राजस्थान की दलित बेटी ने बढ़ाया भारत का मान! लेकिन, क्या दलित समाज की होने की वजह से नहीं मिला सम्मान!

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calendar02 Dec 2025 12:57 AM
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Special Story-

थाईलैंड के पटाया में आयोजित 39वीं अंतर्राष्ट्रीय महिला बॉडी बिल्डिंग प्रतियोगिता में देश की प्रिया सिंह (Priya Singh) ने गोल्ड मेडल जीतकर पूरे विश्व में भारत का नाम रौशन किया है। इस प्रतियोगिता में विश्व के कई देशों ने हिस्सा लिया था, जिसमें भारत के राजस्थान राज्य की रहने वाली पहली महिला बॉडीबिल्डर प्रिया सिंह स्वर्ण पदक विजेता बनी। साल 2018, 2019 और 2020 तीन बार मिस राजस्थान बॉडी बिल्डिंग चैंपियनशिप का ताज अपने नाम कर चुकी प्रिया सिंह ने अब एक इंटरनेशनल खिताब भी अपने नाम कर लिया है। लेकिन फिर भी इनकी कोई चर्चा नहीं है! ऐसे में सवाल यह उठता है कि कहीं इनका दलित होना पहचान नही मिलने का कारण तो नही है? प्रिया की इस उपलब्धि पर सरकार और संसथाओं की तरफ से ध्यान न देने की वजह क्या प्रिया का दलित होना तो नहीं है। आखिर क्या वजह है कि इस तरह की ख़ास उपलब्धि को भी सरकार की तरफ से सराहनीय मान- सम्मान-पहचान देने की जगह नजरअंदाज कर दिया गया है!

बीकानेर की प्रिया सिंह ने किया देश का नाम रौशन -

राजस्थान राज्य के बीकानेर शहर की रहने वाली प्रिया सिंह एक सामान्य ग्रामीण दलित परिवार से ताल्लुक रखती हैं। बचपन से ही आर्थिक तंगी में जीवन गुजार चुकी प्रिया सिंह की शादी मात्र 8 साल की उम्र में हो गई थी। शादी के बाद ससुराल और बच्चों की जिम्मेदारी उठा रही प्रिया ने पुरुषों के वर्चस्व वाले खेल में कदम रखने का फैसला लिया। आर्थिक तंगी को दूर करने के लिए इन्होंने रोजगार के तौर पर जिम में नौकरी करना शुरू किया था। जिम में नौकरी करते हुए ही इनमें बॉडी बिल्डिंग के प्रति रुचि जगी। यहीं से उन्होंने बॉडी बनाना और बॉडीबिल्डिंग प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेना शुरू किया। साल 2018, 2019 और 2020 में राजस्थान स्टेट लेवल पर इन्होंने बॉडीबिल्डिंग चैंपियनशिप में मिस राजस्थान गोल्ड मेडल जीता। पति और इनके बच्चों ने सपोर्ट किया और अपने सपनों को पंख दिए। यही वजह है कि अपने दृढ़संकल्प से आगे बढ़ी और आज इंटरनेशनल खिताब अपने नाम कर लिया है।

सरकार की तरफ से इनकी प्रतिभा को नहीं मिला कोई सम्मान -

विश्व भर में भारत का नाम ऊंचा करने वाली बॉडीबिल्डर प्रिया सिंह को सरकार की तरफ से कोई सम्मान नहीं मिला। सम्मान तो दूर की बात है, बॉडी बिल्डिंग के क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर स्वर्ण पदक की विजेता बनने के बावजूद आज प्रिया सिंह की कोई चर्चा भी नहीं है। कहीं प्रिया सिंह का दलित समाज से संबंध रखना तो इस बात की वजह नहीं है। खुद दलित बेटी प्रिया सिंह ने अपने एक इंटरव्यू में यह बात स्वीकार की है कि उन्हें जातिवाद भेदभाव का सामना करना पड़ता है और उनकी प्रतिभा को सम्मान नहीं मिलता है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत को सम्मान दिलाने वाली इस दलित बेटी को सम्मानित करने में आखिर सरकार पीछे क्यों है, यह न सिर्फ एक बड़ा मुद्दा है, बल्कि हमारे समाज की पिछड़ेपन की ओर इशारा करता है।अब इस मुद्दे ने सरकार को भी कटघरे में ला दिया है।
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Trending News: ''नोएडा के लाल तूने कर दिया कमाल ''

Shivam Mavi
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calendar01 Dec 2025 11:11 AM
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Trending News:  नोएडा/कोच्चि। एक कहावत है कि ''पालने में ही पहचान लिए जाते हैं पूत के पांव '' । ऐसा ही कुछ हुआ है प्रसिद्ध क्रिकेट खिलाड़ी शिवम मावी के मामले में। नोएडा के एक छोटे से गांव में जन्में शिवम मावी ने आज देश ही नहीं, दुनिया भर में नोएडा का नाम रोशन कर दिया है।

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कल कोच्चि में हुई इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) खिलाडिय़ों की नीलामी में शिवम मावी को गुजरात टाइटल्स की टीम ने 6 करोड़ रूपए में खरीदा है। यानि आईपीएल खेलों के दौरान आगामी सीजन के लिए शिवम मावी को 6 करोड़ रूपए मिलेंगे। इस साल आईपीएल में शिवम मावी का बेसप्राईज 40 लाख रूपए था। जब बोली शुरू हुई तो उनकी पुरानी टीम कोलकाता राईडर्स ने सबसे पहले बोली लगाई। यह बोली 55 लाख रूपए की थी। इस बोली के जवाब में सीएसके ने 95 लाख रूपए की बोली लगाई। तुरंत ही कोलकाता नाईट राईडर्स ने इस प्रतिभाशाली खिलाड़ी को अपने पाले में करने के लिए 1 करोड रूपए की बोली लगा दी। फिर मैंदान में उतरी राजस्थान रॉयल्स व गुजरात टाईल्स दोनों टीमों द्वारा देर तक बोली पर बोली लगाने का सिलसिला चलता रहा। राजस्थान रॉयल्स ने शिवम पर 5.75 करोड़ रूपए की बोली लगाई। इसके जवाब में तुरंत ही गुजरात टाईटल्स ने 6 करोड़ की बोली लगा दी। आखिरकार 6 करोड़ की कीमत पर शिवम मावी गुजरात टाईटल्स का हिस्सा बन गए। अब आपको बताते हैं कि यह शिवम मावी कौन है ? शिवम मावी नोएडा के सेक्टर-71 में रहने वाले एक छोटे से किसान पंकज मावी के पुत्र हैं। उनका परिवार एक साधारण गरीब किसान परिवार रहा है। बचपन में शिवम को स्कूल में क्रिकेट खेलते हुए देखकर क्रिकेट के कोच फूलचंद ने कह दिया था कि एक दिन यह बालक दुनिया का बड़ा क्रिकेटर बनेगा। यानि उन्होंने पूत के पांव पालने में ही पहचान लिए। परिस्थितियां बहुत विपरीत थीं। बचपन में क्रिकेट का शौक पूरा करने के लिए शिवम अपने मित्रों से बल्ला उधार मांगकर खेलता था। उनके पिता के पास बल्ला व बॉल खरीदने तक के पैसे नहीं थे। बाद में शिवम के जुनून को देखकर उसे बल्ला व बॉल खरीदवाया गया। नोएडा के सेक्टर-34 स्थित एक क्रिकेट एकेडमी में उसका दाखिला करा दिया गया। शिवम सेक्टर-71 से सेक्टर-34 तक पैदल ही खेलने जाता था। धीरे-धीरे शिवम क्रिकेट में निखरता चला गया। तेज गेंदबाज के रूप में उत्तर प्रदेश रणजी टीम से होते हुए आज वह आईपीएल का हीरो बन चुका है। वर्ष-2018 में उसने पहली बार कोलकाता नाईट राईडर्स की टीम में आईपीएल के लिए डेब्यू किया था। वर्ष-2019 में चोटिल होने के कारण वह खेल नहीं पाए। किन्तु वर्ष-2020-21 में उन्होंने खेल में ऐसी प्रतिभा का प्रदर्शन किया कि पूरी दुनिया के क्रिकेट प्रेमी उसके दीवाने बन गए। नोएडा के अधिकांश नागरिकों का यह कहना है कि ''नोएडा के लाल तूने कर दिया कमाल ....। ''

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National News : दस वर्षीय खिलाड़ी की मौत के लिए खेल निकाय जिम्मेदार : खेल एसोसिएशन

High court
Sports body responsible for death of ten-year-old player: Sports Association
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calendar01 Dec 2025 10:42 AM
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कोच्चि। केरल हाईकोर्ट में शुक्रवार को याचिका दायर कर केरल की 10 वर्षीय खिलाड़ी की नागपुर में विषाक्त भोजन से हुई मौत के लिए नेशनल फेडरेशन और केरल की एक साइकिल पोलो एसोसिएशन को जिम्मेदार ठहराया गया है। खिलाड़ी राष्ट्रीय प्रतियोगिता में हिस्सा लेने नागपुर गई थी।

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‘केरल साइकिल पोलो एसोसिएशन’ ने अपनी दलील में दावा किया कि उच्च न्यायालय ने उसकी टीम को महाराष्ट्र के नागपुर में खेल प्रतियोगिता में भाग लेने की अनुमति दी थी, लेकिन जब 10 वर्षीय फातिमा निदा शहाबुद्दीन समेत उसके खिलाड़ी आयोजन स्थल पर पहुंचे तो, उन्हें ‘साइकिल पोलो फेडरेशन ऑफ इंडिया’ द्वारा भोजन या आवास प्रदान नहीं किया गया। याचिकाकर्ता एसोसिएशन ने अधिवक्ता संथन वी. नायर के माध्यम से दायर अपनी अवमानना याचिका में कहा कि परिणामस्वरूप, खिलाड़ियों को एक स्थानीय छात्रावास में ठहराना पड़ा और युवा खिलाड़ी विषाक्त भोजन खाने से बीमार पड़ गई, जिसकी बृहस्पतिवार सुबह मौत हो गई थी।

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याचिकाकर्ता (केरल साइकिल पोलो एसोसिएशन) ने अवमानना याचिका में कहा कि प्रतिवादी (साइकिल पोलो फेडरेशन ऑफ इंडिया और साइकिल पोलो एसोसिएशन ऑफ केरल) खिलाड़ी की मौत के लिए जिम्मेदार हैं। याचिकाकर्ता ने उच्च न्यायालय के 15 दिसंबर के उस आदेश के कथित उल्लंघन के लिए दोनों खेल निकायों के खिलाफ अवमानना ​​कार्रवाई किए जाने का अनुरोध किया, जिसमें टीम या खिलाड़ियों को नागपुर में राष्ट्रीय स्तर के आयोजन में भाग लेने की अनुमति दी गई थी।

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इसमें दावा किया गया है कि जब ये आयोजन स्थल पर पहुंचे तो फेडरेशन के अधिकारियों ने शुरू में उन्हें भाग लेने की इजाजत देने से इंकार कर दिया और खेल मंत्रालय के हस्तक्षेप के बाद याचिकाकर्ता द्वारा चयनित खिलाड़ियों को भाग लेने की इजाजत दी गई। याचिका में दावा किया गया है कि इसके साथ ही अधिकारियों ने यह स्पष्ट कर दिया कि वे उन्हें भोजन और आवास मुहैया नहीं कराएंगे।