World Environmental Health Day : हर बरस बढ़ रहा भारत का औसत तापमान

World Environmental Health Day 2023। आज विश्व पर्यावरण स्वास्थ्य दिवस है। यह दिवस भारत समेत पूरी दुनिया में मनाया जा रहा है। यह दिन दुनिया भर में पर्यावरण के स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता फैलाता है और उन कदमों पर चर्चा को गति देता है जो लोग पर्यावरण की रक्षा और इसके खतरों से अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उठा सकते हैं। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, वैश्विक मौतों में से 24% पर्यावरण से जुड़ी हैं, जो प्रति वर्ष लगभग 13.7 मिलियन मौतें हैं।
पूरी दुनिया में ग्लोबल वार्मिंग का असर लगातार देखने में आ रहा है। भारत भी इससे अछूता नहीं है। जलवायु परिवर्तन के चलते जहां देश के औसत तापमान में बढ़ोतरी दर्ज की गई है, वहीं वार्षिक वर्षा और समुद्र के स्तर में भी बदलाव देखने को मिल रहे हैं।
117 साल के पर्यावरण पर अध्ययन
वर्ल्ड एग्रोफोरेस्ट्री (आईसीआरएएफ) के राजस्थान राज्य संयोजक और राजपूताना सोसाइटी ऑफ नेचुरल हिस्ट्री के पूर्व निदेशक और पर्यावरणविद् डॉ. सत्य प्रकाश मेहरा ने बताया कि आधुनिकता की अंधी दौड़ में सबसे बड़ा नुकसान पर्यावरण का हुआ है। ग्लोबल वार्मिंग की वजह से भारत के औसत तापमान, औसत वर्षा समेत अन्य पहलुओं में बदलाव देखने को मिल रहे हैं। हाल ही में पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अध्ययन 'असेसमेंट ऑफ क्लाइमेट चेंज ओवर द इंडियन रीजन' में भी ये तथ्य सामने आए हैं। यह अध्ययन वर्ष 1901 से 2018 तक के पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन पर किया गया है।
डॉ. मेहरा ने बताया कि आधुनिक संसाधनों का भरपूर इस्तेमाल और पेड़ों की कटाई के चलते ओजोन परत को नुकसान पहुंचा है। इससे पृथ्वी का औसत तापमान बढ़ रहा है. अध्ययन में पता चला है कि वर्ष 1901 से 2018 के दौरान भारत के औसत तापमान में 0.7 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हुई है।
ये-ये बदलाव आए
वर्ष 1950 से 2015 के दौरान दैनिक वर्ष की आवृत्ति (150 मिमी प्रति दिन से अधिक तीव्र वर्षा) में करीब 75% की वृद्धि हुई है। पिछले ढाई दशक (1993 से 2017 तक) उत्तरी हिंद महासागर में समुद्र स्तर में 3.3 मिमी की दर से वृद्धि हुई है।
वर्ष 1998 से 2018 के मानसून बाद ऋतु के दौरान अरब सागर में प्रचंड चक्रवाती तूफान की आवृत्ति में वृद्धि हुई है.मौसम विभाग के 30 साल के आंकड़ों (1989 से 2018 तक) के विश्लेषण से पता चला है कि उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, मेघालय, नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश और हिमाचल प्रदेश में वार्षिक वर्षा के ट्रेंड में कमी आई है।
वर्ष 1989 से 2018 के दौरान सौराष्ट्र और कच्छ, राजस्थान के दक्षिण-पूर्वी भाग, तमिलनाडु के उत्तरी भाग, आंध्रप्रदेश के उत्तरी भाग, दक्षिण पश्चिमी ओडिशा के सीमावर्ती क्षेत्र, छत्तीसगढ़ के कई भाग, दक्षिण पश्चिमी मध्यप्रदेश, पश्चिम बंगाल, मणिपुर, मिजोरम, कोंकण, गोवा और उत्तराखंड में भारी वर्षा वाले दिनों की आवृत्ति में काफी वृद्धि देखी गई है।
डॉ. सत्य प्रकाश मेहरा ने बताया कि वर्ष 2021 में बीएससी स्टूडेंट हर्ष सिंघल ने 'क्लाइमेट चेंज एंड द अविफौनल पैटर्न ऑफ़ द वेटलैंड इन एंड अराउंड केवलादेव नेशनल पार्क' विषय पर अध्ययन किया था। इसमें पता चला था कि वर्ष 1991 से 2000 तक बरसात के औसत दिन 35 तक हुआ करते थे जो वर्ष 2011 से 2020 तक सिमट कर 25 से 27 दिन रह गए।
बीते 30 वर्ष में बरसात के औसत दिनों में करीब 20% तक की गिरावट हुई। इस अवधि के अध्ययन में पता चला कि सर्दी का औसत न्यूनतम तापमान भी 3 से 4 डिग्री से बढ़कर 6 से 7 डिग्री हो गया। यानी सर्दी के औसत न्यूनतम तापमान में 2 से 3 डिग्री तक की वृद्धि हो गई।
विश्व पर्यावरण स्वास्थ्य दिवस 2023 : कोट्स
1. "परिवर्तन के बिना प्रगति असंभव है, और जो लोग अपना मन नहीं बदल सकते वे कुछ भी नहीं बदल सकते।" - जॉर्ज बर्नार्ड शॉ
2. "यदि हम पर्यावरण को नष्ट करेंगे तो हमारे पास कोई समाज नहीं होगा।" -मार्गरेट मीड
3. "हमें स्वस्थ पर्यावरण के लिए एक मजबूत अर्थव्यवस्था का त्याग नहीं करना है।" - डेनिस वीवर
4. "हमारे ग्रह को बचाना, लोगों को गरीबी से बाहर निकालना, आर्थिक विकास को आगे बढ़ाना... ये एक ही लड़ाई हैं। हमें जलवायु परिवर्तन, पानी की कमी, ऊर्जा की कमी, वैश्विक स्वास्थ्य, खाद्य सुरक्षा और महिला सशक्तिकरण के बीच बिंदुओं को जोड़ना होगा। एक समस्या का समाधान सभी के लिए समाधान होना चाहिए।" - बान की मून
5. "अगर आपके पास इसे रखने के लिए सहनीय ग्रह नहीं है तो घर का क्या फायदा?" - हेनरी डेविड थॉरो
6. "पर्यावरण नष्ट करना किसी की संपत्ति नहीं है; इसकी रक्षा करना हर किसी की ज़िम्मेदारी है।" - मोहित अगाड़ी
7. "पर्यावरण प्रदूषण न केवल मानवता के प्रति, बल्कि पृथ्वी पर रहने वाले अन्य सभी प्राणियों के साथ भी विश्वासघात है!" - मेहमत मूरत इल्डन
8. "जब आखिरी पेड़ काट दिया जाएगा और आखिरी मछली मार दी जाएगी, आखिरी नदी जहरीली हो जाएगी, तब आप देखेंगे कि आप पैसा नहीं खा सकते।" - जॉन मे
9. "शरीर को अच्छा स्वास्थ्य रखना एक कर्तव्य है...अन्यथा हम मन को मजबूत और स्पष्ट नहीं रख पाएंगे।" - गौतम बुद्ध
10. “अच्छा स्वास्थ्य कोई ऐसी चीज़ नहीं है जिसे हम खरीद सकें। हालाँकि, यह एक अत्यंत मूल्यवान बचत खाता हो सकता है।"- ऐनी विल्सन शेफ़ (World Environmental Health Day)
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पूरी दुनिया में ग्लोबल वार्मिंग का असर लगातार देखने में आ रहा है। भारत भी इससे अछूता नहीं है। जलवायु परिवर्तन के चलते जहां देश के औसत तापमान में बढ़ोतरी दर्ज की गई है, वहीं वार्षिक वर्षा और समुद्र के स्तर में भी बदलाव देखने को मिल रहे हैं।
117 साल के पर्यावरण पर अध्ययन
वर्ल्ड एग्रोफोरेस्ट्री (आईसीआरएएफ) के राजस्थान राज्य संयोजक और राजपूताना सोसाइटी ऑफ नेचुरल हिस्ट्री के पूर्व निदेशक और पर्यावरणविद् डॉ. सत्य प्रकाश मेहरा ने बताया कि आधुनिकता की अंधी दौड़ में सबसे बड़ा नुकसान पर्यावरण का हुआ है। ग्लोबल वार्मिंग की वजह से भारत के औसत तापमान, औसत वर्षा समेत अन्य पहलुओं में बदलाव देखने को मिल रहे हैं। हाल ही में पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अध्ययन 'असेसमेंट ऑफ क्लाइमेट चेंज ओवर द इंडियन रीजन' में भी ये तथ्य सामने आए हैं। यह अध्ययन वर्ष 1901 से 2018 तक के पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन पर किया गया है।
डॉ. मेहरा ने बताया कि आधुनिक संसाधनों का भरपूर इस्तेमाल और पेड़ों की कटाई के चलते ओजोन परत को नुकसान पहुंचा है। इससे पृथ्वी का औसत तापमान बढ़ रहा है. अध्ययन में पता चला है कि वर्ष 1901 से 2018 के दौरान भारत के औसत तापमान में 0.7 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हुई है।
ये-ये बदलाव आए
वर्ष 1950 से 2015 के दौरान दैनिक वर्ष की आवृत्ति (150 मिमी प्रति दिन से अधिक तीव्र वर्षा) में करीब 75% की वृद्धि हुई है। पिछले ढाई दशक (1993 से 2017 तक) उत्तरी हिंद महासागर में समुद्र स्तर में 3.3 मिमी की दर से वृद्धि हुई है।
वर्ष 1998 से 2018 के मानसून बाद ऋतु के दौरान अरब सागर में प्रचंड चक्रवाती तूफान की आवृत्ति में वृद्धि हुई है.मौसम विभाग के 30 साल के आंकड़ों (1989 से 2018 तक) के विश्लेषण से पता चला है कि उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, मेघालय, नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश और हिमाचल प्रदेश में वार्षिक वर्षा के ट्रेंड में कमी आई है।
वर्ष 1989 से 2018 के दौरान सौराष्ट्र और कच्छ, राजस्थान के दक्षिण-पूर्वी भाग, तमिलनाडु के उत्तरी भाग, आंध्रप्रदेश के उत्तरी भाग, दक्षिण पश्चिमी ओडिशा के सीमावर्ती क्षेत्र, छत्तीसगढ़ के कई भाग, दक्षिण पश्चिमी मध्यप्रदेश, पश्चिम बंगाल, मणिपुर, मिजोरम, कोंकण, गोवा और उत्तराखंड में भारी वर्षा वाले दिनों की आवृत्ति में काफी वृद्धि देखी गई है।
डॉ. सत्य प्रकाश मेहरा ने बताया कि वर्ष 2021 में बीएससी स्टूडेंट हर्ष सिंघल ने 'क्लाइमेट चेंज एंड द अविफौनल पैटर्न ऑफ़ द वेटलैंड इन एंड अराउंड केवलादेव नेशनल पार्क' विषय पर अध्ययन किया था। इसमें पता चला था कि वर्ष 1991 से 2000 तक बरसात के औसत दिन 35 तक हुआ करते थे जो वर्ष 2011 से 2020 तक सिमट कर 25 से 27 दिन रह गए।
बीते 30 वर्ष में बरसात के औसत दिनों में करीब 20% तक की गिरावट हुई। इस अवधि के अध्ययन में पता चला कि सर्दी का औसत न्यूनतम तापमान भी 3 से 4 डिग्री से बढ़कर 6 से 7 डिग्री हो गया। यानी सर्दी के औसत न्यूनतम तापमान में 2 से 3 डिग्री तक की वृद्धि हो गई।
विश्व पर्यावरण स्वास्थ्य दिवस 2023 : कोट्स
1. "परिवर्तन के बिना प्रगति असंभव है, और जो लोग अपना मन नहीं बदल सकते वे कुछ भी नहीं बदल सकते।" - जॉर्ज बर्नार्ड शॉ
2. "यदि हम पर्यावरण को नष्ट करेंगे तो हमारे पास कोई समाज नहीं होगा।" -मार्गरेट मीड
3. "हमें स्वस्थ पर्यावरण के लिए एक मजबूत अर्थव्यवस्था का त्याग नहीं करना है।" - डेनिस वीवर
4. "हमारे ग्रह को बचाना, लोगों को गरीबी से बाहर निकालना, आर्थिक विकास को आगे बढ़ाना... ये एक ही लड़ाई हैं। हमें जलवायु परिवर्तन, पानी की कमी, ऊर्जा की कमी, वैश्विक स्वास्थ्य, खाद्य सुरक्षा और महिला सशक्तिकरण के बीच बिंदुओं को जोड़ना होगा। एक समस्या का समाधान सभी के लिए समाधान होना चाहिए।" - बान की मून
5. "अगर आपके पास इसे रखने के लिए सहनीय ग्रह नहीं है तो घर का क्या फायदा?" - हेनरी डेविड थॉरो
6. "पर्यावरण नष्ट करना किसी की संपत्ति नहीं है; इसकी रक्षा करना हर किसी की ज़िम्मेदारी है।" - मोहित अगाड़ी
7. "पर्यावरण प्रदूषण न केवल मानवता के प्रति, बल्कि पृथ्वी पर रहने वाले अन्य सभी प्राणियों के साथ भी विश्वासघात है!" - मेहमत मूरत इल्डन
8. "जब आखिरी पेड़ काट दिया जाएगा और आखिरी मछली मार दी जाएगी, आखिरी नदी जहरीली हो जाएगी, तब आप देखेंगे कि आप पैसा नहीं खा सकते।" - जॉन मे
9. "शरीर को अच्छा स्वास्थ्य रखना एक कर्तव्य है...अन्यथा हम मन को मजबूत और स्पष्ट नहीं रख पाएंगे।" - गौतम बुद्ध
10. “अच्छा स्वास्थ्य कोई ऐसी चीज़ नहीं है जिसे हम खरीद सकें। हालाँकि, यह एक अत्यंत मूल्यवान बचत खाता हो सकता है।"- ऐनी विल्सन शेफ़ (World Environmental Health Day)







