Wednesday, 27 November 2024

Noida News : ‘जल बिना जीवन की कल्पना नहीं’

Noida News : नोएडा । एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ एनवायरमेंटल सांइसेस (Amity Institute of Environmental Sciences) द्वारा डीएसटी एसईआरबी के कार्यशाला ट्रेनिंग…

Noida News : ‘जल बिना जीवन की कल्पना नहीं’

Noida News : नोएडा । एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ एनवायरमेंटल सांइसेस (Amity Institute of Environmental Sciences) द्वारा डीएसटी एसईआरबी के कार्यशाला ट्रेनिंग प्रोग्राम के अंर्तगत ‘‘जल गुणवत्ता निगरानी, नमूना विश्लेषण और गुणवत्ता आश्वासन के उपकरण और तकनीक’’ पर 5 दिवसीय व्यावहारिक प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें देश के विभिन्न संस्थानों ने 25 शोधार्थी और छात्र हिस्सा ले रहे है।

एमिटी में जल गुणवत्ता पर शुरू हुई कार्यशाला

प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ भारत सरकार के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के कंट्रोल ऑफ पॉल्युशन के निदेशक संदीप ने कहा कि यह प्रशिक्षण कार्यक्रम आपको केवल जल गुणवत्ता के क्षेत्र में ही नही बल्कि आप जिस क्षेत्र में भी शोध कर रहे है सभी में सहायक होगा। गुणवत्ता के आश्वासन के महत्व को समझें इसलिए सर्वप्रथम आपको यह स्पष्ट होना चाहिए आपका उददेश्य क्या है और आप सैंपल क्यो जमा कर रहे है। आपको माध्यमों और तकनीकी की जानकारी भी होना चाहिए। डा संदीप ने सैंपलों को जमा करने और उनके लैब में पहुंचाने के यातायात के बारे में बताया कि जब भी आप सैंपल इकठ्ठा करते है तो आपको पूरी योजना बना करनी चाहिए क्योकी इन सबका असर आपके अंतिम परिणाम पर आयेगा।

राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिक ‘एफ’ डा हिमंाशु शेखर मंडल ने कहा कि जल की गुणवत्ता एक बहुत बड़ी चुनौती है और इस प्रकार के व्यवहारिक प्रशिक्षण से आपको वास्तविक जीवन में कार्य करने का मौका प्राप्त हो रहा है। तकनीक का उपयोग ना केवल जल की गुणवत्ता को जांचने की करना है बल्कि गुणवत्ता को सुधारने के लिए शोध करना चाहिए।

एमिटी विश्वविद्यालय की वाइस चंासलर डा बलविंदर शुक्ला ने कहा कि एक स्थिर जीवन के लिए जल महत्वपूर्ण स्त्रोत है और बिना जल के किसी भी जीवन की कल्पना नही की जा सकती है। औद्योगिकरण, बढ़ती जनसंख्या में जल स्त्रोतो का संतुलन बनाये रखना एक बड़ी चुनौती है। गिर रहे जल स्तर में जल की गुणवत्ता एवं उलब्धता को बचाये रखना आवश्यक है। हमें जल का पुर्नउपयोग, रेन वाटर हार्वेस्टिंग का बढ़ावा देते हुए बाढ़ में आये पानी का संचय करना चाहिए।
एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ एनवायरमेंटल सांइसेस की सहायक निदेशक डा रेनू धुप्पर ने जानकारी देते हुए कहा कि इस पंाच दिवसीय कार्यक्रम में कुल 82 शोधार्थीयों और छात्रो ने आवेदन किया था जिसमें 25 का चयन किया गया।

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