CA Exam 2025 Postponed: इन 9 शहरों में परीक्षा स्थगित, जल्द आएगी नई डेट




देश में टैक्स प्रणाली में बदलाव का समय आ गया है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में आज से GST Council की दो दिवसीय बैठक शुरू हो गई है। इस बैठक में देश में लागू जीएसटी स्लैब को सरल बनाने और नए टैक्स ढांचे को अंतिम रूप देने पर चर्चा होगी। अनुमान है कि वर्तमान चार स्लैब (5%, 12%, 18%, 28%) को घटाकर केवल दो स्लैब – 5% और 18% किया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से संबोधन में यह ऐलान किया था कि नए जीएसटी सुधार, यानी GST 2.0, दिवाली से पहले आम लोगों के लिए “विशेष गिफ्ट” की तरह आएगा। GST Cut on Cars
प्रधानमंत्री मोदी ने इसे आम लोगों के लिए दिवाली से पहले “विशेष गिफ्ट” बताया था। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम न केवल कर प्रणाली को सरल बनाएगा बल्कि खपत को बढ़ाकर अर्थव्यवस्था को भी मजबूती देगा। छोटे कार सेगमेंट को सबसे बड़ा लाभ मिलने की संभावना है, क्योंकि लंबे समय से एंट्री-लेवल कारें महंगी और कठिनाईपूर्ण रही हैं। अनुमान है कि इन कारों की कीमत में 7-8% तक की गिरावट हो सकती है।
मौजूदा समय में जीएसटी की दरें 5%, 12%, 18% और 28% के अलग-अलग स्लैब में आती हैं। नए प्रस्ताव के अनुसार:
आवश्यक वस्तुएँ और सेवाएँ – 5%
अधिकांश अन्य उत्पाद – 18%
लक्ज़री और उच्च मूल्य वाली वस्तुएँ – विशेष 40% स्लैब
इस नए ढांचे से वाहन खरीदारों को सबसे ज्यादा फायदा होगा।
यदि नए प्रस्तावित स्लैब को मंजूरी मिलती है, तो पैसेंजर कारों की कीमत में भारी गिरावट आएगी। वर्तमान में:
पैसेंजर कारों पर 28% से 50% तक GST और उपकर (Cess) लगता है।
छोटी कारों (1.2 लीटर इंजन, <4 मीटर लंबाई) पर 28% GST और 1-3% उपकर लगता है। नए बदलाव से ये कारें 18% स्लैब में आएंगी।
बड़ी कारों और SUV में भी 3-5% तक की कटौती होगी। उदाहरण:
1,500 सीसी इंजन वाली कारों पर 28% GST + 20% Cess = 48%
4 मीटर लंबी SUV पर 28% GST + 22% Cess = 50%
नए प्रस्ताव के तहत इन्हें 40% स्लैब में रखा जा सकता है।
छोटी और मिड-साइज कारों की कीमतों में उल्लेखनीय कमी आने की संभावना है:
Maruti Alto – 4.23 लाख से घटकर ~3.89 लाख
Renault Kwid – 4.70 लाख से घटकर ~4.25 लाख
Mahindra Scorpio – 13.99–25.62 लाख, संभावित कटौती ~3 लाख
Mahindra Thar – लंबाई के अनुसार अलग टैक्स, कीमत में भारी कटौती
Hyundai Creta – 11.11 लाख की शुरुआती कीमत में भारी राहत GST Cut on Cars
देश में टैक्स प्रणाली में बदलाव का समय आ गया है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में आज से GST Council की दो दिवसीय बैठक शुरू हो गई है। इस बैठक में देश में लागू जीएसटी स्लैब को सरल बनाने और नए टैक्स ढांचे को अंतिम रूप देने पर चर्चा होगी। अनुमान है कि वर्तमान चार स्लैब (5%, 12%, 18%, 28%) को घटाकर केवल दो स्लैब – 5% और 18% किया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से संबोधन में यह ऐलान किया था कि नए जीएसटी सुधार, यानी GST 2.0, दिवाली से पहले आम लोगों के लिए “विशेष गिफ्ट” की तरह आएगा। GST Cut on Cars
प्रधानमंत्री मोदी ने इसे आम लोगों के लिए दिवाली से पहले “विशेष गिफ्ट” बताया था। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम न केवल कर प्रणाली को सरल बनाएगा बल्कि खपत को बढ़ाकर अर्थव्यवस्था को भी मजबूती देगा। छोटे कार सेगमेंट को सबसे बड़ा लाभ मिलने की संभावना है, क्योंकि लंबे समय से एंट्री-लेवल कारें महंगी और कठिनाईपूर्ण रही हैं। अनुमान है कि इन कारों की कीमत में 7-8% तक की गिरावट हो सकती है।
मौजूदा समय में जीएसटी की दरें 5%, 12%, 18% और 28% के अलग-अलग स्लैब में आती हैं। नए प्रस्ताव के अनुसार:
आवश्यक वस्तुएँ और सेवाएँ – 5%
अधिकांश अन्य उत्पाद – 18%
लक्ज़री और उच्च मूल्य वाली वस्तुएँ – विशेष 40% स्लैब
इस नए ढांचे से वाहन खरीदारों को सबसे ज्यादा फायदा होगा।
यदि नए प्रस्तावित स्लैब को मंजूरी मिलती है, तो पैसेंजर कारों की कीमत में भारी गिरावट आएगी। वर्तमान में:
पैसेंजर कारों पर 28% से 50% तक GST और उपकर (Cess) लगता है।
छोटी कारों (1.2 लीटर इंजन, <4 मीटर लंबाई) पर 28% GST और 1-3% उपकर लगता है। नए बदलाव से ये कारें 18% स्लैब में आएंगी।
बड़ी कारों और SUV में भी 3-5% तक की कटौती होगी। उदाहरण:
1,500 सीसी इंजन वाली कारों पर 28% GST + 20% Cess = 48%
4 मीटर लंबी SUV पर 28% GST + 22% Cess = 50%
नए प्रस्ताव के तहत इन्हें 40% स्लैब में रखा जा सकता है।
छोटी और मिड-साइज कारों की कीमतों में उल्लेखनीय कमी आने की संभावना है:
Maruti Alto – 4.23 लाख से घटकर ~3.89 लाख
Renault Kwid – 4.70 लाख से घटकर ~4.25 लाख
Mahindra Scorpio – 13.99–25.62 लाख, संभावित कटौती ~3 लाख
Mahindra Thar – लंबाई के अनुसार अलग टैक्स, कीमत में भारी कटौती
Hyundai Creta – 11.11 लाख की शुरुआती कीमत में भारी राहत GST Cut on Cars

उत्तर भारत अब तक की सबसे भीषण बारिश और बाढ़ की चपेट में है। हिमाचल प्रदेश, पंजाब और जम्मू-कश्मीर में प्राकृतिक आपदा ने चार दशक में सबसे बड़ा कहर बरपाया है। हिमाचल प्रदेश, पंजाब और जम्मू-कश्मीर में प्राकृतिक आपदा ने पिछले चार दशकों में सबसे बड़े विनाश का रूप ले लिया है। अब तक 400 से अधिक लोगों की मौत और 30,000 करोड़ रुपये से अधिक का आर्थिक नुकसान दर्ज किया गया है। North India Floods 2025
कुल्लू, मंडी और किन्नौर जिलों में लगातार बादल फटने और भूस्खलन से सड़कें ध्वस्त हो गईं। पहाड़ों से मलबा नदियों में बहा और ब्यास व सतलज जैसी नदियों ने कई तटबंध तोड़ दिए। 250 से अधिक सड़कें बह गईं, जिनमें चंडीगढ़-मनाली राजमार्ग भी शामिल है। नाथपा झकरी जलविद्युत परियोजना में गाद भरने से टर्बाइन बंद करनी पड़ी। शिमला और कुल्लू के सेब के बागों को भारी नुकसान हुआ; अनुमान है कि 10,000 हेक्टेयर से अधिक कृषि भूमि बर्बाद हो गई। 31 अगस्त तक हिमाचल में 220 से अधिक लोगों की मौत और 12,000 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ।
राजौरी और पूंछ में चिनाब और झेलम नदियों का जलस्तर खतरनाक स्तर तक पहुंच गया। कई पुल टूटने से गांव अलग-थलग पड़ गए। श्रीनगर में लोग 2014 की बाढ़ की यादें ताजा होने के डर से सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित किए गए। राज्य में 40,000 घर और 90,000 हेक्टेयर धान की फसलें बर्बाद हुई हैं। प्रारंभिक सरकारी आंकड़ों के अनुसार, जम्मू-कश्मीर को 6,500 करोड़ रुपये का आर्थिक नुकसान हुआ। North India Floods 2025
भाखड़ा नांगल बांध से छोड़े गए अतिरिक्त पानी ने सतलज नदी में उफान ला दिया। रोपड़, लुधियाना, जालंधर और फिरोजपुर में बाढ़ का कहर बरपा। घग्गर और रावी नदियों ने स्थिति और गंभीर बना दी। 30 अगस्त तक 1,800 से अधिक गांव जलमग्न हो चुके हैं और 2,50,000 हेक्टेयर खेतों में पानी भर गया। फसल नुकसान का अनुमान 9,000 करोड़ रुपये है। पोल्ट्री फार्मों में दस लाख से अधिक पक्षी मरे। डेयरी उद्योग को दूध की कमी का सामना करना पड़ा। 1,20,000 से अधिक घर क्षतिग्रस्त हुए और हजारों घर पूरी तरह बह गए। लुधियाना का होजरी उद्योग और फगवाड़ा व अमृतसर के खाद्य प्रसंस्करण केंद्र भी प्रभावित हुए।
राज्य सरकारों और केंद्रीय गृह मंत्रालय के प्रारंभिक आंकड़ों के अनुसार, तीनों राज्यों में कुल नुकसान 30,000 करोड़ रुपये से अधिक है। बीमा कंपनियां हजारों करोड़ रुपये के क्लेम की तैयारी में हैं। केंद्र सरकार ने 3,000 करोड़ रुपये की अंतरिम राहत जारी की है, लेकिन सड़कें, पुल, बिजली लाइनें, सिंचाई नहरें और पेयजल ढांचे के पुनर्निर्माण के लिए इससे अधिक राशि की आवश्यकता होगी। मौसम विशेषज्ञों के अनुसार, रुके हुए मानसून ने बंगाल की खाड़ी से नमी भरी हवाओं का एक कन्वेयर बेल्ट बनाया, जबकि पश्चिमी विक्षोभ ने इसे और तीव्र किया। पहाड़ों में बादल फटे और मैदानी इलाकों में मूसलाधार बारिश हुई, जिससे पहले से पिघल रहे ग्लेशियरों की नदियों ने भीषण रूप लिया।
जलवायु वैज्ञानिक चेतावनी दे रहे हैं कि अब ऐसी चरम घटनाएं नियमित हो रही हैं। हिमालय, वैश्विक औसत से दोगुनी गति से गर्म हो रहा है, बर्फ तेजी से पिघल रही है और बाढ़ का खतरा बढ़ा है। वनों की कटाई, खनन और नदी तटों पर अनियोजित निर्माण प्राकृतिक आपदा के प्रभाव को और बढ़ा रहे हैं। अब तक 400 से अधिक लोगों की मौत और दस लाख से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं। स्कूल-कॉलेज बंद हैं, राहत शिविर भरे हुए हैं और जलजनित बीमारियों का खतरा बना हुआ है। हिमाचल, पंजाब और जम्मू-कश्मीर के लोग अपने घरों से मलबा हटाने और सरकारी मदद के वादों के पूरे होने का इंतजार कर रहे हैं। North India Floods 2025
उत्तर भारत अब तक की सबसे भीषण बारिश और बाढ़ की चपेट में है। हिमाचल प्रदेश, पंजाब और जम्मू-कश्मीर में प्राकृतिक आपदा ने चार दशक में सबसे बड़ा कहर बरपाया है। हिमाचल प्रदेश, पंजाब और जम्मू-कश्मीर में प्राकृतिक आपदा ने पिछले चार दशकों में सबसे बड़े विनाश का रूप ले लिया है। अब तक 400 से अधिक लोगों की मौत और 30,000 करोड़ रुपये से अधिक का आर्थिक नुकसान दर्ज किया गया है। North India Floods 2025
कुल्लू, मंडी और किन्नौर जिलों में लगातार बादल फटने और भूस्खलन से सड़कें ध्वस्त हो गईं। पहाड़ों से मलबा नदियों में बहा और ब्यास व सतलज जैसी नदियों ने कई तटबंध तोड़ दिए। 250 से अधिक सड़कें बह गईं, जिनमें चंडीगढ़-मनाली राजमार्ग भी शामिल है। नाथपा झकरी जलविद्युत परियोजना में गाद भरने से टर्बाइन बंद करनी पड़ी। शिमला और कुल्लू के सेब के बागों को भारी नुकसान हुआ; अनुमान है कि 10,000 हेक्टेयर से अधिक कृषि भूमि बर्बाद हो गई। 31 अगस्त तक हिमाचल में 220 से अधिक लोगों की मौत और 12,000 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ।
राजौरी और पूंछ में चिनाब और झेलम नदियों का जलस्तर खतरनाक स्तर तक पहुंच गया। कई पुल टूटने से गांव अलग-थलग पड़ गए। श्रीनगर में लोग 2014 की बाढ़ की यादें ताजा होने के डर से सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित किए गए। राज्य में 40,000 घर और 90,000 हेक्टेयर धान की फसलें बर्बाद हुई हैं। प्रारंभिक सरकारी आंकड़ों के अनुसार, जम्मू-कश्मीर को 6,500 करोड़ रुपये का आर्थिक नुकसान हुआ। North India Floods 2025
भाखड़ा नांगल बांध से छोड़े गए अतिरिक्त पानी ने सतलज नदी में उफान ला दिया। रोपड़, लुधियाना, जालंधर और फिरोजपुर में बाढ़ का कहर बरपा। घग्गर और रावी नदियों ने स्थिति और गंभीर बना दी। 30 अगस्त तक 1,800 से अधिक गांव जलमग्न हो चुके हैं और 2,50,000 हेक्टेयर खेतों में पानी भर गया। फसल नुकसान का अनुमान 9,000 करोड़ रुपये है। पोल्ट्री फार्मों में दस लाख से अधिक पक्षी मरे। डेयरी उद्योग को दूध की कमी का सामना करना पड़ा। 1,20,000 से अधिक घर क्षतिग्रस्त हुए और हजारों घर पूरी तरह बह गए। लुधियाना का होजरी उद्योग और फगवाड़ा व अमृतसर के खाद्य प्रसंस्करण केंद्र भी प्रभावित हुए।
राज्य सरकारों और केंद्रीय गृह मंत्रालय के प्रारंभिक आंकड़ों के अनुसार, तीनों राज्यों में कुल नुकसान 30,000 करोड़ रुपये से अधिक है। बीमा कंपनियां हजारों करोड़ रुपये के क्लेम की तैयारी में हैं। केंद्र सरकार ने 3,000 करोड़ रुपये की अंतरिम राहत जारी की है, लेकिन सड़कें, पुल, बिजली लाइनें, सिंचाई नहरें और पेयजल ढांचे के पुनर्निर्माण के लिए इससे अधिक राशि की आवश्यकता होगी। मौसम विशेषज्ञों के अनुसार, रुके हुए मानसून ने बंगाल की खाड़ी से नमी भरी हवाओं का एक कन्वेयर बेल्ट बनाया, जबकि पश्चिमी विक्षोभ ने इसे और तीव्र किया। पहाड़ों में बादल फटे और मैदानी इलाकों में मूसलाधार बारिश हुई, जिससे पहले से पिघल रहे ग्लेशियरों की नदियों ने भीषण रूप लिया।
जलवायु वैज्ञानिक चेतावनी दे रहे हैं कि अब ऐसी चरम घटनाएं नियमित हो रही हैं। हिमालय, वैश्विक औसत से दोगुनी गति से गर्म हो रहा है, बर्फ तेजी से पिघल रही है और बाढ़ का खतरा बढ़ा है। वनों की कटाई, खनन और नदी तटों पर अनियोजित निर्माण प्राकृतिक आपदा के प्रभाव को और बढ़ा रहे हैं। अब तक 400 से अधिक लोगों की मौत और दस लाख से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं। स्कूल-कॉलेज बंद हैं, राहत शिविर भरे हुए हैं और जलजनित बीमारियों का खतरा बना हुआ है। हिमाचल, पंजाब और जम्मू-कश्मीर के लोग अपने घरों से मलबा हटाने और सरकारी मदद के वादों के पूरे होने का इंतजार कर रहे हैं। North India Floods 2025