कमाल की खबर : पढ़कर रोंगटे खड़े हो जाएंगे आपके भी, एक घर में घुसा बाघ, किन्तु नहीं कर पाया कुछ भी

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You will get goosebumps after reading, a tiger entered a house, but could not do anything
locationभारत
userचेतना मंच
calendar21 May 2023 09:55 PM
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पटना। जाको राखे साइयां मार सके न कोय। यह कहावत तो आपने सुनी ही होगी। यह कहावत बिहार के बेतिया जिले के गौनाह प्रखंड के रूपवलिया गांव में चरितार्थ हुई। यहां वाल्मीकि टाइगर रिजर्व से भटककर टाइगर रूपवलिया गांव पहुंच गया और कमलेश उरांव के घर में घुस गया। घर में सो रही कमलेश की पत्नी और बच्चों पर हमला किया, लेकिन वह शिकार नहीं कर सका। बाद में ग्रामीणों की जानकारी पर पहुंची वन विभाग की टीम ने बाघ को पकड़कर पटना के चिड़ियाघर में भेज दिया। वहां जांच के बाद पता चला कि मोतियांबिंद के कारण टाइगर कुछ देख नहीं सका, जिससे किसी को नुकसान नहीं हुआ।

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गांव से एक किलोमीटर दूर है वाल्मीकि टाइगर रिजर्व रूपवलिया गांव से सिर्फ एक किलोमीटर की दूर पर ही वा​ल्मीकि टाइगर रिजर्व है। एक टाइगर रास्ता भटककर रूपवलिया गांव में कमलेश के घर में घुस गया। वहां कमलेश की पत्नी और बच्चे घर में सो रहे थे। बाघ ने कमलेश की पत्नी पर हमला कर दिया। टाइगर ने जैसे ही अटैक किया, चीख-पुकार मच गई। सभी जान-बचाकर भागने लगे। इस हमले में कमलेश की पत्नी बाल-बाल बच गईं। कारण था कि टाइगर को कुछ साफ दिखाई नहीं दिया, जिससे उसका निशाना चूक गया। वन विभाग की टीम ने महिला और तीन बच्चों को बचाया शोर सुनकर कमलेश के घर के बाहर गांव वालों का जमघट लग गया। उन्होंने वन विभाग को मामले की जानकारी दी। मौके पर पहुंची टीम ने कमलेश के घर के चारो ओर जाल बिछाया और टाइगर को पकड़कर पटना के चिड़ियाघर भेज दिया। वन विभाग की टीम में शामिल एक अधिकारी ने बताया कि ट्रंक्यूलाजर लगाकर टाइगर को पकड़ा गया। उन्होंने बताया कि जिस समय उसे पकड़ा गया, उसी समय उन्हें कुछ शक हुआ। लेकिन, बिना जांच के वह कुछ भी कहने की स्थिति में नहीं थे। उन्होंंने बताया कि अगर बाघ नेचुरल लिविंग के लिए ठीक होगा तो उसे जंगल में छोड़ दिया जाएगा।

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मेडिकल जांच ने चौंकाया पटना में हुई मेडिकल जांच में पता चला कि टाइगर को मोतियाबिंद है। अंधेपन की वजह से वह अपने शिकार पर सटीक हमला नहीं कर सका, जिससे कमलेश की पत्नी और बच्चों की जान बच सकी। मुख्य वन संरक्षक के. नेशमनी ने बताया कि टाइगर को मोतियाबिंद के इलाज के लिए राजगीर भेजा जा रहा है। देश विदेशकी खबरों से अपडेट रहने लिएचेतना मंचके साथ जुड़े रहें। देशदुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमेंफेसबुकपर लाइक करें याट्विटरपर फॉलो करें।
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लावारिस लाशों की मसीहा: इंदौर की महिला कर रही अनजान लोगों का अंतिम संस्कार

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Dr. Bhagyashree Khadkhadia
locationभारत
userचेतना मंच
calendar14 May 2023 05:50 PM
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MP News / इंदौर। वक्त की तमाम करवटों के बावजूद देश के श्मशानों में महिलाओं द्वारा शवों के अंतिम संस्कार के दृश्य कम ही सामने आते हैं, लेकिन इंदौर की डॉ. भाग्यश्री खड़खड़िया आधी आबादी के उन चेहरों में शामिल हैं जो इस परिपाटी को बदल रहे हैं। 32 साल की महिला को लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार पूरे धार्मिक रीति-रिवाज से करते देखा जा सकता है।

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खड़खड़िया ने रविवार को बताया कि हत्याकांड या हादसे में मारे गए लोगों की शिनाख्त नहीं हो पाने से अंतिम संस्कार के लिए उनके परिवार के लोग नहीं मिल पाते। मैं ऐसे लोगों और निराश्रित बुजुर्गों का अंतिम संस्कार करती हूं। इन शवों के बारे में मुझे पुलिस और अस्पतालों से सूचना मिलती है।

उन्होंने बताया कि वह पांच साल से ज्यादा वक्त से ऐसे लोगों का भी अंतिम संस्कार कर रही हैं जिनके परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर होती है या किन्हीं कारणों से उनके परिजन उनकी अंत्येष्टि करना नहीं चाहते।

श्मशान मेरे लिए पवित्र स्थान: भाग्यश्री

भाग्यश्री खड़खड़िया ने कहा कि श्मशान मेरे लिए एक पवित्र स्थान है जहां से हमें मोक्ष का मार्ग मिलता है। यह वह जगह कतई नहीं है जहां महिलाओं का आना वर्जित हो। उन्होंने बताया कि उन्हें लावारिस शवों के अंतिम संस्कार की प्रेरणा इंदौर के फादर टेरेसा के नाम से मशहूर समाजसेवी अमरजीत सिंह सूदन से मिली। कई लावारिस शवों का अंतिम संस्कार कर चुके सूदन का वर्ष 2020 में निधन हो गया था। खड़खड़िया ने बताया कि मैं लावारिस शवों के अंतिम संस्कार में सूदन की मदद करती थी।

उन्होंने कहा कि शवों के अंतिम संस्कार के वक्त उनके सामने ऐसे पल भी आते हैं जो उनके लिए भावनात्मक रूप से चुनौतीपूर्ण होते हैं।

खड़खड़िया याद करती हैं, ‘‘एक बार मैंने शहर के शासकीय महाराजा यशवंतराव चिकित्सालय के परिसर में मिले ऐसे निराश्रित बुजुर्ग को बचाया था जिनका एक हाथ टूटा हुआ था और उनके शरीर में कीड़े लग चुके थे। मैंने उनके शरीर के कीड़े साफ करके उनका इलाज कराया और उन्हें एक आश्रम में रखा था, लेकिन कुछ ही दिन बाद उनकी मौत हो गई।’’ उन्होंने बताया कि निराश्रित बुजुर्ग के अंतिम संस्कार के वक्त वह भावुक हो गई थीं।

MP News - श्मशान में पड़ी अस्थियों का विसर्जन

खड़खड़िया ने कहा कि शहर में वर्ष 2021 के दौरान कोविड-19 के घातक प्रकोप के कारण श्मशानों में लगातार चिताएं जल रही थीं और इस महामारी की दहशत का आलम यह था कि लोग अंतिम संस्कार के बाद अपने परिजनों की अस्थियां लेने नहीं आ रहे थे। उन्होंने बताया, ‘‘मैंने शहर के एक श्मशान के कोने में पड़ीं अस्थियों को बोरों में भरा और विधि-विधान से इनका विसर्जन किया।’’

खड़खड़िया के मुताबिक उन्होंने पुरातत्व शास्त्र में डॉक्टरेट की उपाधि हासिल की है। उनके पति नवीन खड़खड़िया रेलवे में काम करते हैं। इस दम्पति का चार साल का बेटा है। खड़खड़िया के पति ने कहा, ‘‘मेरी पत्नी पुण्य का काम कर रही हैं और मुझे उन पर गर्व है।’’

उन्होंने कहा कि लावारिस लाशों के अंतिम संस्कार में वह अपनी पत्नी की आर्थिक मदद करते हैं और वक्त मिलने पर उसके साथ श्मशान जाकर उसका हाथ भी बंटाते हैं। MP News

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वफादार कुत्ते की कहानी: मालिक फंदे से झूल गया तो रोया, बचाने की कोशिश करता रहा और चल बसा

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UP News
locationभारत
userचेतना मंच
calendar02 Dec 2025 01:38 AM
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UP News झांसी : उत्तर प्रदेश के झांसी से एक दिल को झकझोर देने वाली घटना सामने आई है, जो बॉलीवुड मूवी 'तेरी मेहरबानियां' की याद दिलाती है। रील लाइफ की तरह रियल लाइफ में भी एक कुत्ते ने ऐसा किरदार निभाया है, जो चर्चा का विषय बन गया है। यूपीएससी एग्जाम में दो बार असफल रहने पर एक युवक फांसी के फंदे से झूल गया।

UP News

घर में उस समय सिर्फ पालतू कुत्ता एलेक्स ही मौजूद था। वह फांसी से झूल रहे युवक का पैर खींचकर उसे बचाने की कोशिश करता रहा। उस दरम्यान वह रोया भी। सूचना मिलने के बाद मौके पर पहुंचे चौकी इंजार्च को भी एलेक्स ने काट कर जख्मी कर दिया। पूरे 4 घंटे तक किसी को घर में घुसने नहीं दिया। नगर निगम की टीम ने किसी तरह उस पर काबू पाया। तब जाकर युवक की लाश फंदे से उतारी जा सकी।

इलाज के लिए मॉं को लेकर पिता गए थे भोपाल

मामला झांसी शहर की पंचवटी कॉलोनी का है। डीआरएम कार्यालय में कार्यरत आनंद अग्निहोत्री अपनी पत्नी की इलाज के लिए भोपाल गए हुए थे। उनका 25 वर्षीय इकलौता बेटा संभव अग्निहोत्री घर पर अकेले था। आनंद ने रविवार की रात करीब 10 बजे अपने बेटे को फोन कर हालचाल पूछना चाहा। पर उसका फोन नहीं उठा तो उन्होंने पड़ोसियों को फोन कर घर जाने को कहा। पर घर का दरवाजा बंद था। बार-बार बेल बजाने के बाद भी घर के अंदर से कोई रिस्पांस नहीं आ रहा था। उन्होंने यह सूचना आनंद को दी। किसी अनहोनी की आशंका की वजह से उन्होंने पुलिस को सूचना दी।

चौकी इंचार्ज को भी घर में नहीं घुसने दिया, काटा

मौके पर पहुंचे उन्नाव गेट चौकी इंचार्ज शिवम सिंह ने घर के अंदर जाने का प्रयास किया तो कुत्ते एलेक्स ने उनकी बॉडी पर दांत गड़ा दिए। कुत्ते को काबू करना मुश्किल हो रहा था। नगर निगम की टीम ने जाल फेंककर कुत्ते को नियंत्रण में लिया और उसे बेहोशी का इंजेक्शन लगाया। उधर, पुलिस टीम घर में दाखिल हुई तो उन्हें समर्थ का फंदे से लटकता हुआ शव​ मिला। परिजन भी तड़के झांसी पहुंच गए। पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनों को सौंप दिया गया।

यूपीएससी में असफलता की वजह से उठाया खौफनाक कदम

कमरे की तलाशी के दौरान पुलिस को एक डायरी मिली। जिसमें यूपीएससी परिणाम आने के बाद निराश होने की बात लिखी हुई थी। परिजनों का भी कहना है कि उनका लड़का पढ़ाई में तेज था। यूपीएससी एग्जाम में दो बार फेल होने के बाद परेशान रहता था। इसको लेकर उसे काफी समझाया भी गया था। संभवत: इसी वजह से उसने ऐसा खौफनाक कदम उठाया।

UP News - रात में पड़ोसियों ने सुनी कुत्ते के रोने की आवाज

संभव के शव के पैरों पर कुते के पंजे के खरोंच के निशान पाए गए। अनुमान लगाया जा रहा है कि उस दौरान एलेक्स काफी बेचैन हो गया था और अपने मालिक को बचाने की कोशिश भी की। 5 साल से संभव ही एलेक्स को पाल रहा था। संभव की मौत के बाद एलेक्स की भी मौत हो गई। बताया जा रहा है कि बेहोशी की दवा की ओवरडोज की वजह से वह दोबारा नहीं उठा। उधर पड़ोसियों का कहना है कि रात में एलेक्स के रोने की आवाज आ रही थी तो उन लोगों ने सोचा कि भूखा प्यासा होगा। इसलिए रो रहा होगा। पर घर जाकर देखा तो उनके होश उड़ गए। संभव की मौत से लोग दुखी तो हैं ही पर एलेक्स की मौत का भी लोगों को गम है। उसकी वफादारी की चर्चा है। UP News

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