Russia: भारत नहीं होता तो क्या सच हो जाता पुतिन का सपना!

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calendar29 Nov 2025 01:07 AM
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  Russia:  रूस - यूक्रेन की जंग फरवरी 2022 से जारी है। इस जंग के बाद दुनिया को लगने लगा था कि रूस के राष्‍ट्रपति व्‍ल‍ादिमीर पुतिन ने जो एक सपना देखा था, वह शायद सच हो जाएगा। यूक्रेन युद्ध की वजह से समूचा यूरोप एक बड़े ऊर्जा संकट से गुजरा इस बात को कोई नकार नहीं सकता गैस से लेकर तेल, सबकुछ महंगा हो गया और इस युद्ध के कारण हर देश में महंगाई चरम पर पहुंच गई। यूरोप को इस बात से भी खासी आपत्ति थी कि भारत को रूस से सस्‍ता तेल क्‍यों मिल रहा है। जापान से निकलने वाले निक्‍केई एशिया की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि न तो यूरोप और न ही जी-7 देश इस बात को मानना चाहते हैं कि उनकी अर्थव्‍यवस्‍था में भारत का क्‍या योगदान है। अखबार के मुताबिक इस सच को मान लेना चाहिए कि कहीं न कहीं भारत की वजह से उनकी अर्थव्‍यवस्‍थाएं बची रहीं और पुतिन का उन्‍हें पूर्णतया बर्बाद करने का सपना टूट गया।

यूरोप के प्रतिबंध हुए बेअसर

वैसे तो यूरोप के कई देशों को इस बात की चिंता हमेशा से यही रही है कि उसने रूस पर जो प्रतिबंध लगाए थे, वो बिल्‍कुल ही प्रभावहीन रहे हैं। इन प्रतिबंधों और दुर्गम परिस्थितियों के बाद भी भारत रूस से तेल खरीदना जारी रखा है। रूस यूक्रेन जंग को लेकर यूरोप और भारत के बीच मतभेद सबके सामने हैं। यूरोपियन यूनियन (ईयू) के विदेश नीति के चीफ जोसेफ बोरेल ने कुछ दिनों पहले कहा था कि संगठन को इस बात पर कड़ा रुख अपनाना होगा कि भारत, रूस से आने वाले तेल को रिफाइन करके उन्‍हें बेच रहा है। बोरेल को इस बात पर भले ही परेशानी हो लेकिन निक्‍केई की रिपोर्ट में कहा गया है कि इसी रिफाइन्‍ड ऑयल की वजह से ईयू को काफी मदद मिल रहा है।

यूरोप को तेल बेचता भारत

यूरोप की अर्थव्‍यवस्‍थाएं इस समय काफी दबाव में हैं। इस युद्ध की वजह से उनके पास नियमों को सख्‍त करने का कोई अन्य विकल्‍प नहीं बचा है। विशेषज्ञों की मानें तो निःसंदेह भारत की मदद से यूरोप को ताकत मिल रही है रूस से आने वाला तेल आज भी यूरोप की कारों को गति प्रदान कर रहा है। यूरोपीय यूनियन ने दिसंबर 2022 में रूस से तेल आयात पर प्रतिबंध लगा दिया था। लेकिन रिफाइन्‍ड ऑयल पर यह प्रतिबंध दो महीने बाद लागू हुआ। इतने कड़े नियम के बाद भी भारत को सस्ते रूसी कच्चे तेल को बेचने से नहीं रोका जा सकता था। भारत, कच्‍चे तेल को डीजल में बदल देता है और इसे एक गुणवत्‍ता स्‍तर पर वापस यूरोप भेज देता। कैप्‍लर एनालिटिक फर्म के मुताबिक भारत अब यूरोप का सबसे बड़ा तेल सप्‍लायर बनने के रास्‍ते पर है।

भारत की  अहम भूमिका

निक्‍केई एशिया की रिपोर्ट में कहा गया है कि जी7 देश और यूरोपीय यूनियन दोनों को मालूम था कि भारत जो कुछ कर रहा है, वह सही नहीं है। लेकिन फिर भी उसने ज्‍यादा सवाल नहीं खड़े किए क्योंकि ईयू और जी-7 देशों ने भारत को वह करने दिया, जो उसके लिए फायदेमंद था। यूक्रेन पर हमले की वजह से तेल की कीमतों के 200 डॉलर प्रति बैरल तक जाने की आशंका जताई थी। मगर 120 डॉलर पर आने के बाद कीमतों में करीब 70 डॉलर तक की गिरावट हुई। जापान ऑर्गनाइजेशन फॉर मेटल्‍स एंड एनर्जी सिक्‍योरिटी के रिसर्च के मुखिया मिका टेकहारा ने कहा, 'ऐसा लगता है कि पिछले साल या तो इस सिद्धांत को परखा गया कि क्‍या ग्‍लोबल ऑयल मार्केट पर भी गंभीर भू-राजनीतिक उथल-पुथल का असर पड़ता है।' उनकी मानें तो भारत के बिना यह टेस्‍ट सफल हो ही नहीं सकता था।

संकट को रोकने में कारगर है भारत

समूचा यूरोप ये मानता है की जी 7 और ईयू भारत के योगदान और उसके रोल अहम है लेकिन इसे सार्वजनिक तौर पर स्‍वीकार नहीं कर सकते हैं। मगर इस बात को भी खारिज नहीं किया जा सकता है कि भारत की वजह से यूरोप और दूसरे देशों में वैश्विक आर्थिक संकट पर लगाम लग सकी है। भारत ने इस संकट को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उनका कहना था कि भारत ने कभी इस रोल के लिए मांग नहीं की मगर रणनीतिक स्‍वायत्‍ता की सोच के चलते जो फैसले पीएम मोदी ने लिए उसका प्रभाव साफ साफ अब नजर आता है

Submarine News:टाइटैनिक को जान पर खेलकर देखने क्यों गए थे अरबपति ?

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Submarine News: टाइटैनिक को जान पर खेलकर देखने क्यों गए थे अरबपति ?

OSHAN
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calendar27 Nov 2025 07:07 AM
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Submarine News:2 करोड़ का टिकट और जान की बाजी लगाकर टाइटैनिक का मलबा देखने क्यों गए थे ये नामचीन व्यक्ति क्या मकसद था इनका या यूं कहे की क्या जानने की कोशिश में ये सब अरबपति जान की बाजी लगा दिए। चलिए बताते है आपको। आज से करीब 111 साल पहले 15 अप्रैल 1912 को उत्तरी अटलांटिक महासागर में टाइटैनिक नाम का एक जहाज डूब गया था। इसमें करीब 1,500 लोगों की मौत हो गई। दुर्घटना के 73 साल बाद यानी 1985 में कनाडा के पास न्यूफाउंडलैंड द्वीप के पास इस जहाज का मलबा मिला। ये मलबा समुद्र के 13 हजार फीट नीचे था। इस मलबे की जानकारी फैलते ही लोग इसे देखने की इच्छा जाहिर करने लगे। 2021 में अटलांटिक में पड़े इस मलबे को दिखाने के लिए अमेरिकी कंंपनी ओशेनगेट ने टाइटैनिक टूरिज्म की शुरुआत की। 18 जून से जो पनडुब्बी गायब है, वो 4 अरबपतियों समेत 5 लोगों को लेकर टाइटैनिक टूरिज्म पर ही गई थी।

टाइटैनिक के मलबे को दिखाने के लिए अमेरिकी कंंपनी ओशेनगेट ने टाइटैनिक टूरिज्म की शुरुआत की

हाइड्रोस्पेस ग्रुप के मालिक विलियम कोह्नन के मुताबिक कुछ लोगों को हवाई द्वीप और कैरेबियन द्वीप के करीब समुद्र की गहराईयों में जाना पसंद है। यहां समुद्र के अंंदर कलरफुल लाइफ और चट्टानें लोगों को रोमांचित करती हैं। अमेरिकी पब्लिक रिलेशन कंपनी TARA के मालिक डी अन्नुंजियो का कहना है कि "अमीर लोगों के लिए पैसा ज्यादा महत्व नहीं रखता है। वह जीवन में रोमांच करना चाहते हैं। कुछ ऐसा करना चाहते हैं, जिसे जीवन भर ना भुला पाएं। इसी वजह से अमीर लोग इस तरह की समुद्री यात्राएं करते हैं"। टाइटन पनडुब्बी का मलबा टाइटैनिक जहाज के मलबे से 1600 फीट दूर मिला है। ओशेनगेट कंपनी ने बताया है कि टाइटन पर सवार सभी 5 लोगों की मौत हो गई है। इस पनडुब्बी पर सवार 5 लोगों में 4 अरबपति, कारोबारी थे। अमेरिकी कोस्ट गार्ड ने गुरुवार शाम तक पनडुब्बी में ऑक्सीजन खत्म होने की आशंका जताई थी। मॉडर्न C-130 हरक्यूलस, P-8 समेत 16 एयरक्राफ्ट इस पनडुब्बी की खोज और बचाव में लगे हैं।

8 दिन की यात्रा, एक टिकट 2 करोड़ रुपए का

ओशेनगेट कंपनी टाइटैनिक टूरिज्म पर ले जाने के लिए एक व्यक्ति से 2.50 लाख डॉलर यानी करीब 2 करोड़ रुपए लेती है। कनाडा के सेंट जॉन न्यूफाउंडलैंड से इस यात्रा की शुरुआत होती है। ये समुद्री यात्रा 8 दिन और 7 रात की होती है। कंपनी इस टूर पर एक बार में ज्यादा से ज्यादा 5 लोगों को लेकर जाती है और ट्रैवल कंपनी ब्राउन एंड हुडसन के फाउंडर फिलिप ब्राउन का कहना है कि इस समुद्री यात्रा को और ज्यादा रोमांचक बनाने के लिए इस तरह की कंपनियां एक और पैकेज ऑफर करती हैं। इसके लिए हर व्यक्ति से 293,535 डॉलर यानी करीब ढाई करोड़ रुपए तक लिए जाते हैं। इस यात्रा पर जाने वाले लोगों को एक महीने पहले से ही तैयार किया जाता है। पनडुब्बी लोगों को लेकर समुद्र की 19 हजार फीट की गहराई तक जाती है। ओशेनगेट की वेबसाइट पर जाकर कोई भी टाइटैनिक टूरिज्म के लिए अपना स्लॉट बुक कर सकता है। हालांकि इसके लिए कुछ एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया भी तय किया गया है। आप भी अगर ऐसा कुछ करने की योजना बना रहे है तो सबसे पहले ये जान लीजिए। 1. 18 साल से ज्यादा उम्र वाले ही टाइटैनिक टूरिज्म पर जा सकते हैं। 2.कनाडा से ये यात्रा शुरू होती है। ऐसे में वहां जाने के लिए पासपोर्ट और वीजा जरूरी है। 3.एक सप्ताह तक पनडुब्बी में रहने की क्षमता हो। 4.पानी के अंदर किसी भी परिस्थिति से निपटने के लिए तैयार हों। 5. 6 फीट की सीढ़ी पर तेजी से चढ़ने और 10 किलो तक वजन आसानी से उठा सकते हों। 7.मरीन टेक्नोलॉजी सोसाइटी ने इस बारे में बताया है कि टाइटैनिक टूरिज्म के दौरान सुरक्षा के सभी मानकों का ख्याल रखा जाता है। इनका दावा है कि बीते 50 सालों में पनडुब्बी यात्रा के दौरान कोई बड़ी घटना नहीं घटी है। जिस पनडुब्बी से अरबपति गए थे, वो दुनिया की सबसे मॉडर्न और एडवांस सबमर्सिबल है। हालांकि पनडुब्बी पायलट रहे ऑफर कैटर का कहना है कि सुरक्षा के चाहे जितने भी इंतजाम हों, लेकिन इस तरह की समुद्री यात्रा बेहद खतरनाक होती है। तो अब आप भी कुछ इस तरह का प्लान कर रहे हैं तो सोच समझकर आगे कदम बढ़ाएं।

कपिल शर्मा शो के लास्ट एपिसोड की शूटिंग मे पहुंची The Night Manager की टीम

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PM Modi USA Visit : प्रधानमंत्री मोदी के अमेरिका दौरे के कुछ ऐतिहासिक क्षण

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calendar28 Nov 2025 10:01 AM
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PM Modi USA Visit से जुड़ा हुआ सम्पूर्ण कार्यक्रम अब समाप्त हो चुका है और इसके बाद अब वे मिस्त्र के लिए रवाना हो चुके हैं। लेकिन इस बार की अमेरिकी यात्रा उनके लिए और साथ ही साथ देश के लिए भी कई मायनों में ख़ास रही। पीएम का मानना है कि उनकी यह विजिट आने वाले समय में भारत और अमेरिका के सुद्रढ़ संबंधों के लिए एक अहम भूमिका निभाएगी। गुजरात के मुख्यमंत्री पद पर रहते समय नरेन्द्र मोदी को एक लम्बे समय तक अमेरिका में प्रवेश की भी इजाजत नहीं थी किन्तु आज न केवल वे अमेरिका में अपनी राजकीय यात्रा के लिए मौजूद हो सके बल्कि उन्हें White House में बेहद ख़ास लोगों के बीच आमंत्रित किया गया।

PM Modi USA Visit

पीएम मोदी के शानदार स्वागत से हुई इस अमेरिकी दौरे की शुरुआत योग नीति के साथ आगे बढ़ी। इस योग कार्यक्रम के जरिये उन्होंने सर्वाधिक राष्ट्रीयताओं - 135 के साथ न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय के बाहर योग करके एक गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड भी बनाया। योग के इस कार्यक्रम में कई बड़ी हस्तियाँ पीएम मोदी के साथ जुड़ने के लिए काफी उत्साहित दिखीं।

गणमान्य लोगों के साथ क्षेत्रीय भ्रमण

PM Modi USA Visit के दौरान उन्होंने केवल अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाईडेन के साथ ही नहीं बल्कि उनकी जीवनसाथी जिल बाईडेन के साथ भी मुलाक़ात की। जिल बाईडेन ने प्रधानमंत्री मोदी के साथ अलेक्जेंड्रिया, वर्जीनिया में नेशनल साइंस फाउंडेशन की त्वरित यात्रा की। हालांकि इस दौरान जो बाईडेन किसी प्रशासनिक कार्य के चलते उनके साथ मौजूद नहीं थे।

पौधों पर आधारित रही पीएम मोदी की दावत

गुरुवार के दिन प्रधानमंत्री मोदी और अन्य खास लोगों के लिए आयोजित किये गए डिनर इवेंट में पौधों पर आधारित भोजन को चुना गया और ऐसा इसलिये ही हुआ क्योंकि पीएम मोदी पूरी तरह शाकाहारी हैं। मसालेदार बाजरे का सलाद, मकई, तरबूज, भरवां पोर्टोबेलो मशरूम और केसर रिसोट्टो, गुलाब और इलायची से युक्त स्ट्रॉबेरी शॉर्टकेक आदि। इस सभी खाद्य पदार्थों को व्हाइट हाउस की खास शेफ नीना कार्टिस की मदद से तैयार किया गया था।

भारतीय मूल के लोगों से मुलाक़ात - एक डेजर्ट की तरह

PM Modi USA Visit के अंतिम दिन ज़ब Washington के रोनाल्ड रीगन सेंटर में पीएम मोदी भारतीय समुदाय के लोगों से मिलने के लिए पहुंचे तो उन्होंने कहा कि, " जैसे खाने के बाद हम सभी कुछ मीठा खा कर उठते हैं, ठीक वैसे ही मैं आपसे मिलकर विदा ले रहा हूँ। " उन्होंने लोगों पर पूरा विश्वास जताते हुए यह भी कहा कि अब मेक इन इंडिया जल्द ही मेक इन वर्ल्ड होने जा रहा है और भारत के द्वारा लिए गए हर एक फैसले पर उन्हें गर्व है।

USA News : अमेरिका आधुनिक लोकतंत्र का ‘चैंपियन’ : पीएम मोदी