कैसे झुकीं वसुंधरा राजे: राजस्थान में भी भाजपा ने मध्य प्रदेश की तरह सभी को चौंकाते हुए एक नए विधायक भजन लाल शर्मा को अगला मुख्यमंत्री बनाया है। पहली बार के विधायक भजन लाल के नाम का ऐलान आलाकमान ने वसुंधरा राजे सहित तमाम दिग्गजों को दरकिनार कर किया है। ये इसलिए चौकने वाला निर्णय है क्योंकि वसुंधरा राजे झुकने के मूड में नहीं थीं और एक बार फिर से सीएम बनने के प्रयासों में आखिरी समय तक लगी हुईं थीं। फिर वसुंधरा इसके लिए तैयार कैसे हुईं? साथ ही ये भी सवाल है कि उन्हें क्यों किनारे लगा दिया गया?
महुआ का अगला कदम ये होगा, अपनी सदस्यता वापस लेने के लिए करेंगी प्रयास
कैसे झुकीं वसुंधरा राजे: भजन लाल को कमान देकर, क्यों किया गया वसुंधरा को दरकिनार?
वसुंधरा राजे का अंतिम समय तक ये प्रयास था कि उन्हें सीएम बनाया जाए, इसके लिए उन्होंने आलाकमान पर प्रेशर बनाने के लिए लॉबिंग भी खूब की। सूत्र बताते हैं कि जब बात बनती नहीं दिखी, तो उन्होंने सिर्फ 1 साल के लिए सीएम बनने का प्रस्ताव भी रखा। लेकिन शीर्ष नेतृत्व उन्हें सिर्फ स्पीकर का पद देना चाहता था, जिसके लिए वसुंधरा राजी नहीं हुईं और अंत तक पार्टी के आलाकमान पर दबाव डालने का प्रयास करती रहीं।
भजन लाल भावी सीएम होंगे पार्टी ने दिए थे संकेत, मगर कोई भांप नहीं सका
सूत्र ये भी बताते हैं कि फिर वसुंधरा ने कोशिश की कि उन्हें नहीं तो उनके गुट के किसी एमएलए को सीएम बना दिया जाए, लेकिन आलाकमान ने इससे भी इंकार कर दिया। वसुंधरा राजे की मांगें नहीं मांगने के पीछे ये कारण था कि पिछले कुछ समय से वो लगातार शीर्ष नेतृत्व को आंखे दिखाने की कोशिश कर रहीं थीं।
इसलिए अगर बीजेपी उनके सामने झुक जाती तो अनुशासन का दम भरने वाली पार्टी के कार्यकर्ताओं में एक गलत संदेश जाता और साथ ही गुटबाजी को भी बढ़ावा मिलता। इसलिए बगावत की आशंकाओं के बावजूद पार्टी को उन्हें दरकिनार करना बेहतर समझा।
प्रणब मुखर्जी ने राहुल गांधी को क्या सलाह दी थी, जिसे न मानना कांग्रेस को पड़ रहा है भारी
अपना अड़ियल रुख छोड़कर, कैसे झुकीं वसुंधरा राजे?
सभी के मन में ये जिज्ञासा भी है कि फिर भला कैसे वसुंधरा राजे भजन लाल शर्मा के नाम पर राजी हो गईं? एकाएक उनका हृदय परिवर्तन कैसे हो गया? उन्होंने कैसे पार्टी शीर्ष नेतृत्व के सामने हथियार डाल दिए? इसकी वजह ये है की वो जानती हैं कि शीर्ष नेतृत्व के सामने पार्टी अनुशासन के कारण उनके साथी एमएलए बगावत जैसा कदम उठाने की हिम्मत नहीं जुटा पाएंगे।
सुपरस्टार रजनीकांत का जन्मदिन: संघर्ष के दम पर कंडक्टर से इतने बड़े स्टार बने रजनी की कहानी भी है फिल्मी
दूसरा ये कि वो ये भी जानती हैं कि पार्टी के बाहर फिलहाल उनका कोई भविष्य नहीं है। इसके अलावा उन्हें ये भी पता है कि इस समय उनका अड़ियल रुख अपनाने जैसा कोई कदम उनके सांसद पुत्र दुष्यंत के भविष्य को भी मुश्किल में डाल सकता है। इन्हीं सारे समीकरणों के कारण वसुंधरा ने पार्टी की बात मानते हुए न सिर्फ अपना अड़ियल रुख छोड़ा, बल्कि खुद भजन लाल के नाम का प्रस्ताव भी रखा।
कैसे झुकीं वसुंधरा राजे
क्रिकेट के अनूठे नियम: जिनसे दर्शक क्या खिलाड़ी भी हो जाते हैं कंफ्यूज
ग्रेटर नोएडा– नोएडा की खबरों से अपडेट रहने के लिए चेतना मंच से जुड़े रहें।
देश-दुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमें फेसबुक पर लाइक करें या ट्विटर पर फॉलो करें।