Thursday, 17 October 2024

धार्मिक उत्सव युवाओं को धर्म व संस्कृति से जोड़ें

Noida News : धार्मिक उत्सवों का अपना विशेष महत्व है। नोएडा (Noida) में भी एक ऐसा ही धार्मिक आयोजन हुआ…

धार्मिक उत्सव युवाओं को धर्म व संस्कृति से जोड़ें

Noida News : धार्मिक उत्सवों का अपना विशेष महत्व है। नोएडा (Noida) में भी एक ऐसा ही धार्मिक आयोजन हुआ जिसने मेरे मन में इस लेख को लिखने का विचार डाला। स्थान था नोएडा-9ए जागृति अपार्टमेंट सेक्टर-71, प्रदेश सचिव व्यापार मंडल मनीष शर्मा जो कि राष्ट्रीय परशुराम परिषद के उपाध्यक्ष पश्चिम भी हैं। उनके घर में विशाल भगवती जागरण (Bhagwati Jagran) का आयोजन। यहां देखने लायक बात यह थी कि मनीष शर्मा के पिताजी हजारीलाल शर्मा ने अपार्टमेंट के लगभग सभी निवासियों को न्यौता दिया था। राजकुमार शर्मा, संजय शर्मा, सुनील सतीश और नितिन शर्मा, बच्चे, बडों, युवा, पुरुष, महिलाएं भी जागरण में हाजिरी लगाने के लिए उपस्थित थी। पहले भोजन का आग्रह करते। मनीष जी के परिवार के लोग सबका स्वागत करते। जो समय था उसी समय पर ज्योति प्रचंड की गई।

Anjana Bhagi

जागरण की शुरुआत मां जगदंबा की स्तुति के साथ शुरू हुई। जागरण करने वाली पार्टी की विशेषता थी कि वहां आए हर व्यक्ति को अपने साथ जोड़ रहे थे। जैसे कि गाकर कुछ इंस्ट्रूमेंट बजाकर तो कुछ ताली बजाकर। युवा, छोटे बच्चे कोई भी फोन पर नहीं था, सब भजन मंडली द्वारा गाए हुए भजनों में उनका साथ दे रहे थे। वहां बैठे-बैठे मेरा दिमाग कहीं दूसरी ओर जाने लगा। यहां हर आयु वर्ग का व्यक्ति है, स्वस्थ है, ताकतवर है, जो कहा जा रहा है वही कर भी रहे हैं, तो फिर हम क्यों दोहराने लगे हैं कि यदि बंटोगे तो कटोगे, क्यों कटोगे?

कारण बहुत साधारण है पर महत्पूर्ण भी है इन 80 प्रतिशत में 20 प्रतिशत तो खुदगर्ज है। 20 प्रतिशत किसी से वास्ता ही नहीं रखते, 20 प्रतिशत सुन लेते हैं। कुछ बहुत महत्वपूर्ण सनातनी भी तो हैं। आप को नहीं लगता नकारात्मकता से सकारात्मक की ओर ले जाने की कोशिश होनी चाहिए? ऐसे धार्मिक उत्सव या जो भी उत्सव जहां पर हम अपने परिवार या आम पब्लिक से मिलते हैं, क्यों नहीं वहां हम सकारात्मक से बातचीत करते।

इतिहास गवाह है बप्पा रावल 7 फुट 3 इंच का कद जो की देवी निकुंभला के भक्त थे, देवी निकुंबला की पूजा घटोत्कच भी किया करते थे। देवी निकुंभला मां काली का स्वरूप मानी जाती है। इनकी पूजा की विधि भी अलग है इसके लिए एक पैर पर 3 घंटे खड़े होकर आराधना करते हैं। आधा घंटा माता के चरणों में शीश झुकाते हैं। इस समय में अपने शरीर पर कोई भी अस्त्र-शस्त्र धारण नहीं किया जाता था।

बप्पा रावल को कौन नहीं जानता उनकी तलवार को पानी पिलाने वाला कोई नहीं था। दुश्मनों में जिस तरह से घोड़ा दौड़ाते मार-काट मच जाती थी, सैनिक मैदान छोडक़र भागते थे। इसी प्रकार वीर मराठा छत्रपति शिवाजी जिन्होंने अफजल खान जैसे सेनापति जो कि युद्ध कला तथा धोखेबाजी में हर प्रकार से सक्षम था। कभी सोच कर देखा है 7 फुट से ऊपर का अफजल खान, 5 फुट 6 इंच लंबे छत्रपति शिवाजी, उनसे भेंट करने में भी अफजल खान की परेशानी होती थी। हम यहीं से समझ सकते हैं कि वह ज्योतिषियों पर बहुत यकीन करता था। जब शिवाजी से भेंट करने के लिए जाने लगा तो पहले वह ज्योतिषियों के पास पहुंचा। उन्होंने कहा कि यह भेंट काफी भारी पड़ेगी, आप नहीं लौटेंगे। शिवाजी को मिलने जाने से पहले इतिहास गवाह है कि अपनी 64 रानियां का कत्ल करने के पश्चात उसने शिवाजी के साथ भेंट की थी। कर्नाटक के विजयपुर में स्थित ‘साठ कब्र’ नामक पर्यटन स्थल इसका गवाह है।

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ऐसे में क्या आपको नहीं लगता कि हम हमारे बच्चों और युवा जिनकी सुनते हैं, जिन्हें पसंद करते हैं, जिन्हें मानते हैं उनके द्वारा उन्हें नकारात्मकता से सकारात्मक की ओर जोड़ें। हम सबको समान शिक्षा दें। इस प्रकार के धार्मिक, सामाजिक उत्सवों में छोटी-छोटी कहानियों के द्वारा अपने बच्चों को, युवाओं को अपने इतिहास के साथ जोड़ें। जिससे हमारे बच्चों के दिल में भय नहीं बल्कि उत्साह पैदा हो। Noida News :

जैसे भगवती जागरण, रामीलाला का मंचन करवाने वाले बहुत ही सबल कारण बन जाएं आज के लोगों के उत्थान का उन्हें जोडऩे का। आज हमारे कुछ सामाजिक संगठन जैसे कि युवा हिंदू वाहिनी इत्यादि इस ओर प्रयास कर भी रहे हैं। बच्चे फोन, फालतू नेटवर्क सोशल मीडिया छोडक़र सेहत पर और अपने धर्म, संस्कृति और इतिहास पर ध्यान दें।  Noida News :

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