहीं है। हालांकि कोर्ट ने केंद्र सरकार को इस पर कानून बनाने के लिए कहा है। हाईकोर्ट की दलील है कि शव न तो बोल सकता है और न ही विरोध कर सकता है। इसलिए यह जिंदा व्यक्ति की जिम्मेदारी है कि वह उसके लिए आवाज उठाए। अदालत ने कहा कि कई बार सुनने में आया है कि सरकारी और निजी अस्पतालों में शवों की सुरक्षा में तैनात गार्ड जवान महिलाओं के शव के साथ रेप करते हैं। इसलिए केंद्र सरकार को धारा-377 में संशोधन करके नेक्रोफिलिया पर कानून बनाना चाहिए।

बलात्कार नहीं है नेक्रोफिलिया

मुर्दों के साथ सेक्स को बलात्कार नहीं माना गया है। इस जघन्य अपराध के लिए भारत में सजा का कोई प्राविधान नहीं है। दरअसल, मृत महिलाओं और लड़कियों के साथ सेक्स को नेक्रोफिलिया कहा जाता है। यह अक्सर लाशों के लिए एक यौन आकर्षण का कारण बनती है। नेक्रोफिलिया को नेक्रोफिलिज्म, नेक्रोलैग्निया, नेक्रोकाइटिस, नेक्रोकलेसिस और थैनाटोफिलिया के रूप में भी जाना जाता है। यह यौन आकर्षण है या एक यौन क्रिया है, जिसमें लाशें शामिल होती हैं। कर्नाटक हाईकोर्ट ने रेप और नेक्रोफिलिया में अंतर को स्पष्ट किया है। उसका कहना है कि रेप जीवित व्यक्ति के साथ हो सकता है, शव के साथ नहीं। जीवित व्यक्ति के अंदर भावना होती है, मृतकों में नहीं। इस कारण मरे हुए व्यक्ति के साथ रेप करने को नेक्रोफिलिया कहते हैं।

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नेक्रोफिलिया का इतिहास

नेक्रोफिलिया का कोई स्पष्ट ​इतिहास नहीं है। माना जाता है कि प्राचीन दुनिया में, लाशों को अपने देश वापस लाने वाले नाविकों पर अक्सर नेक्रोफिलिया का आरोप लगाया जाता था। लेकिन, नेक्रोफिलिया बीमारी का पहला मामला 1948 में अमेरिका के कैलिफोर्नियां में मिला था। इसका मरीज करीब 50 महिलाओं की हत्या कर उनके शव के साथ यौन संबंध बना चुका था।

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नेक्रोफिलिया के मायने

नेक्रोफिलिया शब्द ग्रीक भाषा से लिया गया है। इसमें नेक्रो का मतलब है शव और फिलिया का मतलब है प्यार। इस प्रकार ग्रीक भाषा में नेक्रोफीलिया का अर्थ होता है मृत लोगों के साथ यौन संबंध बनाकर सुख लेना। नेक्रोफिलिया दरअसल एक घिनौना मनोविकार यानी मेंटल डिसऑर्डर है। इस विकार से ग्रस्त व्यक्ति मृत लोगों के शवों के साथ यौन संबंध बनाकर सुख प्राप्त करता है।

10 लाख लोगों में एक होता है इस बीमारी से पीड़ित

हम यह जान चुके हैं कि नेक्रोफिलिया एक मानसिक बीमारी है। किसी शव के साथ सेक्स करने की इच्छा को शव कामुकता या नेक्रोफिलिया कहते हैं। इस बीमारी से पीड़ितों का कोई आधिकारिक आंकड़ा उपलब्ध नहीं है, लेकिन एक अनुमान के मुताबिक प्रति 10 लाख लोगों में कोई एक इस बीमारी से पीड़ित होता है। साल 1989 में रोसमैन और रेसनिक ने नेक्रोफिलिया के 122 मामलों की समीक्षा की। नमूना वास्तविक नेक्रोफिलियाक्स में विभाजित किया गया था, जिनकी लाशों और छद्म नेक्रोफिल्क्स के लिए एक निरंतर आकर्षण था, इनमें 92% पुरुष और 8% महिलाएं थीं। 57% वास्तविक नेक्रोफिलिया में लाशों तक व्यावसायिक पहुंच थी, क्योंकि उनकी, मुर्दाघर परिचारक, अस्पताल अर्दली और कब्रिस्तान कर्मचारियों के लिए सबसे आम नौकरियां थीं।

क्या कहते हैं नेक्रोफिलिया के अध्ययन

अध्ययन के मुताबिक शव प्रेमी कई कारणों से लाश के साथ सेक्स करते हैं। इस बीमारी से पीड़ित को नेक्रोफिलियाक्स कहते हैं। मरीज के लिए सबसे आम मकसद एक ऐसे साथी पर कब्ज़ा है, जो उनका विरोध या अस्वीकार करने में असमर्थ है। हालांकि, अध्ययन में नेक्रोफिलियाक्स ने एक से अधिक उद्देश्यों को व्यक्त किया है। इनमें- 68% गैर-विरोध और गैर-अस्वीकार करने वाले साथी की इच्छा से प्रेरित थे। 21% एक खोए हुए साथी के साथ पुनर्मिलन की इच्छा से प्रेरित थे। 15% लोग मृत लोगों के प्रति यौन आकर्षण से प्रेरित थे। 15% आराम की इच्छा या अलगाव की भावनाओं को दूर करने के लिए प्रेरित थे और 12% एक लाश पर शक्ति व्यक्त करके कम आत्मसम्मान को मापने की इच्छा से प्रेरित थे। इस अध्ययन को Bulletin of the American Academy of Psychiatry and the Law में प्रकाशित किया गया था।

दिल को दहला देने वाले नेक्रोफीलिया के मामले

दुनिया का शायद ही कोई ऐसा देश हो, जहां नेक्रोफिलिया की वारदातें न हुई हों। लेकिन, सबसे जघन्य मामला ब्रिटेन में सामने आया था। मामला साल 1987 का है। इंग्लैंड के केंट एंड सेसेक्स हॉस्पिटल में इलेक्ट्रीशियन के पद पर कार्यरत 67 साल के डेविड ने दो महिलाओं की हत्या कर उनके शवों के साथ रेप किया था। पकड़े जाने के बाद उसने जो कहानी बताई, उसे सुनकर सिर्फ इंग्लैंड ही नहीं, पूरी दुनिया ही हिल गई। डेविड ने स्वीकार किया कि अस्पताल में 99 मृत महिलाओं के साथ यौन संबंध बनाए। इतना ही नहीं, उसके घर की तलाशी के दौरान पुलिस को सेक्सुअल एब्यूज की 40 लाख से अधिक तस्वीरें मिली थीं।

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पाकिस्तान की प्रेम कहानी

बात 80 के दशक की है। एक युवक एक युवती से प्रेम करता था। उससे निकाह करना चाहता था। लेकिन, युवती की शादी कहीं और हो गई। दुर्भाग्य से शादी के कुछ ही दिन बाद युवती की मौत हो गई। उसे कब्रिस्तान में दफना दिया गया। दो दिन बाद कब्र से लाश गायब मिली। तब इस मामले की जांच हुई और पता चला कि प्रेमी ने ही मृत प्रेमिका के साथ यौन संबंध बनाए थे।

डरावनी घटना

पाकिस्तान में अब तक का सबसे डरावना नेक्रोफीलिया का मामला 2011 में सामने आया था। कराची के उत्तरी नजीमाबाद के मुहम्मद रिजवान नाम के एक शख्स ने 48 लाशों के साथ रेप किया था। इस बात का खुलासा तब हुआ, जब रिजवान एक लाश को कब्र से खींच कर भागते हुए पकड़ा गया था। रिजवान उस कब्रिस्तान में कब्र खोदने का काम करता था।

भारत भी पीछे नहीं, नोएडा में भी हो चुकी हैं घटनाएं

भारत में नेक्रोफिलिया की घटनाएं साल में एक या दो होती हैं। साल 2015 में कर्नाटक के तुमकुरु जिले में नेक्रोफिलिया के मामले की चर्चा हम कर चुके हैं। यूपी के शोविंडो कहे जाने वाले नोएडा, गाजियाबाद और हापुड़ जिले में भी इस तरह के मामले सामने आ चुके हैं। साल 2006 में नोएडा का निठारी कांड पूरी दुनिया में मशहूर हो गया था। यहां सेक्टर-31 के डी-5 कोठी में रहने वाले मनिंदर सिंह पंधेर और सुरेंद्र कोली ने 19 लड़कियों और महिलाओं की हत्या कर शवों के साथ रेप करने की बात स्वीकार की थी।

साल 2019 में हापुड़ जिले के हाफिजपुर थाना के गिरधरपुर-तुमरैल गांव की एक 50 वर्षीय महिला की बीमारी से मौत हो गई थी। उसका शव गांव में ही पीर की मजार के पास कब्रिस्तान में दफनाया गया। दो दिन बाद कब्र से महिला का शव गायब था। तलाश करने पर शव कब्र से कुछ दूर गन्ने के खेत में मिला। तब भी यही कहा जा रहा था कि महिला के साथ रेप किया गया है।

इसके अलावा अक्टूबर 2015 में गाजियाबाद में तीन लोगों ने 26 साल की महिला की कब्र खोदकर लाश निकाली और सामूहिक बलात्कार किया था।

अगस्त 2022 में असम के उदलगुरी जिले में 23 साल के युवक ने नदी में नहा रही महिला को खींचकर उसकी हत्या कर दी थी। उसके बाद रेप किया था।

जून 2020 में लॉकडाउन के दौरान 32 साल के दुकानदार की महिला के साथ बहस हो गई थी। इसके बाद उसने गला रेतकर हत्या दी थी। फिर उसका रेप किया था।

कब्रों में लगने लगे ताले

पिछले कुछ वर्षों में नेक्रोफिलिया के तमाम मामले आने के बाद कबिस्तान में शवों की सुरक्षा को लेकर चिंता जताई जा रही है। कब्रों से शवों को निकालकर उसके साथ रेप की वारदातों से चिंतित लोगों ने युवतियों और महिलाओं के कब्रों पर लोहे की जाली लगाकर उसमें ताले लगाने शुरू कर दिए हैं। इस तरह की व्यवस्था पाकिस्तान के साथ ही भारत के हैदराबाद में भी की जा रही है, ताकि मरने के बाद मृत शरीर की दुर्गति ना हो सके।

क्या संभव है इलाज

इस बीमारी के उपचार के लिए बीमारी के ग्रसित व्यक्ति को ऐसे ही ट्रीट किया जाता है, जैसे सभी मानसिक बीमारी वाले लोगों को। अभी तक यह मानसिक बीमारी ज्यादा लोगों में नहीं पाई गई है, इसलिए इसका कोई प्रभावी उपचार सामने नहीं आया है। हालांकि, उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर चिकित्सकों को यह सुझाव दिया जाता है :

यह निर्धारित करें कि मरीज में नेक्रोफिलिया है या नहीं।
मनोचिकित्सात्मक संबंध स्थापित करें।
रोगियों को एक सामान्य यौन संबंध खोजने में मदद करें।
जीवित वस्तु के माध्यम से नेक्रोफिलिक कल्पनाओं को मोड़ने में मदद करें।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा ऑर्गनाइज़ेशन इंटरनेशनल क्लासिफिकेशन ऑफ़ डिसीज़ (ICD) डायग्नोस्टिक मैनुअल के साथ-साथ अमेरिकन साइकिएट्रिक एसोसिएशन द्वारा अपने डायग्नोस्टिक एंड स्टैटिस्टिकल मैनुअल (DSM) में पैराफिलिया के रूप में वर्गीकृत किया गया है। नेक्रोफिलिया को अक्सर दुर्लभ माना जाता है, लेकिन सामान्य आबादी में इसकी व्यापकता के लिए कोई डेटा मौजूद नहीं है। कुछ नेक्रोफिलिया रोगी केवल कल्पना करते हैं।

नेक्रोफिलिया को अपराध घोषित करने वाले देश

ब्रिटेन : यूनाइटेड किंगडम में यौन अपराध अधिनियम, 2003 की धारा 70 के तहत जानबूझकर या लापरवाही से शव के साथ संबंध बनाने पर आरोपी को 6 महीने से लेकर 2 साल तक की सजा का प्रावधान है।

कनाडा : कनाडा की आपराधिक संहिता, 1985 की धारा 182 नेक्रोफिलिया को दंडनीय बनाती है। कनाडा में पांच साल तक की सजा का प्रावधान है।

दक्षिण अफ्रीका : आपराधिक कानून (यौन अपराध और संबंधित मामले) संशोधन अधिनियम, 2007 की धारा 14 नेक्रोफीलिया पर रोक लगाती है।

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