Monday, 12 May 2025

जाने दो …

Noida News :  जाने दो,… कभी-कभी कितना भारी पड़ जाता है! यह पिछले दो दिन के सभी अखबार बता रहे…

जाने दो …

Noida News :  जाने दो,… कभी-कभी कितना भारी पड़ जाता है! यह पिछले दो दिन के सभी अखबार बता रहे हैं। दयालपुर दिल्ली में गिरी चार मंजिला इमारत जिसमें लगभग 11 लोग तो सुपुर्द ऐ खाक हो गए और कितने ही घायल। जब इसके कारणो के बारे में जानकारी ली गई तो अंत में ये भी एक महत्पूर्ण कारण निकला है कि चूहों ने भयानक बिल बना लिए थे जिससे नींव खोकली पड़ गई थी। सरल शब्दों में यानि जाने भी दो …

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नोएडा के सेक्टर-19 का बी ब्लॉक, सी ब्लॉक में सनातन धर्म मन्दिर के बिलकुल सामने एक बड़ा पार्क है। उस पार्क के साथ-साथ कोने का एक मकान जहां रहने वाली महिला ने मुझे कई बार बुलाया। वह कहती कि आप आकर देखिए तो सही। कृपया प्राधिकरण से ही कुछ शिकायत कीजिए हम क्या करें? जब मैं वहां देखने गई तो अजब नजारा मिला।

उनके घर में नीचे के फ्लोर पर फर्श कहीं से ऊंचा कहीं से नीचा। कहीं से फूटा हुआ पीछे आंगन का तो बुरा ही हाल था। 3 मंजिल घर और नीचे के फ्लोर में किराएदार आते और अगले ही माह खाली कर चले जाते थे। मकान के नीचे से पूरी पाइप लाइन धाराशायी। एक बार नहीं कई-कई बार पहले लोहे की पाईप लाईन पूरी बर्बाद हुई। तब उन्होंने प्लास्टिक की पाइप लाइन डालवाई। वह भी जगह-जगह से चूहों के द्वारा काट दी गई। सीवर लाइन आए दिन चोक हो जाती। पाइप में पूरी तरह से मिट्टी भर जाती। उनके टॉयलेट के पाइप आए दिन चौक हो जाते थे। एक बार तो तीसरी मंजिल के टोयलेट से नीचे आने वाला पाइप ऐसा चोक हुआ कि पूरा पाइप ही बदलवाना पड़ा। उस पाइप को जब टुकड़े-टुकड़े करके निकलवाया गया तो देखने वाली बात यह थी कि उस पाइप के बीच-बीच में पॉलिथीन फंसी हुई थी और पॉलिथीन के बीच में जो स्पेस थी उसमें भी चूहे अपना घर बनाए हुए थे। अब सीवर में ऊपर यदि कोई कुछ करता तो पानी ऊपर रह जाता नीचे आता ही नहीं था बदबू इतनी की जीना मुश्किल। यानी पाइप लाइन पर भी चूहों का ही राज हो गया था। अब उस घर के निवासियों को लगा की ‘जाने भी दो’ से काम नहीं चलेगा। अत: भाग दौड़ मचाई।

यह खाली उनके घर का हाल नहीं है आए दिन चूहे इतने बढ़ जाते हैं। कारण क्या है? लोग चूहे को मारने के स्थान पर पिंजरे में बंद करके इधर वाले चूहा दूसरी ओर छोड़ते हैं। दूसरी तरफ वाले इधर तरफ छोड़ जाते हैं। कुछ समझदार लोग उनको नालों में छोड़ते हैं। जहां से वे सीवर के रास्तों से फिर से आपकी किचन में अपने परिवार से आ मिलते हैं। यदि किसी के घर के आसपास से खासकर नाला गुजर रहा हो। जैसे कि नोएडा के हर सेक्टर के बीच से सिंचाई नाला गुजर रहा है। जो लोग भी सिंचाई नाले के आसपास रहते हैं। वह इस बात को अच्छी तरह से जानते हैं कि उनके घर में रात के समय कितने बड़े-बड़े चूहे आते हैं। क्योंकि रहने के लिए वह नाले के किनारे मिट्टी खोद लेते हैं। खाने के लिए आसपास के घरो में अटैक करते हैं। जब बारिश आती है नाले में पानी ज्यादा भर जाता है? तो वह पनाह लेने के लिए आसपास रहने वाले लोगों के घरों में घुस जाते हैं।

हैरानी तब होती है। जब लोग बिल्ली का उपयोग ही नहीं समझते हर घर में जाली के दरवाजे हैं। बिल्ली भी जाए तो कहां जाए? सडक़ों में पार्कों में यदि वे बैठती हैं तो उन्हें कुत्ते नहीं जीने देते। अब इसमें कुछ लोग और भी समझदारी करने लगे हैं। जैसे कुत्तों को स्टेरलाइज करवाते हैं। कुछ समझदार लोग कहते हैं यह बेचारी धक्के खा रही है। भूखी मरती है। लोग घर में घुसने नहीं देते। इन पर पानी डालते हैं तथा उनको भी स्टेरलाइज करवा आते हैं। जरा सोचकर देखें हम चूहे को मारेंगे। नहीं बिल्लियों को स्टेरलाइज करवा देंगे। तो चूहे क्या करेंगे? आप ही के घरों को नीचे से खोखला करेंगे। खाने ऊपर आएंगे और पेट भरने के बाद खुदाई नीवं के आसपास करेंगे। इससे पहले की यह समस्या बहुत अधिक ही बढ़ जाए। इन्हें मारना ही एक विकल्प है। जाने भी दो… नहीं। बिल्लियों को स्टरलाइज ना करें। आपके घर में बिल्ली आए तो उन्हें आने दें वही इनको खत्म करेंगी। नहीं तो चूहे मारने की दवा डालें।

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सेक्टर-19 का वह घर बिल्कुल बर्बाद हो गया नीचे से खोखला हो गया। लोगों ने रहना बंद कर दिया। ऊपर के फ्लोर से भी लोग डरने लगे थे। आखिरकार बेचकर ही चले गए। दिल्ली में दयालपुर की बिल्डिंग तो दो दिन पहले गिर ही गई। ऐसे और कितनी ही बिल्डिंग खोखली हैं उनमें रहने वाले चूहों की आबादी से अब भांप सकते हैं। अत: हर बात में ‘जाने भी दो’। नहीं चलता इस बारे में गंभीरता से हमें निर्णय लेना ही होगा। कुछ ब्लॉक ऐसे भी हैं जिसमें लोग ठान लेते हैं कि हम महीने में एक दिन चूहे मारने की दवा डालेंगे और सब डालेंगे कुछ मार्केट भी ऐसी हैं। जो यह करते हैं और सुखी रहते हैं। अन्यथा यह जाने भी दो.. तो बिल्कुल भी विकल्प नहीं। Noida News : 

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