चलते-फिरते ज्ञान का बड़ा भण्डार हैं गुरू जी उदय प्रताप सिंह

ज्ञान का अनूठा संगम हैं गुरू जी उदय प्रताप सिंह
उत्तर प्रदेश के मूल निवासी विश्व प्रसिद्ध कवि तथा शायर उदय प्रताप सिंह को उनके चाहने वाले गुरू जी के नाम से संबोधित करते हैं। गुरू जी के नाम के पीछे के कारण पर जाने से पहले आपको बता दें कि उदय प्रताप सिंह ज्ञान का एक अनूठा संगम धारण किए हुए हैं। उदय प्रताप सिंह अंग्रेजी के सर्वश्रेष्ठ अध्यापकों में शामिल रहे हैं। वें हिन्दी के अद्भुत कवि हैं तथा उर्दू के गजब के शायर भी हैं। अंग्रेजी, हिन्दी तथा उर्दू के श्रेष्ठ ज्ञाता को ज्ञान का भण्डार अथवा ज्ञान का संगम ना कहें तो भला क्या कहा जा सकता है? उदय प्रताप सिंह के मित्र तथा शिष्य उन्हें चलता-फिरता पुस्तकालय भी बताते हैं। अंग्रेजी, हिन्दी तथा उर्दू की किसी भी प्रसिद्ध किताब का जिक्र आप उदय प्रताप सिंह के सामने कर दें तो वें उस किताब की पूरी व्याख्या को आपके सामने प्रस्तुत कर देंगे। कवि के तौर पर उदय प्रताप सिंह की प्रसिद्धी को इसी से जाना जा सकता है कि दुनिया भर में जिस कवि सम्मेलन में उदय प्रताप सिंह मौजूद होते हैं उस कवि सम्मेलन की सफलता निश्चित मान ली जाती है। Uday Pratap Singh93 वर्ष की उम्र में भी देश तथा समाज सेवा में लगे हुए हैं उदय प्रताप सिंह
विश्व के प्रसिद्ध साहित्यकार, कवि तथा शायर उदय प्रताप सिंह का जन्म वर्ष-1932 में उत्तर प्रदेश के मैनपुरी जिले के गढिय़ा छिनकौरा गाँव में हुआ था। उदय प्रताप सिंह 93 वर्ष के हो चुके हैं। 93 वर्ष की उम्र में भी कोई व्यक्ति देश तथा समाज की सेवा में लगा हुआ हो उदय प्रताप सिंह के अलावा ऐसा दूसरा उदाहरण खोजना असंभव की सीमा तक मुश्किल है। उदय प्रताप सिंह यादव महासभा के लंबे समय तक राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे हैं। यादव समाज की सबसे बड़ी संस्था के अध्यक्ष रहते हुए उदय प्रताप सिंह देश भर के यादव समाज को जागरूक करने तथा राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए प्रेरित करते रहे हैं। देश का कोई भी बड़ा मुद्दा हो उस मुद्दे पर देश के हित का स्पष्ट स्टैण्ड उदय प्रताप सिंह हमेशा सामने रखते हैं। उनकी प्रसिद्ध रचनाओं में से एक रचना की पंक्ति है कि- ‘‘न तेरा है, न मेरा है, ये हिन्दुस्तान सबका है। नहीं समझी गई ये बात तो नुकसान सबका है।’’ इस रचना के माध्यम से देश की युवा पीढ़ी को देश की एकता का जो संदेश उदय प्रताप सिंह ने दिया है उसका भी दूसरा उदाहरण खोजना बहुत ही मुश्किल काम है। उदय प्रताप सिंह का जिक्र हो रहा हो और देश के अमर शहीदों की बात ना हो तो उदय प्रताप सिंह का परिचय अधूरा ही रह जाएगा। देश को आजाद कराने वाले देश के अमर शहीदों को याद करते हुए उदय प्रताप सिंह लिखते हैं कि- ‘‘कभी-कभी सोचा करता हूं कि बेचारे छले गए हैं, जो फूलों का मौसम लाने की कोशिश में चले गए हैं।’’ Uday Pratap Singhभारत के बुजुर्गों की आन-बान-शान के प्रतीक हैं उदय प्रताप सिंह
उत्तर प्रदेश की बात छोड़ दीजिए उदय प्रताप सिंह वर्तमान समय में पूरे भारत के बुजुर्ग समाज की आन-बान तथा शान के प्रतीक हैं। 93 वर्ष की उम्र में भी आज उदय प्रताप सिंह को कवि सम्मेलनों, मुशायरों के मंच के साथ ही साथ राजनीतिक मंचों पर भी देश की सबसे अनुभवी धरोहर बुजुर्ग समाज की वकालत करते हुए देख सकते हैं। बुजुर्गों के सम्मान की बात हो या अनुभव की बात उदय प्रताप सिंह लिखते हैं कि -‘‘पुरानी कश्ती को पार लेकर फकत हमारा हुनर गया है, नए खिवैइये कहीं न समझें, नदी का पानी उतर गया है।’’ 93 वर्ष की उम्र में भी उदय प्रताप सिंह कपड़े पहनने, मंच पर बैठने तथा मित्रों से बात करने का जो तरीका आजमाते हैं वैसा तरीका दूसरे किसी बुजुर्ग के पास देखने को मिलना मुश्किल है। उम्र के कारण उदय प्रताप सिंह के घुटनों में समस्या आ गई है। घुटनों की बीमारी के कारण उन्हें चलने के लिए वॉकर का सहारा लेना पड़ता है। उदय प्रताप सिंह के मित्रों का कहना है कि काश गुरूजी के घुटने पूरी तरह से ठीक होते तो वें देश के लिए और अधिक मूल्यवान काम कर सकते थे। Uday Pratap Singhउदय प्रताप सिंह का संक्षिप्त परिचय
इस आलेख में आगे बढऩे से पहले उदय प्रताप सिंह का व्यक्तिगत संक्षिप्त परिचय भी आपको बता देते हैं। जैसा कि हम ऊपर जिक्र कर चुके हैं कि उदय प्रताप सिंह का जन्म उत्तर प्रदेश के मैनपुरी जिले के गढिया छिनकौरा गांव में 18 मई 1932 को हुआ था। उनकी माता श्रीमती पुष्पा यादव और पिता डॉ. हरिहर सिंह चौधरी थे। डॉ. चैतन्य यादव के साथ उनका विवाह 20 मई 1958 को हुआ था। उनका एक बेटा और तीन बेटियां हैं। डॉ. उदय प्रताप ने आगरा विश्वविद्यालय के सेंट जॉन कॉलेज से अंग्रेजी और हिंदी में एमए की डिग्री हासिल की। वे वर्ष 1958 में उत्तर प्रदेश के जैन इंटर कॉलेज, करहल में अंग्रेजी के लेक्चरर बन गए। डॉ. उदय प्रताप की ख्याति कवि के रूप में रही है। देश और विदेश में उन्होंने कई कवि सम्मेलनों में भाग लिया। करीब 45 वर्षों से वे कवि सम्मेलनों में जाते रहे हैं। वर्ष 1993 में सूरीनाम में आयोजित विश्व हिंदी सम्मेलन में उन्होंने भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया था। भाषायी एका और बेबाक कविताओं के कारण उनको बड़े ही आदर के साथ साहित्यिक बिरादरी में देखा जाता है। कविता के साथ-साथ डॉ. उदय प्रताप ने गजल और गीतों की भी रचना की है।भूतपूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से लेकर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री तक से निकटता
विश्व के प्रसिद्ध कवि तथा शायर उदय प्रताप सिंह के राजनीतिक सफर की बात करना भी जरूरी है। भारत के सफल प्रधानमंत्री रहे स्व. अटल बिहारी वाजपेयी से लेकर उत्तर प्रदेश के सफलतम मुख्यमंत्री रहे अखिलेश यादव तक के साथ डॉ. उदय प्रताप सिंह के घनिष्ट रिश्ते रहे हैं। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहते हुए ऐतिहासिक काम करने वाले अखिलेश यादव डॉ. उदय प्रताप सिंह को दिल से पूरी व्यवहारिकता के साथ अपना गुरू मानते हैं। अखिलेश यादव को बहुत कम लोगों के पैर छूते हुए देखा गया है। Uday Pratap Singh डॉ. उदय प्रताप सिंह के सार्वजनिक रूप से पैर छूते हुए अखिलेश यादव को आप अक्सर देख सकते हैं। इतना ही नहीं उत्तर प्रदेश के भूतपूर्व मुख्यमंत्री नेता जी स्व. मुलायम सिंह यादव को तो उदय प्रताप सिंह ने विद्यालय में विधिवत रूप से पढ़ाया था। स्व. मुलायम सिंह यादव के अध्यापक रहने के कारण ही डॉ. उदय प्रताप सिंह को गुरू जी के नाम से ख्याति प्राप्त हुई है। यह भी कहा जाता है कि मुलायम सिंह यादव के अंदर मौजूद समाजवाद की सर्वश्रेष्ठ अवधारणा को आगे बढ़ाने में उदय प्रताप सिंह की महत्वपूर्ण भूमिका रही थी। Uday Pratap Singhयह भी पढ़े: गाजियाबाद के पिता तथा पुत्र कर रहे हैं बड़ा कमाल,लगाई इनामों की झड़ी
समाजवादी पार्टी के संस्थापक से लेकर सांसद तक का लम्बा सफर
विश्व के प्रसिद्ध कवि तथा शायर डॉ. उदय प्रताप सिंह को अनुभव का जीता जागता खजाना भी कहा जा सकता है। भारत में सबसे बड़ी पार्टी जनता पार्टी के साथ जुड़ाव से लेकर समाजवादी पार्टी के संस्थापकों में शामिल रहने से आगे बढ़ते हुए उदय प्रताप सिंह दो बार भारत की लोकसभा के सांसद तथा दो बार भारत के सर्वोच्च सदन राज्यसभा के सांसद रह चुके हैं। उत्तर प्रदेश में साहित्यकारों की सबसे बड़ी संस्था उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान ने उदय प्रताप सिंह की अध्यक्षता में बड़ा गौरव प्राप्त किया है। दूसरे अनेक पदों पर उदय प्रताप सिंह काम करते रहे हैं। इतने बड़े-बड़े पदों पर रहने के बावजूद उदय प्रताप सिंह ने कभी भी अपना खुद का बंगला नहीं बनवाया। उदय प्रताप सिंह वर्तमान में भी लखनऊ के एक छोटे से फ्लैट में एक साधारण भारतीय का बहुत ही साधारण जीवन जी रहे हैं। Uday Pratap Singhउदय प्रताप सिंह के विषय में अधिक जानने के लिए यहां दिए गए लिंक को खोलकर यह वीडियो भी देख सकते है - https://www.youtube.com/watch?v=KdtgLcHGaW4
शतरंज के बड़े शौकीन हैं डॉ. उदय प्रताप सिंह
डॉ. उदय प्रताप सिंह के नाम का जिक्र हो रहा हो और शतरंज के खेल का जिक्र ना हो तो डॉ. उदय प्रताप सिंह का परिचय अधूरा ही रह जाएगा। डॉ. उदय प्रताप सिंह को शतरंज के खेल का बहुत बड़ा शौक है। शतरंज के बड़े से बड़े खिलाड़ी को 93 साल के डॉ. उदय प्रताप सिंह बड़ी आसानी से पराजित कर सकते हैं। डॉ. उदय प्रताप सिंह के अजीज शिष्यों में शामिल समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजकुमार भाटी गुरू जी के साथ शतरंज की बाजी खेलने के लिए अक्सर गे्रटर नोएडा से लखनऊ जाते हैं। राजकुमार भाटी बताते हैं कि शतरंज की बाजी में गुरू जी से हारकर भी बहुत कुछ सीखने का मौका मिलता है। गुरू जी की भविष्यवाणी है कि राजकुमार भाटी एक दिन देश के बहुत बड़े नेता बनेंगे। चेतना मंच परिवार भारत की महान विभूति गुरू जी डॉ. उदय प्रताप सिंह की लम्बी आयु की कामना करता है। Uday Pratap Singhअगली खबर पढ़ें
ज्ञान का अनूठा संगम हैं गुरू जी उदय प्रताप सिंह
उत्तर प्रदेश के मूल निवासी विश्व प्रसिद्ध कवि तथा शायर उदय प्रताप सिंह को उनके चाहने वाले गुरू जी के नाम से संबोधित करते हैं। गुरू जी के नाम के पीछे के कारण पर जाने से पहले आपको बता दें कि उदय प्रताप सिंह ज्ञान का एक अनूठा संगम धारण किए हुए हैं। उदय प्रताप सिंह अंग्रेजी के सर्वश्रेष्ठ अध्यापकों में शामिल रहे हैं। वें हिन्दी के अद्भुत कवि हैं तथा उर्दू के गजब के शायर भी हैं। अंग्रेजी, हिन्दी तथा उर्दू के श्रेष्ठ ज्ञाता को ज्ञान का भण्डार अथवा ज्ञान का संगम ना कहें तो भला क्या कहा जा सकता है? उदय प्रताप सिंह के मित्र तथा शिष्य उन्हें चलता-फिरता पुस्तकालय भी बताते हैं। अंग्रेजी, हिन्दी तथा उर्दू की किसी भी प्रसिद्ध किताब का जिक्र आप उदय प्रताप सिंह के सामने कर दें तो वें उस किताब की पूरी व्याख्या को आपके सामने प्रस्तुत कर देंगे। कवि के तौर पर उदय प्रताप सिंह की प्रसिद्धी को इसी से जाना जा सकता है कि दुनिया भर में जिस कवि सम्मेलन में उदय प्रताप सिंह मौजूद होते हैं उस कवि सम्मेलन की सफलता निश्चित मान ली जाती है। Uday Pratap Singh93 वर्ष की उम्र में भी देश तथा समाज सेवा में लगे हुए हैं उदय प्रताप सिंह
विश्व के प्रसिद्ध साहित्यकार, कवि तथा शायर उदय प्रताप सिंह का जन्म वर्ष-1932 में उत्तर प्रदेश के मैनपुरी जिले के गढिय़ा छिनकौरा गाँव में हुआ था। उदय प्रताप सिंह 93 वर्ष के हो चुके हैं। 93 वर्ष की उम्र में भी कोई व्यक्ति देश तथा समाज की सेवा में लगा हुआ हो उदय प्रताप सिंह के अलावा ऐसा दूसरा उदाहरण खोजना असंभव की सीमा तक मुश्किल है। उदय प्रताप सिंह यादव महासभा के लंबे समय तक राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे हैं। यादव समाज की सबसे बड़ी संस्था के अध्यक्ष रहते हुए उदय प्रताप सिंह देश भर के यादव समाज को जागरूक करने तथा राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए प्रेरित करते रहे हैं। देश का कोई भी बड़ा मुद्दा हो उस मुद्दे पर देश के हित का स्पष्ट स्टैण्ड उदय प्रताप सिंह हमेशा सामने रखते हैं। उनकी प्रसिद्ध रचनाओं में से एक रचना की पंक्ति है कि- ‘‘न तेरा है, न मेरा है, ये हिन्दुस्तान सबका है। नहीं समझी गई ये बात तो नुकसान सबका है।’’ इस रचना के माध्यम से देश की युवा पीढ़ी को देश की एकता का जो संदेश उदय प्रताप सिंह ने दिया है उसका भी दूसरा उदाहरण खोजना बहुत ही मुश्किल काम है। उदय प्रताप सिंह का जिक्र हो रहा हो और देश के अमर शहीदों की बात ना हो तो उदय प्रताप सिंह का परिचय अधूरा ही रह जाएगा। देश को आजाद कराने वाले देश के अमर शहीदों को याद करते हुए उदय प्रताप सिंह लिखते हैं कि- ‘‘कभी-कभी सोचा करता हूं कि बेचारे छले गए हैं, जो फूलों का मौसम लाने की कोशिश में चले गए हैं।’’ Uday Pratap Singhभारत के बुजुर्गों की आन-बान-शान के प्रतीक हैं उदय प्रताप सिंह
उत्तर प्रदेश की बात छोड़ दीजिए उदय प्रताप सिंह वर्तमान समय में पूरे भारत के बुजुर्ग समाज की आन-बान तथा शान के प्रतीक हैं। 93 वर्ष की उम्र में भी आज उदय प्रताप सिंह को कवि सम्मेलनों, मुशायरों के मंच के साथ ही साथ राजनीतिक मंचों पर भी देश की सबसे अनुभवी धरोहर बुजुर्ग समाज की वकालत करते हुए देख सकते हैं। बुजुर्गों के सम्मान की बात हो या अनुभव की बात उदय प्रताप सिंह लिखते हैं कि -‘‘पुरानी कश्ती को पार लेकर फकत हमारा हुनर गया है, नए खिवैइये कहीं न समझें, नदी का पानी उतर गया है।’’ 93 वर्ष की उम्र में भी उदय प्रताप सिंह कपड़े पहनने, मंच पर बैठने तथा मित्रों से बात करने का जो तरीका आजमाते हैं वैसा तरीका दूसरे किसी बुजुर्ग के पास देखने को मिलना मुश्किल है। उम्र के कारण उदय प्रताप सिंह के घुटनों में समस्या आ गई है। घुटनों की बीमारी के कारण उन्हें चलने के लिए वॉकर का सहारा लेना पड़ता है। उदय प्रताप सिंह के मित्रों का कहना है कि काश गुरूजी के घुटने पूरी तरह से ठीक होते तो वें देश के लिए और अधिक मूल्यवान काम कर सकते थे। Uday Pratap Singhउदय प्रताप सिंह का संक्षिप्त परिचय
इस आलेख में आगे बढऩे से पहले उदय प्रताप सिंह का व्यक्तिगत संक्षिप्त परिचय भी आपको बता देते हैं। जैसा कि हम ऊपर जिक्र कर चुके हैं कि उदय प्रताप सिंह का जन्म उत्तर प्रदेश के मैनपुरी जिले के गढिया छिनकौरा गांव में 18 मई 1932 को हुआ था। उनकी माता श्रीमती पुष्पा यादव और पिता डॉ. हरिहर सिंह चौधरी थे। डॉ. चैतन्य यादव के साथ उनका विवाह 20 मई 1958 को हुआ था। उनका एक बेटा और तीन बेटियां हैं। डॉ. उदय प्रताप ने आगरा विश्वविद्यालय के सेंट जॉन कॉलेज से अंग्रेजी और हिंदी में एमए की डिग्री हासिल की। वे वर्ष 1958 में उत्तर प्रदेश के जैन इंटर कॉलेज, करहल में अंग्रेजी के लेक्चरर बन गए। डॉ. उदय प्रताप की ख्याति कवि के रूप में रही है। देश और विदेश में उन्होंने कई कवि सम्मेलनों में भाग लिया। करीब 45 वर्षों से वे कवि सम्मेलनों में जाते रहे हैं। वर्ष 1993 में सूरीनाम में आयोजित विश्व हिंदी सम्मेलन में उन्होंने भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया था। भाषायी एका और बेबाक कविताओं के कारण उनको बड़े ही आदर के साथ साहित्यिक बिरादरी में देखा जाता है। कविता के साथ-साथ डॉ. उदय प्रताप ने गजल और गीतों की भी रचना की है।भूतपूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से लेकर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री तक से निकटता
विश्व के प्रसिद्ध कवि तथा शायर उदय प्रताप सिंह के राजनीतिक सफर की बात करना भी जरूरी है। भारत के सफल प्रधानमंत्री रहे स्व. अटल बिहारी वाजपेयी से लेकर उत्तर प्रदेश के सफलतम मुख्यमंत्री रहे अखिलेश यादव तक के साथ डॉ. उदय प्रताप सिंह के घनिष्ट रिश्ते रहे हैं। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहते हुए ऐतिहासिक काम करने वाले अखिलेश यादव डॉ. उदय प्रताप सिंह को दिल से पूरी व्यवहारिकता के साथ अपना गुरू मानते हैं। अखिलेश यादव को बहुत कम लोगों के पैर छूते हुए देखा गया है। Uday Pratap Singh डॉ. उदय प्रताप सिंह के सार्वजनिक रूप से पैर छूते हुए अखिलेश यादव को आप अक्सर देख सकते हैं। इतना ही नहीं उत्तर प्रदेश के भूतपूर्व मुख्यमंत्री नेता जी स्व. मुलायम सिंह यादव को तो उदय प्रताप सिंह ने विद्यालय में विधिवत रूप से पढ़ाया था। स्व. मुलायम सिंह यादव के अध्यापक रहने के कारण ही डॉ. उदय प्रताप सिंह को गुरू जी के नाम से ख्याति प्राप्त हुई है। यह भी कहा जाता है कि मुलायम सिंह यादव के अंदर मौजूद समाजवाद की सर्वश्रेष्ठ अवधारणा को आगे बढ़ाने में उदय प्रताप सिंह की महत्वपूर्ण भूमिका रही थी। Uday Pratap Singhयह भी पढ़े: गाजियाबाद के पिता तथा पुत्र कर रहे हैं बड़ा कमाल,लगाई इनामों की झड़ी
समाजवादी पार्टी के संस्थापक से लेकर सांसद तक का लम्बा सफर
विश्व के प्रसिद्ध कवि तथा शायर डॉ. उदय प्रताप सिंह को अनुभव का जीता जागता खजाना भी कहा जा सकता है। भारत में सबसे बड़ी पार्टी जनता पार्टी के साथ जुड़ाव से लेकर समाजवादी पार्टी के संस्थापकों में शामिल रहने से आगे बढ़ते हुए उदय प्रताप सिंह दो बार भारत की लोकसभा के सांसद तथा दो बार भारत के सर्वोच्च सदन राज्यसभा के सांसद रह चुके हैं। उत्तर प्रदेश में साहित्यकारों की सबसे बड़ी संस्था उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान ने उदय प्रताप सिंह की अध्यक्षता में बड़ा गौरव प्राप्त किया है। दूसरे अनेक पदों पर उदय प्रताप सिंह काम करते रहे हैं। इतने बड़े-बड़े पदों पर रहने के बावजूद उदय प्रताप सिंह ने कभी भी अपना खुद का बंगला नहीं बनवाया। उदय प्रताप सिंह वर्तमान में भी लखनऊ के एक छोटे से फ्लैट में एक साधारण भारतीय का बहुत ही साधारण जीवन जी रहे हैं। Uday Pratap Singhउदय प्रताप सिंह के विषय में अधिक जानने के लिए यहां दिए गए लिंक को खोलकर यह वीडियो भी देख सकते है - https://www.youtube.com/watch?v=KdtgLcHGaW4
शतरंज के बड़े शौकीन हैं डॉ. उदय प्रताप सिंह
डॉ. उदय प्रताप सिंह के नाम का जिक्र हो रहा हो और शतरंज के खेल का जिक्र ना हो तो डॉ. उदय प्रताप सिंह का परिचय अधूरा ही रह जाएगा। डॉ. उदय प्रताप सिंह को शतरंज के खेल का बहुत बड़ा शौक है। शतरंज के बड़े से बड़े खिलाड़ी को 93 साल के डॉ. उदय प्रताप सिंह बड़ी आसानी से पराजित कर सकते हैं। डॉ. उदय प्रताप सिंह के अजीज शिष्यों में शामिल समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजकुमार भाटी गुरू जी के साथ शतरंज की बाजी खेलने के लिए अक्सर गे्रटर नोएडा से लखनऊ जाते हैं। राजकुमार भाटी बताते हैं कि शतरंज की बाजी में गुरू जी से हारकर भी बहुत कुछ सीखने का मौका मिलता है। गुरू जी की भविष्यवाणी है कि राजकुमार भाटी एक दिन देश के बहुत बड़े नेता बनेंगे। चेतना मंच परिवार भारत की महान विभूति गुरू जी डॉ. उदय प्रताप सिंह की लम्बी आयु की कामना करता है। Uday Pratap Singhसंबंधित खबरें
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