Noida News : नोएडा शहर का संचालन करने का काम नोएडा प्राधिकरण के पास है। नोएडा प्राधिकरण घपले तथा घोटाले के लिए कुख्यात है। पिछले कुछ सालों में नोएडा के घपले तथा घोटाले कम हुए हैं । उत्तर प्रदेश सरकार की पूरी शक्ति के बावजूद नोएडा प्राधिकरण के कुछ अधिकारी तथा कर्मचारी घोटाला करने से बाज नहीं आ रहे हैं। हाल ही में नोएडा प्राधिकरण का एक नया फर्जीवाड़ा (घोटाला) सामने आया है।
हवा में ही बेच दी सरकारी जमीन
नोएडा प्राधिकरण के कुछ अधिकारियों तथा कर्मचारियों ने करोड़ रुपए मूल्य की सरकारी जमीन को हवा में ही बेच डाला। इस जमीन को बेचने का कोई भी रिकॉर्ड नोएडा प्राधिकरण की फाइलों में मौजूद नहीं है। हवा में बेची गई सरकारी जमीन की कीमत 150 करोड़ रुपए से भी अधिक की बताई जा रही है । इस मामले की शिकायत मिलने पर उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव तथा नोएडा प्राधिकरण के अध्यक्ष मनोज सिंह ने जांच करके सख्त से सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं।
नोएडा के महर्षी आश्रम की जमीन पर हुआ है फर्जीवाड़ा
नोएडा प्राधिकरण के कुछ अधिकारियों तथा कर्मचारियों ने नोएडा के सलारपुर में स्थित महर्षि आश्रम की जमीन में फर्जीवाड़ा किया है। एक रिपोर्ट के अनुसार नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों ने महर्षि योगी आश्रम से सीलिंग नियमों का हवाला देकर वापस ली गई जमीन दूसरी संस्था को मनमाने तरीके से बेच दी। यही नहीं, उन्होंने ये जानकारी संबंधित फाइलों में भी दर्ज नहीं की। जब सरकार ने ये जमीन महर्षि आश्रम को लौटाने का फैसला किया तो प्राधिकरण के अफसरों की ये घपलेबाजी सामने आ गई। अब शासन मामले की उच्चस्तरीय जांच करा रहा है। मामले में कई अफसरों के खिलाफ कार्रवाई तय मानी जा रही है।
गौतमबुद्धनगर में महर्षि आश्रम से जुड़ी संस्थाओं को 21.57 हेक्टेयर जमीन दी गई थी। सरकार ने करीब 50 साल पहले सीलिंग नियमों हवाला देकर कुछ जमीन वापस ले ली। दिसंबर 2022 में ऐसी जमीनों को पुराने मालिकों को लौटाने का शासनादेश जारी हुआ। ऐसे में महर्षि आश्रम को भी जमीन लौटाने का फैसला हुआ। 1 मार्च 2024 को गौतमबुद्धनगर की 11 संस्थाओं को तहसील दादरी में लौटाई गई 21.5721 हेक्टेयर जमीन में से 11 हेक्टेयर जमीन ही क्लियर पाई गई।
शासन को भेजी रिपोर्ट में बताया गया कि आश्रम से ली गई जमीन में से सात हेक्टेयर अथॉरिटी के अफसरों ने बेच दी है। वहां निर्माण भी हो चुका है। शासन के एक अधिकारी के मुताबिक, संस्थाओं के पक्ष में जमीन विनियमित किए जाने से पहले सभी तथ्य संबंधित, फाइलों में दर्ज किए जाने चाहिए थे, जो नहीं किया गया। Noida News