बढ़ते हुए प्रदूषण के साथ ही बढ़ रही है समाज की चिंता

नोएडा क्षेत्र में सक्रिय सामाजिक कार्यकर्ता तथा पत्रकार अंजना भागी ने अपने खास अंदाज में प्रदूषण की बढ़ती हुई चिंता का विश्लेषण किया है। हम यहां अंजना भागी का विश्लेषण ज्यों का त्यों प्रकाशित कर रहे हैं।

नोएडा की हवा फिर रेड जोन में
नोएडा की हवा फिर रेड जोन में
locationभारत
userआरपी रघुवंशी
calendar29 Dec 2025 03:54 PM
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Noida News : नोएडा से लेकर ग्रेटर नोएडा, दिल्ली अथवा NCR के हर शहर में हवा में फैला हुआ प्रदूषण विकराल रूप में सबके सामने है। नोएडा तथा ग्रेटर नोएडा क्षेत्र में वायु की गुणवत्ता यानि AQI बार-बार पुराने सारे रिकार्ड तोडक़र हर रोज खराब स्तर पर दर्ज किया जा रहा है। ऐसे में नोएडा तथा ग्रेटर नोएडा के नागरिकों की चिंता लगातार बढ़ रही है। नोएडा क्षेत्र में सक्रिय सामाजिक कार्यकर्ता तथा पत्रकार अंजना भागी ने अपने खास अंदाज में प्रदूषण की बढ़ती हुई चिंता का विश्लेषण किया है। हम यहां अंजना भागी का विश्लेषण ज्यों का त्यों प्रकाशित कर रहे हैं।

क्या आँखें बंद कर लेने से काम चल जाएगा

क्या कबूतर के आँखें बंद कर लेने से वह बिल्ली से बच सकता है? नहीं। और आज यही स्थिति हमारे समाज की हो रही है। हम प्रदूषण के सामने आँखें मूँदे बैठे हैं, यह सोचकर कि शायद खतरा टल जाएगा। लेकिन सच्चाई यह है कि अब न कोई राम का नाम लेकर मरेगा, न रहीम कहने से। यदि लोग मरेंगे तो साँसों के घुटने से, साँस जनित बीमारियों से, फेफड़ों के रोग, कैंसर, अस्थमा और एलर्जी से। बच्चे से बुज़ुर्ग तक—कोई सुरक्षित नहीं इस अदृश्य युद्ध में न उम्र देखी जा रही है, न ताक़त। बच्चे, युवा और वृद्ध—सब समान रूप से इसकी चपेट में हैं। यह प्रदूषण किसी को चेतावनी नहीं देता, सीधे वार कर रहा है। और यह भी सच है।

प्यूरीफायर समाधान नहीं, भ्रम है

आज समाधान के नाम पर एयर प्यूरीफायर को जादुई यंत्र की तरह पेश किया जा रहा है। लेकिन सवाल यह है— जो लोग दो वक्त की रोटी नहीं जुटा पा रहे, वे प्यूरीफायर कहाँ से खरीदेंगे? कहाँ लगाएंगे? और बिजली के भरोसे अपने फेफड़ों को कैसे बचाएँगे? इलाज- सरकारी और निजी—दोनों की त्रासदी। सरकारी अस्पतालों में दवा मिल गई तो आप बच गए, दवा नहीं मिली तो अगली सुबह फिर वही रोगी को लगने को लंबी लाइन। निजी अस्पतालों में इलाज कराइए तो एक व्यक्ति शायद ठीक हो जाए, लेकिन पूरा परिवार आर्थिक रूप से बीमार हो जाता है। यह भी एक तरह की मौत ही है—धीमी और पीड़ादायक।

600-700 के पार : जब प्रदूषण यंत्र भी चुप हो जाता है

जब प्रदूषण का स्तर 600-700 के पार चला जाता है, तो उसके आँकड़े भी बोलना बंद कर देते हैं। नोएडा के सेक्टर 98 जैसे इलाक़ों में, जहाँ प्रदूषण मापने वाले यंत्र लगे हैं, वहाँ लगातार पानी की बौछारें चल रही हैं। प्रश्न यह है— क्या यही अब आम आदमी का भविष्य बनने वाला है? प्रदूषण जाति नहीं, फेफड़े और उनकी मजबूती के आधार पर प्रहार करता है प्रदूषण यह नहीं पूछता कि आप किस जाति, वर्ग या धर्म के हैं। वह केवल यह देखता है कि आपके फेफड़ों की सहनशक्ति कितनी है। आसमान आज भी नीला है—उम्मीद जि़ंदा है सबसे बड़ी सच्चाई यह है कि आसमान हर समय काला नहीं रहता।

वह आज भी कई बार नीला दिखाई देता है। इसका अर्थ साफ़ है— यह समस्या लाइलाज नहीं है। लेकिन इसके लिए सामूहिक संकल्प चाहिए। एक ही शहर, और कई तरह की साँसें अपने ही शहर में चलिए— कुछ जगहों पर हवा खुली लगती है, और कुछ जगहों पर जहाँ आज भी लोग चूल्हे पर रोटी बनाते हैं, जहाँ हर काम आग जलाकर होता है वहाँ साँस लेना भी किसी त्योहार से कम नहीं।

धूल, सडक़ें और PM 2.5

सडक़ों पर अत्यधिक भार के कारण बारीक धूल हर समय उड़ती रहती है। यह धूल आसमान तक तो शायद नहीं जाती, लेकिन इंसान की साँस की ऊँचाई तक जरूर पहुँच जाती है। यदि सडक़ों का भार हटे, पब्लिक ट्रांसपोर्ट को सक्रिय किया जाए, और PM 2.5 को नियंत्रित करने के ठोस उपाय हों— तो बड़ा बदलाव संभव है। सर्दी से बचने के लिए या कूडे से पीछा छुड़ाने के लिए ही पॉलिथीन, कूड़ा, लकड़ी जो कुछ भी जलाया जा रहा है, उस पर यदि थोड़ा-सा भी नियंत्रण हो, तो यकीन मानिए हालात बेहतर हो सकते हैं। यह जंग अकेली सरकार नहीं लड़ सकती यह युद्ध केवल सरकार का नहीं है। यह जंग हर नागरिक को लडऩी होगी। सरकार को तो नियंत्रण और अपने हर नागरिकों के जीवन का सम्मान हम पद, प्रतिष्ठा और अधिकारों के लिए लड़ते रहे, अपने-अपने घरों में प्यूरीफायर लगाकर यह मानकर सो गए कि हम सुरक्षित हैं। लेकिन क्या कोई 24 घंटे प्यूरीफायर के सामने बैठकर जीवन जी सकता है? क्या प्यूरीफायर को साथ लेकर सडक़ों पर चलना संभव है? ऑक्सीजन सिलेंडर से पहले चेत जाना होगा। इससे पहले कि  वह समय आए जब हर व्यक्ति ऑक्सीजन सिलेंडर लगाकर सडक़ पर निकले हमें जागना होगा। हर व्यक्ति को पर्यावरण का सिपाही बनना होगा। आज नहीं तो बहुत देर हो जाएगी। नवंबर में बढ़ी मौतों की संख्या यदि हर वर्ष इसी तरह बढ़ती रही, तो यह आँकड़ा घटेगा नहीं और भयावह होता जाएगा। प्रदूषण के खिलाफ पहल हमें ही करनी होगी। आज नहीं तो कल— लेकिन अगर अब भी नहीं, तो शायद बहुत देर हो जाएगी। हर सुबह यदि आप अपने फोन में देखें तो वह आपको प्रदूषण की असली दर बता रहा है कभी 600, 700 या जो कुछ भी है। Noida News


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नोएडा के फेलिक्स हॉस्पिटल में दवा स्टॉक में बड़ी गड़बड़ी, मुकदमा दर्ज

शिकायत में बताया गया है कि 8 दिसंबर को राहुल बिना अनुमति के अचानक अस्पताल से अपने घर चला गया। इसके बाद जब अस्पताल की ओर से फोन पर संपर्क किया गया तो उसने कॉल रिसीव नहीं की। इस व्यवहार को संदिग्ध मानते हुए प्रबंधन ने बिलिंग रिकॉर्ड और स्टॉक रजिस्टर का मिलान कराया।

फेलिक्स हॉस्पिटल नोएडा
फेलिक्स हॉस्पिटल नोएडा
locationभारत
userअभिजीत यादव
calendar29 Dec 2025 01:33 PM
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Noida News : नोएडा के सेक्टर-137 स्थित फेलिक्स हॉस्पिटल के मेडिकल स्टोर से करीब एक लाख रुपये की दवाइयों के गायब होने का मामला सामने आया है। अस्पताल प्रबंधन ने फार्मासिस्ट पर गबन का आरोप लगाते हुए थाना सेक्टर-142 में मुकदमा दर्ज कराया है। पुलिस का कहना है कि शिकायत के आधार पर केस दर्ज कर लिया गया है और पूरे प्रकरण की जांच की जा रही है।

कॉल रिसीव नहीं करने पर प्रबंधन सतर्क

अस्पताल के मैनेजर नवीन की ओर से दी गई शिकायत के मुताबिक, मेडिकल स्टोर में फार्मासिस्ट के पद पर राहुल (निवासी ग्राम कथारया, अलीगढ़; पिता—संजय) कार्यरत था। वह अस्पताल परिसर के भीतर बने मेडिकल स्टोर से मरीजों को दवाइयां उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी संभाल रहा था। शिकायत में बताया गया है कि 8 दिसंबर को राहुल बिना अनुमति के अचानक अस्पताल से अपने घर चला गया। इसके बाद जब अस्पताल की ओर से फोन पर संपर्क किया गया तो उसने कॉल रिसीव नहीं की। इस व्यवहार को संदिग्ध मानते हुए प्रबंधन ने बिलिंग रिकॉर्ड और स्टॉक रजिस्टर का मिलान कराया।

स्टॉक-बिलिंग जांच में दिखी करीब ₹1 लाख की कमी

प्रबंधन के अनुसार, स्टॉक और बिलिंग की पड़ताल में सामने आया कि मेडिकल स्टोर से करीब एक लाख रुपये की दवाइयां कम हैं। अस्पताल का आरोप है कि यह कमी राहुल की ड्यूटी और देखरेख की अवधि से जुड़ी हुई है, इसलिए गबन की आशंका राहुल पर जताई गई है। मैनेजर के मुताबिक, राहुल से कई बार संपर्क की कोशिश की गई, लेकिन वह अस्पताल के किसी भी नंबर का फोन नहीं उठा रहा। थाना प्रभारी ने बताया कि पीड़ित पक्ष की शिकायत पर मामला दर्ज कर लिया गया है। अस्पताल के बिलिंग दस्तावेज, स्टॉक रजिस्टर और अन्य रिकॉर्ड के आधार पर जांच आगे बढ़ाई जा रही है। जरूरत पड़ने पर संबंधित कर्मचारियों के बयान भी दर्ज किए जाएंगे। Noida News

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नोएडा डंपिंग यार्ड में बैग से मिली युवती की लाश, जांच तेज

युवती के हाथ-पैर बंधे थे और पहचान छिपाने की नीयत से उसका चेहरा जलाया गया था। पुलिस की शुरुआती जांच में मृतका की उम्र करीब 22 से 25 साल बताई जा रही है, लेकिन अब तक उसकी पहचान नहीं हो पाई है। नोएडा पुलिस इसे ‘कहीं और हत्या, यहां शव ठिकाने’ की आशंका मानकर हर एंगल से सुराग जोड़ने में जुटी है।

सेक्टर-145 डंपिंग ग्राउंड में सनसनी
सेक्टर-145 डंपिंग ग्राउंड में सनसनी
locationभारत
userअभिजीत यादव
calendar29 Dec 2025 09:48 AM
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Noida News : नोएडा में एक बार फिर मानवता को झकझोर देने वाला मामला सामने आया है। नोएडा सेक्टर-142 थाना क्षेत्र के तहत सेक्टर-145 स्थित डंपिंग यार्ड में कूड़े के बीच एक काले बैग में बंद युवती का शव मिलने से पूरे नोएडा शहर में हड़कंप मच गया है। युवती के हाथ-पैर बंधे थे और पहचान छिपाने की नीयत से उसका चेहरा जलाया गया था। पुलिस की शुरुआती जांच में मृतका की उम्र करीब 22 से 25 साल बताई जा रही है, लेकिन अब तक उसकी पहचान नहीं हो पाई है। नोएडा पुलिस इसे ‘कहीं और हत्या, यहां शव ठिकाने’ की आशंका मानकर हर एंगल से सुराग जोड़ने में जुटी है।

डंपिंग यार्ड में बैग खुलते ही मचा हड़कंप

नोएडा के सेक्टर-145 डंपिंग यार्ड में शनिवार दोपहर उस वक्त अफरा-तफरी मच गई, जब कूड़ा बीनने पहुंची महिलाओं और बच्चों की नजर कूड़े के बीच पड़े एक काले बैग पर पड़ी। बैग संदिग्ध लगा तो उन्होंने जैसे ही उसे खोला, अंदर शव देखकर घबराहट फैल गई और तुरंत सेक्टर-142 थाना पुलिस को सूचना दी गई। मौके पर पहुंची नोएडा पुलिस ने फॉरेंसिक टीम के साथ घटनास्थल को सील कर बारीकी से जांच की और जरूरी साक्ष्य जुटाए। शुरुआती पड़ताल में युवती के चेहरे पर चोट के निशान मिले हैं, जबकि शरीर के अन्य हिस्सों पर कोई बड़े बाहरी घाव स्पष्ट नहीं दिखे। चेहरा झुलसा होने से पुलिस को आशंका है कि पहचान मिटाने के इरादे से उसे जलाया गया। शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है, ताकि मौत का कारण, समय और पूरी वारदात की कड़ी साफ हो सके।

क्या हत्या कहीं और हुई? नोएडा डंपिंग ग्राउंड पर फेंकने की आशंका

जिस जगह यह शव मिला, वह नोएडा का मुख्य डंपिंग ग्राउंड है यहीं पर शहर भर का ज्यादातर कचरा डाला जाता है। दिन के समय भी यह इलाका काफी हद तक सुनसान रहता है और यहां आम लोगों की आवाजाही लगभग नहीं के बराबर होती है; ज्यादातर हलचल सिर्फ कूड़ा उठाने-ढोने वाली गाड़ियों तक सीमित रहती है। इसी “कम निगरानी” वाले माहौल को देखते हुए नोएडा पुलिस को शक है कि हत्या वारदातस्थल पर नहीं, बल्कि कहीं और की गई और फिर रात की आड़ में शव को बैग में बंद कर डंपिंग यार्ड में लाकर ठिकाने लगाया गया, ताकि पहचान और सुराग दोनों मिटाए जा सकें।

ऑनर किलिंग समेत कई एंगल पर जांच

इस हत्या ने नोएडा पुलिस के सामने कई सवाल खड़े कर दिए हैं, इसलिए जांच को ऑनर किलिंग समेत हर संभावित एंगल से आगे बढ़ाया जा रहा है। युवती लोवर और टी-शर्ट में थी, लेकिन अब तक उसकी पहचान नहीं हो पाई है। नोएडा पुलिस के साथ-साथ आसपास के जिलों में दर्ज गुमशुदगी की रिपोर्टों को भी खंगाल रही है, ताकि शिनाख्त की पहली कड़ी जुड़ सके। फिलहाल सेक्टर-142 थाना क्षेत्र में हाल के दिनों में किसी युवती के लापता होने की सूचना नहीं मिली है, वहीं पुलिस का कहना है कि शव कुछ दिन पुराना प्रतीत हो रहा है। एडीसीपी सेंट्रल नोएडा संतोष कुमार के मुताबिक, केस के खुलासे के लिए चार टीमें अलग-अलग दिशाओं में लगाई गई हैं सीसीटीवी फुटेज, डंपिंग यार्ड तक आने-जाने वाले रूट, संदिग्ध वाहनों की आवाजाही और इलाके की गतिविधियों की गहन जांच की जा रही है। नोएडा पुलिस का दावा है कि जल्द ही हत्यारों तक पहुंचकर पूरे मामले का पर्दाफाश किया जाएगा।

शिनाख्त के लिए आसपास के जिलों से भी संपर्क

इस हत्याकांड में मृतका की शिनाख्त ही सबसे अहम कड़ी बन गई है। इसी दिशा में नोएडा पुलिस ने आसपास के थानों से लेकर पड़ोसी जिलों तक नेटवर्क एक्टिव कर दिया है और हालिया गुमशुदगी दर्ज मामलों का रिकॉर्ड खंगाला जा रहा है। स्थानीय स्तर पर भी लोगों से पूछताछ कर सूचनाएं जुटाई जा रही हैं, ताकि पहचान सामने आते ही परिजनों तक तुरंत पहुंचा जा सके। Noida News


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