अब EPFO ऑफिस जाने की जरूरत नहीं! ये सरकारी ऐप करेगा हर काम आसान

अब EPFO ऑफिस जाने की जरूरत नहीं! ये सरकारी ऐप करेगा हर काम आसान
locationभारत
userचेतना मंच
calendar29 Nov 2025 07:53 AM
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अगर आप भी अपने पीएफ (EPF) के कामों के लिए दफ्तर के चक्कर लगाते हैं तो अब ऐसा करने की कोई जरूरत नहीं। सरकार का UMANG ऐप अब आपके लिए पीएफ सेवाओं का मिनी ऑफिस बन चुका है। चाहे क्लेम करना हो, पासबुक देखनी हो या फिर UAN कार्ड डाउनलोड करना हो ये सभी काम अब आप अपने मोबाइल से घर बैठे कर सकते हैं। UMANG App 

UMANG App क्या है?

UMANG (Unified Mobile Application for New-age Governance) भारत सरकार की एक मोबाइल एप्लिकेशन है जिसमें कई सरकारी सेवाएं एक ही प्लेटफॉर्म पर मिलती हैं। EPFO (कर्मचारी भविष्य निधि संगठन) की सभी प्रमुख सेवाएं भी इसमें उपलब्ध हैं।

अब PF क्लेम करना हुआ बेहद आसान

EPFO मेंबर अब UMANG ऐप के जरिए अपने UAN नंबर के तहत पीएफ क्लेम कर सकते हैं। इसके लिए सिर्फ मोबाइल नंबर और MPIN दर्ज करना होता है। पहली बार इस्तेमाल करने पर ऐप पर रजिस्ट्रेशन जरूरी है। एक बार लॉगइन होने के बाद, बिना किसी लाइन में लगे क्लेम करना मुमकिन है।

क्लेम स्टेटस भी करें ट्रैक

क्लेम करने के बाद उसका स्टेटस जानना अब मुश्किल नहीं। UMANG App में जाकर आप सिर्फ अपनी मेंबर ID डालकर जान सकते हैं कि आपका क्लेम किस स्टेज पर है पेंडिंग, अप्रूव्ड या ट्रांसफर में। UAN कार्ड की जरूरत नौकरी बदलने, ईपीएफ ट्रांसफर या वेरिफिकेशन के समय पड़ती है। अब इसके लिए वेबसाइट ढूंढने की जरूरत नहीं UMANG ऐप से आप अपनी जन्मतिथि डालकर सीधे UAN कार्ड डाउनलोड कर सकते हैं।

पासबुक देखें

UMANG App पर आप अपनी EPF पासबुक भी चेक कर सकते हैं। इसमें पिछले तीन महीनों की लेन-देन डिटेल्स मिलती हैं। इसे PDF में डाउनलोड करके सेव भी किया जा सकता है। अगर आपने नौकरी छोड़ी है और भविष्य में पेंशन जोड़ना चाहते हैं तो स्कीम सर्टिफिकेट जरूरी होता है। अब आप UMANG ऐप से इसका ऑनलाइन आवेदन भी कर सकते हैं कोई फॉर्म भरने या दफ्तर जाने की जरूरत नहीं।

फेस ऑथेंटिकेशन से अब UAN बनाएं और एक्टिव करें

UMANG ऐप में अब आधार-बेस्ड फेस ऑथेंटिकेशन टेक्नोलॉजी भी है। इससे आप पहली बार UAN जनरेट कर सकते हैं। अगर UAN एक्टिव नहीं है तो उसे सिर्फ फेस स्कैन करके एक्टिवेट किया जा सकता है। लॉगिन और पहचान की प्रक्रिया अब और भी आसान और सुरक्षित हो गई है।

UMANG App कैसे डाउनलोड करें?

Google Play Store या Apple App Store पर जाएं। सर्च करें UMANG App। ऐप डाउनलोड करके EPFO ऑप्शन में जाकर लॉगिन करें। मोबाइल OTP या फेस ऑथेंटिकेशन से पहचान सत्यापित करें।

यह भी पढ़ें: GST काउंसिल में कितनी है राज्यों की ताकत? यहां मिलेगा हर सवाल का जवाब

अब पीएफ का कोई काम मुश्किल नहीं रहा। UMANG ऐप ने EPFO सेवाओं को आपके मोबाइल तक ला दिया है। अब लाइन में खड़ा होने की जरूरत नहीं बस एक क्लिक में आपका क्लेम, पासबुक, UAN कार्ड और स्कीम सर्टिफिकेट सब कुछ आपके हाथ में। UMANG App 
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GST काउंसिल में कितनी है राज्यों की ताकत? यहां मिलेगा हर सवाल का जवाब

GST काउंसिल में कितनी है राज्यों की ताकत? यहां मिलेगा हर सवाल का जवाब
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userचेतना मंच
calendar26 Aug 2025 03:37 PM
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GST काउंसिल यानी एक ऐसी संस्था जो देश के हर नागरिक की जेब पर असर डालने वाले टैक्स का फैसला करती है। जी हां, भारत में कोई भी चीज कितनी सस्ती या महंगी होगी इस पर अंतिम मुहर GST काउंसिल ही लगाती है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि GST काउंसिल में राज्यों की क्या भूमिका होती है? क्या वे केंद्र सरकार के किसी प्रस्ताव को रोक सकते हैं या सिर्फ मोहर लगाना भर उनका काम है? आइए इसके बारे में विस्तार से समझते हैं। GST Council

क्या है GST काउंसिल?

GST काउंसिल एक संवैधानिक संस्था है जिसे संविधान के अनुच्छेद 279A के तहत बनाया गया। इसका मकसद था पूरे देश में एक समान टैक्स सिस्टम लागू करना जिससे राज्य और केंद्र सरकार मिलकर टैक्स से जुड़े फैसले लें। GST लागू होने से पहले हर राज्य का अपना टैक्स नियम होता था VAT, एंट्री टैक्स, एंटरटेनमेंट टैक्स, लगान आदि। इससे कारोबारियों को भारी दिक्कत होती थी और उपभोक्ताओं को महंगाई का बोझ झेलना पड़ता था। GST काउंसिल ने इस अव्यवस्था को खत्म किया और टैक्स की एकरूपता लाई।

काउंसिल में कौन-कौन होता है?

चेयरपर्सन: केंद्र की वित्त मंत्री (फिलहाल निर्मला सीतारमण) सदस्य: सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के वित्त मंत्री या टैक्स मंत्री राज्य वित्त मंत्री (केंद्र सरकार) CBIC चेयरमैन: स्थायी आमंत्रित राजस्व सचिव (केंद्र सरकार): सचिव की भूमिका दिल्ली में स्थित काउंसिल का सारा खर्च केंद्र सरकार वहन करती है।

फैसले कैसे होते हैं?

GST काउंसिल में वोटिंग का खास सिस्टम है जिसमें, केंद्र के पास 33.3% वोटिंग पावर, सभी राज्यों के पास मिलकर 66.6% पावर कोई भी प्रस्ताव तब तक पारित नहीं हो सकता जब तक कम से कम 75% सदस्य उसके पक्ष में वोट न करें। इसका मतलब न केंद्र अकेले फैसला ले सकता है न राज्य। दोनों को मिलकर ही सहमति बनानी पड़ती है।

क्या राज्य केंद्र के फैसले का विरोध कर सकते हैं?

इसका जवाब है हां कर सकते हैं और कई बार किया भी है। 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा था कि GST काउंसिल की सिफारिशें बाध्यकारी नहीं हैं। यानी राज्य चाहें तो उसे लागू करने से मना भी कर सकते हैं।

राज्य विरोध क्यों करते हैं?

1. 2025 का टैक्स स्लैब प्रस्ताव

केंद्र ने मौजूदा 4 स्लैब (5%, 12%, 18%, 28%) हटाकर केवल 2 स्लैब (5% और 18%) रखने का प्रस्ताव रखा। कर्नाटक और अन्य राज्यों ने विरोध किया क्योंकि उन्हें भारी राजस्व नुकसान का डर था।

2. राजस्व मुआवजा विवाद (2022)

GST लागू करते समय कहा गया था कि 5 साल तक राज्यों को नुकसान की भरपाई केंद्र करेगा। छत्तीसगढ़ और केरल जैसे राज्यों ने इसे 5 साल और बढ़ाने की मांग की लेकिन केंद्र ने इनकार कर दिया।

3. लॉटरी पर टैक्स विवाद (2019-20)

पहले राज्य सरकार की लॉटरी पर 12% और प्राइवेट लॉटरी पर 28% टैक्स लगता था। काउंसिल ने सभी पर 28% टैक्स कर दिया। केरल, पंजाब और पूर्वोत्तर राज्यों ने जोरदार विरोध किया।

4. IGST पर सुप्रीम कोर्ट की फटकार

समुद्री माल ढुलाई (Ocean Freight) पर IGST लगाने का फैसला लिया गया लेकिन बाद में सुप्रीम कोर्ट ने इसे अवैध करार दिया।

5. GST लागू करने में देरी (2017)

जम्मू-कश्मीर और तमिलनाडु जैसे राज्यों ने शुरू में ही GST को संघीय ढांचे के लिए खतरा बताते हुए विरोध किया था।

GST काउंसिल के फैसले क्यों अहम हैं?

GST काउंसिल केवल टैक्स दरें ही तय नहीं करती, बल्कि ये भी निर्णय लेती है कि कौन-से सामान टैक्स के दायरे से बाहर रहेंगे, छोटे व्यापारियों को कितनी छूट मिलेगी, आपदा या संकट में अतिरिक्त टैक्स लगाया जाए या नहीं, पेट्रोल-डीजल और गैस को GST में लाना है या नहीं, हर फैसला सीधे आपकी जेब पर असर डालता है। अगर टैक्स बढ़ता है तो चीजें महंगी होती हैं टैक्स घटता है तो राहत मिलती है।

यह भी पढ़े: क्या आधी आबादी जानती है अपने 7 सबसे बड़े कानूनी अधिकार ?

GST की शुरुआत कब हुई?

12 सितंबर 2016 को GST काउंसिल की स्थापना हुई। 1 जुलाई 2017 को GST पूरे देश में लागू हुआ। इसके बाद ई-वे बिल, ई-इनवॉइसिंग, कोविड राहत टैक्स छूट जैसे कई बदलाव भी आए। GST Council
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UPSC में 84 पदों पर भर्ती: जानें किन डिग्री वालों के लिए खुला है सुनहरा मौका!

UPSC में 84 पदों पर भर्ती: जानें किन डिग्री वालों के लिए खुला है सुनहरा मौका!
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userचेतना मंच
calendar25 Aug 2025 03:53 PM
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UPSC Vacancy 2025: संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) ने 2025 के लिए विभिन्न पदों पर भर्ती की घोषणा की है। इस भर्ती अभियान के तहत कुल 84 पदों पर नियुक्तियां की जाएंगी। इनमें असिस्टेंट पब्लिक प्रोसिक्यूटर, पब्लिक प्रोसिक्यूटर और लेक्चरर के पद शामिल हैं। आवेदन प्रक्रिया 23 अगस्त 2025 से शुरू हो चुकी है और इच्छुक उम्मीदवार 11 सितंबर 2025 तक ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।

कितने पदों पर होगी भर्ती

इस बार UPSC ने अलग-अलग कैटेगरी में कुल 84 पद निकाले हैं। इनमें शामिल हैं: असिस्टेंट पब्लिक प्रोसिक्यूटर – 19 पद पब्लिक प्रोसिक्यूटर – 25 पद लेक्चरर – 40 पद

लेक्चरर पदों को विषयवार इस प्रकार बांटा गया है:

बॉटनी – 8 पद जूलॉजी – 8 पद केमिस्ट्री – 8 पद फिजिक्स – 6 पद सोश्योलॉजी – 3 पद इतिहास – 3 पद इकोनॉमिक्स – 2 पद होम साइंस – 1 पद साइकोलॉजी – 1 पद

आवेदन शुल्क

सामान्य वर्ग (General Category) के उम्मीदवारों को 25 रुपये शुल्क देना होगा। महिला उम्मीदवार, अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) और दिव्यांग वर्ग (PwD) के अभ्यर्थियों से कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा। फीस का भुगतान नेट बैंकिंग, डेबिट/क्रेडिट कार्ड या UPI के माध्यम से किया जा सकता है।

आवेदन कैसे करें

सबसे पहले UPSC की आधिकारिक वेबसाइट upsc.gov.in पर जाएं। होमपेज पर उपलब्ध UPSC Recruitment 2025 लिंक पर क्लिक करें। रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया पूरी करने के बाद लॉगिन करें। आवेदन फॉर्म सावधानीपूर्वक भरें और सभी डिटेल्स जांचें। शुल्क भुगतान कर आवेदन सबमिट करें। अंत में आवेदन फॉर्म का प्रिंट आउट सुरक्षित रख लें।

युवाओं के लिए सुनहरा मौका

UPSC की यह भर्ती खासकर उन उम्मीदवारों के लिए शानदार अवसर है, जिनके पास संबंधित विषयों में डिग्री है और वे सरकारी नौकरी का सपना देख रहे हैं। लेक्चरर और प्रोसिक्यूटर दोनों ही पद करियर में नई ऊंचाई देने वाले साबित हो सकते हैं। इसलिए योग्य उम्मीदवारों को सलाह दी जाती है कि वे अंतिम तारीख से पहले आवेदन जरूर कर दें। IB में सुनहरा मौका: 27 साल तक के युवा बन सकते हैं जासूस, मिलेगी ₹81,100 तक सैलरी!