प्रवीण भाई तोगडिया का बड़ा दावा कहा राष्ट्र माता है गाय

प्रवीण भाई तोगडिया का बड़ा दावा कहा राष्ट्र माता है गाय
locationभारत
userचेतना मंच
calendar30 Nov 2025 09:24 AM
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विश्व हिन्दू परिषद के नेता प्रवीण भाई तोगडिया ने बड़ा दावा किया है। गुजरात के भुज में संत महात्माओं से मिलने पहुंचे प्रवीण भाई तोगडिया ने यह दावा किया है कि भारत में गाय माता राष्ट्र की माता है। प्रवीण भाई तोगडिया ने संत महात्माओं की मांग का समर्थन करते हुए कहा कि भारत सरकार को गाय माता को तुरंत राष्ट्र माता का अधिकारिक दर्जा घोषित किया जाए। Pravin Togadia

गुजरात के भुज में चल रहा है साधु-संतों का धरना

विश्व हिन्दू परिषद के नेता प्रवीण भाई तोगडिया शनिवार को गुजरात के भुज में साधु संतों से मिले। भुज में बड़ी संख्या में साधु तथा संत गाय को राष्ट्र माता का अधिकारिक दर्जा देने की मांग को लेकर धरने पर बैठे हुए हैं। साधु- संतों के धरने को अपना समर्थन देने पहुंचे प्रवीण भाई तोगडिया ने कहा कि भारत में गाय माता तो वास्तव में राष्ट्र माता है। उन्होंने कहा कि साधु-संतों की बात का समर्थन करने तथा साधु-संतों का आर्शीवाद लेने के लिए उनके बीच में हाजिर हुए हैं। यहां दिए गए लिंक के वीडियो में आप भी सुन सकते हैं कि गाय माता को लेकर क्या बोले प्रवीण भाई तोगडिया...

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जानिए पितृ पक्ष-2025 का तारीखवार पूरा कार्यक्रम

जानिए पितृ पक्ष-2025 का तारीखवार पूरा कार्यक्रम
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calendar06 Sep 2025 06:07 PM
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पितृ पक्ष को श्राद्ध पक्ष भी कहा जाता है। पितृ पक्ष अथवा श्राद्ध भारत में मनाया जाने वाला बहुत ही अद्भुत धार्मिक आयोजन है। पितृ पक्ष मनाने वाला भारत दुनिया का इकलौता देश है। पितृ पक्ष पूरे 15 दिन तक चलता है। पितृ पक्ष अथवा श्राद्ध के पूरे 15 दिन यानि एक पखवाड़े तक चलने के कारण ही श्राद्ध क्रिया को पितृ पक्ष कहा जाता है। सनातन हिन्दू परम्परा में प्रत्येक हिन्दु नागरिक के लिए श्राद्ध संस्कार करना अनिवार्य माना गया है। Pitru Paksha 2025

पितृ पक्ष अथवा श्राद्ध करने का विशेष महत्व है

पितृ पक्ष-2025 का पूरा कार्यक्रम तारीखवार बताने से पहले हम आपको पितृ पक्ष का महत्व संक्षिप्त रूप में बता देते हैं। पितृ पक्ष के दौरान हिन्दु समाज के द्वारा अपने पितरों यानी पूर्वजों की आत्मा की शांति और मुक्ति के लिए श्राद्ध और तर्पण किया जाता है। इस दौरान लोग अपने पितरों को याद कर उनका आशीर्वाद लेते हैं। माना जाता है कि इस अवधि (Pitru Paksha 2025) में पितृ धरती लोक पर आते हैं और सभी के कष्टों को दूर करते हैं। श्राद्ध हमेशा पितरों की मृत्यु तिथि पर ही किया जाता है। अगर आपको अपने पितरों की मृत्यु की तिथि याद न हो तो सर्व पितृ अमावस्या पर श्राद्ध कर्म कर सकते हैं। श्राद्ध के दिन ब्राह्मणों को भोजन कराना और दान-दक्षिणा देना बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इससे पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। पितृ पक्ष में प्रतिदिन जल, तिल और कुशा से पितरों का तर्पण किया जाता है। तर्पण करते समय उनका नाम लेकर जल अर्पित किया जाता है। इस दौरान घर में सात्विक भोजन ही बनाना चाहिए और मांस, मदिरा, व किसी भी तरह के तामसिक भोजन से बचना चाहिए। पितृ पक्ष में जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र और अन्य आवश्यक चीजों का दान करना चाहिए। इससे पितरों की आत्मा को तृप्ति मिलती है। श्राद्ध कर्म किसी पवित्र स्थान, जैसे गंगा घाट आदि पर करना अधिक फलदायी माना जाता है।

यहां जानिए पितृ पक्ष-2025 का पूरा कार्यक्रम

पितृ पक्ष की शुरूआत भाद्रपक्ष की पूर्णिमा तिथि से होती है। वर्ष-2025 में भाद्रपद की पूर्णिमा तिथि 6 सिंतबर को देर रात (7 सितंबर) 01 बजकर 42 मिनट पर शुरू होगी। यही कारण है कि पितृ पक्ष-2025 की शुरूआत 7 सितंबर 2025 से हो रही है। वर्ष-2025 का पितृ पक्ष 21 सितंबर 2025 तक चलेगा। प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित संदीपन ने बताया कि पंचांग के अनुसार ही पितृ पक्ष में अपने पूर्वजों का श्राद्ध कार्य करना जरूरी है। पंडित संदीपन के अनुसार जिन परिवारों में पूर्वजों का निधन पूर्णिमा तिथि को हुआ है उन्हें पूर्णिमा का श्राद्ध 7 सितंबर 2025 को करना है। इसी प्रकार प्रतिपदा तिथि (पडवा) का श्राद्ध 8 सितंबर 2025 को द्वितीय तिथि का श्राद्ध 9 सितंबर 2025 को, तृतीय तिथि तथा चर्तुर्थी तिथि का श्राद्ध एक साथ 10 सितंबर को, पंचमी तिथि का श्राद्ध 11 सितंबर को, षष्ठी तिथि का श्राद्ध 12 सितंबर को, सप्तमी तिथि का श्राद्ध 13 सितंबर 2025 को, अष्टमी तिथि का श्राद्ध 14 सितंबर को, नवमी तिथि का श्राद्ध 15 सितंबर को, दशमी तिथि का श्राद्ध 16 सितंबर 2015 को, एकादशी का श्राद्ध 17 सितंबर को, द्वादशी का श्राद्ध 18 सितंबर को, त्रयोदशी का श्राद्ध 19 सितंबर को, चतुर्दशी का श्राद्ध 20 सितंबर को तथा 20 सितंबर 2025 को तथा अमावस्या का सर्वपितृ श्राद्ध 21 सितंबर 2025 को किया जाएगा। 21 सितंबर 2025 को उन सभी पितृरों को श्राद्ध किया जा सकता है जिन पितृरों अथवों पूर्वजों के स्वर्गवासी होने का दिन याद नहीं हो।

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नीचे आप आसानी से समझ सकते हैं पितृ पक्ष-2025 का पूरा विवरण

पितृपक्ष में श्राद्ध की तिथियां वर्ष= 2025 पूर्णिमा का श्राद्ध = 7 सितम्बर, रविवार प्रतिपदा का श्राद्ध = 8 सितम्बर, सोमवार द्वितीया का श्राद्ध = 9 सितंबर, मंगलवार तृतीया एवं चतुर्थी का श्राद्ध = 10 सितंबर, बुधवार पंचमी का श्राद्ध = 11 सितंबर, गुरुवार षष्ठी का श्राद्ध = 12 सितंबर, शुक्रवार सप्तमी का श्राद्ध = 13 सितंबर, शनिवार अष्टमी का श्राद्ध = 14 सितंबर, रविवार नवमी का श्राद्ध = 15 सितंबर, सोमवार दशमी का श्राद्ध = 16 सितंबर, मंगलवार एकादशी का श्राद्ध = 17 सितंबर, बुधवार द्वादशी का श्राद्ध = 18 सितंबर, गुरुवार त्रयोदशी का श्राद्ध = 19 सितंबर, शुक्रवार चतुर्दशी का श्राद्ध = 20 सितंबर, शनिवार अमावस्या व सर्वपित्र का श्राद्ध = 21 सितंबर, रविवार Pitru Paksha 2025
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बिहार की सबसे बड़ी लड़ाई, राघोपुर में आमने-सामने होंगे दो दिग्गज

बिहार की सबसे बड़ी लड़ाई, राघोपुर में आमने-सामने होंगे दो दिग्गज
locationभारत
userचेतना मंच
calendar01 Dec 2025 09:23 PM
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बिहार की राजनीति में हलचल तेज है। एक तरफ राजद नेता और पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव हैं तो दूसरी ओर चुनावी रणनीतिकार से राजनेता बने प्रशांत किशोर। दोनों के बीच सीधी टक्कर की जमीन राघोपुर में तैयार हो रही है। प्रशांत किशोर ने यह संकेत दे दिया है कि वे आगामी विधानसभा चुनाव में राघोपुर या करगहर से मैदान में उतर सकते हैं और अगर उन्होंने राघोपुर चुना तो यह मुकाबला सिर्फ एक विधानसभा सीट तक सीमित नहीं रहेगा बल्कि पूरे बिहार के राजनीतिक परिदृश्य को हिला कर रख सकता है। Bihar Election 2025

राजद का गढ़ बनाम जन सुराज की चुनौती

राघोपुर विधानसभा सीट को राजद और लालू परिवार का गढ़ माना जाता है। 2015 और 2020 में तेजस्वी यादव यहां से विधायक चुने गए। इससे पहले खुद लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी भी इस सीट से चुनाव लड़ चुके हैं। लेकिन अब जब प्रशांत किशोर ने यहां से चुनाव लड़ने का मन बनाया है तो यह सीधे-सीधे तेजस्वी यादव को दी गई राजनीतिक चुनौती मानी जा रही है। पीके के इस फैसले के बाद राजद खेमे में बेचैनी साफ देखी जा रही है। कारण भी स्पष्ट है बीते कुछ चुनावों में राघोपुर में मुकाबला आसान नहीं रहा, और वोटों का अंतर कई बार बहुत कम रहा है। ऐसे में अगर कोई मजबूत उम्मीदवार सामाजिक और राजनीतिक संतुलन साध ले तो तेजस्वी के लिए जीत की राह कठिन हो सकती है।

जातीय समीकरण की जंग

राघोपुर का सामाजिक तानाबाना बेहद दिलचस्प है। यहां यादव और मुस्लिम वोटरों की संख्या करीब 40% है, जो पारंपरिक रूप से राजद के समर्थन में रहे हैं। लेकिन 15-20% राजपूत और 25% ईबीसी वोटर मिलकर अगर एकजुट हो जाएं तो चुनावी समीकरण पलट सकते हैं। प्रशांत किशोर ब्राह्मण समुदाय से आते हैं, और अपनी रणनीतिक सोच के जरिए वह इन गैर-यादव और गैर-मुस्लिम वोटरों को साधने की कोशिश कर सकते हैं। 2010 में जेडीयू के सतीश कुमार ने राबड़ी देवी को हराकर यह साबित भी कर दिया था कि राघोपुर में गैर-यादव वोटों का एकजुट होना किसी भी बड़े नेता की हार की वजह बन सकता है। Bihar Election 2025

बीते चुनावों में उतार-चढ़ाव

राघोपुर में बीते चार विधानसभा चुनावों पर नजर डालें तो तस्वीर साफ हो जाती है। 2005 में लालू यादव ने जदयू के सतीश कुमार को 22,000 वोटों से हराया। 2010 में सतीश कुमार ने राबड़ी देवी को 12,000 वोटों से हराया। वहीं 2015 में तेजस्वी यादव ने बीजेपी के सतीश राय को 22,733 वोटों से हराया (राजद-जदयू गठबंधन के साथ)। जबकि 2020 में तेजस्वी ने बीजेपी के सतीश कुमार को 38,174 वोटों से हराया। इन आंकड़ों से साफ है कि यादव-मुस्लिम गठजोड़ राजद को मजबूत बनाता है लेकिन गैर-यादव वोटों के ध्रुवीकरण से नतीजे पलट भी सकते हैं।

पीके की रणनीति और असर

प्रशांत किशोर सिर्फ एक उम्मीदवार नहीं बल्कि एक रणनीति के नाम हैं। उन्होंने जमीनी स्तर पर जन-सुराज अभियान के जरिए बिहार के गांव-गांव में अपनी पहचान बनाई है। उनका एजेंडा पारंपरिक जातिवादी राजनीति से हटकर विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार जैसे मुद्दों पर आधारित है। युवा मतदाताओं और जागरूक मध्यम वर्ग में उनकी पकड़ बन रही है। अगर वे राघोपुर से मैदान में उतरते हैं तो यह चुनाव सिर्फ जाति बनाम जाति नहीं बल्कि विचार बनाम विचार का भी होगा।

क्या तेजस्वी की अग्निपरीक्षा होगी ये चुनाव?

तेजस्वी यादव फिलहाल महागठबंधन के सर्वमान्य नेता और मुख्यमंत्री पद के दावेदार माने जाते हैं। ऐसे में राघोपुर से उनकी जीत सिर्फ एक सीट की बात नहीं होगी बल्कि पूरे महागठबंधन और राजद की साख दांव पर होगी। अगर प्रशांत किशोर राघोपुर से चुनाव लड़ते हैं तो यह तेजस्वी यादव के राजनीतिक करियर की सबसे बड़ी चुनौती बन सकती है। यह लड़ाई सिर्फ दो नेताओं के बीच नहीं होगी, बल्कि यह तय करेगी कि बिहार की राजनीति आगे जातिगत ध्रुवीकरण के सहारे चलेगी या विकास और नीतियों पर आधारित नई राजनीति का उदय होगा।

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राघोपुर बन सकता है बिहार का बड़ा रणभूमि

राघोपुर विधानसभा सीट इस बार पूरे राज्य की सबसे हॉट सीट बन सकती है। यहां तेजस्वी बनाम पीके की टक्कर महज एक चुनावी मुकाबला नहीं, बल्कि दो राजनीतिक सोचों का संघर्ष होगा। एक ओर दशकों पुरानी जातिगत राजनीतिक पकड़ और दूसरी ओर एक नई राजनीतिक विचारधारा को जमीन पर उतारने की कोशिश। अगर प्रशांत किशोर ने यहां से ताल ठोकी तो यह मुकाबला पूरे बिहार की दिशा तय करने वाला बन सकता है। Bihar Election 2025