आज रात मां लक्ष्मी करेंगी आपके घर प्रवेश, दहलीज की इन चीजों का रखें खास ख्याल

शरद पूर्णिमा का धार्मिक महत्व
शरद पूर्णिमा आश्विन मास की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है। यह वह दिन है जब चंद्रमा धरती के सबसे निकट होता है और अपनी सोलहों कलाओं से युक्त होता है। माना जाता है कि इस रात चंद्रमा की रोशनी में अमृत बरसता है, जो तन और मन दोनों को शुद्ध करता है। नारद पुराण के अनुसार, शरद पूर्णिमा की रात मां लक्ष्मी उल्लू पर सवार होकर संपूर्ण पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं। इस दौरान वे उन घरों में प्रवेश करती हैं, जहां सफाई, प्रकाश और भक्ति होती है। इसलिए इस दिन मुख्य द्वार को साफ करके वहां दीपक जलाना और रंगोली बनाना विशेष शुभ माना जाता है।मुख्य द्वार पर करें ये एक काम
यदि आप चाहते हैं कि मां लक्ष्मी आपके घर पधारें और स्थायी रूप से निवास करें, तो शरद पूर्णिमा की रात मुख्य द्वार पर घी का दीपक जरूर जलाएं। साथ ही दरवाजे को अच्छे से साफ करें, तोरण और फूलों से सजाएं। यह मां लक्ष्मी के स्वागत का प्रतीक है और ऐसा करने से घर में सुख-समृद्धि का वास होता है।यह भी पढ़ें: आज है चांद की रोशनी में खीर रखने वाली रात, जानें शुभ मुहूर्त
चंद्रमा की रोशनी में क्यों रखी जाती है खीर?
शरद पूर्णिमा की सबसे खास परंपरा है खुले आसमान के नीचे खीर रखना। मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा की किरणों में अमृत तत्व होता है। जब खीर को चांद की रोशनी में रखा जाता है तो उसमें यह अमृत ऊर्जा समाहित हो जाती है। सुबह इस खीर को प्रसाद के रूप में ग्रहण करना न केवल स्वास्थ्य लाभ देता है बल्कि भाग्य का द्वार भी खोलता है। यह परंपरा खास तौर पर उत्तर भारत में बड़े श्रद्धा-भाव से निभाई जाती है।शरद पूर्णिमा और श्रीकृष्ण की रासलीला
शास्त्रों के अनुसार, शरद पूर्णिमा की रात ही भगवान श्रीकृष्ण ने वृंदावन में राधा और गोपियों के साथ दिव्य महारास रचाया था। यह रास नृत्य केवल प्रेम नहीं, बल्कि भक्ति, आनंद और आध्यात्मिक एकता का प्रतीक माना जाता है। इसी कारण यह रात सिर्फ धार्मिक नहीं, बल्कि आत्मिक स्तर पर भी अत्यंत शक्तिशाली मानी जाती है।समुद्र मंथन से लक्ष्मी का प्राकट्य
मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात ही समुद्र मंथन के दौरान मां लक्ष्मी का अवतरण हुआ था। इसलिए यह दिन लक्ष्मी पूजन के लिए सर्वश्रेष्ठ होता है। कई स्थानों पर इस दिन कन्याएं सूर्य और चंद्रदेव की पूजा करती हैं और शुभ विवाह की कामना करती हैं।यह भी पढ़ें: तुलसी के पास ये काम करने से लक्ष्मी माता होंगी खुश, खूब बरसेंगे पैसे!
इस शरद पूर्णिमा पर क्या करें?
मुख्य द्वार पर दीपक जलाएं और साफ-सफाई रखें। मां लक्ष्मी के नाम का मंत्र जपें: "ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं महालक्ष्म्यै नमः"। रात को खीर बनाकर चंद्रमा की रोशनी में रखें। अगले दिन उस खीर को प्रसाद रूप में परिवार सहित ग्रहण करें। तुलसी के पास दीपक जलाकर घर में सकारात्मक ऊर्जा बढ़ाएं। इस शरद पूर्णिमा, अपने घर को तैयार कीजिए देवी लक्ष्मी के स्वागत के लिए। एक दीपक, थोड़ी सी भक्ति और श्रद्धा से आप अपने जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आमंत्रित कर सकते हैं। Sharad Purnima 2025अगली खबर पढ़ें
शरद पूर्णिमा का धार्मिक महत्व
शरद पूर्णिमा आश्विन मास की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है। यह वह दिन है जब चंद्रमा धरती के सबसे निकट होता है और अपनी सोलहों कलाओं से युक्त होता है। माना जाता है कि इस रात चंद्रमा की रोशनी में अमृत बरसता है, जो तन और मन दोनों को शुद्ध करता है। नारद पुराण के अनुसार, शरद पूर्णिमा की रात मां लक्ष्मी उल्लू पर सवार होकर संपूर्ण पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं। इस दौरान वे उन घरों में प्रवेश करती हैं, जहां सफाई, प्रकाश और भक्ति होती है। इसलिए इस दिन मुख्य द्वार को साफ करके वहां दीपक जलाना और रंगोली बनाना विशेष शुभ माना जाता है।मुख्य द्वार पर करें ये एक काम
यदि आप चाहते हैं कि मां लक्ष्मी आपके घर पधारें और स्थायी रूप से निवास करें, तो शरद पूर्णिमा की रात मुख्य द्वार पर घी का दीपक जरूर जलाएं। साथ ही दरवाजे को अच्छे से साफ करें, तोरण और फूलों से सजाएं। यह मां लक्ष्मी के स्वागत का प्रतीक है और ऐसा करने से घर में सुख-समृद्धि का वास होता है।यह भी पढ़ें: आज है चांद की रोशनी में खीर रखने वाली रात, जानें शुभ मुहूर्त
चंद्रमा की रोशनी में क्यों रखी जाती है खीर?
शरद पूर्णिमा की सबसे खास परंपरा है खुले आसमान के नीचे खीर रखना। मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा की किरणों में अमृत तत्व होता है। जब खीर को चांद की रोशनी में रखा जाता है तो उसमें यह अमृत ऊर्जा समाहित हो जाती है। सुबह इस खीर को प्रसाद के रूप में ग्रहण करना न केवल स्वास्थ्य लाभ देता है बल्कि भाग्य का द्वार भी खोलता है। यह परंपरा खास तौर पर उत्तर भारत में बड़े श्रद्धा-भाव से निभाई जाती है।शरद पूर्णिमा और श्रीकृष्ण की रासलीला
शास्त्रों के अनुसार, शरद पूर्णिमा की रात ही भगवान श्रीकृष्ण ने वृंदावन में राधा और गोपियों के साथ दिव्य महारास रचाया था। यह रास नृत्य केवल प्रेम नहीं, बल्कि भक्ति, आनंद और आध्यात्मिक एकता का प्रतीक माना जाता है। इसी कारण यह रात सिर्फ धार्मिक नहीं, बल्कि आत्मिक स्तर पर भी अत्यंत शक्तिशाली मानी जाती है।समुद्र मंथन से लक्ष्मी का प्राकट्य
मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात ही समुद्र मंथन के दौरान मां लक्ष्मी का अवतरण हुआ था। इसलिए यह दिन लक्ष्मी पूजन के लिए सर्वश्रेष्ठ होता है। कई स्थानों पर इस दिन कन्याएं सूर्य और चंद्रदेव की पूजा करती हैं और शुभ विवाह की कामना करती हैं।यह भी पढ़ें: तुलसी के पास ये काम करने से लक्ष्मी माता होंगी खुश, खूब बरसेंगे पैसे!
इस शरद पूर्णिमा पर क्या करें?
मुख्य द्वार पर दीपक जलाएं और साफ-सफाई रखें। मां लक्ष्मी के नाम का मंत्र जपें: "ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं महालक्ष्म्यै नमः"। रात को खीर बनाकर चंद्रमा की रोशनी में रखें। अगले दिन उस खीर को प्रसाद रूप में परिवार सहित ग्रहण करें। तुलसी के पास दीपक जलाकर घर में सकारात्मक ऊर्जा बढ़ाएं। इस शरद पूर्णिमा, अपने घर को तैयार कीजिए देवी लक्ष्मी के स्वागत के लिए। एक दीपक, थोड़ी सी भक्ति और श्रद्धा से आप अपने जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आमंत्रित कर सकते हैं। Sharad Purnima 2025संबंधित खबरें
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