उत्तर प्रदेश सरकार ने तीन शहरों को दिया बड़ा तोहफा

UP सरकार ने मेरठ, कानपुर और मथुरा-वृंदावन शहरों के समग्र विकास के लिए बड़ा तोहफा दिया है। सीएम योगी आदित्यनाथ की समीक्षा बैठक में 478 महत्वपूर्व परियोजनाओं को स्वीकृति दी गई जिनमें सड़क सुधार, मल्टीलेवल पार्किंग, हरित क्षेत्र, जल प्रबंधन, पर्यटन सुविधाओं का उन्नयन और शहरी सौंदर्यीकरण शामिल हैं।

मुख्यमंत्री योगी ने की विकास परियोजनाओं की घोषणा
उत्तर प्रदेश सरकार की बड़ी योजना
locationभारत
userआरपी रघुवंशी
calendar02 Dec 2025 03:39 AM
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उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रदेश के तीन शहरों को बड़ा तोहफा दिया है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश के तीन प्रमुख शहरों को बड़ा तोहफा देने की घोषणा की है। बुधवार को उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में हुई एक समीक्षा बैठक में प्रदेश के तीन प्रमुख शहरों को बड़ा तोहफा देने की घोषणा की गई। उत्तर प्रदेश सरकार प्रदेश के प्रत्येक शहर, कस्बे तथा गांव का समग्र विकास करने की योजना पर काम कर रही है। उत्तर प्रदेश के समग्र विकास की योजना के तहत ही प्रदेश के तीन शहरों को बड़ा तोहफा दिया गया है।

उत्तर प्रदेश के तीन खास शहरों के लिए 478 परियोजनाओं की घोषणा

बुधवार को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश के मेरठ, कानपुर तथा मथुरा-वृंदावन शहरों के विकास कार्यों की समीक्षा की। इस दौरान उत्तर प्रदेश के अधिकारियों ने मुख्यमंत्री के सामने मेरठ, कानपुर तथा मथुरा-वृंदावन शहरों के लिए 478 परियोजनाओं का प्रस्ताव रखा। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने सभी 478 परियोजनाओं को शुरू करने की स्वीकृति प्रदान कर दी। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा स्वीकृत की गई 478 परियोजनाओं में मेरठ शहर के लिए 111 परियोजना, कानपुर शहर के लिए 109 परियोजना तथा मथुरा-वृंदावन के लिए 258 परियोजना शामिल हैं। मथुरा की सांसद हेमा मालिनी की सिफारिश पर मथुरा में सर्वाधिक परियोजना स्वीकृत की गई हैं।

उत्तर प्रदेश सरकार ने अलग-अलग श्रेणी बनाई है परियोजनाओं की

उत्तर प्रदेश सरकार ने जिन 478 परियोजनाओं को स्वीकृत किया है उन परियोजनाओं को तीन श्रेणियों में बांटा गया है। 478 परियोजनाओं के लिए अल्पकालिक, मध्यकालिक तथा दीर्घकालिक योजनाओं के हिसाब से तय किया गया है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की समीक्षा बैठक में बताया गया कि पहले चरण की कार्ययोजना के रूप में वर्ष 2025-26 में मेरठ में 11, कानपुर में 13 और मथुरा-वृंदावन में 14 प्राथमिक परियोजनाओं पर कार्य किया जाए। इन परियोजनाओं में यातायात सुधार, चौराहों का पुनर्विकास, मल्टीलेवल पार्किंग, हरित क्षेत्र, सड़क और पेवमेंट सुधार, बिजली लाइनों का भूमिगतकरण, जल प्रबंधन, पर्यटन सुविधाओं का उन्नयन और शहरी सौंदर्यीकरण जैसी जरूरतों को प्राथमिकता दी गई है। उत्तर प्रदेश सरकार की बैठक में बताया गया कि मेरठ में यातायात सुगमता के लिए बिजली बम्बा बाईपास, लिंक रोड, हापुड़ अड्डा से गांधी आश्रम तक चौड़ीकरण, ईस्टर्न कचहरी रोड, सूरजकुंड चौराहा, कय्यम नगर पार्क, 19 प्रमुख चौराहों पर जंक्शन इम्प्रूवमेंट, संजय वन, शताब्दी नगर एसटीपी से मोहकमपुर औद्योगिक क्षेत्र तक जल पुनर्चक्रण व्यवस्था, स्मार्ट रोड और यूनिवर्सिटी रोड क्षेत्रीय पुनर्विकास जैसी परियोजनाएं प्रस्तावित हैं। कानपुर के संबंध में बताया गया कि विकास का आधार रूटेड इन लेगेसी, राइजिंग टू टुमॉरो की अवधारणा होगी। मैनावती मार्ग चौड़ीकरण, मल्टीलेवल पार्किंग, मास्टर प्लान सड़कों का निर्माण, ग्रीन पार्क के आसपास शहरी डिजाइन सुधार, मकसूदाबाद सिटी फॉरेस्ट, बोटैनिकल गार्डन, वीआईपी रोड, रिवरफ्रंट लिंक, ग्रीनफील्ड कॉरिडोर, मेट्रो विस्तार और ग्रेटर कानपुर के रूप में नए विस्तार क्षेत्र की दृष्टि इस योजना में शामिल है।

वर्ष-2030 के विजन के तहत होगा मथुरा-वृंदावन का विकास

उत्तर प्रदेश सरकार की समीक्षा बैठक में तय किया गया कि मथुरा-वृंदावन का विकास विजन-2030 के तहत किया जाएगा। बैठक में बताया गया कि मथुरा-वृंदावन में श्रद्धालुओं और पर्यटकों की सुविधा के लिए स्ट्रीट फसाड डेवलपमेंट, मल्टीलेवल पार्किंग, बस पार्किंग, प्रवेश द्वारों का सौंदर्यीकरण, नए मार्गों का निर्माण, बरसाना-गोवर्धन-राधाकुंड कॉरिडोर सुधार, परिक्रमा मार्ग पर सुविधाएं और नगर प्रवेश से धार्मिक स्थलों तक संकेतक एवं प्रकाश व्यवस्था की योजना शामिल है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बैठक में कहा कि इन परियोजनाओं के लिए नवाचार, बेहतर प्रबंधन और वित्तीय संयोजन पर ध्यान दिया जाए। उन्होंने अधिकारियों को रेवेन्यू शेयरिंग मॉडल पर निजी क्षेत्र का सहयोग लेने और जहां संभव हो वहां पीपीपी मोड अपनाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि, विकास का उद्देश्य ऐसा शहरी ढांचा तैयार करना है जो यातायात को सुगम बनाए, पैदल यात्रियों और सार्वजनिक परिवहन को प्राथमिकता दे।

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उत्तर प्रदेश को मिली दो नई ट्रेनों की सौगात, दिल्ली जाना होगा आसान

24 नवंबर को रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव और कौशल विकास राज्य मंत्री जयंत चौधरी इन ट्रेनों को हरी झंडी दिखाकर रवाना करेंगे। इस पहल से न सिर्फ दिल्ली और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बीच की कनेक्टिविटी बढ़ेगी, बल्कि हजारों यात्रियों के लिए सफर भी आसान और सुरक्षित हो जाएगा।

train (7)
भारतीय रेल
locationभारत
userयोगेन्द्र नाथ झा
calendar30 Nov 2025 07:41 PM
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उत्तर प्रदेश के यात्रियों के लिए बड़ी खुशखबरी है। लंबे समय से मांग की जा रही दो नई पैसेंजर ट्रेनों को आखिरकार मंजूरी मिल गई है। यह ट्रेनें दिल्ली-सहारनपुर वाया बागपत-शामली मार्ग पर दौड़ेंगी। 24 नवंबर को रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव और कौशल विकास राज्य मंत्री जयंत चौधरी इन ट्रेनों को हरी झंडी दिखाकर रवाना करेंगे। इस पहल से न सिर्फ दिल्ली और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बीच की कनेक्टिविटी बढ़ेगी, बल्कि हजारों यात्रियों के लिए रोजमर्रा का सफर भी आसान और सुरक्षित हो जाएगा।

पश्चिमी यूपी को मिली दो नई पैसेंजर ट्रेनों की सौगात

दिल्ली-सहारनपुर रूट पर चलेंगी ट्रेनें। नई ट्रेनें बागपत और शामली के रास्ते दिल्ली-सहारनपुर मार्ग पर संचालित होंगी। यह मार्ग पहले यात्रियों के लिए सीमित था, लेकिन अब नई ट्रेनें शुरू होने से यात्रा की रफ्तार बढ़ेगी और भीड़ कम होगी। इस नए रूट के शुरू होने से विशेष रूप से छात्रों, नौकरीपेशा और व्यापारियों को फायदा होगा। अब यात्रियों को अन्य जटिल रूट या लंबा समय नहीं लगाना पड़ेगा। यह नई ट्रेनें सुबह और शाम दोनों समय यात्रा करने वालों के लिए सुविधाजनक होंगहरी झंडी दिखाएंगे रेल मंत्री और राज्य मंत्री

रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव और कौशल विकास राज्य मंत्री जयंत चौधरी 24 नवंबर को इन ट्रेनों को हरी झंडी दिखाएंगे। रेलवे ने कार्यक्रम के लिए विशेष तैयारियां की हैं, जिसमें स्टेशन की सजावट, सुरक्षा इंतजाम और यात्रियों के लिए सूचना बोर्ड शामिल हैं। रेलवे ने सुनिश्चित किया है कि शुरुआती दिनों में यात्रियों को किसी भी तरह की असुविधा न हो। इसके लिए अतिरिक्त कोच और सुरक्षा कर्मी लगाए जाएंगे।

लंबे समय से उठ रही थी इन ट्रेनों की मांग

बागपत से राष्ट्रीय लोकदल के सांसद राजकुमार सांगवान ने लगातार इस मार्ग पर ट्रेनें बढ़ाने की मांग की थी। यात्रियों के अनुभव और उनकी समस्याओं को ध्यान में रखते हुए रेल मंत्रालय ने मंजूरी दे दी। यह निर्णय यात्रियों के लिए राहत की खबर है। पहले इस मार्ग पर केवल कुछ ही ट्रेनें थीं, जिससे भीड़ और सफर की परेशानी बढ़ जाती थी। नई ट्रेनें इससे निजात दिलाएंगकोहरे का असर,16 ट्रेनें रद, सुरक्षा का ध्यान

सर्दियों में कोहरे के कारण कई ट्रेनों की आवाजाही प्रभावित हो जाती है। इस बार रेलवे ने 16 मेमू और पैसेंजर ट्रेनों को 1 दिसंबर से 28 फरवरी तक रद करने का फैसला किया है। रेलवे ने यात्रियों की सुविधा के लिए दैनिक चलने वाली ट्रेनों में अतिरिक्त कोच जोड़ने का प्रबंध किया है। इससे यात्रियों को लंबी प्रतीक्षा और भीड़भाड़ से राहत मिलेगी।

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अखिलेश यादव ने सरकार के पक्षधर मीडिया पर बोला हमला

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सरकार समर्थक मीडिया पर जमकर हमला बोला है। X प्लेटफार्म पर अपनी पोस्ट में उन्होंने "दानाजीवी मीडिया हाउस" शब्द का प्रयोग करते हुए कुछ मीडिया हाउसों की आलोचना की। अखिलेश यादव ने परिवारवाद, राजनीति और पत्रकारिता में नैतिकता पर भी जोर दिया।

अखिलेश यादव का मीडिया हाउस पर किया हमला
अखिलेश यादव का मीडिया पर तीखा हमला
locationभारत
userआरपी रघुवंशी
calendar19 Nov 2025 04:02 PM
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उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से बड़ी खबर आई है। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से आई यह खबर समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव से जुड़ी हुई है। उत्तर प्रदेश के भूतपूर्व मुख्यमंत्री व सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने सोशल मीडिया के X प्लेटफार्म पर एक लम्बी पोस्ट लिखी है। उत्तर प्रदेश के भूतपूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने X पर लिखी अपनी पोस्ट में सरकार के पक्षधर मीडिया पर बड़ा हमला बोला है। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कुछ मीडिया हाउसों के द्वारा परिवार तथा परिवारवाद की नई व्याख्या करने के मुद्दे पर मीडिया हाउसों को घेरा है।

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा ‘‘दानाजीवी मीडिया हाउस”

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सरकार के पक्षधर मीडिया को नया नाम दिया है। अभी तक सरकार के पक्षधर मीडिया को ‘‘गोदी मीडिया” कहा जाता था। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने ‘‘गोदी मीडिया” को नया नाम देते हुए ‘‘दानाजीवी मीडिया हाउस” कहा है। उनका इशारा यह है कि कुछ मीडिया हाउस सरकार के दाने पर जीवित हैं। ऐसे मीडिया हाउस को ‘‘दानाजीवी मीडिया हाउस” ही कहा जा सकता है। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने X पर लिखी गई पोस्ट में बार-बार ‘‘दानाजीवी मीडिया हाउस” शब्द का प्रयोग किया है।

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की पूरी पोस्ट

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने X पर जो पोस्ट लिखीहै उसे हम यहां ज्यों की त्यों प्रकाशित कर रहे हैं। अखिलेश यादव ने लिख है कि, प्रिय परिवारवालों, कुछ मीडिया हाउस हमारे महाकाव्यों की बातों और संदर्भों को गलत तरीके से प्रस्तुत करके उनका अपमान कर रहे हैं और इन महाकाव्यों को माननेवालों की धार्मिक भावनाओं को आहत भी कर रहे हैं। ये राजनीतिक ‘दानाजीवी मीडिया हाउस’ बार-बार परिवारवाद के नाम पर जो एजेंडा चला रहे हैं क्या वो ये नहीं जानते हैं कि हमारे दोनों महाकाव्यों के पीछे की सांकेतिक महाकथा का आधार परिवार रहा है। दरअसल सत्ता-भक्ति में लीन ये लोग जाने-अनजाने में ‘परिवार’ के नाम पर हमारी पौराणिक महागाथाओं का मखौल उड़ा रहे हैं और उनकी प्रतीकात्मक कहानियों को बदनाम कर रहे हैं। ऐसी बातों से परिवार कमजोर होते हैं और महाकाव्यों का अपमान होता है। सच तो ये है कि ये जिन स्वार्थी लोगों के लिए काम कर रहे हैं, वो स्वयं परिवार और संबंधों को कोई महत्व नहीं देते हैं। ये ‘मीडिया हाउस’ उनके परिवारों की कहानियां छापने की हिम्मत क्यों नहीं दिखाते हैं? उनके उपेक्षित छोड़ दिये गये घरवालों के बारे में समाचार प्रकाशित क्यों नहीं करते हैं?

जो लोग राजनीति को पैसा कमाने की मशीन समझते हैं, उनके मन के अंदर चोर बैठा होता है, इसीलिए वो राजनीति को खराब मानकर अपने परिवार को राजनीति में सामने से नहीं पिछले दरवाजे से लेकर आते हैं। जो लोग राजनीति के प्रति सकारात्मक सोच रखते हैं और उसे जन सेवा का माध्यम मानते हैं वो ही ज़्यादा से ज़्यादा लोगों की भलाई के लक्ष्य से प्रेरित होकर अपने परिवार को संघर्ष के लिए समर्पित कर देते हैं। ये परिवारवाद नहीं, बलिदानवाद होता है क्योंकि उनके परिवारवालों को भी अहंकारी सत्ताओं और वर्चस्ववादी लोगों से लड़ना पड़ता है, हर तकलीफ का सामना करना पड़ता है। जबकि इसके विपरीत सुविधाभोगी लोग अपने परिवार को ऐशो-आराम के कामों मे लगाकर, उनके जरिए अपने लिए जायदाद-दौलत इकट्ठा करने में लग जाते हैं। अगर परिवार इतना ही बुरा है तो भाजपाई और उनके अपरिवारवादी संगी-साथी व दानाजीवी मीडिया हाउस घोषित कर दें कि :

- वो आज ही उन सब लोगों को अपनी पार्टी और संगठन से निकाल देंगे, जिनके माता-पिता या परिवार का अन्य कोई सदस्य कभी भी राजनीति में रहा है।

- उन सभी को छोटे पद से लेकर मुख्यमंत्री जैसे बड़े पद तक से हटा देंगे, जिनकी मठाधीशी का आधार पारिवारिक संबंध है।

- ये उनसे चंदा नहीं लेंगे जिनके कारोबार में परिवार लगा है।

- नाम के बाद आनेवाले पारिवारिक नाम (सरनेम) का प्रयोग बंद कर देंगे।

- जिनके भी परिवार हैं उनसे वोट नहीं लेंगे।

- सरकार ये नियम बना दे कि अधिकारी की बेटी या बेटा अधिकारी नहीं बनेगा; डॉक्टर का, डॉक्टर नहीं बनेगा, वकील और न्यायाधीश का एडवोकेट या जज नहीं बनेगा; पत्रकार का जर्नलिस्ट नहीं बनेगा, कारोबारी का कारोबारी नहीं बनेगा और मीडिया हाउस के मालिक की बच्ची या बच्चा मीडिया हाउस का मालिक नहीं बनेगा… इत्यादि।

- दानाजीवी मीडिया हाउस भी घोषित करें कि अपने परिवार के लोगों से मैनेजमेंट के सारे पद और शेयर वापस ले लेंगे और अपने एम्प्लॉयीज़ को दे देंगे। अगर वो ऐसा नहीं करते हैं तो उनके विरुद्ध भी शांतिपूर्ण जन आंदोलन करने का हक़ उनके एम्प्लॉयीज़ और जनता को होगा।

सच्चाई तो ये है कि भाजपा और उनके अपरिवारवादी संगी-साथी चाहते है कि परिवार तोड़ दिये जाएं, लोगों को अकेला कर दिया जाए, फिर उनको डराकर अपने प्रभाव में लेकर उनका शोषण किया जाए। भुखमरी, ग़रीबी, महंगाई, भ्रष्टाचार, भर्ती-नौकरी, खेती-मजदूरी, काम-कारोबार, तंगी-मंदी जैसे मुद्दों पर लोग इकट्ठा न हो पाएं। ये सब नकारात्मक स्वार्थी लोग एकजुटता से डरते हैं और चूंकि परिवार एकजुटता की पहली सीढ़ी होते हैं, इसीलिए परिवार को नकारते हैं। परिवार, कुनबा, कुल जब सकारात्मक होकर एक-दूसरे से जुड़ते हैं तभी समाज बनता है। सच्चा समाज नकारात्मक लोगों के ख़िलाफ होता है, इसीलिए जब कोई चोर-डकैत गाँव-बस्ती में घुस आता है तो ये सारा समाज इकट्ठा होकर, एक होकर उसको खदेड़ देता है। भाजपाई और उनके संगी-साथी अंदर से डरे हुए लोग हैं, इसीलिए परिवार की बुराई करते हैं। इनका बस चले तो कल को ये शादी-विवाह भी बंद करवा दें जिससे कि परिवार बने ही नहीं यहां तक कि पारिवारिक एकजुटता की तस्वीरों को भी बैन कर दें।,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,कुछ स्वार्थी मीडिया हाउस भी चाहते हैं कि परिवार टूट जाएं और लोग अकेले पड़ जाएं जिससे अकेले लोग अलग-अलग घरों में रहें और उपभोक्तावाद को बढ़ावा मिले, हर किसी का अपना टीवी, फ्रिज और बाक़ी सामान हो जिसकी बिक्री बढ़ाने के लिए कंपनियाँ अपना विज्ञापन करें और इनको विज्ञापन के लिए पैसे देकर, इनका ख़ज़ाना भरें। ये मीडिया हाउस बताएं कि ‘प्रायोजित समाचार, फ़ेक न्यूज़, एजेंडा-प्रोग्राम चलाने की दानापोषी व विज्ञापनों से कमायी गई अपनी अरबों की कमाई में से इन्होंने कितना परिवार को दिया और कितना अपने एम्प्लॉयीज़ को।

इन मीडिया हाउस और उनके पोषकों के अंदर इतनी नैतिकता तो होनी ही चाहिए कि जो लोग अब दुनिया में नहीं हैं उनको सम्मान के साथ प्रदर्शित करें। दिवंगतों के प्रति सम्मान की भावना रखना हमारी सांस्कृतिक परंपरा रही है। इन जैसे धनलोभी मीडिया हाउसों से पत्रकारिता के मान, मूल्य, मर्यादा और सैद्धांतिक सीमाओं की अपेक्षा करना तो व्यर्थ है लेकिन अपने देश की सांस्कृतिक पंरपरा की निरंतरता की रत्ती भर उम्मीद तो की जा सकती है या इनमें इतनी भी नैतिकता नहीं बची कि कम-से-कम गुज़रे हुए लोगों को तो अपनी ख़ुदगर्ज़ी का शिकार न बनाएं। सम्मान नहीं कर सकते तो अपमान भी न करें! क्या इस अपमान का आधार ये है कि ऐसे लोग शोषित-वंचित समाज से आते हैं? उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अंत में लिखा है कि अब पीडीए नहीं सहेगा, खुलकर कहेगा! हर परिवारवाले के दुख, दर्द, तकलीफ़ को अपना माननेवाला… हर परिवार की तरक़्क़ी, ख़ुशहाली और परिवारों से मिलकर बननेवाले समाज में अमन-चैन चाहनेवाला…

आपका

अखिलेश