Wednesday, 7 May 2025

उठो पार्थ गांडीव संभालो अब गोविंद नहीं आएंगे?

Noida News : आर्मी की यूनिफॉर्म कब से ऐसे ही उपलब्ध होने लगी? क्या यूं ही पहन सकते थे जिहादी आर्मी…

उठो पार्थ गांडीव संभालो अब गोविंद नहीं आएंगे?

Noida News : आर्मी की यूनिफॉर्म कब से ऐसे ही उपलब्ध होने लगी? क्या यूं ही पहन सकते थे जिहादी आर्मी यूनीफॉर्म? नहीं मिलती यूँ बाज़ारों में? इस यूनिफार्म को पहने सैनिकों को तो देखते ही हमारा माथा श्रद्धा से झुक जाता है। कश्मीर के पहलगाम में तीन आतंकवादी आए वे भी आर्मी की यूनिफॉर्म में? 2000 सैलानी थे ऊपर जिन्होंने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा कि चुन-चुनकर हिंदू हैं, शादी शुदा हैं, पुरुष हैं इसलिए उनको कोई खत्म करके चला जाएगा। क्या इन साजिशों के बारे में देश की खुफिया एजेंसी भी ना जान सकीं। अब इसका इलाज या इंतजाम हो जाएगा? क्या हम इसका भरोसा कर सकेंगे? धारा 370, 35 ऐ को हटाना कोई मजाक नहीं था। उसे हटाने के लिए कितने सालों जद्दोजहद चली। धारा हटे हुए अभी कुछ भी साल नहीं हुए।

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हम इतने बेपरवाह कैसे हो गये कि जहां 2000 सैलानी हो वहां सुरक्षा कर्मी के नाम पर ना पुलिस न आर्मी कोई था ही नहीं? सुनकर बहुत भयानक लगता है 30 मिनट तक गोलियां चलीं डेढ़ घंटे तक घायल तड़पते भी रहे वहां की तस्वीरें देखी एक ताजा लाश बने पापा के ऊपर छोटा सा बच्चा बैठा है। वह बच्चा तो अभी यह भी नहीं समझता कि हिंदू क्या होता है? मुसलमान क्या होता है? 16 अप्रैल को दुल्हन बनी महिला 22 अप्रैल को अपने पति की लाश के पास रो-रो कर उसके आंसू भी सुख गए? तब भी मैदान खाली वहां कोई सुरक्षा कर्मी या आर्मी का नामोनिशान नहीं? जो प्रोफेसर साहब कलमाँ बोलने से अपनी जान बचा पाए यह आज हमारे 140 करोड़ की जनसंख्या जिनमें 100 करोड़ हिन्दू हैं। वाले देश को क्या संदेश देगा? क्या हम इस बारे में विचार करेंगे? बहुत कष्ट होता है इन खबरों को पिछले तीन दिन से सुन सुन कर। जब यह खबर आई तो भारत देश का चक्का जाम क्यों नहीं हो गया? उसी वक्त सारी दुकानें सडक़ें थम क्यों नहीं गई? आज 25 तारीख को दिल्ली बंद है यह 22 तारीख को क्यों बंद नहीं हुआ। सारे कार्यक्रम स्थगित क्यों नहीं हो गए? क्यों आईपीएल मैच कैंसल नहीं हुआ? क्यों 26 इनोसेंट हिंदुओं की जान के बदले हमने उसी समय हाहाकार नहीं किया? यदि 4 दिन रोएं पांचवें दिन हम फिर सामान्य होने लगे। तो क्या यह कत्लेआम थमेगा? क्या यह कत्लेआम अब हर भारतीय, हर हिंदू को अपनी सुरक्षा का दायित्व थोड़ा सा खुद भी ले कि सीख होगा?

सिर्फ विश्वास पर ही खाली हाथ न जाए? विशेषकर ऐसे स्थान पर जहां सनातनियों को चारे के समान वर्षों रखा गया हो? क्योंकि आपको एकदम से लाश में बदलने में कुछ सेकंड्स भी नहीं लगेंगे। अमेरिका में 9/11 में एक टेररिस्ट कार्यवाही हुई थी उसके पश्चात आज तक वह दिन अमेरिका में लौटकर नहीं आया। हिंदू तो लगता बेचारा ही बन गए हैं। बांग्लादेश में उन्हें मारो, काटो, जलाओ, लूटो अपने देश के मुर्शिदाबाद में इन्हें मारो, काटो, लूटो उनके घर छीनकर इनको भगाओ। क्या कारण है? सिर्फ यही नहीं कि हिंदू भोला है। उत्सव प्रिय है। विश्वास करता है। आम पब्लिक को इतना टैक्स देने के बदले में यदि सुरक्षा भी उपलब्ध नहीं? तो किस ओर देखेगा आम जन। कश्मीर में 2000 सैलानियों को यदि कोई सुरक्षा नहीं तो आमजन किस जगह पर सुरक्षित है? किसको फायदा होता है? जातियों में बांट देने पर, कौन इस जातिवाद कार्ड से फायदा उठाता है? यह अब हम आमजन को समझना होगा। नहीं तो यदि हम जात-पात में बंटते रहे तो एक तो होने का सवाल ही नहीं उठेगा। और इसी तरह से कहीं भी कभी भी सनातनियों का लहू और बहेगा आज धर्म गुरु देवकीनंदन जी के कार्यक्रम में उपस्थित थी। वे किस तरह सनातनियों के लिए परेशान थे?

छोटा सा देश इजराइल अपने देश के एक-एक नागरिक को कितना सम्मान देता है? तो क्या भारतीय सनातनी सिर्फ चारे के लिए ही बचा है? किसको समझदार होने की आवश्यकता है?

हमारे देश वासियों को भारत की चिरकालिक, परंपराओं, विशेषताओं बहादुरी से भरे इतिहास को संस्कृति धरोहर, विरासत को देखना होगा 1500 साल पहले ही महाराणा प्रताप, कुंभाजी उसके पश्चात छत्रपति शिवाजी हमारे बहादुर संभाजी 48 दिनों तक इतना भयानक टॉर्चर झेला मुहँ से चीख तक नहीं निकाली। हम उन्हीं के वंशज हैं। यदि कोई नहीं तो अपने ऊपर ही विश्वास कर खुद को अपनी संतानों को मजबूत बनाना होगा। जरा सी गर्मी तो बच्चों को सिर्फ ऐ सी, सर्दी तो हीटर इससे बाहर लाना होगा उनको खुले मैदान में जोश के साथ मजबूत बनने की ट्रेनिंग देनी होगी

धर्म रक्षति, रक्षिता यानी जो धर्म की रक्षा करता है। धर्म उनकी रक्षा करता है, धर्मगुरु देवकीनंदन जी का भी यही कहना है कि यदि कोई मारे तो उसका इलाज मरना या मार खाना नहीं है, बल्कि मारना है। जब द्रोपदी का वस्त्र हरण हो रहा था उस वक्त पितामह का क्या फर्ज था? दुशासन को पडक़र उसकी भुजा तोड़ के वही खत्म कर देते। लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया तो बदले में उन्हें कांटों की शैया पर लेटना पड़ा। उनका कहना है बेटियों को रैंप पर चलने वाली पतली फिगर ना बनाएं। डॉक्टर बनाएं, इंजीनियर बनाएं, पर साथ-साथ झांसी की रानी बनाएं। तलवार चलाना, लाठी चलाना सिखाएं। ताकि वह किसी के फ्रिज में अंत न पायें। बल्कि किसी की हिम्मत ही न हो किसी की बेटी को फ्रिज में डालने की। जो बहुत अमीर हिंदू सनातनी हैं वे भी इस बात को अच्छी तरह समझ लें कि अब यदि घूमने जाए तो अपनी रक्षा का दायित्व भी साथ लेकर जाए सारा देश आज केंद्र सरकार की ओर देख रहा है की अब गोविंद आएंगे या अर्जुन को ही तैयार होना होगा गांडीव संभालना को। Noida News:

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