Honey Singh की जान को खतरा, सिद्धू मुसेवाला के हत्यारे गोल्डी बराड़ ने दी जान से मारने की धमकी

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locationभारत
userचेतना मंच
calendar02 Dec 2025 02:49 AM
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Honey Singh Threatened by Gangster Goldi Barar-

इंडस्ट्री के मशहूर रैपर हनी सिंह (Honey Singh) को कुख्यात गैंगस्टर गोल्डी बराड़ से जान से मारने की धमकी मिली है। खबरों के मुताबिक इन दिनों गैंगस्टर गोल्डी बराड़ कनाडा में छुपा हुआ है और वहीं से वॉइस नोट के जरिए उसने हनी सिंह को जान से मारने की धमकी दी है। गौरतलब है गोल्डी बराड़ वही गैंगस्टर है, जिसने पिछले वर्ष जाने-माने पंजाबी सिंगर सिद्धू मूसे वाला (Sidhu Moosewala) की हत्या करवाई थी। हनी सिंह से पहले इस गैंगस्टर ने बॉलीवुड के दबंग सलमान खान को भी मारने की धमकी दी थी। जिसके बाद अभिनेता की सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई थी। अब इस गैंगस्टर ने रैपर हनी सिंह को धमकाया है।

दिल्ली पुलिस में दर्ज हुई शिकायत -

कनाडा से आए वॉइस नोट के जरिए जान से मारने की धमकी मिलने के बाद रैपर हनी सिंह (Rapper Honey Singh) ने दिल्ली पुलिस के विशेष सेल में इसकी शिकायत दर्ज कराई है। धमकी मिलने के बाद हनी सिंह दिल्ली के स्पेशल सेल के कमिश्नर से मिले और अपनी शिकायत दर्ज कराई इसके साथ ही उन्होंने पुलिस को वॉइस नोट भी सौंप दी है जिसके जरिए उन्हें धमकी दी गई है। मीडिया से बातचीत के दौरान हनी सिंह ने बताया कि - उन्हें हमेशा ही जिंदगी में लोगों से प्यार ही मिला है, पहली बार उन्हें इस तरह की कोई धमकी मिली है। अभिनेता ने शेयर किया कि जान से मारने की धमकी मिलने के बाद से ही वो और उनका पूरा परिवार बुरी तरह से डरा हुआ है। मीडिया से बातचीत के दौरान हनी सिंह ने यह भी बताया कि उन्होंने पुलिस के पास सारे सबूत के साथ मिली धमकी की शिकायत दर्ज कराई है। सिंगर ने यह भी बताया कि उन्हें अंतरराष्ट्रीय नंबरों से कुछ फोन भी आए थे और फिर वॉइस नोट्स के जरिए धमकी मिली। रैपर हनी सिंह ने पुलिस में मिली धमकी की शिकायत दर्ज करने के साथ ही पुलिस से अपनी सुरक्षा व्यवस्था के इंतजाम करने की भी अपील की है।

इस समय फरार चल रहा है गोल्डी बराड़ -

सिद्धू मूसे वाला की हत्या मामले में गैंगस्टर गोल्डी बराड़ मुख्य आरोपी है। पंजाब पुलिस ने पिछले साल ही अपने चार्जशीट में दावा किया था कि गोल्डी बराड़ ने ही कुख्यात बदमाश लॉरेंस बिश्नोई समेत कुछ अन्य लोगों की मदद से सिद्धू मूसे वाला की हत्या की थी। फिलहाल अभी गोल्डी बराड़ फरार चल रहा है। कनाडा की सरकार ने गोल्डी बराड़ का नाम देश के 25 वांटेड अपराधियों के लिस्ट में शामिल किया था। खबर सामने आई है कि गोल्डी बराड़ फिलहाल कनाडा में ही छुपा हुआ है, और वहीं से अपना गिरोह चला रहा है।

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Manipur Violence : अब सुरक्षा बलों को निशाना बना रहे हैं बंदूकधारी

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Gunmen are now targeting security forces
locationभारत
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calendar29 Nov 2025 07:06 AM
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इंफाल। मणिपुर के इंफाल पश्चिम जिले के उत्तरी बोलजांग में बृहस्पतिवार तड़के करीब पांच बजे अज्ञात बंदूकधारियों और असम राइफल्स के जवानों के बीच गोलीबारी की सूचना मिली है। सूत्रों ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इलाके में स्थिति नियंत्रण में है और बंदूकधारियों को पकड़ने के लिए तलाश अभियान जारी है।

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उरंगपत के पास भी स्वचालित हथियारों से गोलीबारी सूत्रों के मुताबिक, बुधवार शाम करीब पौने छह बजे के आसपास इंफाल ईस्ट जिले में वाईकेपीआई के उत्तर में उरंगपत के पास स्वचालित छोटे हथियारों से गोलीबारी करने की आवाजें सुनी गईं।

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बुधवार को भी हुई थी गोलीबारी सूत्रों के अनुसार, बुधवार को शाम साढ़े पांच बजे के आसपास अज्ञात बंदूकधारियों द्वारा हरोथेल की ओर बिना किसी उकसावे के गोलीबारी किए जाने की भी खबरें हैं। हालांकि, क्षेत्र में शाम साढ़े सात बजे के आसपास हालात नियंत्रित हो गए। उन्होंने बताया कि बुधवार को महिला प्रदर्शनकारियों ने सॉवोनबंग-वाईकेपीआई मार्ग को कई जगहों पर बाधित किया। देश विदेशकी खबरों से अपडेट रहने लिएचेतना मंचके साथ जुड़े रहें। देशदुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमेंफेसबुकपर लाइक करें याट्विटरपर फॉलो करें।
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Mumbai News : सरकार बदलने के बाद सामाजिक नीति में बदलाव लोकतांत्रिक प्रक्रिया का हिस्सा : हाईकोर्ट

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Changes in social policy after change of government part of democratic process: High Court
locationभारत
userचेतना मंच
calendar27 Nov 2025 05:06 PM
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मुंबई। बंबई हाईकोर्ट ने कहा कि सरकार में परिवर्तन के साथ ही सामाजिक नीति में बदलाव लोकतांत्रिक प्रक्रिया का हिस्सा है। नीतियों और कार्यक्रमों के क्रियान्वन में रद्दोबदल को मनमाना या भेदभावपूर्ण नहीं कहा जा सकता।

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सरकार के समर्थकों को समायोजित करने के लिए होते हैं बदलाव न्यायमूर्ति गौतम पटेल और न्यायमूर्ति नीला गोखले की खंडपीठ ने एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली वर्तमान राज्य सरकार द्वारा महाराष्ट्र अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष तथा सदस्यों की नियुक्ति रद्द करने के दिसंबर 2022 के आदेश को निरस्त करने से इनकार कर दिया। खंडपीठ ने रामहरि दगड़ू शिंदे, जगन्नाथ मोतीराम अभ्यंकर और किशोर मेधे की ओर से दायर वह याचिका खारिज कर दी, जिसमें एकनाथ शिंदे सरकार के संबंधित आदेश को रद्द करने की मांग की गयी थी। अभ्यंकर आयोग के अध्यक्ष थे, जबकि अन्य दो इसके सदस्य थे। उन्हें 2021 में तीन साल की अवधि के लिए नियुक्त किया गया था। याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि हर बार सरकार में बदलाव होते ही, नयी सरकार के समर्थकों को समायोजित करने के लिए प्रशासन में बदलाव किए जाते हैं। यह प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है।

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याचिकाकर्ताओं को पद पर बने रहने का मौलिक अधिकार नहीं पीठ ने अपने आदेश में कहा कि याचिकाकर्ताओं को पद पर बने रहने का कोई मौलिक अधिकार नहीं है। इसलिए उनकी नियुक्तियों को रद्द करने के सरकारी आदेश को मनमाना या भेदभावपूर्ण नहीं कहा जा सकता। अदालत ने कहा कि सरकार में परिवर्तन के साथ ही सामाजिक नीति में बदलाव लोकतांत्रिक प्रक्रिया का हिस्सा है और नीतियों और कार्यक्रमों के क्रियान्वन में रद्दोबदल को मनमाना या भेदभावपूर्ण नहीं कहा जा सकता। पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ताओं को किसी चयन प्रक्रिया का पालन किये बिना या आम जनता से आवेदन आमंत्रित किए बगैर सरकार के विवेकाधिकार के तहत मनोनीत किया गया था।

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आयोग का अस्तित्व ही सरकार की मर्जी पर आधारित है उच्च न्यायालय ने कहा कि इस तरह की नियुक्ति को सरकार की मर्जी के तौर पर समझा जाना चाहिए। वास्तव में, आयोग का अस्तित्व ही सरकार की मर्जी पर आधारित है। आयोग की स्थापना एक कार्यकारी आदेश के जरिये की गयी है और इस प्रकार एक कार्यकारी आदेश के माध्यम से इसे समाप्त भी किया जा सकता है। उच्च न्यायालय ने कहा कि संबंधित पदों पर याचिकाकर्ताओं का मनोयन भी सरकार के एक कार्यकारी आदेश द्वारा किया गया था और इसे सरकार के एक कार्यकारी आदेश द्वारा रद्द किया जा सकता है। खंडपीठ ने कहा कि हमें यह कहने में कोई हिचकिचाहट नहीं है कि आयोग के अध्यक्ष/सदस्यों के पदों पर याचिकाकर्ताओं की नियुक्तियों को रद्द करने के आदेश को अवैध, गैरकानूनी या दोषपूर्ण नहीं कहा जा सकता है।

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अचानक लिया गया निर्णय प्राकृतिक न्याय के विरुद्ध है याचिका में कहा गया था कि एकनाथ शिंदे के मुख्यमंत्री और देवेंद्र फडणवीस के उपमुख्यमंत्री बनने के बाद उनकी नियुक्ति रद्द कर दी गई थी। नियुक्तियों को रद्द करने का ऐसा निर्णय उन्हें सुनवाई का अवसर दिए बिना या कोई कारण बताए बिना, अचानक लिया गया था, इसलिए यह प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन था। याचिकाकर्ताओं के वकील एसबी तालेकर ने दलील दी थी कि पिछले सरकार के फैसलों को केवल इसलिए नहीं बदला जा सकता, क्योंकि वे वर्तमान सरकार के सत्ता में आने से पहले सत्ता में रहे प्रतिद्वंद्वी राजनीतिक दलों द्वारा लिये गये थे। देश विदेशकी खबरों से अपडेट रहने लिएचेतना मंचके साथ जुड़े रहें। देशदुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमेंफेसबुकपर लाइक करें याट्विटरपर फॉलो करें।