मुंबई नगर निगम चुनाव में आप पार्टी का बड़ा ऐलान

आप पार्टी ने हाल ही में महाराष्ट्र के स्थानीय निकाय चुनावों में अपनी पहली बड़ी जीत दर्ज की है। यह जीत पार्टी के लिए अहम मानी जा रही है, क्योंकि इसे मुंबई में अपनी राजनीतिक जमीन को मजबूत करने के संकेत के रूप में देखा जा रहा है।

BMC elections Mumbai Aam Aadmi Party
BMC चुनाव मुंबई आप पार्टी (फाइल फोटो)
locationभारत
userऋषि तिवारी
calendar23 Dec 2025 04:14 PM
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आप पार्टी ने 2026 के बृहन्मुंबई महानगरपालिका (BMC) चुनाव में पूरी ताकत से उतरने का ऐलान किया है। पार्टी ने 227 उम्मीदवारों को मैदान में उतारने और अपने शीर्ष नेताओं को प्रचार में उतारने की घोषणा की है। इस चुनाव में पार्टी संयोजक अरविंद केजरीवाल खुद प्रचार करेंगे और मुंबई में अपनी राजनीतिक उपस्थिति को और मजबूत करने की कोशिश करेंगे।

महाराष्ट्र के स्थानीय निकाय चुनाव में मिली पहली जीत

बता दें कि आप पार्टी ने हाल ही में महाराष्ट्र के स्थानीय निकाय चुनावों में अपनी पहली बड़ी जीत दर्ज की है। यह जीत पार्टी के लिए अहम मानी जा रही है, क्योंकि इसे मुंबई में अपनी राजनीतिक जमीन को मजबूत करने के संकेत के रूप में देखा जा रहा है। पार्टी ने यह जीत अहिल्यानगर जिले की नेवासा नगर पंचायत के वार्ड नंबर 2 में हासिल की, जहां शालिनी ताई ने विजय प्राप्त की। इस सफलता को पार्टी ने अपने कार्यकर्ताओं और नेताओं की मेहनत का नतीजा बताया है और इसे बीएमसी चुनाव में आत्मविश्वास बढ़ाने वाला कदम माना जा रहा है।

स्टार प्रचारकों की लिस्ट

BMC चुनाव 2026 के लिए आम आदमी पार्टी ने अपनी स्टार प्रचारकों की सूची भी जारी कर दी है। इस सूची में पार्टी के प्रमुख नेता शामिल हैं, जिनका उद्देश्य शहरी मतदाताओं तक पहुंच बनाना है। स्टार प्रचारकों में शामिल हैं जो कि अरविंद केजरीवाल (AAP संयोजक), मनीष सिसोदिया (दिल्ली के उपमुख्यमंत्री), भगवंत मान (पंजाब के मुख्यमंत्री), संजय सिंह, सत्येंद्र जैन, आतिशी, सौरभ भारद्वाज जैसे प्रमुख नेता होगे। इनके अलावा पंकज कुमार गुप्ता, दुर्गेश पाठक, इमरान हुसैन, प्रिटी शर्मा मेनन, किशोर मंध्यान, और अन्य नेताओं को भी प्रचार की जिम्मेदारी दी गई है।

चुनाव की रणनीति

आप पार्टी BMC चुनाव को शहरी शासन मॉडल, पारदर्शिता, और स्थानीय मुद्दों पर अपनी धारणा स्थापित करने का बड़ा अवसर मान रही है। पार्टी ने यह रणनीति बनाई है कि 227 उम्मीदवारों और मजबूत स्टार प्रचारक टीम के माध्यम से चुनावी मैदान में मजबूत चुनौती पेश की जाए।

चुनाव की तारीखें

  • मतदान: 15 जनवरी 2026
  • मतगणना: 16 जनवरी 2026

आप पार्टी ने अपने प्रचार अभियान की तैयारियां शुरू कर दी हैं और पार्टी के नेताओं का कहना है कि पार्टी को इस चुनाव में बड़े बदलाव की उम्मीद है। पार्टी का उद्देश्य पारदर्शिता, बेहतर शहरी प्रशासन और आम जनता के मुद्दों को प्रमुखता देना है, जो मुंबई के मतदाताओं को आकर्षित कर सके।

आप पार्टी की जमीनी सफलता

महाराष्ट्र के स्थानीय निकाय चुनावों में मिली सफलता AAP के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ है। पार्टी के नेताओं का मानना है कि इस जीत के बाद पार्टी की राजनीतिक स्थिति मजबूत हुई है और बीएमसी चुनाव में भी इसे निर्णायक लाभ मिलेगा। पार्टी ने स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं की भूमिका को भी इस सफलता का मुख्य कारण बताया है, और अब यह आत्मविश्वास लेकर बीएमसी चुनाव में उतरने की तैयारी में है।

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बॉन्ड बंद, चंदा चालू: एक साल में राजनीतिक फंडिंग तीन गुना कैसे बढ़ी?

वित्त वर्ष 2024–25 में 9 इलेक्टोरल ट्रस्ट ने विभिन्न राजनीतिक दलों को कुल ₹3,811 करोड़ का चंदा दिया। इसकी तुलना में 2023–24 में यह राशि ₹1,218 करोड़ थी। यानी महज एक साल में राजनीतिक फंडिंग में रिकॉर्ड उछाल दर्ज हुआ।

एक साल में तीन गुना बढ़ा चंदा
एक साल में तीन गुना बढ़ा चंदा
locationभारत
userअभिजीत यादव
calendar23 Dec 2025 07:57 PM
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Political Party Donations : इलेक्टोरल बॉन्ड योजना को सुप्रीम कोर्ट द्वारा असंवैधानिक घोषित किए जाने के ठीक एक साल के भीतर देश की राजनीतिक फंडिंग की तस्वीर पूरी तरह बदलती नजर आ रही है। बॉन्ड सिस्टम के हटते ही कॉरपोरेट समर्थित इलेक्टोरल ट्रस्ट राजनीतिक दलों के लिए धन जुटाने का सबसे बड़ा माध्यम बनकर उभरे हैं। नतीजा पहले ही वित्तीय वर्ष में चंदे की रकम तीन गुना से ज्यादा उछल गई। वित्त वर्ष 2024–25 में 9 इलेक्टोरल ट्रस्ट ने विभिन्न राजनीतिक दलों को कुल ₹3,811 करोड़ का चंदा दिया। इसकी तुलना में 2023–24 में यह राशि ₹1,218 करोड़ थी। यानी महज एक साल में राजनीतिक फंडिंग में रिकॉर्ड उछाल दर्ज हुआ।

सत्तारूढ़ दल भाजपा को सबसे बड़ा लाभ

योगदान विवरणों के मुताबिक इस रकम का सबसे बड़ा हिस्सा सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी को मिला। भाजपा को ₹3,112 करोड़ प्राप्त हुए, जो कुल चंदे का लगभग 82 प्रतिशत है। वहीं कांग्रेस को करीब ₹299 करोड़ यानी लगभग 8 प्रतिशत राशि मिली। शेष सभी दलों को मिलाकर कुल चंदे का करीब 10 प्रतिशत (लगभग ₹400 करोड़) ही मिल सका।

कितने इलेक्टोरल ट्रस्ट सक्रिय?

रिपोर्ट के अनुसार देश में इस समय 19 इलेक्टोरल ट्रस्ट पंजीकृत हैं। हालांकि 20 दिसंबर तक केवल 13 ट्रस्टों के योगदान विवरण चुनाव आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध थे। इनमें से 9 ट्रस्टों ने दान की जानकारी दी, जबकि जनहित, परिवर्तन, जय हिंद और जय भारत—इन चार ट्रस्टों ने 2024–25 में कोई चंदा नहीं दिया।

सबसे बड़ा दानदाता कौन?

इस साल प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट भाजपा का सबसे बड़ा दानदाता बनकर सामने आया। ट्रस्ट ने भाजपा को ₹2,180.07 करोड़ का चंदा दिया। प्रूडेंट ट्रस्ट को जिंदल स्टील एंड पावर, मेघा इंजीनियरिंग, भारती एयरटेल, ऑरोबिंदो फार्मा और टोरेंट फार्मास्युटिकल्स जैसी दिग्गज कंपनियों से फंड मिला। हालांकि ट्रस्ट ने कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और तेलुगु देशम पार्टी को भी दान दिया, लेकिन कुल राशि का करीब 82 प्रतिशत हिस्सा भाजपा को गया।

अन्य ट्रस्टों का ब्योरा

  1. प्रोग्रेसिव इलेक्टोरल ट्रस्ट ने ₹917 करोड़ जुटाए और इसमें से ₹914.97 करोड़ राजनीतिक दलों को दिए। इसका 80.82 प्रतिशत हिस्सा भाजपा को मिला। इस ट्रस्ट के प्रमुख दानदाता टाटा समूह की कंपनियां रहीं।
  2. जनप्रगति इलेक्टोरल ट्रस्ट को KEC इंटरनेशनल लिमिटेड से ₹1.02 करोड़ मिले, जिनमें से ₹1 करोड़ शिवसेना (यूबीटी) को दिए गए।
  3. हार्मनी इलेक्टोरल ट्रस्ट को ₹35.65 करोड़ का चंदा मिला, जिसमें से ₹30.15 करोड़ भाजपा को दिए गए।
  4. न्यू डेमोक्रेटिक इलेक्टोरल ट्रस्ट को महिंद्रा समूह की कंपनियों से ₹160 करोड़ मिले, जिनमें से ₹150 करोड़ भाजपा को दान किए गए।
  5. ट्रायम्फ इलेक्टोरल ट्रस्ट ने ₹25 करोड़ में से ₹21 करोड़ भाजपा को दिए।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले का असर

गौरतलब है कि 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड योजना को असंवैधानिक करार देकर समाप्त कर दिया था। इसके बाद कंपनियां और व्यक्ति अब चेक, डिमांड ड्राफ्ट, यूपीआई या बैंक ट्रांसफर के जरिए राजनीतिक दलों को चंदा दे सकते हैं, जिसकी पूरी जानकारी चुनाव आयोग को देना अनिवार्य है। Political Party Donations

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मक्का की खेती: किसानों के लिए टिकाऊ और लाभकारी विकल्प

भारत में बदलते मौसम और घटते जल संसाधनों के बीच मक्का (कॉर्न) किसानों के लिए एक लाभकारी विकल्प के रूप में उभर रही है। मक्का को ‘अनाज की रानी’ भी कहा जाता है क्योंकि अन्य फसलों की तुलना में इसकी पैदावार अधिक होती है और यह अनाज व चारे—दोनों के रूप में उपयोग की जाती है।

Corn cultivation
मक्का की खेती (फाइल फोटो)
locationभारत
userऋषि तिवारी
calendar22 Dec 2025 04:42 PM
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बता दें कि कृषि विशेषज्ञों के अनुसार मक्का की फसल केवल तीन महीनों में तैयार हो जाती है, जबकि धान को पकने में लगभग 145 दिन लगते हैं। यही नहीं, मक्का धान की तुलना में लगभग 90 प्रतिशत कम पानी और 79 प्रतिशत तक मिट्टी की उपजाऊ शक्ति को बचाए रखती है। वाइस चांसलर के अनुसार, मक्का की खेती से किसान अपनी खराब और कम उपजाऊ जमीन को भी संरक्षित कर सकते हैं।

बहुउपयोगी फसल

मक्का से स्टार्च, कॉर्न फ्लैक्स, ग्लूकोज, तेल और शराब जैसे कई औद्योगिक उत्पाद बनाए जाते हैं। इसके अलावा यह पोल्ट्री और पशु आहार के रूप में भी व्यापक रूप से प्रयोग की जाती है। यही कारण है कि गेहूं और धान की तुलना में मक्का किसानों को अधिक आर्थिक लाभ देती है।

देश के प्रमुख मक्का उत्पादक राज्य

उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, बिहार, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और पंजाब मक्का उत्पादन में अग्रणी हैं। दक्षिण भारत में आंध्र प्रदेश और कर्नाटक प्रमुख उत्पादक राज्य हैं।

मिट्टी और जलवायु की अनुकूलता

मक्का लगभग हर प्रकार की मिट्टी में उगाई जा सकती है, बशर्ते जल निकास अच्छा हो। मैरा और लाल मिट्टी जिसमें नाइट्रोजन की उचित मात्रा हो, मक्का के लिए उपयुक्त मानी जाती है। अधिक पैदावार के लिए मिट्टी का पीएच मान 5.5 से 7.5 के बीच होना चाहिए। विशेषज्ञ मिट्टी की जांच कराने की भी सलाह देते हैं।

उन्नत किस्में दे रही हैं बेहतर पैदावार

पंजाब और अन्य राज्यों के लिए कई उन्नत किस्में विकसित की गई हैं, जिनमें प्रभात, केसरी, PMH-2, JH-3459, प्रकाश, मेघा, पंजाब साथी-1, पर्ल पॉपकॉर्न और पंजाब स्वीट कॉर्न प्रमुख हैं। इसके अलावा पंजाब कृषि विश्वविद्यालय, हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय और अन्य अनुसंधान संस्थानों द्वारा विकसित हाइब्रिड किस्में जैसे JH-10655, HQPM-1 और FH-3211 भी किसानों में लोकप्रिय हो रही हैं।

खेत की तैयारी और बीज दर

विशेषज्ञों के अनुसार मक्का की खेती के लिए खेत को खरपतवार और पिछली फसल के अवशेषों से मुक्त रखना चाहिए। 6–7 बार जुताई कर मिट्टी को भुरभुरा बनाएं और प्रति एकड़ 4–6 टन गोबर की खाद डालें।

फसल के उद्देश्य के अनुसार बीज की मात्रा तय की जाती है—

  • खरीफ मक्का: 8–10 किलो प्रति एकड़
  • स्वीट कॉर्न: 8 किलो
  • बेबी कॉर्न: 16 किलो
  • पॉप कॉर्न: 7 किलो
  • चारा मक्का: 20 किलो प्रति एकड़

मिश्रित खेती और बीज उपचार

मक्का के साथ मटर या गन्ने की मिश्रित खेती कर किसान अतिरिक्त आय प्राप्त कर सकते हैं। फसल को रोगों से बचाने के लिए बीज उपचार आवश्यक है। कार्बेन्डाजिम या थीरम से उपचार के बाद अज़ोस्पिरिलम का प्रयोग मिट्टी में नाइट्रोजन बनाए रखने में सहायक होता है।

किसानों के लिए बेहतर विकल्प

विशेषज्ञों का मानना है कि जल संकट और मिट्टी की गिरती उर्वरता के दौर में मक्का किसानों के लिए एक टिकाऊ और लाभकारी फसल साबित हो सकती है। कम लागत, कम पानी और बहुउपयोगी होने के कारण आने वाले समय में मक्का की खेती का दायरा और बढ़ने की संभावना है।

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