Noida News : हाथीदांत की अंतर्राष्ट्रीय बाजार में ऊंची कीमत के कारण पिछले 10 सालों में भारत में 500 से ज्यादा हाथियों की हत्या कर दी गई। हाथियों का सबसे ज्यादा शिकार प.बंगाल और असम में किया गया है। सख्ती के बावजूद महज हाथीदांत के लिए अभी भी देश में हाथियों की हत्या की जा रही है।
किए गए चौंकाने वाले खुलासे
शहर के समाजसेवी एवं पर्यावरणविद् रंजन तोमर ने आरटीआई के माध्यम से कुछ चौंकाने वाले खुलासे किये हैं। हाथियों के शिकार के एक प्रमुख कारण उनका हाथी दांत अर्थात आइवरी है, जिसके दस साल का ब्यौरा श्री तोमर को वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो द्वारा दिया गया है साथ ही कितने शिकारियों को गिरफ्तार किया गया इसकी जानकारी भी ब्यूरो द्वारा साझा की गई है। आरटीआई के माध्यम से दी गर्ई जानकारी के मुताबिक 2014 में देश भर में कुल मिलाकर 50 हाथीदांत जब्त हुए और 52 शिकारियों को गिरफ्तार किया गया। 2015 में 42 आइवरी जब्त हुई और 37 गिरफ्तारियां हुई , 2016 में क्रमश: 26 और 47 रहा, 2017 में 39 हाथीदांत जब्त हुए और 40 शिकारी गिरफ्तार हुए, 2018 में क्रमश: 44 और 46 का आंकड़ा रहा, 2019 में हाथीदांत का आंकड़ा 68 हो गया और 41 शिकारी गिरफ्तार हुए, 2020 में 39 हाथीदांत जब्त हुए और 47 गिरफ्तारी हुई, जबकि 2021 में भी 73 तक हाथीदांतों का आंकड़ा पहुंच गया , इस वर्ष 64 गिरफ्तार हुए , 2022 में यह आंकड़ा क्रमश: 60 और 65 का रहा। जबकि 2023 में 43 हाथीदांत पकडे गए और 48 शिकारी गिरफ्तार हुए , 2024 में यह आंकड़ा घटकर हाथीदांत का 16 और गिरफ्तारियों का 19 पर आ गया।
पश्चिम बंगाल एवं असम में सबसे ज्यादा शिकार
2014 में सबसे ज्यादा आइवरी नागालैंड में बरामद हुई जहां 14 और दूसरे पर तमिल नाडु जहां 10 बरामदगी हुई, 2015 में पश्चिम बंगाल में रिकॉर्ड 21 आइवरी बरामद हुई, 2016 में कर्नाटक में 7 आइवरी बरामदगी हुई, 2017 में कर्णाटक में 13 जब्ती हुई, 2018 में पश्चिम बंगाल में फिरसे 22 हाथीदांत पकडे गए, 2019 में तमिल नाडु में 16 और पश्चिम बंगाल और मेघालय में 13-13 हाथीदांत बदामद हुए, 2020 में असम में 11 और उत्तराखंड में 9 हाथीदांत पकडे गए, 2021 में असम में 13 और बिहार में 11 हाथीदांत बरामद हुए, 2022 में यह आकंड़ा सबसे ज्यादा मेघालय और झारखण्ड रहा जहाँ 10-10 हाथीदांत बरामद हुए, 2023 में फिर असम हाथीदांत देश भर में सबसे ज्यादा बरामद हुए। 2024 में पश्चिम बंगाल में 6 हाथीदांत बरामद हुए।
आइवरी के व्यापार पर रोक जरूरी
डॉ. रंजन तोमर ने संवाददाताओं से बात करते हुए कहा की यह बेहद दुखद है कि आज के परिवेश में भी हाथियों का शिकार जारी है और हाथीदांत की बरामदगी लगातार हो रही है। वह इस विषय में केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय एवं राज्यों को भी लिखेंगे ताकि आवश्यक कार्यवाही की जा सके और हाथियों के बचाव हेतु कड़े कानून बन सकें। Noida News
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