Noida News : नोएडा में एक से बड़ी एक बिल्डर कंपनियां हैं, जिनमें कुछ तो अपना कामकाज साफ सुथरा रखती हैं। लेकिन कुछ ने जुकाड़तंत्र और बहुत ज्यादा कमाने के चक्कर में अपना ही बेड़ा गर्क कर रखा है। इसी तरह का एक मामला नोएडा के लोटस-300 सोसाइटी सेक्टर-107 में फंड डायवर्जन पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की बिल्डर कंपनी हैसिंडा प्रोजेक्ट्स पर चल रही जांच अब स्मारक घोटाले तक पहुंच गई है। ईडी ने स्मारक घोटाले की जांच कर रहे यूपी विजिलेंस को पत्र लिखकर कई बिंदुओं पर जानकारी मांगी है। उप निदेशक प्रवर्तन निदेशालय लखनऊ की तरफ से विजिलेंस को भेजे गए पत्र में स्मारक घोटाले में पूर्व में दर्ज हुई एफआईआर की सत्यापित प्रति मांगी है। ईडी की निगाह से बच पाना अब इस बिल्डर के लिए बड़ा मुश्किल होगा।
हैसिंडा प्रोजेक्ट्स और स्मारक घोटाले का सीधा जुड़ाव नहीं
हालांकि बिल्डर कंपनी हैसिंडा प्रोजेक्ट्स और स्मारक घोटाले का सीधा कोई जुड़ाव नहीं है। लेकिन ईडी ने विजिलेंस को यह बताया है कि हैसिंडा प्रोजेक्ट्स की जांच में स्मारक घोटाले से जुड़े कई बिंदु सामने आए हैं। जिसकी पड़ताल करनी बहुत जरूरी है। इस तरह से एक सोसाइटी से शुरू हुई ईडी की इस जांच का दायरा और बढ़ता हुआ दिख रहा है। इसीलिए ईडी ने जांच के लिए बनी एसआईटी की रिपोर्ट भी मांगी है।
दोनों के बीच अहम कड़ी हैं आईएएस मोहिंदर सिंह
अब यह तय है कि ईडी स्मारक घोटाले में नए सिरे से मोहिंदर व सहयोगियों की भूमिका को खंगालेगा। इन दोनों के बीच जांच में जो अहम कड़ी सामने आ रही है वह रिटायर्ड आईएएस मोहिंदर सिंह हैं। लोटस-300 सोसाइटी में फंड डायवर्जन की जांच में उनके ठिकानों पर ईडी छापे मार चुका है। कई बार पूछताछ के लिए भी बुलाया जा चुका है। दूसरी तरफ बात अगर बसपा सरकार में लखनऊ व गौतमबुद्ध नगर में स्मारक बनाने में हुए घोटाले की बात करें तो उस समय मोहिंदर सिंह प्रमुख सचिव आवास व शहरी नियोजन थे। स्मारक घोटाले की जांच मौजूदा समय में विजिलेंस जांच कर रही है। अब ईडी ने भी अपना जांच का दायरा बढ़ाते हुए पड़ताल शुरू कर दिया है।
ईडी नए सिरे से जांच में जुटी
मोहिंदर के चंडीगढ़ स्थित ठिकानों, व पर ईडी के छापे में कीमती हीरे-जेवर डा बरामद हुए थे। ईडी ने पूरी तरह से जांच का जाल तथ्यों के आधार पर मोहिंदर के लिए बिछाया हुआ है। विजिलेंस भी स्मारक घोटाले की जांच में तेजी से जुटी हुई है। नोएडा में 22 अक्तूबर को स्मारक घोटाले की जांच में निर्माण निगम के अपर परियोजना प्रबंधक राजवीर सिंह के ठिकानों पर विजिलेंस ने छापे मारे थे। यह जांच कई दिन तक चली थी। अब ईडी इन लोगों की मिलीभगत की नए सिरे से जांच में जुटी है। Noida News
करोड़ रुपये का फंड डायवर्जन
ईडी जिस मामले में जांच कर रही है उसमें बिल्डर कंपनी और उसके निदेशकों ने आपराधिक साजिश रचते हुए निवेशकों से मिले 190 करोड़ रुपये के फंड डायवर्ट कर’ दिए थे। उसके बाद फ्लैट खरीदारों की गुहार पर कोर्ट के आदेश के बाद ईडी ने लोटस 300 सोसाइटी परियोजना में फंड डायवर्जन की जांच मई में शुरू की थी। जांच में यह सामने आया है कि हैसिंडा प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड के नाम पर 69,942 वर्गमीटर जमीन अथॉरिटी से आवंटित की गई। इसमें से 27,942 वर्ग मीटर जमीन हैसिंडा प्रोजेक्ट्स ने अपनी ही सहयोगी कंपनी श्रीसी रियल्टर्स को 2 फरवरी 2012 को बेच दी। उस समय बेची गई जमीन की कीमत करीब 236 करोड़ रुपये होने का अनुमान था। नोएडा प्राधिकरण को फिर भी जमीन का बकाया नहीं दिया गया। प्राधिकरण के अधिकारियों ने जमीन की इस बिक्री को मंजूरी दी, यही नहीं बची जमीन पर बकाया मिले बगैर संशोधित लेआउट भी पास कर दिया। इस मूक सहमति से बिल्डर फंड डायवर्जन करने में कामयाब रहे। लोटस- 300 परियोजना में फ्लैट खरीदारों व जमीन बेचने से आया पैसा डायवर्ट होने से परियोजना फंसी। फ्लैट खरीदारों को भटकना पड़ा। ग्रुप हाउसिंग प्रोजेक्ट को पूरा न हो पाने की स्थिति में छोड़ दिया। परियोजना के वक्त नोएडा प्राधिकरण के सीईओ मोहिंदर सिंह थे। Noida News
महंगाई की मार का असर किचन पर भारी पड़ा
ग्रेटर नोएडा – नोएडा की खबरों से अपडेट रहने के लिए चेतना मंच से जुड़े रहें।