अधिकारियों को घरेलू सहयोग का महा-पैकेज, भत्ता हुआ चार गुना से ज्यादा

Bihar News
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locationभारत
userचेतना मंच
calendar02 Dec 2025 02:55 AM
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Bihar News : बिहार सरकार ने सचिवालय और निदेशालय में कार्यरत वरिष्ठ अधिकारियों को बड़ी राहत देते हुए घरेलू सहायक भत्ते (Domestic Help Allowance) में उल्लेखनीय बढ़ोतरी की है। अब उन्हें हर महीने 12,720 रुपये भत्ते के रूप में मिलेंगे। यह नई व्यवस्था 1 अप्रैल 2025 से लागू होगी। अब तक यह भत्ता केवल 3,000 रुपये प्रति माह था, जिसे वर्ष 2022 में संशोधित कर न्यूनतम मजदूरी से जोड़ा गया था। अब एक बार फिर से अकुशल श्रमिकों की नई न्यूनतम मजदूरी दर (₹424 प्रतिदिन) के आधार पर इसमें संशोधन किया गया है।

किन अधिकारियों को मिलेगा लाभ?

यह भत्ता बिहार सरकार के वेतनमान स्तर-14 या उससे ऊपर के उन अधिकारियों को मिलेगा जो सचिवालय, संलग्न कार्यालयों या निदेशालयों में कार्यरत हैं। श्रम संसाधन विभाग ने मार्च 2025 में एक अधिसूचना जारी कर श्रेणीवार श्रमिकों के पारिश्रमिक में वृद्धि की घोषणा की थी। उसी अधिसूचना के अनुसार, अब घरेलू सहायक भत्ते को भी ₹424 प्रतिदिन की दर से पुनर्निर्धारित किया गया है, जो महीने में ₹12,720 होता है।

भत्ते में संशोधन की पृष्ठभूमि

पहले यह भत्ता साल 2008 में निर्धारित किया गया था, जिसमें अधिकारियों को ₹3,000 प्रति माह मिलते थे। लेकिन वर्ष 2022 में इसे न्यूनतम मजदूरी से जोड़ते हुए पहली बार संशोधित किया गया और अब ताजा आदेश में इसे एक बार फिर बढ़ाया गया है। Bihar News  
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सट्टेबाजी का डिजिटल प्रमोशन! गूगल और मेटा को ED ने भेजा समन

Google Meta
Online Betting App Case
locationभारत
userचेतना मंच
calendar01 Dec 2025 02:05 AM
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Online Betting App Case : भारत में ऑनलाइन सट्टेबाजी के बढ़ते खतरे पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने अब डिजिटल दिग्गजों Google और Meta (Facebook की पैरेंट कंपनी) पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। एजेंसी ने दोनों कंपनियों को नोटिस जारी करते हुए उनके प्रतिनिधियों को 21 जुलाई को पूछताछ के लिए तलब किया है। सूत्रों के मुताबिक, ED का आरोप है कि गूगल और मेटा ने अवैध ऑनलाइन बेटिंग ऐप्स और वेबसाइट्स को अपने डिजिटल प्लेटफॉर्म पर न केवल जगह दी, बल्कि इन्हें प्रमोट भी किया। यानी इन कंपनियों के प्लेटफॉर्म्स पर सट्टेबाजी से जुड़े विज्ञापन और लिंक बड़ी संख्या में देखे गए, जिससे इन गैरकानूनी गतिविधियों को बढ़ावा मिला।

पहली बार बड़ी टेक कंपनियों पर सीधा एक्शन

यह पहला मौका है जब किसी हाई-प्रोफाइल टेक कंपनी को भारत में सट्टेबाजी जैसे अपराधों में सीधे तौर पर जवाबदेही के घेरे में लाया गया है। ईडी के इस कदम को देश में चल रहे ऑनलाइन सट्टेबाजी विरोधी अभियान का बड़ा हिस्सा माना जा रहा है। इससे पहले इसी तरह की जांच की जद में कुछ फिल्मी सितारे और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर भी आ चुके हैं जिन पर अवैध बेटिंग ऐप्स के प्रचार का आरोप है।

डिजिटल जिम्मेदारी पर बड़ा सवाल

ईडी की जांच यह स्पष्ट करने की कोशिश कर रही है कि आखिर गूगल और मेटा जैसे बड़े प्लेटफॉर्म्स पर सट्टेबाजी से जुड़े विज्ञापन कैसे चलाए जा रहे हैं और क्या कंपनियों ने इससे जुड़े नियमों का पालन किया या नहीं। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कार्रवाई डिजिटल प्लेटफॉर्म्स की सामाजिक और कानूनी जिम्मेदारियों को लेकर आने वाले समय में नई मिसाल बन सकती है।
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चुनाव से पहले BJP को झटकों की हैट्रिक, राकेश झा हुए लालू के लाल

RJD
Politics News
locationभारत
userचेतना मंच
calendar18 Jul 2025 03:38 PM
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Politics News : बिहार की सियासत में हलचल तेज होती जा रही है। साल के अंत में संभावित विधानसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी (BJP) को लगातार तीसरे बड़े नेता के इस्तीफे से करारा झटका लगा है। शिवहर से पूर्व केंद्रीय मंत्री पंडित रघुनाथ झा के पौत्र और पूर्व विधायक अजीत कुमार झा के बेटे राकेश झा ने भाजपा से इस्तीफा देकर राष्ट्रीय जनता दल (RJD) का दामन थाम लिया। पटना में आयोजित एक सादे कार्यक्रम में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव की मौजूदगी में उन्हें पार्टी की सदस्यता दिलाई गई। इसके साथ ही शिवहर जिले की राजनीति में नया मोड़ आ गया है।

तीन नेताओं का इस्तीफा

पिछले एक महीने में भाजपा के तीन प्रभावशाली नेताओं ने पार्टी छोड़ दी है। हाल ही में वैश्य समाज से आने वाले राधाकांत गुप्ता उर्फ बच्चू जी ने भाजपा छोड़कर राजद जॉइन किया, जबकि वैश्य समुदाय के ही दूसरे बड़े नेता रामाधार साह ने जनसुराज की राह पकड़ी। अब राकेश झा के भाजपा छोड़ने से शिवहर में भाजपा की पकड़ कमजोर होती दिख रही है। गौरतलब है कि राकेश झा लंबे समय से भाजपा से जुड़े रहे, हालांकि उनके पिता अजीत झा विभिन्न दलों में सक्रिय रहे हैं और छोटे भाई नवनीत कुमार झा पहले से ही RJD में हैं।

जनसुराज भी दिखा रहा दम

इधर बिहार में जनसुराज अभियान भी अपना आधार मजबूत करने में जुटा है। पिपराही में एक सभा को संबोधित करते हुए नीरज सिंह ने कहा कि "जनसुराज ही बिहार का भविष्य है। यहां के लोग आज भी 12–15 हजार की नौकरी के लिए बाहर जाने को मजबूर हैं।" उन्होंने कहा कि जनता को मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल रही हैं और वृद्धा पेंशन को बढ़ाकर 1100 रुपये किया जाना केवल एक चुनावी जुमला है। नीरज सिंह के अनुसार, प्रशांत किशोर की अगुवाई में जनसुराज 243 सीटों पर चुनाव लड़ेगा और पेंशन को ₹2000 तक पहुंचाने का वादा किया गया है।

बिहार चुनाव से पहले बदलते समीकरण

भाजपा के लिए यह संकेत है कि आंतरिक असंतोष और बदलते राजनीतिक समीकरण उसे आगामी चुनाव में मुश्किल में डाल सकते हैं। दूसरी ओर, राजद और जनसुराज दोनों ही दल अपनी-अपनी रणनीति से पार्टी विस्तार और जनाधार मजबूत करने में लगे हैं। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो यदि यह सिलसिला जारी रहा, तो 2025 का विधानसभा चुनाव सिर्फ NDA बनाम INDIA गठबंधन नहीं, बल्कि तीर लालटेन जनसुराज त्रिकोण में तब्दील हो सकता है।