Wednesday, 26 June 2024

गुरु अर्जुन देव के शहीदी दिवस पर जगह जगह ठंडे शरबत की छबील

Noida News : रावी के पानी तू ठोकर मत मार, तुझे पता है न कि माही (गुरु अर्जुन देव महाराज…

गुरु अर्जुन देव के शहीदी दिवस पर जगह जगह ठंडे शरबत की छबील

Noida News : रावी के पानी तू ठोकर मत मार, तुझे पता है न कि माही (गुरु अर्जुन देव महाराज )

के शरीर पर बेशुमार छाले हैं।

अंजना भागी

भाई अजय जी द्वारा गया हुआ यह भजन कीर्तन जब भी मेरे दिल से फूट-फूट कर निकलता है तब मैं यही सोचती हूं क्यों हम अपने बच्चों को इधर-उधर की बातों से डराते हैं यदि हम उन्हें उनके इतिहास से रूबरू करवा तथा अपनी संस्कृति संस्कार उनमें जागृत करें तो शायद उनके हृदय में भी एक नई ऊर्जा का संचार होगा। सिख समुदाय के चौथे गुरु रामदास जी के पुत्र पाँचवे गुरु महाराज अर्जुन देव जी का शहीदी दिवस, उनकी शहादत को याद करने के लिए आज के दिन जगह जगह ठंडे मीठे शरबत की छबील लगा कर मनाते हैं। गुरु अर्जुन देव जी सिख धर्म के पहले गुरु हैं अत्यंत कर्तव्यनिष्ठ धर्मपरायण। आपने ही धर्म के लिए अपनी शहादत दी। इसलिए इनके शहीदी दिवस पर जगह जगह ठंडे शरबत की छबील लगाई जाती हैं। ऐसे ही गंगा दशहरा जो कि हमें जल का सम्मान करना सिखाता है। आज सुबह जब राकेश शर्मा जी का मुझे फोन आया कि आपका शिष्य अक्षत यानी मेरा प्यारा बेटा कुचचु हमारे नोेएडा सेक्टर के आर ब्लॉक के गेट पर ठंडे मीठे शरबत की छबील लगा रहा है तो फिर वह मेरे दिल से आवाज निकलने लगी कि रावी के जल तू यह तो सोच की इसी बहाने तुझे भी तो गुरु महाराज अर्जन देव के दर्शन हो रहे हैं। यह प्रसंग उस वक्त का है जब गुरु अर्जन देव जी को तपते तवे पर बैठाकर नीचे आग जलाई गई थी उनके शरीर पर हजारों छाले ऊभर आए थे। उसके बाद उन्होंने स्नान की इच्छा रखी और रावी के जल में उतरे थे। तब भक्त ह्रदय तो यही कहेगा ना क्योंकि रावी की तेज लहरों का जल जब गुरु जी महाराज अर्जुन देव के शरीर को छूता था जल की ठोकर से उनको कितना कष्ट होता होगा। आज भी इस दिन तथा गंगा दशहरे पर पंजाबी सिख बल्कि हिंदुस्तान की लगभग सभी कोमें ठंडे मीठे दूध की छबील लगती हैं नोएडा में तो विशेष कर हर सेक्टर में ही छबीलें लगाई जाती हैं। एक तो अत्यधिक गर्मी होती है ऊपर से लू है हर किसी को बहुत प्यास लगती है बल्कि मुहँ सूखता है और इस गर्मी में ठंडा मीठा शरबत नयी स्फूर्ति जागृत करता है।Noida News

लेकिन उस ठंडे मीठे शर्बत के साथ में हम अपने धर्म तथा हमारे धर्म को जीवित रखने वालों को भी याद करते हैं जिन्होंने इस देश के लिए हिंदू धर्म को बचाने के लिए कैसी-कैसी कुर्बानियां दी थीं। इसमें देखने लायक यह है यह आज की बात नहीं है श्रीमति निर्मला शर्मा जो की साइंस की अध्यापिका रही हैं लेकिन हर छोटे-छोटे उत्सव मैंने देखा है कि वह अपने बच्चों तथा आस- पड़ोस के साथ धूमधाम से मनाती हैं। वैसे तो हर माता-पिता अपने बच्चों को पूरे संस्कार देने की कोशिश करता है लेकिन फिर भी आज जब बच्चे मुंह उठाकर हमें कह देते हैं कि आपने हमें सिखाया क्या? उन्हें देखेँ जिनहोने अपने बच्चों को अपने धर्म के विषय में सब कुछ बताया है। लेकिन हमें तो कुछ भी पता नहीं होता। हम पैदा होते हैं तो हमारे माता-पिता हमारे साथ आधी इंग्लिश और आधी हिंदी बोलते हैं और फिर इसी भाग दौड़ में लग जाते हैं कि हमारा किसी कॉन्वेंट विद्यालय में एडमिशन हो जाए यानि अपने बच्चों को सिर्फ जीवन में कमाने की रेस में तैयार करने के लिए जुगाड़ में लग जाते हैं। दूसरी तरफ मैं अपने ही सेक्टर के सामने कुछ अलग ही देख रही हूं ऐसे घर जो कि पुराने लोगों ने खरीदे थे आज वह सब घर खाली होते जा रहे हैं वह सड़क ही पूरे का पूरा व्यापार बनती जा रही है नीचे दुकान उसके ऊपर होटल उसके ऊपर भी कुछ ना कुछ व्यवसाय और सारा दिन वहां पर लोग काम करते हैं।

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हमारे पढ़े लिखे सारा दिन ऐसी कुलर में रहने वाले कमजोर बच्चों से ज्यादा हष्ट पुष्ट तथा स्वस्थ हैं और हंसमुख भी यह सब देखकर कहीं आपको नहीं लगता कि हमें अपने बच्चों को हर प्रकार से तैयार करना चाहिए। कि यदि शिक्षा से वे रोजगार ना पा सकें तो कम से कम शरीर इतना स्वस्थ आवश्य हो कि कोई ना कोई स्किल जो कि हमारे पारिवार में चली आ रही हैं हम अपने बच्चों को उसी में करम योगी बनाएं और उसे बिल्कुल भी बेरोजगार ना बिठाकर उसे काम में आगे बढ़ाएं लेकिन इनकी शुरुआत बच्चों को अपने कल्चर के साथ जोड़ने से अत्यधिक होती है। घर के छोटे-छोटे उत्सव जैसे हम घर में सुंदर कांड का पाठ या रामायण इत्यादि रखें ऐसे में हमारे पड़ोस के लोग आते हैं उनके साथ हमारे बच्चे जुडते हैं आज कोई शरबत पिला रहा था कोई गिलास किसी ने टेंट लगाने में मदद की। जैसे कि हमारे परिवारों में आजकल एक या दो ही बच्चे होते हैं इस प्रकार के उत्सवों से तो हमारे घर के आसपास के बच्चे इतने बढ़िया तरीके से हमारे बच्चों के साथ जुड़ते हैं कि आपस में भाई-बहनों की तरह रहने लगते हैं इसी तरह यदि हम उन्हें कुछ सीखने में डालेंगे तो बच्चे पढ़ाई के बाद यदि जल्दी से रोजगार नहीं पा रहे हैं तो इधर-उधर के फालतू कामों में ना भटक कर अपने काम में ही लग जाएंगे और जब शरीर स्वस्थ होगा तो बिना किसी बात के किसी से डरेंगे भी नहीं। इसलिए मुझे शर्मा जी का परिवार बहुत पसंद है क्योंकि साल में जितने त्योहार होते हैं उनके यहां से हमेशा बुलावा रहता है आज हमारा अक्षत प्रसाद लड्डू बाँट रहा है आज भंडारा बन रहा है आज शरबत की छबील है इसलिए हमारी जिसकी जितनी भी गुंजाइश है हमें यह सब अवश्य करना चाहिए गंगा दशहरा से एक दिन पहले नोेएडा मंदिर में भी सेक्टर के युवाओं ने छबील लगाई। नोेएडा के लगभग सब ही सेक्टरों में जैसे सेक्टर 34 में धर्मेनद्र जी ने अपनी आर डब्लू ऐ टीम श्री वध्वा जी ने नोेएडासेक्टर 71 कैलाश अस्पताल के सामने विशाल छबील का आयोजन किया लोगों ने भाग भाग कर सड़क का ट्रैफिक रोक रोक कर ठंडे शर्बत का वितरण किया ।Noida News

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