आज से बदल गईं ये 5 अहम चीजें: रसोई से लेकर जेब तक दिखेगा फर्क

आज से बदल गईं ये 5 अहम चीजें: रसोई से लेकर जेब तक दिखेगा फर्क
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calendar01 Dec 2025 07:55 PM
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सितंबर को अलविदा कहते ही अक्टूबर दस्तक दे चुका है और इसके साथ ही बदल गए हैं कई अहम नियम। महीने की पहली सुबह ने ही आम लोगों की रसोई से लेकर जेब तक का हिसाब बदल दिया है। LPG सिलेंडर की कीमत बढ़ने से रसोई का बजट गड़बड़ाया है, वहीं UPI लेनदेन से जुड़ा नियम भी बदल गया है। इतना ही नहीं, रेलवे टिकट बुकिंग और हवाई सफर पर भी नए नियमों का असर साफ दिखने लगा है। यानी अक्टूबर का आगाज सिर्फ मौसम ही नहीं, नियम-कायदों के नए दौर के साथ हुआ है। आइए जानते हैं 1 अक्टूबर से लागू हुए पांच बड़े बदलाव, जिनका असर सीधे आपकी जिंदगी पर पड़ेगा…"      Rule Change 1st October

हर नया महीना अपने साथ कुछ न कुछ बदलाव लेकर आता है, लेकिन अक्टूबर की शुरुआत आम आदमी के लिए थोड़ी भारी साबित हो रही है। महीने की पहली तारीख से ही जेब और सफर—दोनों पर असर डालने वाले कई बड़े नियम लागू हो गए हैं। त्योहारी सीजन में जहां एलपीजी की कीमतों में बढ़ोतरी ने रसोई का बजट बिगाड़ दिया है, वहीं इंडियन रेलवे ने टिकट बुकिंग का नियम बदलकर यात्रियों के लिए नई शर्तें तय कर दी हैं। इसके साथ ही यूपीआई यूजर्स को भी अपने लेनदेन के नए नियमों के हिसाब से ढलना होगा। यानी अक्टूबर का आगाज राहत नहीं, बल्कि चुनौतियों के पैकेज के साथ हुआ है।    Rule Change 1st October

1. LPG सिलेंडर हुआ महंगा

1 अक्टूबर से लागू हुए बदलावों में सबसे बड़ी खबर रसोई से जुड़ी है। एलपीजी सिलेंडर की कीमतें बढ़ गई हैं और इसका सीधा असर आम लोगों की जेब पर पड़ने वाला है। बीते कुछ महीनों में कॉमर्शियल गैस सिलेंडर सस्ता हुआ था, लेकिन अक्टूबर के पहले ही दिन ऑयल कंपनियों ने दाम बढ़ाकर उपभोक्ताओं को झटका दिया है। दिल्ली में कॉमर्शियल सिलेंडर अब ₹1595 का मिल रहा है, जबकि पहले इसकी कीमत ₹1580 थी। कोलकाता में दाम ₹1684 से बढ़कर ₹1700, मुंबई में ₹1531 से ₹1547 और चेन्नई में ₹1738 से बढ़कर ₹1754 हो गए हैं। राहत की बात सिर्फ इतनी है कि घरेलू 14 किलो वाला सिलेंडर इस बार महंगा नहीं किया गया है। यानी त्योहारों के बीच रसोई का खर्च बढ़ना तय है।

2. हवाई सफर होगा और महंगा

अक्टूबर की शुरुआत हवाई यात्रियों के लिए भी महंगी साबित हुई है। सितंबर में थोड़ी राहत मिलने के बाद अब एयर टर्बाइन फ्यूल (ATF) की कीमतें जोरदार तरीके से बढ़ा दी गई हैं। 1 अक्टूबर 2025 से दिल्ली में ATF का रेट ₹90,713 प्रति किलोलीटर से बढ़कर ₹93,766 हो गया है। कोलकाता में यह ₹93,886 से बढ़कर ₹96,816, मुंबई में ₹84,832 से बढ़कर ₹87,714 और चेन्नई में ₹94,151 से बढ़कर ₹97,302 प्रति किलोलीटर पहुंच गया है। इसका सीधा असर एयरलाइंस की जेब पर पड़ेगा और त्योहारों के सीजन में फ्लाइट टिकटों का महंगा होना अब लगभग तय माना जा रहा है। यानी आसमान की उड़ान अब और महंगी हो गई है।

3. रेलवे टिकट बुकिंग का नया नियम

अक्टूबर के पहले दिन रेलवे ने यात्रियों के लिए टिकट बुकिंग का बड़ा नियम लागू कर दिया है। अब रिजर्वेशन खुलने के शुरुआती 15 मिनट बेहद खास हो गए हैं, क्योंकि इस दौरान केवल वही यात्री ऑनलाइन टिकट बुक कर पाएंगे जिनका आधार वेरिफिकेशन पूरा है। यह नियम IRCTC की वेबसाइट और ऐप दोनों पर लागू होगा। फिलहाल इसे तत्काल टिकट बुकिंग पर लागू किया गया है। रेलवे का दावा है कि यह कदम टिकट बुकिंग में हो रही धांधली रोकने और असली यात्रियों को प्राथमिकता देने के लिए उठाया गया है। हालांकि, पीआरएस काउंटर से टिकट लेने वाले यात्रियों के लिए फिलहाल कोई बदलाव नहीं किया गया है। यानी अब ट्रेन की सीट पाने के लिए आधार वेरिफिकेशन ही आपकी पहली चाबी होगी।

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4. UPI में बदलाव, ये फीचर बंद

UPI इस्तेमाल करने वालों के लिए अक्टूबर की शुरुआत एक बड़े बदलाव के साथ हुई है। नेशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने 29 जुलाई को ही ऐलान कर दिया था कि 1 अक्टूबर से पीयर-टू-पीयर (P2P) कलेक्ट ट्रांजैक्शन फीचर को बंद किया जाएगा। यह वही सुविधा है, जिसकी मदद से कोई भी यूजर पेमेंट रिक्वेस्ट भेज सकता था। सुरक्षा को और मजबूत बनाने और वित्तीय धोखाधड़ी पर रोक लगाने के लिए इस फीचर को अब सभी यूपीआई ऐप्स से हटा दिया गया है। यानी अब यूपीआई पर लेनदेन तो जारी रहेगा, लेकिन रिक्वेस्ट बेस्ड ट्रांजैक्शन इतिहास बन जाएगा।    Rule Change 1st October

5. अक्टूबर में बैंकों की बंपर छुट्टियां

अक्टूबर का महीना त्योहारों से सराबोर है और इसका असर बैंकों के कामकाज पर भी सीधा दिखने वाला है। अगर आपको इस दौरान कोई जरूरी बैंकिंग काम निपटाना है, तो घर से निकलने से पहले आरबीआई द्वारा जारी अक्टूबर बैंक हॉलिडे लिस्ट जरूर देख लें, वरना बैंक के गेट पर ताला लटका मिल सकता है। इस महीने की शुरुआत दुर्गा पूजा की छुट्टियों से हो रही है और इसके बाद गांधी जयंती, दशहरा, लक्ष्मी पूजा, महार्षि वाल्मीकि जयंती, करवा चौथ, दिवाली, गोवर्धन पूजा, भाई दूज और छठ पूजा जैसे त्योहारों की वजह से कुल 21 दिन बैंक बंद रहेंगे। इनमें दूसरे और चौथे शनिवार तथा रविवार की साप्ताहिक छुट्टियां भी शामिल हैं। हालांकि, ध्यान रहे कि अलग-अलग राज्यों और शहरों में यह छुट्टियों का पैटर्न अलग हो सकता है।    Rule Change 1st October

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5 स्वयंसेवकों से शुरू हुआ RSS का सफर, जानिए कैसे बना दुनिया का सबसे बड़ा संगठन

5 स्वयंसेवकों से शुरू हुआ RSS का सफर, जानिए कैसे बना दुनिया का सबसे बड़ा संगठन
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calendar30 Sep 2025 03:30 PM
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27 सितंबर 1925… नागपुर का मोहिते का बाड़ा… और पर्व था विजयादशमी। इसी दिन डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने महज़ पाँच साथियों के साथ मिलकर एक एक ऐसे संगठन की नींव रखी, जिसने आने वाले समय में भारतीय समाज और राजनीति की दिशा बदल दी। जिसकी छाया आज पूरी दुनिया में फैल चुकी है। शुरुआत में लोगों ने हंसी उड़ाई—“पाँच बच्चों के सहारे क्रांति?” लेकिन किसी को अंदाज़ा भी नहीं था कि यह छोटा-सा कदम आने वाले समय में विश्व का सबसे बड़ा स्वयंसेवी और हिंदू संगठन खड़ा कर देगा।  How RSS was formed

आज 100 साल बाद RSS के पास 1 करोड़ से ज्यादा प्रशिक्षित स्वयंसेवक हैं, जो देशभर में 75 हजार से अधिक शाखाओं के जरिए सक्रिय हैं। संघ का प्रभाव इतना व्यापक है कि इसके परिवार में 80 से ज्यादा समविचारी संगठन काम कर रहे हैं और इसकी पहुँच करीब 40 देशों तक है। केवल भारत में ही रोज़ाना 56 हजार से अधिक शाखाएं लगती हैं, जबकि 14 हजार साप्ताहिक मंडलियां और 9 हजार मासिक शाखाएं भी सक्रिय रहती हैं। यह आंकड़े बताते हैं कि पाँच स्वयंसेवकों से शुरू हुई यह यात्रा आज अनुशासन, संगठन और राष्ट्रभावना की मिसाल बन चुकी है।  How RSS was formed

स्थापना से लेकर विस्तार तक

पहला विश्व युद्ध समाप्त हो चुका था और कभी ताकतवर माने जाने वाला तुर्की का ऑटोमन साम्राज्य अब बिखराव की कगार पर था। अंग्रेजों ने तुर्की के खलीफा जिसे पूरी दुनिया के मुसलमान अपना धार्मिक मुखिया मानते थे को सत्ता से बेदखल कर दिया। यह खबर आग की तरह फैली और मुस्लिम समाज का गुस्सा फूट पड़ा। भारत, जो पहले ही गुलामी की बेड़ियों से जकड़ा था, वहां भी मुसलमान सड़क पर उतर आए। इसी माहौल से जन्म हुआ खिलाफत आंदोलन का। इस आंदोलन की कमान अली बंधुओं शौकत अली और मोहम्मद अली ने संभाली।

उनका लक्ष्य था खलीफा को दोबारा तुर्की के सिंहासन पर बैठाना। आंदोलन तेजी से फैला और लाखों लोग इसमें शामिल हो गए। उधर भारत का वातावरण पहले से ही विस्फोटक था। जलियांवाला बाग की त्रासदी ताज़ा थी, पंजाब में मार्शल लॉ लागू था और रौलेट एक्ट जैसे काले कानून जनता के गुस्से को भड़का रहे थे। ऐसे में दक्षिण अफ्रीका से लौटे महात्मा गांधी एक बड़े आंदोलन की तैयारी कर रहे थे। उन्हें लगा कि खिलाफत आंदोलन हिंदू-मुस्लिम एकता का सेतु बन सकता है। गांधी ने कहा था जिस तरह हिंदुओं के लिए गाय पूज्य है, उसी तरह मुसलमानों के लिए खलीफा।

खिलाफत आंदोलन से जन्मी नई सोच

महात्मा गांधी का यह विचार हर किसी को स्वीकार्य नहीं था। नागपुर के युवा कांग्रेसी डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार इसे खतरनाक मानते थे। उनका स्पष्ट मत था कि धर्म को राष्ट्र से ऊपर रखना देशहित के लिए विनाशकारी साबित होगा। फिर भी, गांधी के आग्रह पर उन्होंने खिलाफत आंदोलन में भाग लिया और अपने तेज़ भाषणों के कारण जेल भी गए। लेकिन 1921 में जब आंदोलन केरल के मालाबार पहुँचा, तो हालात बेकाबू हो गए। मुस्लिम किसानों और हिंदू जमींदारों के बीच टकराव ने खूनी दंगे का रूप ले लिया। हजारों लोग मारे गए, जबरन धर्मांतरण हुआ और मंदिरों पर हमले हुए।    How RSS was formed

डॉ. भीमराव अंबेडकर ने अपनी पुस्तक थॉट्स ऑन पाकिस्तान’ में इस त्रासदी का उल्लेख किया है, वहीं एनी बेसेंट ने भी गांधी की रणनीति पर सवाल उठाए और अखबारों में लिखा कि यदि गांधी मालाबार आते, तो उन्हें अपने निर्णय का कठोर परिणाम खुद देखने को मिलता। इन घटनाओं ने हेडगेवार को भीतर तक झकझोर दिया। उन्होंने अनुभव किया कि हिंदुओं के पास ऐसा कोई मंच नहीं है जो पूरी निष्ठा से उनके हितों की रक्षा कर सके। उन्होंने हिंदू महासभा से उम्मीदें लगाईं, लेकिन वहां भी उन्हें केवल राजनीतिक सौदेबाज़ी नज़र आई। नतीजा यह हुआ कि हेडगेवार ने एक बिल्कुल नए संगठन की परिकल्पना की, जो धर्म से ऊपर उठकर राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखे।  How RSS was formed

शाखाओं से फैला असर

27 सितंबर 1925… विजयादशमी का दिन और नागपुर का मोहिते का बाड़ा। डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने अपने घर पर पाँच साथियों—गणेश सावरकर, डॉ. बी.एस. मुंजे, एल.वी. परांजपे और बी.बी. थोलकर—को बुलाया। उसी बैठक में उन्होंने ऐलान किया—“आज से हम संघ की नींव रख रहे हैं।” यही क्षण बना उस संगठन का जन्मदिवस, जिसे आज पूरी दुनिया राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के नाम से जानती है। शुरुआत बेहद साधारण थी। सप्ताह में दो दिन मुलाकात होती—रविवार को व्यायाम और गुरुवार को राष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा। इन बैठकों को “शाखा” कहा गया, जो आगे चलकर संघ की पहचान और ताकत दोनों बनी। 17 अप्रैल 1926 को इस संगठन को आधिकारिक नाम मिला—राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ। उसी वर्ष रामनवमी पर स्वयंसेवक पहली बार एक जैसी पोशाक में दिखे खाकी शर्ट-पैंट, टोपी और बूट। अनुशासन और एकरूपता का यह दृश्य कुछ ही समय में संघ की सबसे बड़ी पहचान बन गया।

अनोखा था चयन का तरीका

डॉ. हेडगेवार के पास युवाओं को जोड़ने का अपना अनोखा अंदाज था। वे अक्सर कहा करते—“पढ़ाई सिर्फ नागपुर तक मत सीमित रखो, बाहर जाओ और जहां जाओ वहां शाखा शुरू करो।” यही वजह रही कि जब छात्र मैट्रिक पास करके दूसरे शहर पढ़ने जाते, तो अपने कॉलेज में शाखा खड़ी करते और दोस्तों को भी संघ से जोड़ लेते। छुट्टियों में जब वही छात्र नागपुर लौटते, तो हेडगेवार उनसे विस्तार से पूछते—शाखा कैसी चल रही है? कितने नए चेहरे जुड़े? किन दिक़्क़तों का सामना करना पड़ा? इस सतत संवाद ने संघ की गतिविधियों को मजबूत आधार दिया।

महाराष्ट्र से बाहर संघ की पहली शाखा 1930 में वाराणसी में शुरू हुई, जो आगे चलकर ऐतिहासिक साबित हुई। इसी शाखा से दूसरे सरसंघचालक माधव सदाशिवराव गोलवलकर ‘गुरुजी’ जुड़े। हेडगेवार का तरीका सिर्फ संगठनात्मक नहीं, मानवीय भी था। जो लड़के नियमित शाखा में नहीं आते, उनके घर तक वे खुद पहुंचते, उनसे खुलकर बातचीत करते और परिवार से भी मिलते। उनकी सादगी और सहजता ने कई परिवारों को इतना प्रभावित किया कि वे अपने बच्चों को खुद शाखा में भेजने लगे। धीरे-धीरे यह प्रभाव इतना व्यापक हुआ कि हर महीने नए स्वयंसेवक जुड़ते चले गए और शाखा नागपुर से निकलकर पूरे देश में फैल गई।

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सरसंघचालकों की परंपरा

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना से लेकर अब तक उसकी कमान केवल छह सरसंघचालकों के हाथों में रही है। यह परंपरा 1925 में डॉ. हेडगेवार से शुरू हुई, जिन्होंने संघ की नींव रखते हुए 1940 तक संगठन का नेतृत्व किया। उनके निधन के बाद संघ की बागडोर माधव सदाशिवराव गोलवलकर के हाथों में आई। ‘गुरुजी’ के नाम से लोकप्रिय गोलवलकर ने 33 वर्षों तक यानी 1973 तक संघ को दिशा दी। इसके बाद नेतृत्व मिला मधुकर दत्तात्रेय देवरस को, जिन्हें बालासाहेब देवरस के नाम से जाना जाता है।    How RSS was formed

1993 में संघ की कमान प्रोफेसर राजेंद्र सिंह ‘रज्जू भैया’ के पास आई। स्वास्थ्य कारणों से उन्होंने 2000 में अपने रहते ही पद कृपाहल्ली सीतारमैया सुदर्शन को सौंप दिया। सुदर्शन जी ने भी 2009 में स्वास्थ्य कारणों से जिम्मेदारी छोड़ दी और संघ की बागडोर डॉ. मोहनराव मधुकरराव भागवत के हाथों में आई। वर्तमान में मोहन भागवत संघ के छठे सरसंघचालक के रूप में संगठन का नेतृत्व कर रहे हैं और आधुनिक दौर में आरएसएस को नई दिशा दे रहे हैं।

आज का संघ

आज राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ केवल भारत तक सीमित संगठन नहीं है, बल्कि एक विराट सामाजिक शक्ति के रूप में उभर चुका है। संघ के पास एक करोड़ से भी अधिक प्रशिक्षित स्वयंसेवकों की सक्रिय फौज है। देशभर में हर रोज़ 56 हज़ार से अधिक शाखाओं में अनुशासन और राष्ट्रभक्ति की साधना होती है। इसके अलावा 14 हज़ार साप्ताहिक मंडलियां और 9 हज़ार मासिक शाखाएं भी लगातार सक्रिय रहती हैं। संघ परिवार के दायरे में 80 से ज़्यादा आनुषांगिक संगठन शिक्षा, सेवा, श्रमिक, किसान और संस्कृति जैसे विविध क्षेत्रों में काम कर रहे हैं।      How RSS was formed

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इंडिगो फ्लाइट को बम से उड़ाने की धमकी, दिल्ली एयरपोर्ट पर हाई अलर्ट

इंडिगो फ्लाइट को बम से उड़ाने की धमकी, दिल्ली एयरपोर्ट पर हाई अलर्ट
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calendar28 Nov 2025 07:00 PM
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मंगलवार को मुंबई से दिल्ली आ रही इंडिगो की फ्लाइट 6E 762 को बम धमकी मिलने से दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे (IGI) पर हड़कंप मच गया। लगभग 200 यात्री उड़ान में मौजूद थे जिन्हें सुरक्षा एजेंसियों ने इमरजेंसी प्रोटोकॉल के तहत सुरक्षित तरीके से उतारा। Bomb Threats

धमकी मिलने पर क्या हुआ?

जब मुश्किल समय में धमकी का पता चला तो एयरलाइन और एयरपोर्ट सुरक्षा तंत्र तुरंत सक्रिय हो गए। IGI एयरपोर्ट पर आपात स्थिति घोषित की गई और सुरक्षा स्तर बढ़ा दिया गया। संबंधित सुरक्षा एजेंसियों ने फ्लाइट और हवाई अड्डे की पूरी जांच-पड़ताल शुरू कर दी। फ्लाइट को सुबह 7:53 बजे सुरक्षित रूप से उतराया गया। धमकी अस्पष्ट थी लेकिन जोखिम को देखते हुए सभी सुरक्षा प्रोटोकॉल लागू किए गए।

इंडिगो का बयान

इंडिगो की ओर से जारी बयान में कहा गया, “30 सितंबर 2025 को मुंबई से दिल्ली को उड़ान भरने वाली 6E 762 फ्लाइट में सुरक्षा संबंधी खतरा देखा गया। हमने तुरंत संबंधित अधिकारियों को जानकारी दी और उनके सहयोग से आवश्यक सुरक्षा जांच की। हमारी प्राथमिकता हमेशा यात्रियों, चालक दल और विमान की सुरक्षा रही है। हम ग्राहकों की असुविधा को न्यूनतम करने का पूरा प्रयास कर रहे हैं।” बयान में यह भी कहा गया कि एयरलाइन ने यात्रियों को जलपान और समय-समय पर अपडेट्स भी दिए।

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बढ़ती धमकियों का आंकड़ा

दिल्ली में पिछले समय में कई मौकों पर बम धमकियों की घटनाएं सामने आई हैं। स्कूल, कॉलेज, अस्पताल और यहां तक कि कोर्ट तक को लक्ष्य बनाया गया। इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल उठा दिया है कि राजधानी में सुरक्षा व्यवस्था कितनी सक्षम है और किन-किन कमियों को दूर करने की जरूरत है। Bomb Threats